Bihar Board 12th Psychology Question Answer 2024 :- दोस्तों यदि आप लोग Bihar Board Ka Psychology Subjective 2024 की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको 12th Arts Ka VVI Subjective Question का महत्वपूर्ण प्रश्न दिया गया है | Bihar Board 12th Psychology Question in Hindi, 12 Psychology chapter wise objectives
Bihar Board Ka Psychology Subjective 2024
1. व्यक्ति के व्यवहार पर समूह के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर⇒ व्यक्ति तथा उसके समूह के बीच गहरा संबंध होता है। एक और व्यक्ति का प्रभाव समूह पर पड़ता है तो दूसरी ओर समूह का निश्चित प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार पर पड़ता है। व्यक्ति के व्यवहार पर समूह का प्रभाव निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है.
(i) दैनिक जीवन में व्यवहार करते समय व्यक्ति अपने समूह से प्रभावित होता है। प्रत्येक समूह के अपने मानक (Norm) होते हैं, मापदंड (Standard) होते हैं तथा समूह के मानक मापदंड तथा नियम को ध्यान में रखकर ही व्यवहार करता है।
(ii) समूह का प्रभाव व्यक्ति के धर्म से संबंधित व्यवहार पर भी स्पष्ट रूप से देखा जाता है। एक हिंदू अपने धार्मिक कर्तव्य को पूरा करने के लिए मंदिर में जाता है और शांति का अनुभव करता है। दूसरी ओर एक मुसलमान शांति को मस्जिद में जाकर हासिल करता है। दोनों के लक्ष्य समान हैं, परंतु लक्ष्य को हासिल करने के व्यवहार भिन्न हैं।
(iii) समूह का प्रभाव व्यक्ति वैवाहिक प्रथा के संदर्भ में भी देखा जाता है। एक मुसलमान अपनी चचेरी बहन से विवाह करके सामान्य रूप से पति का जीवन वा है। लेकिन एक हिन्दू ऐसा कतई नहीं कर सकता है।
(iv) प्राथमिक समूह के साथ-साथ द्वितीयक समूहका प्रभाव भी व्यक्ति के व्यवहार पर हैनै दल (polincal party) असल एक द्वितीयक समूह है जिसका निश्चित प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार या विचार पर पड़ता है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि व्यक्ति के व्यवहार पर समूह का प्रभाव उपयुक्त कई रूपों में पड़ता है।
2. भारत में निर्धनता के कारणों का वर्णन करें। (Describe the causes of poverty in India’s
उत्तर⇒ भारत में निर्धनता के निम्नलिखित मुख्य हैं
(i) वृहत जनसंख्या भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या का एक मुख्य कारण है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण भारत में सभी लोगों के लिए न्यूनतम कपू तथा सुख-सुविधाओं की पूर्ति एक कठिन समस्या है।
(ii) दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली ⇒ आत्मनिर्भर होने के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। पर भारत में शिक्षा और शिक्षा प्रणाली जनसाधारण के आर्थिक और सामाजिक विकासको आवश्यक के अनुरूप नहीं है। अतः दोषपूर्ण शिक्षा भी निर्धनता के लिए है।
(iii) सामाजिक कारक-सामाजिक कारक जैसे प्रजातीय भेदभाव, जातिवाद भाग्यवाद सामाजिक कुरीतियाँ आदि भी निर्धनता को प्रभावित करते हैं। भारत में अधिकांश लोग को भाग्यवाद में गहरा विश्वास है, इस कारण निर्धनता को अपनी भाग्य का परिणाम समझकर उससे उठने की कोशिश नहीं करता। इसी तरह सामाजिक कुरीतियों जैसे दहेज प्रथा कर्म आदि में अपनी हैसियत से ज्यादा खर्च करते हैं और निर्धनता का शिकार होते हैं।
(iv) राजनीतिक कारक ⇒ कई राजनीतिक नियमों के कारण जनसाधारण को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। भ्रष्टाचार और निरंकुश शासन के कारण भी अनेक लोग निर्धनता के शिकार हो जाते हैं।
