Class 12th Physics Question Answer Bihar Board :– दोस्तों यदि आप Bihar Board Class 12th Physics Question 2025 की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको 12th Class Ka Top VVI Physics Subjective Question 2025 दिया गया है जो आपके Physics 12th Question Answer In Hindi के लिए काफी महत्वपूर्ण है | Class 12th Physics Question | Class 12th Hindi
Class 12th Physics Question Answer 2025 Bihar Board
1. निरपेक्ष अपवर्तनांक एवं आपेक्षित अपवर्तनांक में अंतर स्पष्ट करें ।
उत्तर ⇒ निरपेक्ष अपवर्तनांक- निर्वात के सापेक्ष किसी माध्यम के अपवर्तनांक को निरपेक्ष अपवर्तनांक कहा जाता है। इसे निम्न प्रकार से ज्ञात किया जाता है
νμm = निर्वात के सापेक्ष माध्यम का अपवर्तनांक
νμm = Cv/Cm जहाँ C = 3 x 108 m/sec
आपेक्षिक अपवर्तनांक- किसी एक माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम के अपवर्तनांक को आपेक्षिक अपवर्तनांक कहा जाता है। इसे निम्न प्रकार से ज्ञात किया जाता है—
aμb = Ca/Cb
2. प्रकाशीय यंत्रों के किन्हीं तीन उपयोगों को लिखें।
उत्तर ⇒ प्रकाशीय यंत्र के निम्नलिखित तीन उपयोग
(i) अत्यंत छोटी वस्तुओं को देखने के लिए।
(ii) अत्यंत दूर स्थित वस्तुओं को देखने के लिए।
(iii) किसी वस्तु के दर्शन कोण को बढ़ाने के लिए।
3. प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन क्या है ? इसकी शर्ते बताइए ।
उत्तर ⇒जब प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है एवं आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से बड़ा हो जायें तो प्रकाश किरण पुनः उसी माध्यम में लौट आता है। इस घटना को ही प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहा जाता है।
प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन का निम्नलिखित शर्त है :
(i) प्रकाश किरण को हमेशा सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाना चाहिए।
(ii) आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से बड़ा होना चाहिए।
4. ध्रुवण तल एवं कंपन तल से क्या समझते हैं?
उत्तर ⇒धूवण तल—वह तल जो कम्पन्न तल के लम्बवत् हो तथा जिसमें प्रकाश तरंग के संचरण की दिशा निहित हो, ध्रुवण तल कहलाता है।
कम्पन्न तल—समतल ध्रुवित प्रकाश में वह तल जिसमें प्रकाश के विद्युत सदिश के कम्पनों की दिशा तथा प्रकाश तरंग के संचरण की दिशा दोनों ही निहित है, कम्पन्न तल कहलाता है।
5. हीरा चमकीला होता है, क्यों ?
उत्तर ⇒प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण हीरा सबसे अधिक चमकीला दिखाई पड़ता है। चूंकि हीरा का अपवर्तनांक बहुत अधिक होता है जिसके फलस्वरूप हीरा के लिए क्रांतिक कोण का मान बहुत कम हो जाता है। अतः हीरा पर आपतित सभी प्रकाश किरणों का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जाता है जिसके फलस्वरूप हीरा चमकीला होता है।
6. प्रिज्म के न्यूनतम विचलन की स्थिति से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒हम जानते हैं कि विचलन का मान आपतन कोण पर निर्भर करता है। अर्थात् अलग-अलग आपतन कोणों के लिए विचलन का मान अलग-अलग होता है।
विचलन तथा आपतन कोण के बीच खींचें गये ग्राफ से स्पष्ट है किविचलन के किसी
मान के लिए आपतन कोण का दो मान i तथा i है जैसे विचलन का मान कम होते
जायेंगे i तथा i ‘ एक-दूसरे के निकट होते जायेंगे।
एक ऐसी स्थिति आयेगी जब विचलन का मान न्यूनतम होगा तो तथा ‘बराबर होंगे इस
स्थिति को न्यूनतम विचलन की स्थिति कहा जाता है।
7. उगते एवं डूबते हुए सूरज का रंग लाल क्यों होते हैं ? अथवा, सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय आकाश का रंग लाल क्यों प्रतीत होता है ?
