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Geography Subjective Question Class 12th Bihar Board
1. सामूहिक कृषि का वर्णन करें। (Explain collective farming. )
उत्तर – सामूहिक कृषि में उत्पादन के साधनों का स्वामित्व संपूर्ण समाज एवं सामूहिक श्रम पर आधारित होता है। सभी कृषक अपने संसाधन जैसे- भूमि, पशुधन एवं श्रम को मिलाकर कृषि कार्य करते हैं। ये अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भूमि का छोटा-सा भाग अपने अधिकार में भी रखते हैं। सरकार उत्पादन का वार्षिक लक्ष्य निर्धारित करती है एवं उत्पादन को सरकार ही निर्धारित मूल्य पर खरीदती है। कृषि का यह प्रकार पूर्व सोवियत संघ में प्रारंभ हुआ था, जहाँ इसको “कोलखहोज” का नाम दिया गया।
2. बाजारी सब्जी कृषि नगरीय क्षेत्रों के समीप ही क्यों की जाती है? (Market gardening is practised near urban areas only. Why?)
उत्तर – बाजारी सब्जी कृषि में अधिक मुद्रा मिलने वाली सब्जियों के अतिरिक्त फल और
फूल की खेती होती है। इसमें गहन श्रम एवं अधिक पूँजी लगती है तथा इन्हें खराब होने से बचाने के लिए शीघ्र बाजार में पहुँचाया जाता है। इनकी माँग नगरीय केन्द्रों में अधिक है, जहाँ ऊँची आय वाले उपभोक्ता रहते हैं। नगरों में इन्हें शीघ्र पहुँचाने के लिए इनकी खेती नगरीय क्षेत्रों के समीप की जाती हैं।
3. बारानी या वर्षा आधारित कृषि से आप क्या समझते हैं? (What do you understand by rainfed agriculture farming?)
उत्तर – बारानी या वर्षा आधारित कृषि उस कृषि को कहते हैं, जिसमें सिंचाई का सहारा नहीं लिया जाता है और केवल वर्षा के सहारे खेती की जाती है। इसके दो प्रकार हैं— शुष्क भूमि कृषि और आर्द्र भूमि कृषि | भारत में 75 सेमी० से कम वर्षा वाले शुष्क क्षेत्र में रागी, बाजरा, मूँग, चना, ज्वार इत्यादि शुष्कता को सहने में सक्षम फसलें उगाई जाती हैं। इन क्षेत्रों में आर्द्रता संरक्षण तथा वर्षा जल के प्रयोग की अनेक विधियाँ अपनाई जाती है। आर्द्र कृषि के अंतर्गत वर्षा ऋतु में चावल, जूट, गन्ना इत्यादि खेती वर्षा पर आधारित होती है।
4. कोको के बारे में आप क्या जानते हैं? (What do you mean by cocoa?)
उत्तर – कोको एक कृषि उत्पाद है, जिससे चॉकलेट, सॉफ्ट ड्रिंक (कोका कोला ) इत्यादि बनाया जाता है। इसका उत्पादन पश्चिमी अफ्रीका विशेषकर घाना में होता है। फ्रांसवासियों ने यहाँ इसकी पौधा लगाई थी। इसकी खेती रोपण कृषि के अंतर्गत उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में होती है।
5. भू-निम्नीकरण से आप क्या समझते हैं? (What do you mean by land degradation ?)
उत्तर – भू-निम्नीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें भूमि खेती के अयोग्य बनती इसके जिम्मेवार तत्त्व निम्नलिखित हैं (i) खनन, (ii) अति पशुचारण, (iii) जलाक्रांतता, (iv) औद्योगीकरण ।
6. भारत के चार प्रमुख लौह-इस्पात उद्योग केंद्रों के नाम लिखें। (Name four important centres of iron and steel industry of India.)
उत्तर- भारत के चार प्रमुख लौह-इस्पात उद्योग केंद्रों के नाम निम्नलिखित हैं
(i) “टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी” (TISCO) (ii) “इंडियन आयरन एण्ड स्टील कंपनी ” (IISCO) (iii) विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील लिमिटेड (VISL) (iv) भिलाई (छत्तीसगढ़), राउरकेला (उड़ीसा) और दुर्गापुर ( पश्चिम बंगाल) के अतिरिक्त बोकारो (झारखंड), सलेम (तमिलनाडु), विशाखापटनम (आंध्र प्रदेश) और विजयनगर (कर्नाटक) में “स्टील ऑथरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) ।
7. आधारभूत उद्योग क्या हैं? उदाहरण दें। (What is basic industry ? Give example.)
