Class 12th Ka Psychology Subjective Question 2024 | इंटर परीक्षा मनोविज्ञान सब्जेक्टिव क्वेश्चन 2024

Class 12th Ka Psychology Subjective Question 2024 :- दोस्तों यदि आप लोग Psychology Subjective Questions And Answers pdf Class 12th की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको 12th Psychology Subjective Question 2024 का महत्वपूर्ण प्रश्न दिया गया है | Psychology 12th arts ka Subjective Question 2024


Class 12th Ka Psychology Subjective Question 2024

1. वैयक्तिक भिन्नता क्या है?

उत्तर वैयक्तिक भिन्नता का तात्पर्य किन्ही भी दो व्यक्तियों के व्यक्तित्व गुण एवं क्रियाओं में अंतर से है। प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे से शारीरिक तथा मानसिक गुणों में भिन्न होता है।


2. बुद्धि मापन के एक वाचिक बुद्धि परीक्षण का वर्णन करें। 

उत्तर ⇒  मोहसिन सामान्य बुद्धि परीक्षण एक वाचिक बुद्धि परीक्षण है जिसमें छ: उप-परीक्षण होता है। सभी उप-परीक्षणों में प्रश्नों की संख्या अलग-अलग तथा उत्तर देने का समय भी अलग-अलग होता है। प्रश्नों का उत्तर बहुविकल्पी होता है, जिसमें से किसी एक सही विकल्प पर चिह्न लगाना होता है। परीक्षण मैनुअल से परीक्षण में दिये गये उत्तरों का प्राप्तांक तथा व्यक्ति की बौद्धिक योग्यता किस श्रेणी में है ज्ञात करते हैं।


3. संवेगात्मक बुद्धि क्या है? 

उत्तर ⇒  संवेगात्मक बुद्धि का तात्पर्य उस संज्ञानात्मक योग्यता से है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने • संवेगों के आधार पर दूसरे व्यक्ति के संवेगों को उत्तेजित करके अपने लक्ष्य या उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल होता है।


4. बुद्धि के अर्थ तथा स्वरूप का वर्णन करें।

उत्तर बुद्धि वह समग्र क्षमता है, जो व्यक्ति को तर्कपूर्ण चिंतन, उद्देश्यपूर्ण कार्य एवं प्रभावपूर्ण समायोजन में मदद करती है। इसके निम्नलिखित स्वरूप हैं

(i) एक अमूर्त संप्रत्यय है।

(ii) व्यक्ति को तर्कपूर्ण चिंतन में सहायक होती है।

(iii) व्यक्ति को उद्देश्यपूर्ण कार्य में सहायक होती है।

(iv) व्यक्ति को वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण तरीका से समायोजन स्थापित करने में सहायक होती है।

(v) इसका स्वरूप मूलत: संज्ञानात्मक होता है।


5. बुद्धि-लब्धि के संप्रत्यय को स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒  जर्मन मनोवैज्ञानिक विलियम स्टर्न (William Stern) ने 1992 ई० में बुद्धि-लब्धि का सम्प्रत्यय दिया। किसी व्यक्ति की मानसिक आयु की उसकी कालानुक्रमिक आयु से भाग देने के बाद 100 से गुणा करने से उसकी बुद्धि-लब्धि प्राप्त हो जाता है।

बुद्धि-लब्धिः = मानसिक आयु (M.A.)  x 100 / वास्तविक आयु (C.A.)


6. भारतीय संस्कृति में बुद्धि के स्वरूप को लिखें।

उत्तर ⇒  भारतीय संस्कृति में बुद्धि का स्वरूप व्यापक है। यह एक समग्रतावादी दृष्टिकोण है। भारतीय संस्कृति में बुद्धि में संज्ञानात्मक तथा गैर-संज्ञानात्मक दोनों ही प्रक्रियाओं के समन्वय पर बल डालता है। प्रो० जे० पी० दास के अनुसार बुद्धि में कुछ विशेष कौशल जैसे मानसिक प्रयास, में निश्चित क्रिया, संज्ञानात्मक सामर्थ्यता जैसे-ज्ञान, विभेदन तथा समझ आदि सम्मिलित होते हैं। इस तरह से बुद्धि के एक मजबूत संज्ञानात्मक तत्त्वं के अलावा अभिप्ररेणात्मक तथा भावात्मक तत्त्व भी सम्मिलित होते हैं।

