Bihar Board Inter Exam 2025 Physics Most Important Subjective Question:- दोस्तों यदि आपr 12th class physics question answer 2025 की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको physics ka question answer 12th दिया गया है जो आपके 12th ka question answer के लिए काफी महत्वपूर्ण है | bihar board 12th physics question paper | Class 12th Hindi
Bihar Board Inter Exam 2025 Physics Most Important Subjective Question
1. वाटहीन धारा क्या है?
उत्तर ⇒ यदि किसी प्रत्यावर्ती परिपथ में धारा प्रवाहित होने पर कोई शक्ति व्यय न हो, तो परिपथ की धारा को वाटहीन धारा कहा जाता है। यह तभी संभव है जब शक्ति गुणांक का मान शून्य हो अर्थात्
cosΦ = 0 ⇒ θ = π/2
चोक कुंडली की रचना इसी सिद्धांत पर की जाती है।
2. ट्रांसफार्मर का क्रोड परतदार क्यों होता है ?
उत्तर ⇒ ट्रांसफार्मर के लोहे के क्रोड में फ्लक्स परिवर्तन के कारण भँवर धाराएँ उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण लोहे का क्रोड गर्म हो जाता है। इस प्रकार विद्युत ऊर्जा का ऊष्मा के रूप में क्षय होता है इस हानि को कम करने के लिए क्रोड को एक-दूसरे से विद्युत रोधित लोहे की पट्टियों द्वारा परतदार बनाया जाता है और कोड को परतदार कहा जाता है।
3. फेजर चित्र क्या है ?
उत्तर ⇒ फेजर मूलतः एक घूर्णी सदिश है जो मूल बिंदु केपरितः एक निश्चित कोणीय आवृत्ति ‘ω’ से घूमता है। इस सदिश की लम्बाई जैसे वोल्टेज तथा धारा के शिखर मान क्रमशः e0 तथा I0 होते हैं। फेजर e0 तथा I0 के y अक्ष पर प्रेक्षप से प्रत्यावर्ती विद्युत वाहक बल तथा प्रत्यावर्ती धारा के तत्कालिक मान ज्ञात किये जाते हैं।
4. किसी धारावाही लूप के चुम्बकीय द्विध्रुव के तरह व्यवहार समझाइए ।
उत्तर ⇒ माना कि एक लूप से / धारा प्रवाहित हो रही है। यदि लूप के ऊपर के सतह को देखा जाए तो धारा घड़ी के विपरीत दिशा में होती है। अतः ऊपर की सतह उत्तरी ध्रुव होती है। नीचे का सतह दक्षिण ध्रुव होती है। इस तरह धारावाही लूप समान एवं विपरीत चुम्बकीय ध्रुव की तरह आचरण करता है। इसीलिए यह चुम्बकीय द्विध्रुव की तरह कार्य करता है। प्रयोग से देखा गया है कि धारावाही लूप के चुम्बकीय द्विध्रुव का आघूर्ण M :
(a) लूप की धारा I के समानुपाती होता है
(b) लूप के क्षेत्रफल A के समानुपाती होता है ?