उत्तर – वे उद्योग जिनके उत्पाद को अन्य वस्तुएँ बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयोग में लाया जाता है उन्हें आधारभूत उद्योग कहते हैं। जैसे— लोहा-इस्पात, वस्त्रोद्योग, चीनी उद्योग इत्यादि में प्रयोग में लाया जाता है। इन उद्योगों को चलाने वाली मशीने भी लोहा-इस्पात से बनती है।
Bihar Board 12th Geography Important Questions
8. कुटीर उद्योग एवं लघु उद्योग में अन्तर स्पष्ट कीजिए। (Distinguish between cottage industry and small scale industry.)
उत्तर- कुटीर उद्योग या गृह उद्योग निर्माण की सबसे छोटी इकाई है। इसमें शिल्पकार स्थानीय कच्चे माल का उपयोग करते हैं एवं साधारण औजारों द्वारा परिवार के सदस्य मिलकर वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। तैयार माल का या तो वे स्वयं उपभोग करते हैं या इसे स्थानीय गाँव के बाजार में विक्रय कर देते हैं। इस उद्योग से दैनिक जीवन के उपयोग में आने वाली वस्तुओं जैसे खाद्य पदार्थ, कपड़ा, चटाइयाँ, बरतन, औजार, फर्नीचर, जूते एवं छोटी मूर्तियाँ उत्पादित की जाती हैं।
लघु उद्योग कुटीर उद्योग से भिन्न होता है। इसमें भी स्थानीय कच्चे माल का उपयोग होता है, किंतु इसका कारखाना घर बाहर रहता है एवं अर्द्धकुशल श्रमिक तथा शक्ति के साधनों से चलने वाले यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। रोजगार के अवसर इसमें अधिक होते हैं। भारत, चीन, इंडोनेशिया एवं ब्राजील जैसे देश अपनी जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए इस प्रकार के उद्योगों में बिजली, इलेक्ट्रानिक खिलौने, मशीनों के पुर्जे, वस्त्र इत्यादि का निर्माण कर रहे हैं।
9. स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को वर्गीकृत करें। (Classify industries on the basis of ownership.)
उत्तर – स्वामित्व के आधार पर उद्योगों के निम्नलिखित चार वर्ग हैं—
(i) सार्वजनिक (ii) निजी (iii) सहकारी और (iv) संयुक्त।
10. अलौह धातुओं के नाम बताएँ और उनके स्थानिक वितरण की चर्चा करें। (Name non-ferrous metals and discuss their distribution.)
उत्तर- अलौह धातुएँ वे धातु हैं, जिनमें लोहे का अंश नहीं होता, जैसे— बॉक्साइट, ताँबा,
सोना, चाँदी, सीसा, जस्ता इत्यादि । इनमें बॉक्साइट और ताँबा के निक्षेप भारत में महत्त्वपूर्ण हैं। बॉक्साइट – बॉक्साइट का उपयोग एलुमिनियम बनाने में किया जाता है । उड़ीसा बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक है, जहाँ कालाहांडी और संभलपुर अग्रणी क्षेत्र हैं। बोलनगीर और कोरापुट अन्य क्षेत्र हैं। इनके अतिरिक्त झारखंड के लोहरदगा और पलामू, गुजरात के भावनगर और जामनगर, छत्तीसगढ़ में अमरकंटक पठार, मध्यप्रदेश में कटनी, जबलपुर और बालाघाट और महाराष्ट्र के कोलाबा, थाणे, रत्नागिरी, सतारा, पुणे तथा कोल्हापुर महत्त्वपूर्ण उत्पादक हैं।
ताँबा – ताँबा निक्षेप मुख्यत: झारखंड के सिंहभूम, मध्यप्रदेश के बाला घाट तथा राजस्थान के झुंझुनु एवं अलवर जिलों में पाये जाते हैं। ताँबा एक बहुत उपयोगी खनिज है, जिससे विद्युत् उपकरण, नित् की मोटरें, ट्रांसफार्मर, जेनरेटर्स इत्यादि बनता है।
11. गुजरात के चार प्रमुख सूती वस्त्र उद्योग केन्द्रों के नाम लिखें।(Name four important centre of cotton textile Industry of Gujrat.)
