BSEB 12th Sociology Subjective Question Paper 2024 | Class 12 Sociology Subjective Question 2024

BSEB 12th Sociology Subjective Question Paper 2024 :-  यदि आप लोग Bihar Board 12th Exam 2024 Sociology Subjective Question की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको Class 12th Sociology Short Question Answer 2024 in Hindi का महत्वपूर्ण प्रश्न दिया गया है | Sociology Subjective Question Answer 2024 in hindi


BSEB 12th Sociology Subjective Question Paper 2024 

1. बिहार में जातीय तनाव के दो कारणों की चर्चा करें।

उत्तर ⇒  जातीय तनाव के अनेक कारण हैं जिनमें दो कारण महत्वपूर्ण है

(i) जनसंख्यात्मक शक्ति —  ग्रामीण समाज में पृथक पृथक जातियाँ गाँवों में विभिन्न जातियों की जनसंख्या कम या अधिक होती है। जिस जाति के व्यक्ति एक क्षेत्र में अधिक होते हैं उनकी मनोवृति कुछ तानाशाही मनोवृति की होती है। वे जो चाहते हैं और जैसा चाहते वैसा अन्य जातियों के साथ व्यवहार करते हैं। अतः अल्पसंख्यक जातियाँ संगठित होकर बहुसंख्यक जाति से मोर्चा और संघर्ष लेने के लिए कटिबद्ध होती है। परिणामस्वरूप जातीय तनाव बना रहता है।

(ii) धार्मिक कृत्यों पर आश्रित — ब्राह्मण अपनी धार्मिक पवित्रता के प्रति अधिक जागरूक है। धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न कराने में इनका एकाधिकार है। आज भी ब्राह्मण और दलित में धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों को लेकर पर्याप्त सामाजिक दूरी है। यह धार्मिक सामाजिक दूरी जातीय तनाव का एक कारण है।


2. दबाव समूह से आप क्या समझते हैं?

उत्तर ⇒  राजनीति के मंच पर विभिन्न गुटों को अपना नाटक खेलना पड़ता है। ये विभिन्न गुट सरकार पर ऐसी नीति अपनाने के लिए दबाव डालते है जिससे उनके हितों की रक्षा हो सके। इस प्रकार के गुटों को दबाव समूह कहते हैं। दबाव गुट ऐसा संगठित समूह है, जो अपने कार्य के महत्त्व के कारण सरकार पर दबाव डालता है। व्यवस्थापिका को संस्था अपने हितों के अनुसार कानून बनाने को प्रेरित करा लेती हैं अथवा कार्यपालिका से अपनी मांगे पूरी करा लेती हैं। विभिन्न प्रकार के संगठन या संघों की गणना हम इस समूह में कर सकते हैं।

इससे स्पष्ट होता है कि दबाव समूह एक ऐसा शक्तिशाली समूह है जो अपने प्रभाव के बल पर किसी भी निर्णय को अपने पक्ष में कर लेने की योग्यता रखता है।


3. पंचायत समिति के चार कार्यों की चर्चा करें।

उत्तर ⇒  (i) सरकार एवं जिला परिषद द्वारा सौपे गये कार्यों को सम्पन्न करना।

(ii) सभी ग्राम पंचायतों की वार्षिक योजना तैयार करना।

(iii) पंचायत समिति का वार्षिक बजट बनाना।

(iv) प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित कार्यों को करना।


4. जिला परिषद् के किन्हीं चार कार्यों की चर्चा करें।

उत्तर ⇒ (i) पंचायत समितियों के बजट की जाँच एवं मजदूरी प्राप्त करना।

(ii) पंचायत समितियों एवं ग्राम पंचायतों को अनुदान प्रदान करना।

(iii) अपना वार्षिक बजट तैयार करना।

(iv) भारतीय संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में दिये गये कार्यों को करना ।