M α IA ∴ M = KIA
जहाँ K = समानुपाती नियतांक है। S.I मात्रक में K= 1
∴ M = IA सदिश के रूप में M = IAn
जहाँ 6 एकांक सदिश है जिसकी दिशा लूप के तल के लम्बवत्
5. शंट के दो उपयोग लिखें।
उत्तर ⇒ शंट के दो उपयोग निम्नलिखित हैं
(i) गैल्वेनोमीटर को उच्च धारा से क्षति होने से बचाता है।
(ii) गैल्वेनोमीटर के समान्तरक्रम में शंट लगाकर इसे आमीटर बनाया जाता है।
6. अनुनादी प्रत्यावर्ती परिपथ के विशेषता गुणांक से आप क्या समझते हैं ? इसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर ⇒ अनुनाद की अवस्था को उस स्थिति में तीक्ष्ण कहा जाता है जब शक्ति आवृत्ति चक्र अनुनादी आवृत्ति ω के दोनों ओर तीव्र दर से घट रहा हो अर्थात् ω के विचरण के साथ शक्ति का मान तेजी से घट रहा तो अनुनाद की तीक्ष्णता को गुणवत्ता गुणांक Q से परिभाषित किया जाता है।
Q= 1/R√L/C
bihar board class 12th physics question paper 2025
7. प्रत्यावर्ती धारा उसका महत्तम मान तथा वर्ग-माध्य मूल मान को परिभाषित करें। इनके बीच संबंध स्थापित करें तथा वर्ग माध्य का व्यंजक भी प्राप्त करें । अथवा, प्रत्यावर्ती धारा के वर्ग मूल माध्य मान का क्या महत्व है ? इसे परिभाषित करें
उत्तर ⇒ प्रत्यावर्ती धारा- यदि किसी कुंडली को किसी समरूप चुंबकीय क्षेत्र में समान गति से घुमाया जाता है, तो कुंडली के आधे चक्कर के लिए उसमें प्रेरित वि. वा. बल एक दिशा में तथा शेष आधे चक्कर के लिए वि. व. बल विपरीत दिशा में उत्पन्न होता है। इसके अतिरिक्त वि. वा. बल का मान प्रत्येक क्षण बदलता रहता है। ऐसी कुंडली के छोरों को किसी परिपथ में जोड़ देने पर परिपथ में भी आधे चक्कर के लिए एक दिशा में और शेष आधे चक्कर के लिए विपरीत दिशा में विद्युत धारा बहती है। धारा का मान भी प्रत्येक क्षण बदलता रहता है, इसलिए ऐसा धारा को प्रत्यावर्ती धारा कहते हैं।
वर्ग-माध्य मान धारा– प्रत्यावर्ती धारा के वर्ग-माध्य मूल धारा का मान पूरे चक्र मे धारा प्रत्यावर्ती औसत वर्गमूल के बराबर होता है। हम जानते हैं कि तात्कालिक प्रत्यावर्ती धारा, I = I0 sinωt तथा इसका आवर्तकाल
औसत वर्णधारा के वर्गमूल को वर्ग-माध्य-मान मूल भारा कहते है। इसे आभासी धारा भी कहते हैं।
अतः आभासी धारा या धारा वर्ग-माध्य-मूल = शिखर-मान/√2
8. चुम्बकीय फ्लक्स क्या है ? इसका SI मात्रक लिखें।
उत्तर ⇒ चुम्बकीय फ्लक्स – एक समान चुम्बकीय (magnetic flux) क्षेत्र में चुम्बकीय प्रेरण (B) तथा अल्पांशीय क्षेत्र सदिश के अदिश गुणनफल को चुम्बकीय फ्लक्स कहा जाता है। इसे Φ द्वारा सूचित किया जाता है। यदि चुम्बकीय प्रेरण एवं अल्पांशीय क्षेत्र सदिश क्रमश: B & dA
हो, तो चुम्बकीय फ्लक्स
dΦ = B.dA ……….(i)
Or dΦ = B.dA cosθ ………….(ii)
जहाँ θ = B तथा dΔ के बीच का कोण समीकरण (ii) तथा (iii) की मदद से चुम्बकीय फ्लक्स ज्ञात किया जा सकता है। चुम्बकीय फलक्स का SI मात्रक वेबर ( Wb) होता है।
9. किन कारणों से ट्रांसफॉर्मर की दक्षता कमती है ?
