Hindi Subjective Question Answer Bihar Board Class 10th | Hindi ‘भारतमाता Subjective Question

Hindi Subjective Question Answer Class 10th :-  दोस्तों यदि आप लोग इस बार Bihar Board Matric Exam 2022 की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको Class 10th Hindi Ka Subjective Question दिया गया है जो आने वाले 10th Class Hindi Subjective Question के लिए काफी महत्वपूर्ण है | 10th & 12th All Subjective Free PDF Download


1. भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी क्यों बनी हुई है? 

उत्तर   प्रवासी वह होता है, जो परदेश में जाकर बसता है। वहाँ उसे -से अधिकार नहीं होते जो वहाँ के मूल निवासियों के होते हैं। वहाँ उसे बहुत मूल निवासियों की भाँति आमतौर से, मान-सम्मान भी प्राप्त नहीं होता। परतंत्र काल यहाँ के लोगों के अधिकार भी छीन गए, विदेशी शासकों के आगे मान-सम्मान भी जाता रहा। परदेशी अधिक प्रभावशाली बन गए। इस प्रकार, भारतमाता अपने देश में ही प्रवासिनी हो गई।


2. भारतमाता का ह्रास भी राहुग्रसित क्यों दिखाई पड़ता है? 

उत्तर कहते हैं राहु जैसे दुष्ट ग्रह की छाया जब चन्द्रमा पर पड़ती है तो ग्रहण होता है अर्थात् चन्द्रमा की प्रसन्नता, हँसी-खुशी, कांति कम हो जाती है। चूँकि भारतमाता पराधीन है, विदेशियों की काली छाया इस पर पड़ रही है, अतएव इसकी हँसी पर भी ग्रहण लगा है। इसी कारण, इसका ह्रास भी राहुग्रसित दिखाई देता है।


3. कवि ने जनता को ‘दूधमुँही’ क्यों कहा है ?

उत्तर कवि के अनुसार मध्यवर्ग से आने वाले सुविधाभोगी नेताओं की दृष्टि में जनता मानो कोई ‘दूधमुँही’ बच्ची हो । जिसे बहलाने-फुसलाने के लिए दो-चार खिलौने ही विकास के प्रलोभन के लिए काफी हैं।


4. ‘भारतमाता’ कविता के उद्देश्य पर प्रकाश डालें। या, ‘भारतमाता’ कविता के केन्द्रीय भाव पर प्रकाश डालें।

उत्तर ⇒  ‘भारतमाता’ राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत कविता है। इस कविता में पराधीन भारत के लोगों की दीन-हीन दशा के चित्रण द्वारा लोगों में देशभक्ति और आत्मबल जागृत करने की भावना निहित है ताकि देश स्वतंत्र हो। कवि का अहिंसा में विश्वास है। अतः वह इसे ‘सुधा’ की संज्ञा देता है और कहता है ‘गीता’ के माध्यम से ही हमें मंजिल मिल सकती है। ‘गीता’ के उल्लेख द्वारा कवि ने संशय छोड़ निर्भीक होकर चलने की प्रेरणा दी है।

Hindi Subjective Question Answer 10th


5. कवि पंत की ‘भारतमाता’ कविता में किस काल के भारत का चित्रण है?

उत्तर कवि पंत की ‘भारतमाता’ कविता में भारत के पराधीन काल का चित्रण है।


6. पंतजी ने अपनी कविताओं में प्रकृति के किस पक्ष का उद्घाटन किया है?

उत्तर- पंतजी ने अपनी कविताओं में प्रकृति के सुकोमल पक्ष का उद्घाटन किया है।


7. ‘भारतमाता’ कविता में भारत के किस रूप का उल्लेख है?

उत्तर ‘भारतमाता’ कविता में भारत के दीन-हीन रूप का उल्लेख है।


⇒ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ⇐


1. दैन्य जड़ित अपलक नत चितवन,

  अधरों में चिर नीरव रोदन,

  युग-युग के तम से विषण्ण मन

  वह अपने घर में प्रवासिनी!

   पद्यांश का अर्थ स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒  उपरिलिखित पद्यांश के रचनाकार हैं सुमित्रानंदन पंत पंक्तियाँ ‘भारतमाता’ कविता से उद्धृत हैं।

प्रस्तुत कवि का कहना है कि गरीबी और दीनता से भारत अर्थात् भारतमाता की आँखें नीची हैं, उसकी पलकें भी नहीं झपकतीं। युगों से गुलामी के कारण मन अत्यन्त दुखी है। हालत यह है कि यहाँ का सब कुछ उसका है, किन्तु गुलामी के कारण यहाँ की चीजों पर उसका अधिकार नहीं है। स्वामिनी होकर भी वह प्रवासिनी है।


2. ‘भारतमाता’ कविता में कवि भारतवासियों का कैसा चित्र खींचता है? 

