Matric Exam Hindi Subjective Question Bihar Board | 10th Hindi Shiksha aur Sanskrit Subjective

Matric Exam 2022 Hindi Subjective Question :- दोस्तों यदि आप लोग इस बार Class 10th Exam Hindi Subjective Question की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको 10th Hindi Godhuli Bhag 2 Ka Subjective दिया गया है जो आने वाले BSEB 10th Exam 2022 Hindi Subjective Question के लिए काफी महत्वपूर्ण है | Class 10th Social Science Objective 


1. शिक्षा का ध्येय गाँधीजी क्या मानते थे और क्यों? अथवा गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का जरूरी अंग क्या होना चाहिए?

उत्तर ⇒ गाँधीजी शिक्षा का मूल ध्येय चरित्र निर्माण मानते थे। उनका ख्याल था कि किताबी ज्ञान तो चरित्र निर्माण का एक साधन है। असल बात हैं मनुष्य में साहस, बल, सदाचार और किसी बड़े लक्ष्य के लिए आत्मोसर्ग करने का ज्ञान। इनके अभाव में सम्यक् चरित्र का निर्माण नहीं होता। गाँधीजी चरित्र निर्माण पर इसलिए जोर देते थे कि स्वराज्य होने पर ऐसे चरित्रवान लोग समाज का काम संभालेंगे और देश की समुन्नति होगी।


2. गाँधीजी किस तरह के सामंजस्य को भारत के लिए बेहतर मानते हैं, क्यों?

उत्तर ⇒ गाँधीजी प्राकृतिक सामंजस्य को स्थापित करने के पक्षधर थे। हमारे देश में विदेशी भी आकर बस चुके हैं। उनकी और हमारी संस्कृति में अनेक आदान-प्रदान हो चुके हैं। वे ऐसी संस्कृति के पक्षधर नहीं थे, जिसमें एक प्रमुख संस्कृति बाकी को हजम कर जाए। यानि कृत्रिम और बलपूर्वक कहीं सामंजस्य नहीं हो।


3. अपनी संस्कृति और मातृभाषा की बुनियाद पर दूसरी संस्कृतियों और भाषाओं से संपर्क क्यों बनाया जाना चाहिए। गाँधीजी की राय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर ⇒  गाँधीजी यह बात अच्छी तरह जानते थे कि वह संस्कृति जिन्दा नहीं रहती जो दूसरे का बहिष्कार करती है। इसी प्रकार, वह भाषा मृत हो जाती है जो नये ज्ञान और भावनाओं ग्रहण नहीं करती। इसलिए वे चाहते थे कि हम दूसरी संस्कृतियों और भाषाओं के सम्पर्क में बने रहें ताकि भारतीय संस्कृति और भारतीय भाषाओं में ताजगी बने रहे, ज्ञान की धारा बहती रहे।

Matric Exam 2022 Hindi Ka Subjective Question 


4. भारतीय संस्कृति को गाँधीजी क्या समझते थे?

उत्तर ⇒  गाँधीजी की दृष्टि में भारतीय संस्कृति रत्नों से भरी है।


5. कौन-सी संस्कृति जीवित नहीं रहती?

उत्तर ⇒ जो संस्कृति दूसरों का बहिष्कार करने की कोशिश करती है, वह जीवित नहीं रहती।


6. गाँधीजी सबसे बढ़िया शिक्षा किसे मानते थे?

उत्तर ⇒ अहिंसक प्रतिरोध को गाँधीजी सबसे बढ़िया शिक्षा मानते थे।


7. गाँधीजी किस भाषा में संसार का ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे?

उत्तर ⇒  गाँधीजी अपनी ही देशी भाषाओं में संसार का ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे।


 ⇒ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ⇐


1. भारतीय संस्कृति के संबंध में गाँधीजी क्या सोचते थे? समझा कर लिखिए।

उत्तर ⇒ गाँधीजी मानते थे कि भारतीय संस्कृति रत्नों की खान है। जरूरत है जानने और हृदयंगम करने की। यहाँ विभिन्न जातियाँ आईं, अनेक प्रकार के धर्मावलंबी आए और यहीं बस गए। धीरे-धीरे उनकी संस्कृतियों की खूबियाँ भारत की संस्कृति में घुलती-मिलती गईं। उनसे रक्त-संबंध स्थापित होता गया और आज के हम उन्हीं की संतान हैं। भारतीय संस्कृति की यही विशेषता है कि वह बंधनों में घिरी नहीं है। आस-पास की संस्कृति और धर्म की स्वच्छ हवा ग्रहण करने से इसे परहेज नहीं है।

वस्तुतः वह संस्कृति जिन्दा नहीं रहती जो दूसरों का वहिष्कार या उपेक्षा करती है। भारतीय संस्कृति की यही विशेषता इसे जीवित रखे हुए हैं। यहाँ जो भी सामंजस्य है, वह स्वाभाविक रूप से है।

Matric Exam Hindi MCQ Subjective Question 


2. ‘शिक्षा और संस्कृति’ पाठ का सारांश लिखिए। या, शिक्षा और संस्कृत के संबंध में महात्मा गाँधी के विचारों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर ⇒  गाँधीजी के विचार से अहिंसक प्रतिरोध सबसे उदात्त और बढ़िया शिक्षा है। वर्णमाला सीखने के पहले बच्चे को आत्मा, सत्य, प्रेम और आत्मा की छिपी शक्तियों का पता होना चाहिए। यह बताया जाना चाहिए कि सत्य से असत्य को और कष्ट-सहन से हिंसा को कैसे जीता जा सकता है। बुद्धि की सच्ची शिक्षा शरीर की स्थूल इन्द्रियों अर्थात् हाथ, पैर आदि के ठीक-ठीक प्रयोग से ही हो सकती है। इससे बुद्धि का विकास जल्दी-जल्दी होगा।