उत्तर ⇒ ट्रांसफॉर्मर में कुछ कारणों से ऊर्जा क्षय होने के कारण द्वितीयक कुंडली को प्राप्त ऊर्जा प्राथमिक कुंडली को दी गई कर्ज से कम होती है, जिसके कारण उसकी क्षमता कम हो जाती है।
10. विभवमापी एवं वोल्टमीटर दोनों का व्यवहार विभवांतर मापने के लिए किया जाता है। एक ही काम के लिए दो यंत्रों की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर ⇒ वोल्टमीटर द्वारा मापा गया विभवांतर या सेल का विद्युत वाहक बल यथार्थ नहीं होता परन्तु विभवामापी की संतुलन विधि में सेल से कोई धारा प्रवाहित नहीं होती। अतः विभवमापी विभवांतर या सेल के विद्युत वाहक बल का यथार्थ मान देता है। इसके अतिरिक्त चूँकि विभवमापी की विधि शून्य विशेष विधि है अतः इससे प्रयोग में विक्षेप सम्बन्धी कोई त्रुटि नहीं हो पाती है।
11. विद्युत चुम्बकीय अवमंदन क्या है ?
उत्तर ⇒ कुछ धारामापियों के स्थिर क्रोड अनुम्बकीय धातुओं के बने होते है। कुंडली के दोलन के क्रम में क्रोड में भँवर धाराएँ प्रेरित होती है जो कुंडली की दोलनी गति का विरोध करती है जिससे वे यथाशीघ्र विरामावस्था में आ जाती है। इस प्रक्रिया को विद्युत चुम्बकीय अवमंदन कहा जाता है।
12. गुणवता गुणक (Q-factor) से क्या समझते है ?
उत्तर ⇒ किसी L.C.R. परिपथ का गुणवत्ता गुण अनुनादी आवृत्ति पर प्रेरणिक या धारितीय प्रतिघात एवं परिपथ के प्रतिरोध के अनुपात को गुणवत्ता गुणक कहा जाता है। इसे Q-factor द्वारा लिखा जाता है।
∴ Q – factor = XL/R = ωL [ ∴ ω = 1/√LCM ] …………(i)
∴ Q-factor = 1/√LC.L/R.1/R.√L/C …………..(ii)
समी. (ii) से Q-Factor ज्ञात किया जाता है।
13. सीबेक प्रभाव एवं पेल्टियर प्रभाव से क्या समझते है ?
उत्तर ⇒ सीबेक प्रभाव- दो विभिन्न धातुओं के तारों के दोनों किनारों को दो अलग-अलग तापक्रम पर रखने से उन तारों में ऊष्मीय विभव प्रेरित होता है जिसके फलस्वरूप तार में विद्युत धारा प्रवाहित होने लगता है। इस प्रभाव को सीबेक प्रभाव कहा जाता है। पेल्टियर प्रभाव पेल्टियर प्रभाव में ऊष्मा तारों के छोरों की संधि पर उत्पन्न होती है लेकिन जूल-प्रभाव में ऊष्मा पूरे तार पर उत्पन्न होती है जूल प्रभाव धारा की दिशा से स्वतंत्र होता है लेकिन पेल्टियर प्रभाव धारा की दिशा पर इस अर्थ में निर्भर करता है कि किसी संधि से किसी दिशा में धारा के गुजरने पर यदि संधि गर्म होती है तो धारा की दिशा बदलने पर वही संधि ठंढी होती है। पेल्टिर प्रभाव नगण्य प्रतिरोधों के तारों की संधियों में भी उत्पन्न होते हैं लेकिन जूल प्रभाव से ऊष्मा का अधिक उत्पादन के लिए तार का प्रतिरोध अधिक होना आवश्यक है और नगण्य प्रतिरोध के तार में नगण्य परिमाण की ऊष्मा का उत्पादन होता है।
14. समझावें कि किरचॉफ का द्वितीय नियम ऊर्जा संरक्षण का नियम है।
उत्तर ⇒ किरचॉफ का दूसरा नियम ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत पर आधारित है।