BSEB Class 12th Sociology Subjective Question 2024 


5. श्रमिक आंदोलन के किन्हीं चार विशेषताओं की चर्चा करें।

उत्तर ⇒ श्रमिक आंदोलन की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं—

(i) श्रमिक आंदोलन का उद्देश्य श्रमिकों को पूँजीपतियों द्वारा किये जा रहे शोषण से मुक्ति दिलाना तथा जीवन स्तर को उच्च बनाना है।

(ii) इसका उद्देश्य श्रमिकों के हितों की रक्षा करना है।

(iii) श्रमिक आंदोलन में सिर्फ श्रमिकों के हितों का संरक्षण नहीं किया जाता बल्कि श्रमिक संघों, श्रम अधिनियमों और श्रम कल्याण से संबंधित कार्य भी सम्मिलित किए जाते हैं।

(iv) यह श्रमिकों को अपना जीवन स्तर उन्नत करने के लिए स्वयं जागरूक बनाता है। इस प्रकार श्रमिक आंदोलन श्रमिकों के विकास का एक सशक्त साधन है।


6.  ग्राम पंचायत के कार्यों का उल्लेख करें।

उत्तर ⇒  ग्राम पंचायत के निम्नलिखित कार्य हैं

(i) शुद्ध जल की व्यवस्था —  पंचायती राज संस्थाएँ गाँव में सफाई का प्रबन्ध करती है। गन्दे पानी के लिए नालियों और खाद एवं गंदगी डालने के लिए गड्ढे बनवा सकती है।

(ii) यातायात की सुविधा — ग्राम पंचायतें गाँवों में कच्ची व पक्की सड़कें बनवा सकती है। वे पुरानी सड़कों की मरम्मत करवा सकती है, उन पर रोशनी व छाया की व्यवस्था कर सकती है।

(ii) शिक्षा की व्यवस्था— अशिक्षा की समस्या के समाधान के लिए पंचायतें प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षण संस्थाएँ खोल सकती है।

(iv) न्याय की व्यवस्था— ग्रामीणों को शीघ्र एवं सस्ता न्याय दिलाने की दृष्टि से ग्राम पंचायतें महत्त्वपूर्ण कार्य करती है। वे मुकदमों को गाँव में ही निपटाकर ग्रामीणों को आर्थिक संकट से उबारती है।


7. पंचायती राज से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒  पंचायती राज भारतीय राजनीतिक व्यवस्था की एक महत्त्वपूर्ण संस्था है। पंचायती राज व्यवस्था का उद्देश्य शक्ति को विकेन्द्रीकृत करके गाँवों के स्तर तक ले जाना है ताकि ग्रामीण जनता ग्रामीण विकास योजनाओं पर प्रभावशाली नियंत्रण रख सके। ग्राम पंचायत स्वशासन की एक इकाई के रूप में कार्य करती है। पंचायती राज तीन स्तरीय व्यवस्था है। ग्रामीण स्तर पर ग्राम पंचायत, प्रखण्ड स्तर पर पंचायत समिति एवं जिला स्तर पर जिला परिषद होता है। तीनों स्तरों पर सदस्यों का चुनाव सीधे मतदान से होता है। संविधान के 73वें संशोधन के अनुसार पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधियों को और अधिक अधिकार एवं दायित्व प्राप्त हो गए हैं। इस संशोधन द्वारा महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो गई हैं।


Class 12th Sociology Short Question Answer 2024 in Hindi

8. पंचायती राज को एक त्रिस्तरीय व्यवस्था क्यों कहा जाता है? 