(v) व्यक्तिगत कारक ⇒ निर्धनता का सबसे बड़ा कारण व्यक्ति खुद ही है।कुछ ऐसे भी व्यक्ति होते हैं, जो अपने आलसपन और कमजोर इच्छाशक्ति के कारण कार्य करने की दिशा में पहल नहीं कर पाते। कई व्यक्ति अपनी बुद्धि के कारण अर्जन तो कर सकते हैं, पर अपनी बुरी लत के कारण सबकुछ गवा देते हैं और निर्धनता के शिकार हो जाते हैं।
इस प्रकार उपरोक्त कारण भारत में निर्धनता के जिम्मेवार है।
3. निर्धनता या गरीबी के उपचारी उपायों का वर्णन करें।
उत्तर⇒ गरीबों या निर्धनता को दूर करने के निम्नलिखित उपय
(i) जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण (Controlling pulith ) ⇒ गरीब निर्धनता को दूर करने का एक उपाय है कि पढ़ती हुई जनसंख्या को नियंत्रित किया जाए।
(ii) संपत्ति का न्यायसंगत वितरण (Justified distribution of wealth) गरीबी उन्मूलन के लिए यह भी एक आवश्यक उपाय है कि धन या संपत्ति का विभाजन धनी तथा गरीब लोगों के बीच न्यायसंगत रूप में किया जाए। ऐसा करने से एक लाभ तो अवश्य होगा कि धनी निर्धन के बीच तेजी से बढ़ती हुई दूरी रुक जाएगी।
(III) रोजगार के अवसर में वृद्धि (Enhancement in employment) गरीबी या निर्धनता को दूर करने के लिए कारगर उपाय यह है कि सरकार तथा समाज के जागरूक एवं सक्षम सदस्यों को चाहिए कि रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाएँ।
(iv) गलत विश्वासों का उन्मूलन (Eradication of wrong beliefs)– निर्धनता उन्मूलन के लिए यह भी आवश्यक है कि लोगों के गलत विश्वासों का उन्मूलन किया जाए। लोगों को समझाया जाए कि प्रत्येक धर्म कर्मप्रधान है। भगवान उसी को मदद करता है जो अपनी स्वयं करने के लिए तैयार रहता है।
(v) ग्राम उत्थान (Village uplift) गरीबी को दूर करने के लिए शहर से अधिक देहात का उत्थान आवश्यक है। कारण, शहर को अपेक्षा गाँव के लोग निर्धनता के अधिक शिकार होते है। अतः सरकार तथा समाज के जागरूक एवं सक्षम व्यक्तियों को चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी तथा गैर सरकारी योजनाओं की व्यवस्था करके वहाँ के गरीब लोगों को रोजगार का अवसर दें ताकि वे अपनी निर्धनता को दूर कर सकें।
Bihar Board 12th Psychology Question Paper
4. आक्रामकता क्या है? आक्रामकता के मुख्य कारणों का वर्णन करें।
उत्तर⇒ आक्रामकता एवं हिंसा (Aggression and violence) आक्रामकता (aggression) पद का उपयोग मनोवैज्ञानिक ऐसे किसी भी व्यवहार को इंगित करने के लिए करते हैं जो किसी व्यक्ति व्यक्तियों के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति व्यक्तियों को हानि पहुंचाने के आशय से किया जाता है।
आक्रमण एवं हिंसा के कारण
(i) सहज प्रवृत्ति आक्रामकता मानव में सहज होती है।
(ii) बाल पोषण ⇒ किसी बच्चे का पालन जिस तरह से किया जाता है वह प्रायः उसकी आक्रामकता को प्रभावित करता है।
(iiI) कुंठा आक्रमण कुंठा की अभिव्यक्ति तथा परिणाम हो सकते हैं। कुंठित स्थितियों में जो व्यक्ति होते हैं, वे आक्रामक व्यवहार उन लोगों की अपेक्षा अधिक प्रदर्शित करते है जो कुंठित नहीं होते।
(iv) अधिगम मनुष्यों में आक्रमण प्रमुखतया अधिगम का परिणाम होता है, न कि केवल सहज प्रवृत्ति की अभिव्यक्ति कुछ व्यक्ति आक्रामकता इसलिए सीख सकते हैं क्योंकि उन्होंने पाया है कि ऐसा करना एक प्रकार का पुरस्कार है।
(v) दूसरों द्वारा क्रोध उत्तेजक क्रियाएं यदि कोई व्यक्ति एक हिंसा प्रदर्शित करने वाला सिनेमा देखता है तथा इसके पश्चात उसे किसी अन्य व्यक्ति द्वारा क्रोध दिलाया जाता है तो उस व्यक्ति में आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित करने की संभावना बढ़ जाती है।