हम जानते है कि प्रति एकांक आवेश के ऊर्जा से वोल्टेज (विभव) परिभाषित होता है। अतः प्रति एकांक आवेश के ऊर्जा में वृद्धि प्रति एकांक आवेश द्वारा खपत ऊर्जा के बराबर होता है। अर्थात् बंद परिपथ में आरोपित वोल्टेज का मान सभी प्रतिरोधकों के परितः विभवांतर के बराबर होता है एवं साथ ही आरोपित विभवांतर हमेशा खपत वोल्टेज के बराबर होता है। अतः यह नियम ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत पर आधारित है।
12th physics 2 mark questions with answers
15. संवहन वेग के सिद्धांत का प्रयोग करते हुए ओम का नियम व्युत्पित करें ।
उत्तर ⇒ यदि इलेक्ट्रॉन का संवहन वेग Vd हो तो
Vd =J/ne
or, J = ne.vd …(i)
पुनः हम जानते है कि
Vd = e. E./me.τ …(ii)
समी. (i) एवं (ii) से,
J = ne.eE/me.τ
J = ne2E.τ/me
यदि चालक तार से प्रवाहित धारा I तथा अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A हो,
तो J = I/A ⇒ I =J.A. ……….(iv)
समी. (iii) एवं (iv) से
I = ne².T. EA/me ………….(v)
अब यदि चालक की लम्बाई तथा उनके सिरों के बीच विभवांतर v हो, तो
E= v/l ⇒ v = Exl
⇒ v = I.me.l/ne2.τ.A (समी. v से)
V = I.R …….. (vi)
[ ∴ R = me.l/ne2.τ.A ]
समी. (vi) ही ओम का नियम है।
16. जब कोई चुम्बक चित्र में दर्शाए अनुसार किसी तार से लूप की ओर गति करता है, तो लूप में प्रेरित धारा की दिशा बताइयें तथा आपके द्वारा उपयोग किए गए नियम को लिखें।
उत्तर ⇒ जब किसी तार के लूप की ओर कोई चुम्बक गति करता है तो लूप से प्रेरित धारा दक्षिणावर्ती धारा (Clockwise) प्रेरित होती
है। इसमें लेज के नियम का प्रयोग किया जाता है। इस नियम के अनुसार “किसी परिपथ में प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार की होती है कि वह उस कारण का ही विरोध करती है, जिसके करण वह स्वयं उत्पन्न होती है।”
17. उदग्र ऊपर की ओर चुम्बकीय क्षेत्र B में एक धनावेशित कण को क्षैतिज पूर्व की ओर फेंकने पर लगे बल की दिशा क्या होगी ?
उत्तर ⇒ उदग्र ऊपर की ओर चुम्बकीय क्षेत्र B में एक धनावेशित कण को क्षैतिज पूर्व की ओर फेंका जाए तो बल की दिशा हमेशा वेग की दिशा के लम्बवत् होगी तथा इस बल के प्रभाव से कण का पथ वृताकार होगा ।
18. दो कारक बताइए जिनके द्वारा चलकुंडली धारा मापी की वोल्टेज सुग्राहिता बढ़ायी जा सके।
उत्तर ⇒ हम जानते है कि
वोल्टेज सुप्राहिता nBA/KR
वोल्टेज सुग्राहिता को बढ़ाने के लिए
(i) ‘B’ को बढ़ाया जाये । (ii) ‘R’ को घटाया जाए।
19. चल कुंडली गैलवेनोमीटर में त्रिज्यीय चुम्बकीय क्षेत्र का महत्व क्या है ?
उत्तर ⇒ त्रिज्यीय चुम्बकीय क्षेत्र कुंडली के तल के सदैव समानांतर होता है। इस प्रकार के कुंडली का विक्षेपण कुंडली में प्रवाहित धारा के सीधा समानुपाती होता है। इस प्रकार हम रेखीय मात्रक का प्रयोग विक्षेप को प्रेक्षण और धारा के प्रेक्षण में कर सकते हैं।
20. किसी साइक्लोट्रॉन में विद्युत क्षेत्र तथा चुम्बकीय क्षेत्र के क्या कार्य है ?