उत्तर ⇒ भारत में संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के आधार पर पंचायतों का संगठन ग्राम स्तर, खण्ड या क्षेत्र स्तर तथा जिला स्तर पर किया जाता है। ग्राम पंचायत का गठन ग्राम के आधार पर किया जाता है। इस क्षेत्र में आने वाले सभी वयस्क लोग ग्राम सभा के सदस्य होते हैं। ग्राम पंचायत के प्रधान को मुखिया कहा जाता है। क्षेत्र पंचायत या पंचायत समिति पंचायती राज व्यवस्था की दूसरी इकाई है। प्रखण्ड में आने वाले सभी वयस्क इसके सदस्यों का चुनाव करते हैं। इसके प्रधान को प्रमुख कहा जाता है। जिला पंचायत या जिला परिषद, पंचायती राज व्यवस्था की वह इकाई है जिसका गठन पूरे जिला से संबंधित ग्रामीण विकास के लिए किया जाता है। इसलिए पंचायती राज व्यवस्था को एक त्रिस्तरीय व्यवस्था कहा जाता है।


9. भारत में बहुदलीय प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ क्या है?

उत्तर ⇒ जिस समाज में अनेक दलें सरकार बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा करती हैं, उस समाज में बहुदलीय व्यवस्था होती है। भारत भी ऐसा देश है जहाँ अनेक दल सरकार बनाने के लिए प्रयत्न करते हैं। बहुदलीय वाले समाजों में मतदाताओं के पास अधिक विकल्प होते हैं, जिनके द्वारा वे किसी भी दल को अपने मत द्वारा सरकार बनाने में सफल करते हैं जो उनके कल्याण कार्य करने में सक्षम प्रतीत होते हैं। इस पद्धति में, संसद में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न होने की स्थिति में स्थायी सरकार बनाना सम्भव नहीं होता है। इस परिस्थिति में सरकार बनाने के लिए अन्य दलों से सहयोग लेते हैं। इस प्रकार की सरकार को बहुदलीय व्यवस्था वाली सरकार की संज्ञा दी जाती है।


10. संविधान के अनुसार सामाजिक न्याय का क्या अर्थ है? 

उत्तर ⇒  भारतीय समाज एक लंबे समय तक भेदभाव का सामाजिक व्यवस्था से ग्रसित रहा। संविधान में सामाजिक न्याय को सबसे अधिक महत्त्व दिया गया, जिसके कारण जातियों के बीच ऊँच-नीच के नियम समाप्त हो गये तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों को आरक्षण की सुविधा मिलने के कारण उन्हें देश के आर्थिक और राजनीतिक जीवन में उच्च जातियों की तरह सहयोग करने का अवसर मिलने लगे।


11. न्याय पंचायतें क्या है? उनके पास क्या अधिकार है?

अथवा, न्याय पंचायत से आप क्या समझते हैं? उनके अधिकारों एवं उत्तरदायित्वों की चर्चा करें।

उत्तर ⇒ न्याय पंचायत को ग्राम कचहरी भी कहा जाता है। यह ग्राम पंचायत की वह तीसरी संस्था है जिसका काम ग्रामीणों के मामूली विवादों का निपटारा करके उन्हें शीघ्र और सस्ता न्याय देना है। साधारणतया 10 से 12 तक गाँव पंचायतों के ऊपर एक न्याय पंचायत की स्थापना की जाती है। एक न्याय पंचायत में कम-से-कम 10 और अधिक से अधिक 25 सदस्य होते हैं जिन्हें  साधारणतया जिलाधीश द्वारा नियुक्त किया जाता है? एक न्याय पंचायत के लिए जिन पंचों को मनोनीत किया जाता है, वे अपने में से एक को सरपंच तथा एक व्यक्ति को सहायक सरपंच के रूप में निर्वाचित कर लेते हैं। किसी भी मामले की सुनवायी के लिए सरपंच द्वारा तीन से लेकर पाँच पंचों की एक बेंच का गठन किया जाता है जो उस मामले पर अपना निर्णय देती है।


12. ग्राम पंचायतों को अधिक प्रभावपूर्ण बनाने के लिए सुझाव दें।

उत्तर ⇒  ग्राम पंचायतों को अधिक प्रभावपूर्ण बनाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते हैं