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7. सांवेगिक रूप से बुद्धिमान व्यक्तियों की कुछ विशेषताओं का उल्लेख करें।

उत्तर ⇒  सांवेगिक रूप से बुद्धिमान व्यक्तियों की कुछ विशेषताएँ निम्न प्रकार की हो सकती है —

(i) अपनी भावनाओं और संवेगों को जानना और उसके प्रति संवेदनशील होना।

(ii) दूसरे व्यक्ति के विभिन्न संवेगों को जानना और उसके प्रति संवेदनशील होना।

(iii) अपने संवेगों को अपने विचारों से संबद्ध करना ताकि समस्या समाधान तथा निर्णय करते समय उन्हें ध्यान में रखा जा सके।

(iv) अपने संवेगों और उनकी अभिव्यक्तियों को दूसरे से व्यवहार करते समय नियंत्रित करना ताकि शांति और सामंजस्य की प्राप्ति हो सके।


8. शाब्दिक बुद्धि परीक्षण तथा अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण में अंतर बताएँ।

उत्तर ⇒  शाब्दिक बुद्धि परीक्षण वैसे बुद्धि परीक्षण को कहा जाता है जिसके एकांश (items) शब्दों या वाक्यों के रूप में लिखित होते हैं। परीक्षार्थी उन्हें पढ़कर समझता है तथा उत्तर देता है जिसके आधार पर उसके बुद्धि की माप की जाती है। जबकि अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण के एकांश शाब्दिक नहीं होते हैं, अर्थात् लिखित भाषा का प्रयोग नहीं होता है। इसके एकांशों के माध्यम से कुछ चित्र उपस्थित किए जाते हैं और उसी से संबंधित कुछ प्रश्न होते हैं। इन प्रश्नों के उत्तर के आधार पर व्यक्ति की बुद्धि मापी जाती है।


9. मानसिक दुर्बल बालक की किन्ही तीन विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर ⇒  मानसिक दुर्बल बालक की तीन विशेषतायें निम्नलिखित हैं

(i) न्यून बौद्धिक स्तर — ऐसे बालकों का बौद्धिक स्तर सामान्य बालकों से बहुत कम होता है। इनकी बौद्धिक-लब्धि प्रायः 85 से नीचे होती है।

(ii) शारीरिक बनावट – ऐसे बालकों की शारीरिक बनावट अल्पविकसित एवं कमजोर होता है।

(iii) संवेगात्मक अपरिपक्वता – बौद्धिक तथा शारीरिक अनियमितता के साथ-साथ ऐसे बालकों की संज्ञानात्मक परिपक्वता भी कम होती है।


10. अभिक्षमता से आप क्या समझते हैं?

उत्तर ⇒  अभिक्षमता मानव क्षमता का एक प्रमुख अंश है। किसी विशेष क्षेत्र की विशेष योग्यता को अभिक्षमता कहते हैं। अभिक्षमता विशेषताओं का एक ऐसा समायोजन है जो व्यक्ति द्वारा प्रशिक्षण के उपरांत किसी विशेष क्षेत्र के ज्ञान अथवा कौशल के अर्जन की क्षमता को प्रदर्शित करता है। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की ये विशिष्ट योग्यताएँ तथा कौशल, जैसे—भाषा बोलने की क्षमता, संगीतज्ञ बनने की क्षमता तथा यांत्रिक कार्य करने की क्षमता ही अभिक्षमताएँ कहलाती है।


11. मनोवैज्ञानिक परीक्षण को परिभाषित करें।

उत्तर ⇒  मनोवैज्ञानिक परीक्षण की परिभाषा देते हुए फ्रीमैन ने कहा है कि “मनोवैज्ञानिक परीक्षण वह मानकीकृत यंत्र है, जो संपूर्ण व्यक्तित्व के एक या अधिक पक्षों को वस्तुगत रूप से वाचिक या अवाचिक प्रतिक्रियाओं के प्रतिदर्शों द्वारा अथवा अन्य व्यवहारों द्वारा मापता है। ” इस प्रकार मनोवैज्ञानिक परीक्षण एक मापक मापनी या कार्य प्रणाली है जिसमें मानकीकृत प्रश्नों की एक सूची या प्रश्नों के बदले अन्य सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। मनोवैज्ञानिक परीक्षण से किसी मानसिक योग्यता जैसे बुद्धि, अभिवृति अभिरुचि आदि का मात्रात्मक मापन की जाती है।


12. मानसिक आयु से आप क्या समझते हैं?