(vi) आक्रमण के शस्त्रों (हथियारों की उपलब्धता कुछ शोधकर्ताओं ने पाया है कि हिंसा को देखने के पश्चात प्रेक्षक में आक्रामकता की अधिक संभावना उसी दिशा में होती है जब वह आक्रमण के शस्त्र जैसे डंडा, पिस्तील या चाकू आसानी से उपलब्ध हो
(vii) व्यक्तित्व कारक — कुछ व्यक्ति स्वाभाविक रूप से ही अधिक क्रोधी (गर्म-मिजाज होते हैं तथा अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक आक्रामकता प्रदर्शित करते हैं। अतः हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि आक्रामकता एक वैयक्तिक गुण है।
(vii) सांस्कृतिक कारक जिस संस्कृति में व्यक्ति पल कर बड़ा होता है वह अपने सदस्यों को आक्रामक व्यवहार सिखा सकती है अथवा नहीं। ऐसा वह आक्रामक व्यवहारों की प्रशंसा द्वारा तथा उन्हें प्रोत्साहन कर सकती है अथवा ऐसे करके उनक कर सकती है। कुछ जनजातीय समुदाय शांतिप्रिय है जबकि कुछ उत्तरजीविता के लिए आवश्यक समझते हैं।
5. भीमाद क्या है? इसके प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर⇒ भीड़भाड़ (Overcrowding) पर्यावरण कारकों में एक कारक है। क्रूक्स (Crooks, 1988) ने इसकी परिभाषा देते हुए कहा है कि “भीमा का स्थान की कमी से उत्पन्न मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया से है, जिसमें अतिउत्तेजन असुवि के आत्मगत भावों की विशेषता होती है।”
पशु व्यवहार तथा मानव व्यवहार या सामाजिक व्यवहारे पर भीमाद का प्रभाव है। पशुओं पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि मीमाद का प्रभाव पर पड़ता है। अन्य सुविधाओं के उपलब्ध रहने के बाद भी सीमा में रहने वाले पशुओं में शारीरिक रोग, आक्रमण तथा नरपक्षण के रूप में नकारात्मक व्यवहार देखे गये। इसी तरह मन पर किए गए अध्ययनों में भीड़भाड़ के नकारात्मक प्रभाव इन्हीं रूपों में देखें गये।
समाजशास्त्रियों (Sociologists) के द्वारा किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि भीम के कारण शारीरिक तथा मानसिक रोगों के विकास में मदद मिलती है। मोहमाह के कारण शारीरिक तथा मानसिक रोगों के विकसित होने की संभावना निम्न सामाजिक आर्थिक स्थिति की अपेक्षा उच्च सामाजिक आर्थिक स्थिति के लोगों में कहीं अधिक होती है।
भीड़भाड़ का बाधक प्रभाव तब देखा जाता है जय भीड़भाड़ से व्यक्ति में उत्तेजन उत्पन हो जाता है। इसी प्रकार भीड़भाड़ का प्रभाव कभी अधिक देर तक जारी रहता है और कभी जल्दी समाप्त हो जाता है। जो व्यक्ति भीड़भाड़ की और जितना ही अधिक होता है, उस पर इसका बाधक प्रभाव उतना ही अधिक पड़ता है।
12 Psychology chapter wise objectives
6. मानव व्यवहार पर दूरदर्शन के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर⇒ दूरदर्शन आधुनिक समय का सबसे महत्त्वपूर्ण जनसंचार माध्यम है। बच्चों का व्यवहार पर दूरदर्शन का प्रभाव वयस्कों की अपेक्षा अधिक होता है। यह प्रभाव दो तरह का होता है
(i) धनात्मक प्रभाव – व्यक्तियों पर दूरदर्शन के कुछ अच्छे प्रभाव पड़ता है जिनमें निम्नांकित प्रमुख हैं
(i) दूरदर्शन एक महत्त्वपूर्ण शैक्षिक माध्यम का कार्य करता है। इससे बच्चों एवं दोनों को ही ज्ञानवर्द्धक सूचनाएँ प्राप्त होती है।
(ii) कुछ अध्ययनों में यह पाया गया है कि दूरदर्शन बच्चों में प्रसामाजिक व्यवहार को मजबूत करता है।
(iii) विशेषकर बच्चों में काल्पनिक खेल को दूरदर्शन अधिक बढ़ावा देता है जिसमें इनमें सर्जनात्मक क्षमता मजबूत होने की उम्मीद अधिक होती है।
(iv) दूरदर्शन देखने वाले बच्चों में किसी लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने की किसी चीज को समझने की क्षमता में वृद्धि होती है।
(B) ऋणात्मक प्रभाव ⇒ दूरदर्शन के कुछ ऋणात्मक प्रभाव भी व्यक्तियों पर पड़ते हैं जिनमें निम्नांकित प्रमुख हैं.
