12th Ka Biology Subjective Question :- दोस्तों यदि आप 12th Class Biology Questions pdf in Hindi की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको Biology Chapter 7( विकास ) Subjective Question दिया गया है जो आपके Class 12th Ka Biology Subjective के लिए काफी महत्वपूर्ण है | Inter Board Exam 2022 Biology Questions 2024
12th Ka Biology Subjective Question 2024
1. डार्विन के चयन सिद्धांत के परिप्रेक्ष्य में जीवाणुओं में देखी गई प्रतिजैविक प्रतिरोध का स्पष्टीकरण करें।
उत्तर ⇒ किसी भी जीव का पूर्ण विनाश नहीं होता। ठीक इसी प्रकार, शाकनाशकों एवं कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग के परिणामस्वरूप कम समयावधि में केवल प्रतिरोधक किस्मों का चयन हुआ। ठीक यही बात सूक्ष्म जीवों के प्रति भी सही साबित होती है जिनके लिए हम प्रतिजैविक गोटिया अन्य दवाइयों को मुकेंद्रकी (केरियोटिक जीव कोशिकाओं के प्रति इस्तेमाल करते है। बहुत जल्दी हो, यदि शादियों में नहीं तो महीनों और वर्षो की समयावधि में ही प्रतिरोधक जीव कोशिकाएँ प्रकट हो रही है। यह एक मानवोद्भवी क्रियाओं द्वारा विकास का एक उदाहरण है। इसके साथ ही यह हमें बताता है कि निश्चयवाद के अर्थ में विकास की एक प्रत्यक्ष प्रक्रिया नहीं है। यह एक प्रसंभव्य प्रक्रम है, जो प्रकृति के संयोग, अवसरधारी घटना और जीवों में संयोग जन्य उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) पर आधारित है।
2. लैमार्क के उपार्जित गुणों की वंशागति वाले सिद्धान्त की सबसे अधिक आलोचना किसने की और क्यों ?
उत्तर ⇒ उपार्जित गुणों की वंशागति वाला भी उनका विचार सही नहीं प्रतीत होता। इस विचार को सबसे अधिक आलोचना करने वाले वैज्ञानिक वीजमैन (Weismann) थे। उसने उपार्जित गुणों के वंशागत होने के सिद्धान्त की कटु आलोचना की। सन् 1880 से 1892 के बीच उन्होंने प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध कर दिया कि लगातार 80 पीढ़ियों तक गृहों की पूँछ काटते रहने पर भी बिना पूंछ वाले चूहों की उत्पत्ति नहीं हुई। इसके अतिरिक्त हम सभी जानते है कि एक डॉक्टर का पुत्र पैदा होते ही डॉक्टर नहीं होता और न ही एक पहलवान का पुत्र अत्यन्त शक्तिशाली होता है। हिन्दुओं में लड़कियों के नाक तथा कान छेदने की प्रथा सदियों से चली आ रही है, लेकिन नवजात शिशु में इसका लेशमात्र आरेख (trace) नहीं आता। इसी प्रकार अन्य अनेक उदाहरणों द्वारा सिद्ध किया जाता है कि उपार्जित गुण वंशागत नहीं होते। वीजमैन का कहना था कि केवल वही लक्षण या गुण माता-पिता से सन्तान में आते हैं, जो प्राणी के जनन-द्रव्य (germplasm) में उत्पन्न होते हैं। जो लक्षण या परिवर्तन काय द्रव्य (somatoplasm) वाले होते हैं, वे वंशागत नहीं होते।
3. चयन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ चयन (Selection ) – पुन: संयोजन तथा उत्परिवर्तनों के फलस्वरूप किसी भी जाति की समष्टि में विभिन्नताएँ उत्पन्न हो जाती है, परन्तु केवल चयन (selection) की प्रक्रिया द्वारा ही यह सुनिश्चित होता है कि कौन से वंशागत लक्षणों का प्रसार होना है, जिससे कि समष्टि अपने पर्यावरण के अधिक अनुकूल बन सके। इस स्थिति में प्राकृतिक वरण (natural selection) विभेदी जनन (differential reproduction) के रूप में कार्य करता है, अर्थात् वही जीव वयस्क होकर संतानोत्पत्ति में सफल होते हैं, जो तत्कालीन पर्यावरण में योग्यतम सिद्ध होगे।
4. अनुकूलन किसे कहते हैं ? अनुकूलताओं का आनुवंशिक आधार क्या है ?