उत्तर ⇒ विद्युत क्षेत्र आवेशित कणों को त्वरित करता है तथा चुम्बकीय क्षेत्र आवेशित कणों के पथ में परिवर्तन करता है ताकि कण विद्युत क्षेत्र में ही बना रहे।
21. प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रतिघात एवं प्रतिबाधा क्या है ?
उत्तर ⇒ प्रतिघात्— प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में L परिपथ एवं C परिपथ के प्रतिरोध को ही प्रतिघात कहा जाता है।
प्रतिबाधा – प्रत्यावर्ती धारा परिपथ के L-R परिपथ, C-R परिपथ एवं L-C-R परिपथ के प्रतिरोध को प्रतिबाधा कहा जाता है।
Bihar Board Inter Exam 2025 Physics Ka Question
22. कार्बन प्रतिरोध के कलरकोड से आप क्या समझते है ?
उत्तर ⇒ कार्बन प्रतिरोध के कलर कोड इलेक्ट्रॉनिकी के अधिकतर उपकरणों में कार्बन प्रतिरोधों का उपयोग होता है। इनकी शक्ति सीमांक 1W या इससे कम होती है। चूँकि इनका आकार छोटा होता है, इनके प्रतिरोध के मान को रंगीन संकेतों या कलर कोड में व्यक्त किया जाता है।
कार्बन प्रतिरोधों के कलर कोडिंग के लिए रंगीन धारियों का उपयोग होता है। सबसे बाई ओर की रंगीन धारी प्रतिरोध के संख्यात्मक मान का पहला अंक, उसके बगल की धारी दूसरा अंक बताती है। तीसरी रंगीन धारी दशमलव गुणक जबकि चौथी रंगीन धारी सध्यता को निरूपित करती है।
23. फ्लेमिंग के बायें हाथ का नियम लिखें।
उत्तर ⇒ किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारावाही चालक पर क्रियाशील बल की दिशा फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम से भी ज्ञात की जा सकती है। जो इस प्रकार है : “यदि बायें हाथ का अंगूठा, तर्जनी तथा मध्यमा की अँगुली परस्पर लम्बवत् फैलाई जाए और यदि मध्य की अंगुली से धारा की दिशा एवं तर्जनी से चुम्बकीय क्षेत्र B की दिशा निरुपित हो, तो अँगूठे से चालक पर लगने वाले बल में की दिशा निरुपित होती है।”
24. विद्युत धारा के प्रवाह के कारण चालक में उत्पन्न ऊष्मा के लिए व्यंजक प्राप्त करें ।
उत्तर ⇒ माना कि चालक तार AB, जिसका प्रतिरोध R है, के सिरों के बीच V विभवांतर स्थापित किया गया है।
यदि चालक AB में विद्युत धारा 7, समय 1 तक प्रवाहित होती है तो चालक के एक सिरे से दूसरे सिरे तक प्रवाहित होनेवाले आवेश का परिमाण
Q = It
(1) अब, चालक के एक सिरे से दूसरे सिरे तक Q आवेश को विभवांतर V के अधीन ले जाने में किया गया कार्य
W = QV
= lt.V
= VIt
= IR × IR [ ∴ V = IR ]
[ W = I2 Rt ……………. …(2)
यही कार्य चालक तार में ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। चालक तार में संचित ऊष्मीय ऊर्जा
H = I2 Rt …………(3)
समी (3) आवश्यक व्यंजक है।
25. विभवमापी के सिद्धांत को लिखें। दो विभवमापियों X तथा Y द्वारा मापे गए V विभवांतर V एवं लम्बाई l को चित्र में दिए दो सेलों के विद्युत वाहक बलों में से किससे तुलना करना बेहतर होगा।
