Class 10th Exam Hindi Subjective Question | ‘नौबतखाने में इबादत’ Subjective Question Class 10

Class 10th Exam 2022 Hindi Subjective Question :-  दोस्तों यदि आप इस बार Matric Exam देने वाले हैं तो यहां पर आपको Class 10th Hindi Ka Subjective Question Answer दिया गया है जो आने वाले Bihar Board Class 10th Hindi Subjective 2022 के लिए काफी महत्वपूर्ण है | Matric Exam 2022 Subjective Question | Class 10th Sanskrit Objective 


1. ‘बिस्मिल्ला खाँ मतलब – बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई।’- एक कलाकार के रूप में बिस्मिल्ला खाँ का परिचय पाठ के आधार पर दें।

 उत्तर बिस्मिल्ला खाँ जब हाथ में शहनाई लेकर उसे फूंकते थे तो शहनाई की आवाज सबके सिर चढ़कर बोलने लगती थी। उनकी शहनाई में सरगम भरा था। उन्हें ताल मालूम था, राग मालूम था। सातों सुर आकार लेने लगते थे। संगीत का सुहाना सफर शुरू हो जाता था। उन्हें सरकार ने ‘भारतरत्न’ से सम्मानित किया, फिर भी वे अत्यन्त विनम्र रहे, शहनाई के शाहंशाह थे लेकिन कभी किसी कलाकार की आलोचना नहीं की। जिनसे भी सीखा उनके प्रति आदरभाव रखा। इस प्रकार, वे एक सच्चे कलाकार थे।


2. शहनाई की शिक्षा बिस्मिल्ला खाँ को कहाँ मिली?

उत्तर ⇒ शहनाई की शिक्षा बिस्मिल्ला खाँ को अपने ननिहाल काशी में अपने मामाद्वय सादिक हुसैन और अलीबख्श से मिली।


3. डुमराँव की महत्ता किस कारण से है?

उत्तर ⇒  डुमराँव की महत्ता दो कारणों से है। पहली तो यह कि इसके आस-पास की नदियों के कछारों में ‘रीड’-‘नरकट’ नामक एक प्रकार की घास पाई जाती है जिसका प्रयोग शहनाई बजाने में किया जाता है। दूसरा कारण यह है कि शहनाई के शाहंशाह बिस्मिल्ला खाँ का यह पैतृक निवास है। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन यहीं के थे और इनके खानदान के लोग शहनाई बजाते थे।


4. बिस्मिल्ला खाँ किसको जन्नत मानते थे?

उत्तर ⇒ बिस्मिल्ला खाँ शहनाई और काशी को जन्नत मानते थे।


5. बिस्मिल्ला खाँ किसके पर्याय थे?

उत्तर ⇒ बिस्मिल्ला खाँ शहनाई के पर्याय थे और शहनाई उनका।


6. अपने मजहब के अलावा बिस्मिल्ला खाँ की किसमें अत्यधिक श्रद्धा थी?

उत्तर ⇒  अपने मजहब के अलावा बिस्मिल्ला खाँ को काशी विश्वनाथ और बालाजी में अगाध श्रद्धा थी।


 ⇒ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ⇐


1. काशी संस्कृति की पाठशाला है-सप्रसंग व्याख्या करें।

उत्तर ⇒  काशी संस्कृति की पाठशाला है का आशय है कि काशी में काशी विश्वनाथ का मंदिर है, बालाजी का मंदिर है, जहाँ भक्तिभाव से पूजा-अर्चना होती है। गंगा है जिसमें स्नान करना धार्मिक दृष्टिकोण से पुण्यकारी है। तबलावादक कंठे और विद्याधरी, बड़े रामदास और मौजुद्दीन खाँ जैसे संगीत-साधक हैं। शहनाई के पर्याय बिस्मिल्ला खाँ यहाँ बसते हैं। साहित्यिक आयोजन होते रहते हैं, हर बरस संगीत समारोह होता है। खान-पान का अपना अन्दाज है। इस प्रकार, यहाँ की अपनी संस्कृति है, जहाँ पहुँचकर आदमी संस्कृति की शिक्षा पाता है।

Class 10th Exam 2022 Hindi Subjective Question


2. खुदा फटा सुर न बख्खों लुंगिया का क्या है, आज फटी है तो कल सिल जाएगी–सप्रसंग व्याख्या करें।

उत्तर ⇒  ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ की यह पंक्ति है। बिस्मिल्ला खाँ की शिष्या ने जब उनकी फटी लुंगी न पहनने को कहा तो उन्होंने कहा कि लुंगी फटी है तो क्या, कल सिल जाएगी लेकिन खुदा फटा सुर न बख्शें। तात्पर्य यह कि बिस्मिल्ला खाँ का ध्यान अपने लिबास, शान-शौकत पर नहीं अपने सुर पर रहता था। उसी की साधना करते थे।


3. ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर भारतरत्न बिस्मिल्ला खाँ का रेखा-चित्र प्रस्तुत कीजिए। या, बिस्मिल्ला खाँ के जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालें।

उत्तर- माथे पर दुपलिया टोपी, मझोला कद, खुटिआई दाढ़ी, होठों पर मुस्कान और शरीर पर शेरवानी, नीचे पायजामा- हाँ, यही हैं बिस्मिल्ला खाँ- भारतरत्न, शहनाई के बादशाह!