उत्तर ⇒ अनुकूलन (Adaptation) सफलतापूर्वक जीवित रहने व प्रजनन करने हेतु किसी जीवधारी का अपने वातावरण के अनुरूप ढलना हो प्रायः अनुकूलन कहलाता है। परन्तु इस शब्द अनुकूलता का प्रयोग किसी ऐसे लक्षण के लिए भी किया जाता है, जो उसी जीवधारी को अपने पर्यावरण के अनुकूल ढलने में मदद करता है। मेढक का त्रिकोणाकार लुंड (snout) पश्च पादो मे जाल (web), चमगादड़ में पंख इत्यादि अनुकूलताएँ ही है।
अनुकूलताओं का आनुवंशिक आधार adaptation) — किसी भी जाति के जीवधारियों के बीच काफी विभिन्नताएँ पाई जाती है। कुछ लक्षण जीवधारियों को उनके वातावरण में जीवित रहने व प्रजनन करने में सहायक सिद्ध होती हैं, प्रकृति द्वारा इनका वरण होता है। फलस्वरूप, आगामी पीढ़ियाँ वातावरण के लिए अधिक उपयुक्त सिद्ध होती है। दूसरे शब्दों में, समष्टि (population) में पहले से ही विद्यमान विभिन्नताओं में से लाभदायक लक्षणों के चयन से ही जातियों में अनुकूलन होता है।
लैडरबर्ग एवं लैंडरबर्ग के प्रयोग से इस तथ्य का पुष्टिकरण होता है। कि “अनुकूलन पूर्व विद्यमान विभिन्नताओं के चयन का परिणाम है।” लैंडरबर्ग एवं लैडरबर्ग ने पाया कि पैनिसिलीन प्रतिरोधी (penicillin resistant) बैक्टीरिया की कॉलोनियाँ सभी अगार प्लेटों पर एक जैसी थीं (यहाँ तक कि मास्टर प्लेट में इसी प्रकार पेनिसिलीन के लिए संवेदनशील (penicillin-susceptible) कॉलोनियाँ भी सभी अगार प्लेटों पर एक-सी थीं । इससे स्पष्ट होता है कि पेनिसिलीन प्रतिरोधी बैक्टीरिया उत्परिवर्ती पहले से ही मास्टर प्लेट अर्थात मूल समष्टि (original population) में मौजूद थे।
12th Class Biology Questions pdf in Hindi 2024
5. जीवन की उत्पत्ति के सन्दर्भ में मिलर के प्रयोग का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर ⇒ स्टैनले मिलर ने एक 5 लीटर के बड़ा फ्लास्क में 2: 1: 2 के अनुपात में मीथेन, अमोनिया और हाइड्रोजन गैसों का मिश्रण भरा। इसे एक शीशे की नलिका द्वारा छोटे फ्लास्क से जोड़ा जिसमें जब जल उबल रहा था। गैस वाले फ्लास्क में 2 टंगस्टन के तार के इलेक्ट्रोड द्वारा विद्युत चिंगारियाँ मुक्त कराई। इसी फ्लास्क को एक ‘यू’ नलिका या कंडेसर द्वारा भी जोड़ा था। इस ‘यू’ नालिका में एकत्र हुई गैस का परीक्षण करने पर ग्लाइसीन, एलालीन, कुछ अन्य अमीनो तथा कुछ कार्बनिक अम्लों का मिश्रण प्राप्त हुआ।
6. अनुकूल विकिरण को डार्विन के पिंचों के संदर्भ में स्पष्ट करें। अथवा, अनुकूल विकिरण किसे कहते हैं?