(i) पंचायतों के कार्य सीमित हो

(ii) पंचायत के तीनों स्तरों की संस्थाओं के कार्यों के बीच स्पष्ट विभाजन हो,

(iii) कमजोर वर्ग के निर्वाचित सदस्यों को समुचित प्रशिक्षण दिया जाये।

(iv) पंचायतों को राजस्व का 5 प्रतिशत भाग प्राप्त हो

(v) पंचायतें राजनीतिक गुटबंदी से पृथक रहें

(vi) ग्राम पंचायत के सदस्यों को प्रशिक्षण दिया जाये।

(vii) न्याय पंचायत के सरपंच की प्रस्थिति स्वतंत्र हो।

(viii) स्थानीय अधिकारियों द्वारा ग्राम पंचायत को भंग न किया जाये।

BSEB 12th Sociology VVI Subjective 2024 


13. जनसंचार साधन (Means) के क्या अर्थ है ?

(What is the meaning of Mass media ?) उत्तर- जनसंचार साधनों के माध्यम से लोगों के लिए सूचनाएँ प्रसारित की जाती है। जन संचार सूचनाएँ पहुँचाने का साधन है। संदेश और सूचना को भेजने वालों से श्रोताओं तक हस्तान्तरण की प्रक्रिया जनसंचार के अन्तर्गत आती है। यह हस्तान्तरण जनसंचार की तकनीकी जैसे—समाचार पत्रों, पत्र-पत्रिकाओं, रेडियो, टेलीविजन, कार्यक्रमों, कम्प्यूटर के द्वारा होता है।


14. जन संचार तथा सांस्कृतिक परिवर्तन के संबंध की चर्चा करें। 

उत्तर ⇒  सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन एक-दूसरे से संबंधित दशाएँ हैं। इसके बाद भी सांस्कृतिक परिवर्तन का मुख्य संबंध परंपरागत मूल्यों, नैतिक नियमों, व्यवहार के तरीकों, धार्मिक, विश्वासों और प्रौद्योगिकी में होने वाले परिवर्तन से होता है। जनसंचार के साधनों से भारतीय समाज के लोगों के परंपरागत विचारों और मनोवृत्तियों में परिवर्तन हो रहा है। सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक विभेदों की जगह सामाजिक समानता के बारे में जागरूकता बढ़ी है। सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने और समाज सुधार को प्रोत्साहन देने में जन संचार साधनों का विशेष योगदान है। लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रभावपूर्ण बनाने में इन साधनों ने योगदान किया है। मनोरंजन से संबंधित कार्यक्रम भी सांस्कृतिक परिवर्तन का प्रमुख आधार है।


15. जोतों की चकबन्दी से क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ भारत में खेती से संबंधित एक अन्य समस्या किसान की कृषि भूमि का छोटे-छोटे टुकड़ों में अनेक स्थानों पर विखरा होना रहा है। चकबंदी वह व्यवस्था है जिसके द्वारा किसान | को इस बात के लिए तैयार किया जाता है कि वह इधर-उधर बिखरे हुए अपनी भूमि के अनेक टुकड़ों की जगह उतने ही क्षेत्रफल के एक या दो चक (खेत) प्राप्त कर लें। इसका उद्देश्य यह है कि किसान समय की बचत करके उसे सिंचाई की सुविधा और फसल की रक्षा के लिए अधिक | अवसर प्राप्त हो सके।


16. भूमि सुधार का क्या अर्थ है? (What is the meaning of Land Reform ?)

उत्तर ⇒  भूमि सुधारों का अभिप्राय कृषि भूमि के स्वामित्व एवं परिचालन में किये जाने वाले सुधारों से है। काश्तकारी सुधारों के अतिरिक्त भू-जोतों की सीमा निर्धारण, चकबन्दी, सहकारी खेती, भूमिहीनों के मध्य भूमि का वितरण, मिट्टी के गुणों को सुधारने का काम आदि कार्यक्रम भी भूमि सुधार के आवश्यक अंग हैं जिन्हें अपनाने से कृषि उत्पादकता एवं सामाजिक न्याय के हमारे दोनों लक्ष्य प्राप्त हो जाते हैं। उसे भूमि सुधार के नाम से जाना जाता है।