उत्तर – गुजरात – भारत का दूसरा सबसे बड़ा वस्त्र उत्पादक राज्य है। अहमदाबाद सूती वस्त्रों की राजधानी है। इस नगर में 72 मिलें हैं। अन्य महत्त्वपूर्ण केंद्र बड़ोदरा, सूरत, भावनगर, पोरबंदर, राजकोट तथा भड़ौच हैं।
12. सूती वस्त्रोद्योग के दो सेक्टरों के नाम बताइये। वे किस प्रकार भिन्न हैं? (Name the two sectors of cotton textiles industry. How are they different ?)
उत्तर- भारत में सूती वस्त्रोद्योग को दो सेक्टरों में बाँटा जा सकता है संगठित सेक्टर और
विकेंद्रित सेक्टर
(i) संगठित सेक्टर- इसके अंतर्गत मिल उद्योग आते हैं। मिल के द्वारा सूती वस्त्र का उत्पादन भी तीन सेक्टरों में होता है— सार्वजनिक सेक्टर, सहकारी सेक्टर और निजी सेक्टर। 1998 ई० में भारत में 1782 मिलें थीं, जिनमें से 192 सार्वजनिक सेक्टर में, 151 सहकारी सेक्टर में और सबसे अधिक 1439 मिलें निजी सेक्टर में थी। संगठित सेक्टर के उत्पादनों में तेजी से कमी आई है। यह 20वीं शताब्दी के मध्य में 81% से घटकर 2000 में केवल 6% रह गया है।
(ii) विकेंद्रित सेक्टर – विकेंद्रित सेक्टर के अंतर्गत हथकरघों (खादी सहित) और विद्युत् करघों में उत्पादित कपड़ा आता है। विकेंद्रित बिजली करघा क्षेत्र देश की माँग पूरी करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। देश में उत्पादित सूती वस्त्र का 59.2% विकेंद्रित सेक्टर में विद्युत् करघों द्वारा और लगभग 19% हथकरघा द्वारा उत्पादित किया जाता है।
13. “चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग क्यों है?” (Why is sugar industry a seasonal industry?)
उत्तर – भारत और अन्य ऊष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में चीनी उद्योगों का कच्चा माल गन्ना है। गन्ना एक भार ह्रास वाली फसल है। खेतों में काटकर एकत्रित करने से लेकर ढुलाई की अवधि तक इसमें सुक्रोज की मात्रा सूखती रहती है। गन्ने के खेत से काटने के 24 घंटे के अंदर तक ही पेरा जाए तो अधिक चीनी की मात्रा प्राप्त होती है। इस कारण गन्ने का भंडारण लंबे समय तक नहीं हो सकता है। गन्ना एक मौसमी फसल है, जिसे निश्चित अवधि में ही काटा जाता है। अतः गन्ने की पेराई की अवधि निश्चित होती है और चीनी मिले कुछ ही महीनों तक चलती है। इस कारण चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग है।
14. पेट्रो- रासायनिक उद्योग के लिए कच्चा माल क्या है? इस उद्योग के कुछ उत्पादों के नाम बताइये। (What is the raw material base for petro-chemical industry? Name some products of this industry.)