उत्तर ⇒ एक विशेष भू-भाग में विभिन्न प्रजातियों के विकास का प्रक्रम, एक बिन्दु से प्रारम्भ होकर अन्य भू-भौगोलिक क्षेत्रों तक प्रसारित होने को अनुकूल विकिरण कहते हैं। डॉर्विन फिंचों का उदाहरण स्पष्ट करता है कि एक चिड़िया अन्य द्वीप समूहों पर जाकर वहाँ के वातावरण नमी, हवा, ताप आदि के प्रभाव से धीरे-धीरे नए रूप में उपयोजित हो जाता है। इसी को डॉर्बिन अनुकूल विकिरण कहते हैं।
7.हॉडी-वेनवर्ग का सिद्धान्त क्या है? आनुवंशिक साम्यता को कौन से घटक प्रभावित करते हैं?
अथवा, हार्डी-वेनवर्ग सिद्धान्त क्या है ? हार्डी-वेनवर्ग साम्यता को प्रभावित करने वाले पाँच कारकों के नाम लिखें।
उत्तर ⇒ हार्डी-वेनबर्ग का सिद्धान्त किसी जीवसंख्या में आनुवंशिक साम्यता दर्शाता है जिसके अनुसार जीवसंख्या में मौजूद अलील और जीनोटाइप की आवृत्तियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी सुस्थिर रहती है तथा उसका जीवकोश अपरिवर्तनीय रहता है।
इसके विपरीत, जब अलील और जीनोटाइप की दृष्टिगत आवृत्तियाँ इसके अपेक्षित मान से भिन्न होती है तो यह भिन्नता विकासीय परिवर्तन का संकेत देती है। दूसरे शब्दों में, जीवसंख्या में अलील और आवंशिक साम्यता प्रभावित होती है। आनुवंशिक साम्यता को प्रभावित करने वाले पाँच घटक महत्त्वपूर्ण हैं—उत्परिवर्तन, प्राकृतिक वरण, आनुवंशिक पुनर्योग, जीन प्रवाह तथा आनुवंशिक विचलन ।
8.मानव के उद्गम और विकास की संक्षिप्त जानकारी दें ।
उत्तर ⇒ प्रथम जीव से लेकर मानव विकास का एक लम्बा इतिहास है आज का मानव जैव विकास के कई परिवर्तनों और अनुकूलताओं के पश्चात् हुआ है। मानव के प्रमुख विकासीय लक्षण निम्नांकित हैं— बुद्धि, सीधा खड़ा होना, पूँछ का विलोप होना, संवेदनशीलता तथा प्रजनन आदि है। I
12th Ka Biology Subjective Question Answer 2024
9.रासायनिक विकास से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर—रासायनिक विकास का सिद्धांत ओपेरिन एवं हाल्दने ने प्रस्तुत की थी जिनके अनुसार आदि पृथ्वी पर जीवन की उत्पादित परमाणुओं को जोड़कर अणु बनने, रासायनिक अभिक्रिया द्वारा अणुओं से कार्बनिक यौगिकों का निर्माण फिर बड़े कार्बनिक अणु और उनके संघनन से प्रथम जीवन संरचना की उत्पत्ति होती है। जिसे बाद में यूरे एवं मिलर ने अपने प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया।
10.क्रमिक विकास क्या है ?