उत्तर ⇒  मानसिक आयु संप्रत्यय का प्रतिपादन बिने तथा साइमन द्वारा किया गया था जिसका प्रयोग बुद्धि मापने में मनोवैज्ञानिकों ने काफी किया है। टुकमैन (Tuckman, 1975) ने मानसिक आयु को परिभाषित करते हुए कहा है कि यह एक ऐसा प्राप्तांक है जिसका निर्धारण अपने ही उम्र या अपने से कम या अधिक उम्र के बच्चों के औसत निष्पादन के साथ तुलना करके किया जाता है। उदाहरणार्थ किसी बच्चा की वास्तविक आयु 6 वर्ष की है और वह 8 वर्ष के बच्चे के लिए बने बुद्धि परीक्षण का समाधान में सफल होता है, तो उसकी मानसिक आयु 8 वर्ष की होगी।

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13. अभिवृत्ति परीक्षण की उपयोगिता का वर्णन करें।

उत्तर ⇒  अभिवृत्ति परीक्षण की उपयोगिता निम्नलिखित हैं

(i) शैक्षिक निर्देशन के लिए —  अभिवृत्ति परीक्षणों (aptitude test) का महत्त्व बालकों के लिए शैक्षिक निर्देशन के क्षेत्र में देखा जाता है।

(ii) व्यावसायिक निर्देशन के लिए – अभिवृत्ति परीक्षण की उपयोगिता व्यावसायिक निर्देशन के क्षेत्र में भी बहुत है। अभिवृत्ति के अनुकूल व्यवसाय होने पर उसे व्यावसायिक संतुष्टि तथा सफलता सहज ही मिल जाती है।

(iii) व्यक्तिगत निर्देशन के लिए — अभिवृत्ति परीक्षण से व्यक्तिगत निर्देशन में भी मदद मिलती है।

(iv) नैदानिक समस्याओं के समाधान के लिए (For the solution of clinical Problems) कुछ नैदानिक समस्याएँ गहन होती हैं। उनके समाधान के लिए बुद्धि परीक्षण तथा व्यक्तित्व परीक्षण के साथ-साथ अभिवृत्ति परीक्षण की भी आवश्यकता होती है।


14. व्यक्तिगत अनन्यता से आप क्या समझते हैं?

उत्तर व्यक्तिगत अनन्यता को व्यक्तिगत पहचान भी कहते हैं। जन्म के समय बच्चे को आत्म का ज्ञान नहीं रहता है। इसे वह धीरे-धीरे अर्जित करता है। दो साल की आयु के बाद आत्म का विकास शुरू होता है। इसमें उसके माता-पिता, परिवार, शिक्षक, सामाजिक प्रक्रिया आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। बच्चे में सबसे पहले मैं का विकास होता है। जैसे—मैं राम हूँ, मैं सच्चा हूँ, मैं अमुक स्कूल में पढ़ता हूँ तात्पर्य कि वह अपने बारे में एक सूची तैयार कर लेता है उसी के संदर्भ में अपने को देखता और महसूस करता है। इस प्रकार उसमें व्यक्तिगत अनन्यता का उदय होता है।


15. सामाजिक अनन्यता से आप क्या समझते हैं?

उत्तर ⇒ आत्म विकास में व्यक्तिगत अनन्यता के बाद सामाजिक अनन्यता का उदय होता है। जब बच्चा बड़ा होता है तो वह अपने सामाजिक वातावरण के संपर्क में आता है तथा उसका अंतर क्रिया माता-पिता, भाई-बंधु एवं शिक्षकों से होता है। इसके फलस्वरूप उसमें सामाजिक अनन्यता का उदय होता है। सामाजिक अनन्यता का संबंध सामाजिक सांस्कृतिक पहचान से है। जैसे— मैं भारतीय हूँ, मैं हिन्दू हूँ, मैं ग्रामीण क्षेत्र से हूँ, मैं लेखक हूँ, मैं क्रिकेट टीम का कप्तान हूँ आदि। इन बातों से सामाजिक पहचान होती है।


16. आत्म-संप्रत्यय से आप क्या समझते हैं? 