उत्तर – पेट्रो रसायन उद्योग का कच्चा माल, कच्चा खनिज तेल या अपरिष्कृत पेट्रोल (crude
petrol) है। कच्चे पेट्रोलियम से अनेक वस्तुएँ प्राप्त की जाती हैं, जिनका अनेक नये उद्योगों में कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है। इन सभी को सम्मिलित रूप से पेट्रो रसायन उद्योग कहा जाता है।
परंपरा के अनुसार पेट्रो रसायन में अनेक उत्पाद जैसे प्लास्टिक, कृत्रिम धागे तथा उनसे बनी वस्तुएँ, कृत्रिम रबड़, पटाखा इत्यादि को शामिल किया जाता है। पेट्रो रसायन उद्योग से बनी अनेक चीजों का इस्तेमाल हम अपने दैनिक जीवन में करते हैं। इनके कुछ उदाहरण हैं, कृत्रिम रेशम के कपड़े, टूथ ब्रश, साबुनदानी, पेस्ट का ढक्कन, प्लास्टिक के मग, बाल्टी, रेडियो के केस, सनमाइका, डिटर्जेंट, बाल प्वाइंट पेन, बिजली के स्विच, कीटनाशक, दूध की थैलियाँ इत्यादि ।
BSEB Geography Subjective Question Class 12th
15. आधुनिक निर्माण उद्योग की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?(What are the special features of modern manufacturing industry?)
उत्तर- आधुनिक निर्माण उद्योग बड़े पैमाने के उद्योग होते हैं, जिनमें प्लांट और मशीनरी में भारी पूँजी लगी होती है और उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। इन उद्योगों की अनेक विशेषताएँ होती हैं, जिनमें उत्पादन की विधि में कौशल का विशिष्टीकरण, मशीनों का उपयोग, प्रौद्योगिकीय अभिनव परिवर्तन, बहुराष्ट्रीय कंपनियों का सहयोग, उत्पादन का वाह्य स्रोतीकरण, परिष्कृत और उच्चतम प्रौद्योगिकी के उत्पाद, भारी मात्रा में ऊर्जा का उपयोग, विशाल संगठन इत्यादि सम्मिलित है।
16. बंगलुरू भारत का सिलिकन सिटी है। क्यों? ( Bengaluru is the silicon city of india. Why ? )
उत्तर- संयुक्त राज्य अमेरिका की सिलिकन घाटी उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है जिसमें उन्नत वैज्ञानिक एवं इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्माण गहन शोध एवं विकास के प्रयोग के द्वारा किया जाता है। इसी प्रकार भारत में बंगलुरू सूचना प्रौद्योगिकी या उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग का मुख्य केन्द्र है, जहाँ देश का सर्वप्रथम सॉफ्टवेयर पार्क स्थित हैं। यहाँ की देशी कंपनियों को अपनी गुणवता के कारण अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति मिली है। इसी कारण बंगलुरू को भारत का इलेक्ट्रॉनिक उद्योग की राजधानी तथा सिलिकन सिटी कहा जाता हैं।
17. लोहा-इस्पात उद्योग किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार है, ऐसा क्यों ? (The Iron & Steel Industry is basic to the industrial development of any country. Why ?)
उत्तर – लोहा – इस्पात उद्योग आधुनिक युग का आधारभूत उद्योग है। यह अन्य उद्योगों का जनक है। इससे विभिन्न कल-कारखानों के लिए मशीन एवं संयंत्र, कृषि के उपकरण तथा परिवहन के साधन बनाये जाते हैं। इसके विभिन्न उत्पाद अन्य उद्योगों के लिए कच्चा माल हैं। लोहे के उपयोग के बिना हम न तो ट्रैक्टर, ट्रेलर, थ्रेसर, हल, कुदाल इत्यादि कृषि के औजार बना सकते हैं और न रेल की पटरी, रेल के डिब्बे, इंजन, वायुयान, जलयान, मोटर गाड़ी, साइकिल, इत्यादि परिवहन के साधन ही भारतीय उद्योग के लगभग सभी सेक्टर अपनी मूल आधारित अवसंरचना के लिए मुख्य रूप से लोहा-इस्पात उद्योग पर निर्भर करते हैं। वास्तव में, लोहा-इस्पात उद्योग के विकास ने भारत में तीव्र औद्योगिक विकास के दरवाजे खोल दिए हैं।
18. नोएडा एवं बरौनी के महत्त्व का उल्लेख करें। (Mention the significance of NOIDA and BARAUNI.)