(i) दूरदर्शन पर कार्यक्रम देखने वाले बच्चों में पढ़ने एवं लिखने की आदत थोड़ा कमजोर हो जाता है।
(ii) दूरदर्शन पर कार्यक्रम देखने वाले बच्चों में निष्क्रियता जाती है तथा इनके घर से बाहर किये जाने वाले अंतर्कियाओं खासकर मैदान में खेलकूद करने की क्रियाओं में कमी आती है।
(iii) दूरदर्शन के कुछ कार्यक्रम को देखकर किशोर एवं किशोरियों दिग्भ्रमित हो जाती है और अपने लिए सही जीवनवृत्ति का चयन करने में असफल हो जाती है।
(iv) दूरदर्शन पर आक्रामक दृश्यों को देखने से दिन प्रतिदिन की जिंदगी में बच्चे पहले से अधिक आक्रामक व्यवहार करने लगते हैं।
स्पष्ट हुआ कि दूरदर्शन का मानव व्यवहार पर अच्छे एवं रे दोनों तरह का प्रभाव पड़ता है।
7. एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक (परामर्शक) के लिए सामान्य कौशलों का वर्णन करें।
उत्तर⇒ एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक उसे कहते हैं, जिसमें कुछ कौशल उपलब्ध होते हैं। ऐसे कौशलों में प्रेक्षण कौशल, संप्रेषण कौशल, साक्षात्कार कौशल परामर्श कौशल आदि मुख्य है। इनकी तफसील निम्नलिखित हैं
(i) प्रेक्षण कौशल (Observational shill) इस कौशल का अर्थ यह है कि दूसरों के व्यवहारों के आधार पर उसके संबंधों में आवश्यक शीलगुणों को जानकारी हो सके। एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक किसी व्यक्ति के व्यवहार का निरीक्षण या प्रेक्षण विभिन्न परिस्थितियों में करता है और इस आधार पर उसके व्यक्तित्व के संबंध में आवश्यक जानकारी प्राप्त कर लेता है।
(ii) साक्षात्कार कौशल (Interview still) इस कौशल का अर्थ यह है कि एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक किसी व्यक्ति का साक्षात्कार व्यक्तिगत रूप से तथा सामूहिक रूप से लेता है और उसके द्वारा दिए गए उत्तरों तथा उसके व्यक्तित्व के संबंध में आवश्यक जानकारी प्राप्त कर लेता है।
(iii) शारीरिक भाषा (Body language) शारीरिक हाव भाव से भी व्यक्ति के संबंध में कुछ जानकारी प्राप्त होती है। यह जानकारी साक्षात्कार से अर्थात् प्रश्नों के माध्यम से संभव नहीं हो पाती है। अतः एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक में शारीरिक भाषा को समझने का कौशल रहना आवश्यक होता है।
(iv) निर्देशन तथा परामर्श कौशल (Gaidance and counselling dully एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक के लिए परामर्शन तथा निर्देशन की क्षमता होना आवश्यक है। इसका अर्थ यह है कि दूसरे लोगों को निर्देशन किस ढंग से दिया जाए कि यह प्रभावी हो सके। इसको कई विधि याँ होती हैं जिनके आलोक में परामर्श को प्रभावी तथा सफल बनाना होता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि एक प्रभावी वैज्ञानिक में उपर्युक्त कौशलों का होना आवश्यक है।
8. साक्षात्कार का मूल्यांकन एक मनोवैज्ञानिक कौशल या परीक्षण के रूप में करें। अथवा साक्षात्कार के अर्थ तथा प्रकारों का वर्णन करें और इसके गुण दोषों का वर्णन
उत्तर⇒ अर्थ एवं स्वरूप (Meaning and Nature) साक्षात्कार यह विधि है जिसके द्वारा साक्षात्कार लेने वाले आमने-सामने की परिस्थिति में साक्षात्कार देने वाले से तात्त्विक सूचनायें प्राप्त करने का प्रयास करता है।
साक्षात्कार के प्रकार (Types of interview) साक्षात्कार के कई प्रकार है, जिनका उपयोग आवश्यकता के अनुसार किया जाता है
(i) वैयक्तिक साक्षात्कार (Individual Interview) वह साक्षात्कार है, जिसमें एक समय में केवल एक व्यक्ति का साक्षात्कार लिया जाता है।