उत्तर  आत्म के संज्ञानात्मक पहलू को आत्म संप्रत्यय कहा जाता है। आत्म संप्रत्यय में व्यक्ति अपने दैहिक सामाजिक तथा शैक्षिक सामर्थ्यता का संज्ञानात्मक मूल्यांकन करता है। आत्म-संप्रत्यय में व्यक्ति को अपने बारे में एक खास तरह का विश्वास एवं ज्ञान होता है। अपने आप के बारे में विचार जिसे आत्म संप्रत्यय कहा जाता है, धनात्मक भी हो सकता है या ऋणात्मक भी।


17. आत्मसिद्धिं से आप क्या समझते हैं?

उत्तर ⇒  आत्मसिद्धि शब्द का उपयोग मौलिक रूप में गोल्डस्टीन ने अभिप्रेरण के संदर्भ में किया। बाद में मैसलो ने इस शब्द का प्रयोग व्यक्तित्व के विकास के संदर्भ में किया। लेकिन दोनों के संदर्भ में कोई मौलिक भेद नहीं है। इतना जरूर है कि गोल्डस्टीन के नजर में यह प्रेरक है जबकि मैसलो के नजर में यह एक व्यक्तित्व विकास का स्तर है। मोटे तौर पर दोनों . इस बात से सहमत हैं कि आत्मसिद्धि का तात्पर्य स्वतंत्रता, स्वायतता, गहन मित्रता कायम करने की प्रवृत्ति, परिहास का दार्शनिक बोध, बाहरी दबाव के प्रतिरोध तथा वातावरण के उत्कर्ष है।


18. चेतन क्या है?

उत्तर ⇒  फ्रायड ने अपने व्यक्तित्व सिद्धांत में मानव मन को चेतन के तीन स्तरों में विभाजित किया है जिसमें चेतन एक प्रमुख स्तर हैं। चेतन से तात्पर्य मन के वैसे भाग से होता है जिसमें वर्तमान की सारी अनुभूतियाँ एवं संवेदनाएँ होती है। चेतन व्यक्तित्व का लघु एवं सीमित पहलू
का प्रतिनिधित्व करता है। किसी भी क्षण व्यक्ति के मन में हो रही अनुभूतियों का संबंध उसके चेतन से होता है अर्थात् चेतन का संबंध हमारे वर्तमान चिंतन और जो हम अभी अनुभव करते हैं, से है।

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19. बहिर्मुखी प्रकार के व्यक्तित्व का वर्णन करें।

उत्तर ⇒  बहिर्मुखी प्रकार के व्यक्ति स्वभावतः व्यवहार कुशल, सामाजिक एवं मिलनसार होते हैं। ये वर्तमान को अधिक महत्त्व देते हैं। इनमें किसी विषय पर निर्णय लेने तथा उसे कार्यान्वित करने की क्षमता भी अधिक होती है। ये दूसरे के सुख दुख में भरपूर साथ देते हैं। ये किसी भी परिस्थिति का सामना दृढ़ता से करते हैं। इसी कारण ऐसे व्यक्ति नेता, समाज सुधारक तथा सामाजिक कार्यकर्त्ता आदि अधिक होते हैं।


20. उपाहं (इदम) की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालें।.

उत्तर ⇒  इदम व्यक्ति के व्यक्तित्व का वह पक्ष है जो ‘सुख के सिद्धांत’ पर चलता है। जिस क्रिया द्वारा भी सुख या आनंद की प्राप्ति की संभावना होती है, इदम् उस क्रिया को करने के लिए तत्पर हो जाता है, चाहे वह क्रिया नैतिक हो या अनैतिक, सामाजिक हो या असामाजिक, समय तथा स्थान के अनुकूल हो या प्रतिकूल । इद्म व्यक्ति की मूल प्रवृति तथा जैविक आवश्यकताओं से जुड़ा रहता है। साथ ही यह ऊर्जा का स्रोत होता है।


21. इद्म तथा अहम् में अंतर करें।

उत्तर ⇒  इद्म तथा अहम् में निम्नलिखित अंतर हैं—

(i) इद्म सुख के नियम द्वारा निर्देशित होता है जबकि अहम् वास्तविकता के नियम द्वारा निर्देशित होता है।

(ii) इद्म को समय एवं वास्तविकता का ज्ञान नहीं रहता जबकि अहम् को समय तथा वास्तविकता का ज्ञान रहता है।

(iii) इद्म पूर्णत: अचेतन है जबकि अहम् चेतन तथा अचेतन दोनों होता है।

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