प्रारम्भिक शिक्षा में सफाई और तन्दुरुस्त रहने के ढंग बताए जाने चाहिए। प्राथमिक शिक्षा में कताई- धुनाई को शामिल करना चाहिए ताकि नगर और गाँव एक दूसरे से जुड़ें। इससे गाँवों का ह्रास रूकेगा।

शिक्षा का ध्येय चरित्र निर्माण होना चाहिए। दरअसल, लोगों में साहस, बल, सदाचार और बड़े उद्देश्य के लिए आत्मोत्सर्ग की शक्ति विकसित की जानी चाहिए। संसार की सर्वश्रेष्ठ कृतियों का अनुवाद देश की भाषाओं में होना चाहिए ताकि अपनी भाषा में टॉल्सटाय, शेक्सपियर, मिल्टन, रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कृतियों का आनन्द उठा सकें।

हमें अपनी संस्कृति के बारे में पहले जानना चाहिए। हमें दूसरी कोशिश संस्कृतियों के बारे में भी जानना चाहिए, उन्हें तुच्छ समझना गलती होगी। वह संस्कृति जिन्दा नहीं रह सकती जो दूसरों का बहिष्कार करने करती है।

भारतीय संस्कृति उन भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के सामंजस्य का प्रतीक है जिनके पाँव भारत में जम गए हैं, जिनका भारतीय जीवन पर प्रभाव पड़ा है और वे स्वयं भारतीय जीवन से प्रभावित हुई हैं।


3. मैं चाहता हूँ कि सारी शिक्षा किसी दस्तकारी या उद्योगों के द्वारा दी जाए-सप्रसंग व्याख्या करें।

उत्तर ⇒ गाँधीजी कहते हैं कि उनकी इच्छा है कि सारी शिक्षा किसी दस्तकारी या उद्योगों के जरिए दी जाए। दस्तकारी या उद्योग की शिक्षा से मनुष्य स्वावलम्बी तो होता ही है उसमें आत्मविश्वास भी होता है। ऐसा कहते हुए गाँधीजी का ध्यान गाँवों की गरीबी और इससे पनप रहे आक्रोश पर भी है। दस्तकारी और उद्योग की शिक्षा से गाँवों की गरीबी दूर होगी और नगर तथा गाँव की खाई पटेगी जिससे देश में सामाजिक बदलाव आएगा। गाँधीजी का यही उद्देश्य है।


4. इस समय भारत में शुद्ध आर्य संस्कृति जैसी कोई चीज मौजूद नहीं है सप्रसंग व्याख्या करें।

उत्तर ⇒ गाँधीजी कहते हैं कि भारत में समय-समय पर अनेक जातियाँ आईं, आक्रान्ता आए और यहीं रच-बस गए। आज जो भारत है वह उन सभी जातियाँ, धर्मों और संस्कृतियों का संगम है। हम सब उन पूर्वजों की संतान हैं। यहाँ अब शुद्ध आर्य संस्कृति जैसी चीज नहीं है, जो है भारतीय संस्कृति है।


5. मेरा धर्म कैदखाने का धर्म नहीं है-सप्रसंग व्याख्या करें।

उत्तर ⇒ कैदखाने में न बाहर की चीज भीतर जाती है न भीतर की चीज बाहर आती है। चारों ओर ऊँची-ऊँची दीवारें खड़ी होती हैं, पहरा होता है। गाँधीजी कहते हैं कि भारतीय धर्म उन्मुक्त है, यहाँ स्वतंत्रता है। अच्छी बातों को ग्रहण करना और व्यर्थ रीति-रिवाजों को छोड़ देना इसकी विशेषता है। इस प्रकार उनका धर्म गतिशील है, कैदखाने की स्थिति नहीं है।


6. गाँधीजी बढ़िया शिक्षा किसे कहते हैं?

उत्तर ⇒ गाँधीजी के विचार से सबसे उदात्त और बढ़िया शिक्षा है अहिंसक प्रतिरोध। दरअसल, अक्षर-ज्ञान के पहले ही बच्चों को चाहिए। उन्हें औपचारिक शिक्षा के पहले ही बताया जाना चाहिए कि आत्मा क्या है, सत्य क्या है? उन्हें मालूम होना चाहिए कि सत्य से असत्य को, प्रेम से घृणा को और कष्ट-सहन से हिंसा को कैसे जीता जा सकता है?


7. दूसरी संस्कृति से पहले अपनी संस्कृति की गहरी समझ क्यों जरूरी है?

उत्तर ⇒ भारतीय संस्कृति रत्न भण्डार है। यह बात दूसरी है कि हमें इसकी जानकारी नहीं है। दूसरों के कहने पर हम उसे तुच्छ मानते हैं। ऐसी अवस्था में हम दूसरी संस्कृति की ओर आकर्षित होते हैं। उसकी नकल करते हैं। हमें दूसरी संस्कृति के बारे में जानने के पहले अपनी संस्कृति के बारे में जानकारी करनी चाहिए। हमारी संस्कृति जड़ नहीं है। वह दूसरी संस्कृतियों को हेय नहीं मानती, उसकी उपेक्षा या निषेध नहीं करती। अतः दूसरी संस्कृति के पहले अपनी संस्कृति की समझ जरूरी है ताकि तुलना कर सकें, सच्चे मोती चुन सकें।

Matric Exam Hindi VVI Subjective Question 2022


हिंदी गोधूलि भाग 2 – OBJECTIVE 
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