(ii) समूह साक्षात्कार (Group Interviev) वह साक्षात्कार है, जिसमें एक समय में एक से अधिक व्यक्तियों का साक्षात्कार एक ही साथ लिया जाता है।
(iii) संरचित साक्षात्कार (Structured truerview) वह साक्षात्कार है, जिसमें पूछे जाने वाले प्रश्न पहले से ही निर्धारित होते हैं, जिन्हें साक्षात्कार अनुसूची कहते हैं।
(iv) असंरचित साक्षात्कार (Unstructured Interview) वह साक्षात्कार है, जिसमें अध्ययन के समय साक्षात्कार लेने वाला अपनी इच्छा के अनुसार प्रश्न पूछता है।
(v) नैदानिक साक्षात्कार (Clinical Interview)- वह साक्षात्कार है, जिसमें नैदानिक समस्याओं से संबंधित सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए प्रयास किये जाते हैं।
गुण साक्षात्कार के निम्नांकित गुण हैं
(i) साक्षात्कार के आधार प्रत्यक्ष रूप से सूचना प्राप्त करना संभव होता है।
(ii) इसमें समग्रता के साथ साथ व्यापकता का गुण भी पाया जाता है।
(iii) इसमें बाह्य रूप से निरीक्षण करना भी संभव होता है।
दोष साक्षात्कार के निम्नांकित दोष हैं-
(i) यह आत्मनिष्ठ विधि है।
(ii) इसमें पक्षपातों का प्रभाव अधिक पड़ता है।
(iii) यहाँ घबराहट, भाषा के दोष तथा व्यक्तिगत कमजोरी के कारण व्यक्ति का उत्तर गलत हो जाता है।
9. साक्षात्कार कार्य कौशल क्या है? साक्षात्कार प्रारूप के विभिन्न अवस्थाओं (चरणों) का वर्णन करें।
उत्तर⇒ साक्षात्कार वह विधि है, जिसके द्वारा साक्षात्कार लेने वाले आमने-सामने की परिस्थिति में साक्षात्कार देने वाले से तात्त्विक सूचनायें प्राप्त करने का प्रयास करता है।
साक्षात्कार के अवस्थाएं (Stages of interview )- सामान्यतः साक्षात्कार की तीन अवस्थायें होती हैं प्रारंभिक अवस्था ( beginning stage), मध्य अवस्था (middle stage) तथा अंतिम अवस्था (closing stage)। इन अवस्थाओं की व्याख्या के पूर्व दो बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। पहली बात यह है कि इसमें अत्यधिक सरलीकरण (over simplification) की विशेषता पाई जाती है। दूसरी बात यह कि सभी परिस्थितियों या सभी साक्षात्कारों में इन तीनों अवस्थाओं का होना अनिवार्य नहीं है। फिर भी अधिकांश परिस्थितियों या साक्षात्कारों के अधि कांश प्रकारों में ये तीनों अवस्थायें या चरण (steps ) शामिल होते हैं।
प्रारंभिक अवस्था में साक्षात्कारकर्त्ता उत्तरदाता से रागात्मक संबंध स्थापित करता है। मध्य अवस्था में चिकित्सक रोग का वास्तविक निदान शुरू करता है तथा समापन की अवस्था में रोगी साक्षात्कार को अंतिम रूप देता है तथा रोगी से उपयुक्त तरीके से संबंध विच्छेद करता है।
10. मनोविदलता के कारणों का वर्णन करें।
उत्तर⇒ मनोविदलता एक जटिल मानसिक रोग है, अतः इसके अनेक कारण हैं।
(i) वंशानुक्रम ⇒ कुछ मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, इस मानसिक रोग का कारण कम है।
(ii) गलत अभियोजन एडोल्फ मेयर ने जीवन को असफलता और वर्तमान परिस्थितियों के साथ गलत अभियोजन को इस मानसिक रोग का कारण के रूप में स्वीकार किया है।
(iii) मनोलैंगिक विकास – प्रसिद्ध मनोविश्लेषक फ्रायड (Freud) में मनोविदलता की उत्पत्ति में मनोलैंगिक विकास को आधार माना है।
(iv) निराशा एवं अन्नाईन्द्र कुछ मनोवैज्ञानिकों ने अपने अध्ययनों में देखा कि अन्य मानसिक बीमारियों की तरह निराशा और अन्तर्द्वन्द्र इस मानसिक रोग का भी कारण है।
(v) सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारण मनोविदलता के कारणों की व्याख्या कुछ मनोवैज्ञानिकों ने सामाजिक आर्थिक एवं सांस्कृतिक आधार पर करने का प्रयास किया है।
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