उत्तर ⇒प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण उगते एवं डूबते हुए सूरज का रंग लाल दिखाई देता है। उगते एवं डूबते समय सूर्य कि किरणें तिरछी दिशा में वायुमंडल में काफी अधिक दूरी तय करके हमारी आँखों तक पहुंचती है। कम तरंगदैर्ध्य वाली किरणों का वायुमंडल के कणों द्वारा बहुत अधिक प्रकीर्णन होता है जबकि अधिक तरंगदैर्ध्य वाली किरणों का प्रकीर्णन सबसे कम होता है। अतः हमारी आँखों तक पहुँचने वाले प्रकाश के लाल रंग की किरणें अधिक होती है जिसके कारण सूर्य या आकाश लाल दिखाई देता है।
8. आकाश नीला दिखता है, क्यों ?
उत्तर ⇒ प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण आकाश नीला दिखता है। रैले के नियम के अनुसार बैंगनी रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है। फिर भी आकाश बैंगनी नहीं बल्कि नीला दिखाई देता है। वास्तव में सूर्य के प्रकाश में बैंगनी रंग की तीव्रता काफी कम होती है। तथा बैंगनी रंग के लिए मानव नेत्र कम संवेदनशील होते हैं। अतः वायुमंडल के कणों से प्रकीर्णित प्रकाश नीले रंग के लिए उच्चतम होती है, जिसके फलस्वरूप आकाश नीला दिखाई पड़ता है |
9. क्रांतिक कोण को परिभाषित करें।
उत्तर ⇒
सघन माध्यम में आपतन कोण को क्रांतिक कोण कहा जाता है। जिसके लिए विरल माध्यम में अपवर्तन कोण का मान 90° हो, इसे IC द्वारा सूचित किया जाता है। यदि क्रांतिक कोण का मान Ic हों तो रूनेल के नियम से,
∴ r = 90°
μ1 sin i = μ2 sin r
μ1 sin ic = μ2 sin 90°
μ1 sin ic = 1 x 1
∴ μ1 sin ic = 1/μ …………… (1)
ic = sin-1 (1/μ) …………… (2)
समीकरण (2) की मदद से क्रांतिक कोण का मान ज्ञात किया जा सकता है।
12th Class Ka Top VVI Physics Subjective 2025
10. ऑप्टिकल फाइवर क्या है ? इसके दो उपयोगों को लिखें।
उत्तर ⇒ प्रकाशीय फाइबर एक ऐसी युक्ति है, जो प्रकाश ऊर्जा को बिना उसके तीव्रता में हानि के एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रेरित करता है। यह प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन सिद्धांत पर आधारित है।
इसका दो उपयोग :
(i) ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग चिकित्सीय जाँच में किया जाता है।
(ii) प्रकाश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने में इसका उपयोग किया जाता है।
11. परावर्तक दूरदर्शी की विशेषताएँ क्या है ?
उत्तर ⇒ – परावर्तक दूरदर्शी के निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
(i) परावर्तक दूरदर्शी में दर्पण का उपयोग होता है जिससे प्रकाश का अवशोषण बहुत कम होता है। अतः प्रतिबिम्ब चमकीला बनता है।
(ii) परावर्तक दूरबीन में वर्ण विपथन तथा गोलीय दर्पण का दोष नहीं पाया जाता है। परंतु अपवर्तक दूरदर्शी में पाया जाता है।
(iii) दूरदर्शक के अभिदृश्यक का द्वारक बड़ा होना आवश्यक है जिससे वस्तु का चमकीला प्रतिबिम्ब बनें परंतु बड़े द्वारक का लेंस बनाना कठिन तथा खर्चीला दोनों है जबकि बड़े द्वारक का दर्पण कम खर्च में आसानी से बनाये जा सकते हैं।
12. कैसीग्रेन का दूरदर्शी क्या है ?
उत्तर ⇒ किसी अपवर्तक दूरदर्शक से दूर के वस्तु का चमकीला प्रतिबिम्ब बनने के
लिए यह आवश्यक है कि उसका अभिदृश्यक बड़े द्वारक का हो जिससे वह वस्तु से
आने वाले प्रकाश को अधिक एकत्र कर सके। परंतु बड़े द्वारक का लेंस बनाना
बहुत कठिन होता है एवं साथ ही अपवर्तक दूरदर्शक में वर्ण विपथन
का दोष बताया जाता है। इन कारणों को ध्यान में रखकर कैसीग्रेन ने एक परावर्तक दूरदर्शक का निर्माण किया जिसे कैसीग्रेन का परावर्तक दूरदर्शी कहा जाता है। चित्र में कैसीग्रेन के परावर्तक दूरदर्शी को दिखाया गया है। दूर की वस्तु से आती हुई समांतर किरणें दूरदर्शक के बड़े द्वारक के परवलीय अवतल दर्पण से परावर्तित होकर एक छोटे द्वारकmi के उत्तल दर्पण पर पड़ती है और इससे परावर्तित किरणें अवतल दर्पण के छोटे से छेद से होकर / पर केन्द्रित होती है। इस प्रकार दूर की वस्तु का प्रतिविम्व I पर बनता है जिसे नेत्रिका द्वारा देखा जाता है।
13. प्रकाश प्रिज्म पर पड़ने के बाद सात रंगों में बँट जाता है. क्यों ?