उत्तर ⇒  ‘भारतमाता’ कविता में कवि पंत ने भारतवासियों का यथार्थ चित्र खिंचते हुए बताया है कि इन लोगों के शरीर पर साबूत कपड़े नहीं हैं, ये नंगे- अधनंगे हैं। ये लोग आधा पेट खाकर जीवन व्यतीत करते हैं, इन निर्वस्त्र • लोगों का खूब शोषण होता है। ये लोग अत्यन्त गरीब हैं, अशिक्षित हैं, फलतः • मूढ़ एवं असभ्य भी गरीबी, मूर्खता और असभ्यता के शिकार ये लोग सदा अपनी गर्दन झुकाए, आँखें नीचे किए रहते हैं।


3. सफल आज उसका तप संयम,

   पिला अहिंसा स्तन्य सुधोपम,

 हरती जन-मन-भय, भव-तम-भ्रम,

       जग-जननी

     जीवन-विकासिनी!

पद्यावतरण का भावार्थ लिखें। या, आज भारतमाता का तप, संयम क्यों सफल है?

उत्तर ⇒  उपरिलिखित पद्यांश के रचनाकार हैं सुमित्रानंदन पंत । प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘भारतमाता’ कविता से उद्धृत हैं। कविता के अंतिम चरण में कवि कहता है कि इतने दिनों तक पराधीनता की पीड़ा सहने, तपस्या करने के बाद भारतमाता की साधना सफल हो गई है। आज अहिंसा रूपी अमृत से इसने अब अपने जन-मन का डर, अंधकार और भ्रम दूर कर दिया है। संसार में ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाला यह देश फिर से जीवन-विकास का संदेश देने को प्रस्तुत हो गया है।


4. चिन्तित भृकुटि क्षितिज तिमिरांकित,

   नमित नयन नभ वाष्पाच्छादित— सप्रसंग व्याख्या कीजिए।

उत्तर ⇒  पराधीन भारतमाता अपनी दुरवस्था से चिन्तित है और उसकी भृकुटि पर बल पड़े है। फिर भी दूर भविष्य में, मुक्ति की कोई किरण दिखाई नहीं पड़ती अर्थात् भविष्य यानि क्षितिज अंधकारमय नजर आता है। इसी भाव को व्यक्त करने के लिए कवि ने ‘चिन्तित भृकुटि क्षितिज तिमिरांकित’ लिखा है। ‘नमित नयन नभ वाष्पाच्छादित’ का अर्थ है नयन लज्जा से (पराधीनता की लज्जा) झुके हैं और पूरा आकाश बादलों से घिरा है अर्थात् नयनों से निकले आँसूओं ने वाष्प बनकर बादलों का रूप धारण कर लिया है। ‘नमित नयन नभ’ में अनुप्रास अलंकार है।


5. कवि की दृष्टि में समय का घघर-नाद क्या है? स्पष्ट करें।

उत्तर कवि की दृष्टि में समय का घर्घर-नाद समय की पुकार, समय की जोरदार माँग है। और यह माँग है जनता की सत्ता । यह माँग सामान्य रूप से नहीं माँगी जा रही है, यह माँग अत्यन्त बलवती है और जोर-जोर से, चिल्ला-चिल्ला कर कही जा रही है। चूँकि इसमें वेग है, आरोह है, इसीलिए कवि ने ‘आवाज, पुकार’ आदि शब्दों का प्रयोग न कर ‘घर्घर-नाद’ का प्रयोग किया है।

Class 10th Hindi Ka Subjective Question


6. भारतमाता ग्रामवासिनी

   खेतों में फैला है श्यामल

  धूल-भरा, मैला-सा आँचल,

  गंगा-यमुना में आँसू-जल

  मिट्टी की प्रतिमा उदासिनी।

प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ लिखें।

उत्तर ⇒  उपरिलिखित पद्यांश के रचनाकार  हैं सुमित्रानंदन पंत । प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘भारतमाता’ कविता से उद्धृत हैं।

भारतमाता को ‘मिट्टी की प्रतिमा उदासिनी’ कहा गया है। भारतमाता गाँवों में निवास करती है दूर-दूर तक फैले धूल-धूसरित खेत ही इसके आँचल हैं। गंगा-यमुना के जल उसके आँसू हैं और यह मिट्टी की उदास प्रतिमा है।


7. कवि के अनुसार किन लोगों की दृष्टि में जनता फूल या दुधमुंही बच्ची की तरह है और क्यों? कवि क्या कहकर उनका प्रतिवाद करता है?