17. कुलीन किसान वर्ग की विशेषताओं का उल्लेख करें। 

उत्तर ⇒  ग्रामीण क्षेत्रों में आज किसानों का एक ऐसा नया वर्ग सामने आया है, जिसे कुलीन किसान वर्ग कहा जाता है। जमीन के छोटे टुकड़ों पर खेती करना तथा आजीविका की पूर्ति करना सम्भव नहीं रहा। इसके फलस्वरूप वे अपने जमीन को बेचकर रोजगार में जाने लगा। कृषि भूमि के खरीद का माहौल बन जाने से दूसरे लोगों ने जमीन खरीद कर खेती करना आरम्भ कर दिया। इनमें अधिक संख्या रिटायर सेना तथा परम्परागत व्यवसाय को छोड़कर खेती को आर्थिक रूप में लाभप्रद समझने वालों की थी। इसमें सभी जातियों के लोग शामिल थे। इससे कृषकों का नया वर्ग बना, जिसे कुलीन किसान वर्ग कहा जाता है। साधारणतया ये वर्ग खेती में आधुनिक प्रविधियों जैसे- ट्रैक्टर, पम्पसेट, थ्रेसर, उन्नत बीज एवं खाद का उपयोग करते हैं। वे खेती में आधुनिक विधियों का उपयोग करते हैं। यह लोग कृषि के उपज को नगर के बाजारों में बेचते हैं।

BSEB 12th Sociology Subjective Model Paper 2024 


18. कृषक समाज की विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर ⇒  कृषक समाज की विशेषताओं को निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है

(i) कृषक वह है जो कृषि को जीवन जीने के तरीके के रूप में अपनाता है।

(ii) कृषक मानसिक रूप से अपनी भूमि से जुड़ा होता है। कृषक की भूमि बिकती है तो वह ऐसा समझता है मानों उसके जीवन और परिवार का कुछ खो गया है।

(iii) कृषक अपनी कृषि भूमि का स्वयं नियंत्रणकर्ता होता है, उसका उस पर अधिकार होता है और वही उस भूमि का मालिक होता है।


19. कृषक आंदोलन का अर्थ व लक्षण क्या है?

उत्तर ⇒ भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषक वर्ग की अनेक समस्याएँ रही है, जिसके समाधान के लिए अनेक आंदोलन हुए जिसका सामाजिक आंदोलनों में प्रमुख स्थान है। कृषक मानव समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते रहे हैं, लेकिन क्या यही एक ऐसा वर्ग है जो समाज में सबसे अधिक शोषित पीड़ित और तिरस्कृत है।


20. अति पिछड़े वर्गों की अवधारणा से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ 1953 ई० में ‘पिछड़ा वर्ग कमीशन’ बनाया गया, जो पूरे देश में उन हिन्दू व मुस्लिम जातियों का पता लगाए जो शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए हैं। 1947 ई० में बिहार सरकार ने जो पिछड़े वर्गों के अंतर्गत आती थी तथा उन्हें शिक्षा में कुछ सुविधाएँ भी प्रदान की गई।

अति पिछड़े वर्गों में पिछड़ापन समूह या जाति का लक्षण माना जाता है, न कि व्यक्ति विशेष का संविधान की धारा 340 राष्ट्रपति को तथा धाराएँ 15 (4) 9-15 (6) राज्य सरकारों को इन वर्गों की समस्याओं का पता लगाने हेतु कमीशन की नियुक्ति करने व विशेष सुविधाएँ प्रदान करने का प्रावधान करती है। भारत के राष्ट्रपति द्वारा 1953 ई० में काका कालेलकर की अध्यक्षता में नियुक्त कमीशन ने पिछड़ेपन के निर्धारण हेतु चार आधार रखे

(i) जातीय संस्तरण में निम्न स्थिति, (ii) शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ापन, (iii) सरकारी नौकरियों में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व तथा, (iv) व्यापार, वाणिज्य व उद्योग के क्षेत्रों में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व ।

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