उत्तर ⇒ विभवमापी का सिद्धांत (Principle of Potentio meter) – इसके अनुसार जब कोई स्थायी धारा किसी एक समान अनुप्रस्थ परिच्छेद के तार से होकर प्रवाहित होती है तो तार की किसी भी लम्बाई के सिरों का विभवांतर उस लम्बाई के समानुपाती होता है। अर्थात् [ V∝ l ] किसी विभवमापी के तार प्रति एकांक अर्थात् विभव प्रवणता लम्बाई के परिवर्तन से विभव पतन (AV/ΔΙ) जितना कम होगा, विभवमापी की सुग्राहिता उतनी ही अधिक होगी। चित्र के अनुसार ग्राफ Y के संगत विभवमापी द्वारा दो सेलों के विद्युत वाहक बलों की तुलना करना बेहतर होगा।
26. विभवमापी की सुग्राहिता से क्या तात्पर्य है।
उत्तर ⇒ किसी विभवमापी द्वारा मापा जा सकने वाला न्यूनतम विभवांतर इसकी सुग्राहिता कहलाती है। यदि किसी विभवमापी द्वारा मापे जाने वाले विभवांतर में अल्प परिवर्तन करने से इसके तार की संतुलन लम्बाई में पर्याप्त परिवर्तन हो जाएं है विभवमापी अधिक सुग्राही कहलाता है।
27. ट्रांसफॉर्मर के ताम्र क्षय को समझावें ।
उत्तर ⇒ ट्रांसफॉर्मर के प्राथमिक कुंडली एवं द्वितीयक कुंडली के तार में धारा के प्रवाहित होने पर ऊष्मा उत्पन्न होती है। इस प्रकार विद्युत ऊर्जा का ऊष्मा के रुप में क्षय होता है, जिसे ताम क्षय कहा जाता है ।
28. धारावाही परिनालिका के चुम्बकीय ऊर्जा घनत्व का व्यंजक प्राप्त करें ।
उत्तर ⇒ हम जानते है कि किसी परिनालिका से विद्युत धारा 1 प्रवाहित होने पर उसके भीतर चुम्बकीय क्षेत्र
B = µ0NI/ …….. .. (1)
तथा उसमें संचित चुम्बकीय ऊर्जा
∪ = 1/2LI2 .……………(2)
पुनः हम जानते है कि
∪ = 1/2(µ0N2A/l)l2 ……………(3)
[ ∴ L = µ0N2A/l ]
पुन समी. (1) से,
I = B.l/µ0N ……………….(4)
समी. (3) से,
∪ = 1/2(µ0N2A/l)l x B2/l2/µ0N2
∪ = 1/2.B2AL/µ0 ………..(5)
अतः प्रति एकांक आयतन की ऊर्जा अर्थात् ऊर्जा घनत्व
u = ∪/v = B2AL/2µ0Al ……………….(6)
समी. (6) आवश्यक सम्बन्ध है ।
Bihar Board Inter Exam 2025 Physics VVI Subjective Question
Class 12th – Physics Objective | ||
1 | विद्युत क्षेत्र तथा विद्युत आवेश | Click Here |
2 | विद्युत विभव एवं धारिता | Click Here |
3 | विद्युत धारा एवं परिपथ | Click Here |
4 | विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव | Click Here |
5 | चुंबकत्व | Click Here |
6 | विद्युत चुंबकीय प्रेरण | Click Here |
7 | प्रत्यावर्ती धारा | Click Here |
8 | विद्युत चुंबकीय तरंगे | Click Here |
9 | किरण प्रकाशिकी | Click Here |
10 | तरंग प्रकाशिकी | Click Here |
11 | प्रकाश विद्युत प्रभाव | Click Here |
12 | परमाणु एवं नाभिक | Click Here |
13 | अर्द्ध – चालक युक्तियां : लॉजिक गेट | Click Here |
14 | संचार तंत्र | Click Here |