उत्तर कवि के अनुसार नेताओं की दृष्टि में जनता फूल या दुधमुँही बच्ची के समान है। जैसे फूल को डाली में अपनी इच्छानुसार सजाया जा सकता है और, दुधमुँही बच्ची को जैसे दो-चार खिलौने देकर बहलाया जा सकता है, उसी तरह जनता का अपनी इच्छानुसार थोड़ी सी चालाकी से मनमाना इस्तेमाल किया जा सकता है या झूठे आश्वासनों से बहलाया जा सकता है। किन्तु कवि इसका प्रतिवाद करता है। वह कहता है कि सामान्यतः जनता की स्थिति ऐसी ही है, किन्तु जब जनता का धैर्य समाप्त होता है, वह क्रुद्ध होती है तो तहलका मच जाता है, उथल-पुथल हो जाती है, क्रांति होती है और फलस्वरूप एक-से-एक प्रतापी राजवंशों, राज्यों का खात्मा हो जाता है। नयी व्यवस्था का जन्म होता है।

Matric Exam Hindi Subjective Question Answer 2022


8. कवि पंत ने ‘भारतमाता’ कविता में पराधीन भारत का यथार्थ चित्र प्रस्तुत किया है। कैसे? सोदाहरण बताएँ।

उत्तर ⇒  भारतमाता’ शीर्षक कविता में कवि पंत ने पराधीन भारत का भारतमाता के रूप में मानवीकरण करते हुए अनेक चित्र उतारे हैं। पहला चित्र पराधीन ग्रामवासिनी के रूप में है

भारतमाता ग्रामवासिनी

                खेतों में फैला है श्यामल

               धूल भरा मैला-सा आँचल

               गंगा-यमुना में आँसू-जल 

              मिट्टी की प्रतिमा उदासिनी।

एक अन्य चित्र में कवि ने भूखे, अधनंगे बच्चों के साथ चित्र उतारा है

तीस कोटि सन्तान नग्न तन,

               अर्ध क्षुधित, शोषित, निरस्त्रजन

एक चित्र भारतजनों के पद दलित होने का है जो पराधीनता की विशेषता रही है

                         स्वर्ण शस्य पर-पद- तल लुंठित

कवि यहीं नहीं रुकता। उसने मुस्कान पर लगे ग्रहणवाला चित्र भी खींचा है-राहुग्रसित शरदेन्दु हासिनी।

अनेक विपरीत रंगों से बना पाँचवाँ चित्र अत्यंत प्रभावशाली एवं मार्मिक बन पड़ा है। कवि ने भारतमाता को चिन्तित दिखाया है और ‘गीता’ जैसी ज्ञान-गंगा बहानेवाले देश के लोगों की मूढ़ता भी प्रदर्शित की है

 आनन श्री छाया- शशि उपमित,

              ज्ञान मूढ़ गीता प्रकाशिनी

अंतिम चित्र प्रेरक है जिसमें भारतमाता को अपनी सन्तानों को अहिंसा का सुधारस पिलाते और उससे उत्पन्न नयी चेतना, आत्मबल से परिपूर्ण भारतीयों का चित्र है

    पिला अहिंसा स्तन्य सुधोपम,

                           हरती जन-मन-भय, भव-तम-भ्रम,

                           जग-जननी जीवन-विकासिनी

इस प्रकार, हम देखते हैं कि कवि पंत ने पराधीन भारत का यथार्थ एवं प्ररेक चित्र प्रस्तुत किया है।


9. स्वर्ण शस्य पर-पद- तल लुंठित,

धरती-सा सहिष्णु मन कुंठित— सप्रसंग व्याख्या कीजिए।

उत्तर ⇒  प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित कविवर सुमित्रानन्दन पंत रचित ‘भारतमाता’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं। कवि इन पंक्तियों में पराधीन भारत का उल्लेख करते हुए कहता है कि भारत के खेतों में बहुमूल्य अनाज उत्पन्न होते हैं, किन्तु इसके लोग विदेशियों के पैरों रौंदे जा रहे हैं और धरती की भाँति सहिष्णु लोग कुंठा में जी रहे हैं।

Hindi Subjective Question Answer Bihar Board 10th


BSEB Class 10th Hindi Objective Question 2022
  2 परंपरा का मूल्यांकन Click Here
  3 जीत जीत मैं निरखात हूँ Click Here
  4 आविन्यों Click Here
  5 मछली Click Here
  6 नौबत खाने में इबादत Click Here
  7 शिक्षा और संस्कृति Click Here

Leave a Comment