उत्तर – नोएडा गुड़गाँव – दिल्ली-मेरठ औद्योगिक प्रदेश का एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र है जो दिल्ली से सटे स्थित है। यह छोटे और बाजार उन्मुख विद्युत, इंजीनियरिंग के हल्के सामान और इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में महत्त्वपूर्ण हैं। यह सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक में अपनी पहचान • बना चुका है। बरौनी बिहार में गंगा नदी के उत्तर स्थित है। यह दक्षिण और मध्य बिहार से राजेन्द्र पुल से जुड़ा हुआ है । यह एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केन्द्र है, जहाँ तेलशोधक कारखाना, पेट्रो- रसायन, ताप विद्युत, रासायनिक खाद और दुग्ध उद्योग विकसित है। यह उत्तर बिहार का एक महत्त्वपूर्ण रेलवे जंक्शन भी हैं।
19. जमशेदपुर एवं पुणे शहर के महत्त्व का उल्लेख करें।(Describe the importance of Jamshedpur and Pune town.)
उत्तर – जमशेदपुर भारत का एक महत्त्वपूर्ण लौह-इस्पात उद्योग का केंद्र है। यह झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला में स्वर्ण रेखा और खरकई नदी के संगम पर तथा कोलकाता – मुम्बई रेलमार्ग पर लौह अयस्क, कोयला, चूना पत्थर, मैंगनीज इत्यादि खनिज पदार्थों के क्षेत्र में स्थित है। इस शहर में टिस्को (टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी), टेल्को (टाटा इंजीनियरिंग एण्ड लोकोमोटिव कंपनी लिमिटेड) इत्यादि स्थित है। यहाँ लोहा-इस्पात के अतिरिक्त, मध्यम तथा भारी व्यापारिक वाहन, रेल का इंजन इत्यादि का निर्माण होता है।
पुणे महाराष्ट्र का एक महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र, दस लाखी नगर तथा औद्योगिक एवं शैक्षणिक नगर है। यह सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक उद्योग का केंद्र है। यहाँ सूती वस्त्र, चीनी, उत्तम कोटि के साबुन तथा डिटर्जेंट इत्यादि का निर्माण होता है। यह शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गया है, जहाँ पुणे विश्वविद्यालय के अतिरिक्त अनेकों इंजीनियरिंग एवं अन्य तकनीकी संस्थान है। पुणा का फिल्म इंस्टीच्यूट बहुत प्रसिद्ध है।
20. भारत की 1991 ई० की नयी औद्योगिक नीति के तीन मुख्य उद्देश्यों को लिखिए। (Write three main aims of 1991 new industrial policy of India.)
उत्तर- भारत की नयी औद्योगिक नीति की घोषणा 1991 ई० में की गई। इसके तीन मुख्य उद्देश्य थे
(i) अब तक प्राप्त किए गए लाभ को बढ़ाना,
(ii) इसमें विकृति अथवा कमियों को दूर करना और (iii) उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के लक्ष्य को ध्यान में रखकर उत्पादकता और लाभकारी रोजगार में स्वपोषित वृद्धि को बनाए रखना और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त करना।
21.पत्तन और पोताश्रय में अंतर बताइए। (Distinguish between port and harbour.)
उत्तर –पत्तन (Port) तट पर स्थित वह स्थान है, जहाँ गोदियाँ, जहाज घाट और लंगर डालने की सुविधाएँ होती हैं । यहाँ समुद्री मार्गों से भारी मात्रा में माल आता है, जिसको पृष्ठ प्रदेश में वितरित किया जाता है। पृष्ठ प्रदेश का माल भी यहाँ आता है और समुद्री मार्गों द्वारा उसे विदेशों या देश के अन्य समुद्री तटों पर भेजा जाता है।
इसके विपरीत पोताश्रय या बन्दरगाह ( Harbour) समुद्र का आंशिक रूप से स्थल से घिरा भाग होता है, जैसे निवेशिका (Creek), ज्वारनदमुख (Estuary), समुद्र अंतर्गम (Inlet) इत्यादि । यह जहाजों को खुले समुद्र की तूफानी ऊँची-नीची और तेज गति वाली लहरों से सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है। पोताश्रय प्राकृतिक भी होते हैं और कृत्रिम भी । प्राकृतिक बन्दरगाह के लिए तटरेखा का दंतुरित अथवा कटा-फटा होना जरूरी है। कृत्रिम बंदरगाह जल को दो ओर से घेर कर बनाया जाता है। बंदरगाह में जहाज मरम्मत के लिए कई दिनों तक खड़े रहते हैं।
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