उत्तर ⇒ हम जानते हैं कि प्रिज्म द्वारा प्रकाश के साथ में उत्पन्न विचलन प्रकाश के अपवर्तनांक पर निर्भर करता है एवं साथ ही प्रकाश के अलग-अलग रंगों के लिए अपवर्तनांक का मान अलग अलग होता है जिसके फलस्वरूप श्वेत प्रकाश में उपस्थित सभी रंग अलग-अलग कोण से विचलित हो जाते हैं। यही कारण है कि श्वेत प्रकाश प्रिज्म पर पड़ने के बाद अपने घटक रंगों में विभक्त होता है। बैंगनी रंग का विचलन सबसे अधिक होता है जबकि लाल रंग का विचलन सबसे कम होता है।
14. वर्ण-विक्षेपण क्षमता एवं कोणीय वर्ण-विक्षेपण को परिभाषित करें ।
उत्तर ⇒ वर्ण-विक्षेपण क्षमता कोणीय वर्ण विक्षेपण एवं माध्यम विचलन के अनुपात को वर्ण-विक्षेपण क्षमता कहा जाता है। इसे ‘ ‘ ओमेगा द्वारा सूचित किया जाता है।
अत: ω = कोणीय वर्ण विक्षेपण (θ)/माध्य विचलन (δy)
⇒ ω = δv – δR/δy
⇒ ω = A (μv – 1) – A (μR – 1)/A(μy-1)
⇒ ω = A (μv – 1- μR + 1)/A(μy-1)
⇒ ω = μv – μR /(μy-1)
समी. (i) एवं (ii) की मदद से वर्ण-विक्षेषण क्षमता का मान ज्ञात किया जा सकता है।
कोणीय वर्ण-विक्षेपण— बैगनी रंग के लिए उत्पन्न विचलन तथा लाल रंग के लिए उत्पन्न विचलन के अंतर को कोणीय वर्ण-विक्षेपण कहा जाता है।
Q = δv – δR
Q = A (μv – 1) – A (μR – 1) ……….(1)
Q= A (μv – 1- μR + 1)
Q = A (μv – μR) …………(2)
जहाँ, μv बैंगनी रंग का अपवर्तनांक
μR लाल रंग का अपवर्तनांक
समी (1) एवं (2) की मदद से कोणीय वर्ण-विक्षेषण का मान ज्ञात किया जा सकता है।
15. अपवर्तनांक से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ अपवर्तनांक एक नियतांक है, जिसके मदद से किसी भी माध्यम के प्रकाशीय व्यवहार की जानकारी प्राप्त होती है किसी माध्यम का अपवर्तनांक निम्नलिखित दो कारकों पर निर्भर करता है:
(i) माध्यम का अपवर्तनांक, माध्यम के घनत्व पर निर्भर करता है
(ii) किसी भी माध्यम का अपवर्तनांक प्रकाश के तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करता है, साथ ही प्रकाश के रंग पर भी निर्भर करता है।
16. लेंस की क्षमता से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ किसी लेंस की क्षमता उस लेंस के फोकस दूरी के व्युत्क्रम के बराबर होता है। इसे ‘डायोप्टर’ में मापा जाता है। यदि लेंस की फोकस दूरी cm में हो, तो लेंस की क्षमता
P = 100/f
17. आवर्धन तथा आवर्धन क्षमता से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ आवर्धन- प्रतिबिंब की ऊँचाई एवं वस्तु की ऊँचाई के अनुपात को आवर्धन या रेखीय आवर्धन कहा जाता है।
आवर्धन (m) = I/O
आवर्धन क्षमता – अंतिम प्रतिबिंब द्वारा नेत्र लेंस पर अंतरित कोण तथा वस्तु द्वारा नेत्र लेंस पर अंतरित कोण के अनुपात को आवर्धन क्षमता कहा जाता है।
अतः आवर्धन क्षमता (M) = प्रतिबिंब द्वारा नेत्र लेंस पर बना कोण/वस्तु द्वारा नेत्र लेस पर बना कोण
18. संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का द्वारक छोटा होता है. क्यों ?