सन् 1916 ई० में डुमराँव में उस्ताद पैगम्बर खाँ के यहाँ जो शहनाई बजी, वह सारे संसार में आगे चलकर गूंज उठी। अमीरुद्दीन यानी बिस्मिल्ला खाँ का जन्म हुआ।

5-6 वर्ष की उम्र और अमीरुद्दीन काशी में ननिहाल नाना शहनाई बजाते हैं और अमीरुद्दीन छिपकर सुन रहे हैं। नाना गए कि मीठी शहनाई की खोज शुरू। …… मामा अलीबख्श शहनाई बजाते हुए सम पर आते हैं कि अमीरुद्दीन दाद देने की जगह खुशी में पटकते हैं पत्थर। चौदह की उम्र और अमीरुद्दीन का बालाजी मन्दिर शहनाई के रियाज के लिए जाना शुरू। रास्ते में सुनते हैं रसूलन बाई और बतूलन बाई के ठप्पे, ठुमरी, दादरा …… शुरू होती है संगीत की समझ। अच्छी लगती है कुलसुम हलवाइन की कचौड़ी। गीताबाली और सुलोचना की फिल्में आई कि दौड़े अमीरुद्दीन

अमीरुद्दीन बिस्मिल्ला खाँ हो गए। गंगा, विश्वनाथ, बालाजी में पूरी आस्था काशी में तो इनकी दर पर बजाते ही हैं, बाहर रहने पर भी कार्यक्रम के पहले इनके मंदिर की ओर रुख कर कुछ समय बजाते हैं। मुहर्रम बड़ी शिद्दत से मनाते हैं- शहनाई नहीं बजाते।

बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई में जादू है। फूंका नहीं कि सबके सिर चढ़ बोलने लगी। कब रात बीती, पता नहीं। एक पर एक सीढ़ियाँ चढ़ते हैं-मान-सम्मान की वर्षा होती है। कभी जापान, कभी रुस …….. । फिर भी वही सादगी …….. वही मीठे बोल …….. |

21 अगस्त 20061 भारतरत्न बिस्मिल्ला खाँ अपनी अनंत संगीत-यात्रा पर निकल गए। लेकिन उनकी शहनाई गूंज रही है, गूंजती रहेगी।


4. एक कलाकार के रूप में बिस्मिल्ला खाँ का परिचय ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आधार पर दें। अथवा, बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का वर्णन करें।

उत्तर ⇒  सिर पर दुपलिया टोपी, मझोला कद, खुटिआई दाढ़ी, होठों पर मुस्कान और शरीर पर शेरवानी, नीचे पायजामा – हाँ, यही हैं बिस्मिल्ला खाँ – भारतरत्न, शहनाई के बादशाह । सन् 1916 ई० में डुमराँव में उस्ताद पैगम्बर खाँ के यहाँ जो शहनाई बजी वह सारे संसार में आगे चलकर गूँज उठी। अमीरुद्दीन यानी बिस्मिल्ला खाँ का जन्म हुआ। 5-6 वर्ष की उम्र और अमीरुद्दीन काशी में- ननिहाल । नाना शहनाई बजाते हैं और अमीरुद्दीन छिपकर सुन रहे हैं। नाना गए कि मीठी शहनाई की खोज शुरू ……. मामा अलीबख्श शहनाई बजाते हुए समय पर आते हैं कि अमीरुद्दीन दाद देने की जगह खुशी में पटकते हैं पत्थर। चौदह की उम्र और अमीरुद्दीन का बालाजी मन्दिर शहनाई के रियाज के लिए जाना शुरू। रास्ते में सुनते हैं रसूलन बाई और बतूलन बाई के ठप्पे, ठुमरी, दादरा ……. शुरू होती है संगीत की समझ। अच्छी लगती है कुलसुम हलवाइन की कचौड़ी गीताबाली और सुलोचना की फिल्में आई कि दौड़े अमीरुद्दीन। इस तरह उनका बचपन अभावपूरित मस्ती वातावरण में बीती।

Class 10th Exam Hindi VVI Subjective Question 2022


           पघ खंड [ Objective  ]
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  3 जनतंत्र का जन्म Click Here
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  6 हमारी नींद Click Here
  7 अक्षर ज्ञान Click Here
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