उत्तर—क्रमिक विकास किसी आबादी / जनसंख्या के जीन पूल में वह सूक्ष्म परिवर्तन है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँच कर एक नई जनसंख्या उत्पन्न करता है जो पूर्ववर्ती आबादी के आनुवंशिक रूप से भिन्न होता है। उदाहरण- घोड़े का क्रमविकास ।
11.रामापिथिकस और ड्रायोपिथिकस में अन्तर स्थापित करें।
उत्तर- रामापिथिकस भरत की शिवालिक पहाड़ियों की खुदाई करते समय लीविस को प्रागैतिहासिक मानव का एक जबड़ा मिला जिसे उसने रामापिथिकस पंजाबिकस का बताया जो लगभग 14 करोड़ वर्ष पुराने, मायोसीन युग के हैं। इनका चेहरा सीधा था तथा इनके द्विपदचारी गमन का प्रमाण मिलता है। इसमें मानव की तरह दन्तरेखा अर्द्धवृत्ताकार इन्साइजर तथा कैनाइन दन्त अन्य दाँतों के बराबर थे।
ड्रायोपिथिकस_माओसीन के प्रारम्भ में कपियों के भाँति जन्तु हुआ करते थे जिन्हें सामूहिक रूप से ड्रायोपिथेकस नाम दिया गया है। ड्रायोपिथेकस अफ्रीकेनस, जिसे पहले प्रोकॉन्सल के नाम से जाना जाता था, काफी कुछ चिम्मैजी जैसा है। ऐसा माना जाता है कि मानव तथा कपियों, दोनों का ही यह पूर्वज रहा है। इसका माथा गोल, आधुनिक मानव की तरह था किन्तु इसके लम्बे कैनाइन दाँत कपि के भाँति थे। यह कुछ झुककर चारों पादों पर चलता था।
12.लामार्क तथा डार्विन के सिद्धान्तों में विभेद करें
उत्तर ⇒ लामार्क एवं डार्विन के सिद्धान्तों में अन्तर
लामार्क का सिद्धांत | डार्विन का सिद्धांत |
1. लामार्क का मत था कि जिराफ के पूर्वजों की गर्दन छोटी थी तथा वे भोजन हेतु पेड़ों की पत्तियों तक पहुँचने के प्रयास में लगे थे। 2. लामार्क ने कहा कि बाद के वंशजों के जिराफी की गर्दनें लंबी हो गई तथा वे पूर्ववत भोजन हेतु पत्तियों तक पहुँचने की चेष्टा करते रहे। 3. लामार्क के अनुसार आधुनिक जिराफ की गर्दन की लंबाई बराबर बढ़ती ही गई। | 1. किंतु डार्विन का मत था कि हाजिराफ के पूर्वजों की गर्दन की लंबाई भिन्न-भिन्न थी । लंबाई में भिन्नता विभिन्नता के कारण थी। यह विभिन्नता वंशागत है। 2. इसके विपरीत, डार्विन का मत था कि प्रतिस्पर्धा एवं प्राकृतिक चयन के फलस्वरूप लंबी गर्दनवाले जिराफ की शेष रह गए। 3. किंतु डार्विन ने कहा कि स्पर्धा के पश्चात् केवल लंबी गर्दनवाले जिराफ ही कायम रह गए। |
13.रिकैपीचुलेशन सिद्धांत को स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ रिकैपीचुलेशन सिद्धान्त- भौणिकी के विस्तृत अध्ययन के बाद जर्मनी के प्रसिद्ध दार्शनिक और वैज्ञानिक इ० एच० हेकेल (E.H. Hacckel, 1834-1919) ने जात्यावृति नियम (biogenetic law) बनाया, जिसका सारांश है— “किसी भी जंतु का भ्रूणीय विकास उसके जाति- इतिहास की पुनरावृत्ति करता है” (ontogeny recapitulates sphylogeny) अर्थात् कोई जीव विकासक्रम में उन सभी अवस्थाओं से गुजरता है जिनसे उसके पूर्वज गुजरे थे। इस प्रकार, भ्रूणविज्ञान के अध्ययन से किसी जंतु के पूर्वज का अंदाज लगाया जा सकता है। इसे रिकैपीटुलेशन- मत (theory of recapitulation) भी कहते है।
14.आनुवंशिकी विचलन (Genetic Drift) को परिभाषित करें।
उत्तर ⇒ आनुवंशिक विचलन / प्रवाह सीवेल राइट (Sewell Wright) के मतानुसार किसी निश्चित दिशा में विभिन्नताएँ होने से उसे जैव विकास कहते हैं। हम जानते है कि सभी आबादियाँ बड़ी नहीं होती। कोई भी आबादी का कुछ भाग अक्सर किसी घटनावश अपने मूल अंतः प्रजनकों से पृथक कर दिया जाता है। इसलिए, संयोगवश किसी एक या दूसरे एलील (allele) के विषमयुग्मनजी (heterozygote) जीन समयुग्मनजी (homozygous) जीन में परिवर्तित हो जाते हैं। इस जीन परिवर्तन को आनुवंशिक प्रवाह (genetic drift) कहते है
12th Ka Biology Subjective 2024
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