उत्तर ⇒ संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का व्यवहार निकट स्थित सूक्ष्म वस्तुओं को देखने में किया जाता है। यदि सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक का द्वारक बड़ा होगा तो वस्तु से चलनेवाली प्रकाश किरणे बड़े द्वारक में फैलेगी, जिससे इसकी तीव्रता घट जायेगी। यही कारण है कि संयुक्त सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक का द्वारक छोटा रखा जाता है।
Inter Exam 2025 Physics Question Answer
19. प्रकाश का प्रकीर्णन क्या है ?
उत्तर ⇒ जब प्रकाश का किरण पुंज किसी माध्यम से होकर गुजरता है तो माध्यम के कण प्रकाश ऊर्जा को अंशतः अवशोषित कर लेते हैं एवं इसके कुछ परिमाण को माध्यम के कण पुनः विकीर्ण भी कर देते हैं जिसे ‘प्रकीर्ण प्रकाश’ तथा इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन’ कहा जाता है।
20. दूरदर्शी में अभिदृश्यक की फोकस दूरी तथा अभिमुख बड़ी होती है, क्यों ?
उत्तर ⇒ चूँकि दूरदर्शी से दूर की वस्तु देखी जाती है। अतः उसका स्पष्ट प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए वस्तु से आनेवाली प्रकाश किरणों का अधिक मात्रा में संग्रह करना आवश्यक है एवं साथ ही ऐसा करने से दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता बढ़ जाती है।
21. एक आँख की तुलना में एक जोड़ी आँख होने से क्या लाभ है ?
उत्तर ⇒ एक जोड़ी आँख द्वारा दूरी का सही अनुमान लगाया जा सकता है। एक आँख बंद कर कलम में स्याही भरना, सुई में धागा लगाना कठिन होता है। इसके साथ वस्तु की त्रिविमीय स्थिति देखने के लिए दोनों आँख का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
22. तरंगाग्र से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ समान कला की स्थिति में रहने वाले ईवर कणों को स्पर्श करनेवाली काल्पनिक सतह के तरंग पृष्ठ को तरंगाय कहा जाता है। प्रकाश किरणें तरंगाय पर हमेशा लम्बवत् होती है। तरंगाय तीन प्रकार के हो सकते है
(i) गोलीय तरंगाम, (ii) बेलनाकार तरंगाम, (iii) समतल तरंगाय ।
23. हाइगेंस का द्वितीयक तरंगिका सिद्धांत क्या है ?
उत्तर ⇒ हाइगेस का द्वितीयक तरंगिका सिद्धांत इस सिद्धांत के अनुसार “किसी भी प्राथमिक तरंगाय का प्रत्येक बिंदु तरगों की उत्पत्ति के लिए द्वितीयक स्रोत बन जाता है और अपने समीप के ईवर कणों को गति प्रदान करता है। द्वितीयक स्रोतों से उत्पन्न होनेवाली तरंगिकाओं को द्वितीयक तरंगिकाएँ कहा जाता है।”
चित्र में ‘S’ प्राथमिक स्रोत है तथा AB प्राथमिक तरंगाय है जबकि AB’ द्वितीयक तरंगिका है।
24. प्रकाश का व्यतिकरण क्या है ?
उत्तर ⇒ प्रकाश तरंगों के अध्यारोपण के कारण प्रकाशित क्षेत्र पर प्रदीप्ति घनत्व के पुनर्वितरण की घटना को प्रकाश का व्यतिकरण कहा जाता है। प्रकाश का व्यतिकरण दो प्रकार का होता है :
(i) रचनात्मक व्यतिकरण,
(ii) विनाशी व्यतिकरण ।
25. प्रकाश के व्यतिकरण के आवश्यक शर्तें क्या है ?
उत्तर ⇒ प्रकाश के व्यतिकरण के निम्नलिखित आवश्यक शर्तें है :
1. प्रकाश स्रोतों या तरंगों को कला सम्बद्ध होना चाहिए।
2. प्रकाश के दोनों स्रोतों से एक ही तरंगदैर्ध्य एवं आवृत्ति की तरंगे उत्सर्जित होनी चाहिए।
3. दोनों तरंगों के आयाम को बराबर एवं लगभग बराबर होना चाहिए।
4. रचनात्मक व्यतिकरण के लिए पथांतर होना चाहिए। = ni
5. विनाशी व्यतिकरण के लिए पथांतर = (2n+1) λ/2 होना चाहिए ।
26. प्रकाश के विवर्तन से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ प्रकाश का विवर्तन किसी अवरोधक के किनारे से प्रकाश तरंगों के मुड़ने की घटना को प्रकाश का विवर्तन कहा जाता है। इस घटना की व्याख्या प्रकाश के तरंग सिद्धांत पर की जाती है।
Class 12th Physics Question 2025
Class 12th – Physics Objective | ||
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