Subjective Question Answer History Class 10th | Class 10th भारत में राष्ट्रवाद Subjective Question Answer

Subjective Question Answer History Class 10th :- दोस्तों यदि आप Class 10th Social Science Subjective Questions की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको 10th History ( भारत में राष्ट्रवाद ) Ka Subjective दिया गया है जो आपके 10th History Ka Question Answer Board Exam के लिए काफी महत्वपूर्ण है | BSEB 10th & 12th App


Subjective Question Answer History Class 10th

1. सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या परिणाम हुए?

उत्तर सविनय अवज्ञा आंदोलन के परिणाम-

(१) इस आंदोलन ने राष्ट्रीय आंदोलन के सामाजिक आधार का विस्तार किया। इस आंदोलन में महिलाओं, मजदूर वर्ग,शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के निर्धन व अशिक्षित लोगों की भागीदारी मिली।इस आंदोलन में श्रमिक एवं कृषक आंदोलन को प्रभावित किया।

(२) इस आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी विशेष महत्व रखती है, क्योंकि महिलाओं का प्रवेश सार्वजनिक जीवन में होने लगा। इस आंदोलन में पहली बार महिलाओं की भागीदारी वृहद स्तर पर देखते हैं।

(३) इस आंदोलन ने समाज के विभिन्न वर्गों का राजनीतिकरण किया।

(४)इस आंदोलन के अंतर्गत आर्थिक बहिष्कार ने ब्रिटिश आर्थिक हितों को प्रभावित किया,इसके कारण ब्रिटिश वस्तुओं के आयात में गिरावट आई तथा अन्य वस्तुओं के आयात प्रभावित हुए। स्वदेशी करण को बढ़ावा मिला।

(५) इस आंदोलन में संगठन बनाने के लिए नए तरीकों का इस्तेमाल हुआ, जैसे-वानर सेना एवं मंजरी सेना इत्यादि। प्रभात फेरी का आयोजन कर तथा पत्र-पत्रिकाओं का इस्तेमाल करके भी लोगों को संगठित करने का एक नया तरीका अपनाया गया।

(६) इस आंदोलन का एक मुख्य परिणाम था ब्रिटिश सरकार द्वारा 1935 में भारत शासन अधिनियम कब पारित किया जाना।

(७) पहली बार ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस से समानता के आधार पर बातचीत की।


2. प्रथम विश्वयुद्ध के किंही दो कारणों का वर्णन करें।

उत्तर युद्ध के दो कारण थे-यूरोपीय शक्ति का संतुलन बिगड़ना तथा साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा। 1871 के बाद जर्मनी इंग्लैंड और फ्रांस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया। साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा और जोगी क्रांति के परिणाम स्वरूप उत्पन्न निवेशक व्यवस्था बनाए रखने के लिए हुई।


3. रौलट एक्ट क्या था? इसने राष्ट्रीय आंदोलन को कैसे प्रभावित किया?

उत्तर भारत के क्रांतिकारी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए 1919 में यह एक्ट पारित किया गया। इसके अनुसार संदेह के आधार पर ही किसी को गिरफ्तार कर बिना मुकदमा चलाए दंडित किया जा सकता था। भारतीयों में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई। इसे काला एक्ट कहा गया। इसका घोर विरोध किया गया इसी के विरोध के फलस्वरूप जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ।


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4. असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन था; कैसे?

उत्तर सितंबर 1920 में कोलकाता में आयोजित विशेष अधिवेशन में असहयोग आंदोलन का निर्णय लिया गया। इसका नेतृत्व गांधी जी ने किया। यह प्रथम जन आंदोलन था। इस आंदोलन के मुख्यतः तीन कारण से-खिलाफत का मुद्दा, पंजाब में सरकार की बर्बर कार्रवाई यों के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना और अंततः स्वराज्य की प्राप्ति करना।
इस आंदोलन में दो तरह के कार्यक्रमों को अपनाया गया एक प्रस्तावित कार्यक्रम तथा दूसरा रचनात्मक कार्यक्रम ।
असहयोग आंदोलन के प्रस्तावित कार्यक्रम इस प्रकार थे-

(१) सरकारी उपाध्याय एवं अवैतनिक सरकारी पदों को छोड़ दिया जाए।
(२)सरकारी तथा अर्ध सरकारी उत्सव का बहिष्कार किया जाए।
(३) स्थानीय संस्थाओं की सरकारी सदस्यता से इस्तीफा दिया जाए।
(४) सरकारी स्कूलों एवं कालेजों का बहिष्कार,वकीलों द्वारा न्यायालय का बहिष्कार किया जाए तथा आपसी विवाद पंचायती अदालतों द्वारा निपटाया जाए।
(५)असैनिक श्रमिक व कर्मचारी वर्ग मोर्चा टामिया में जाकर नौकरी करने से इंकार करें तथा विदेशी सामानों का पूर्णत: बहिष्कार करें।

असहयोग आंदोलन के रचनात्मक कार्यक्रम के अंतर्गत शराब का बहिष्कार, हिंदू मुस्लिम एकता एवं अहिंसा पर बल, छुआछूत से परहेज, स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग, हाथ से बुने खादी का प्रयोग, कड़े कानूनों के खिलाफ सविनय अवज्ञा करना, कर नहीं देना, राष्ट्रीय विद्यालय एवं कॉलेजों की स्थापना करना शामिल था।


5. बिहार के किसान आंदोलन पर एक टिप्पणी लिखें।

उत्तर 1920 के दशक में किसानों ने अपने वर्गीय संगठनों तथा राजनीतिक दलों के रूप में संगठित करना आरंभ कर दिया था। इसके पीछे किसानों के प्रति कांग्रेस की उदासी नीति तथा समय वादी तथा अन्य वामपंथी दलों द्वारा किसानों में वर्गीय चेतना उत्पन्न करने के कारण किसान सभाओं का गठन हुआ,1920 के आरंभिक दशक में बिहार, बंगाल, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में किसान सभा का गठन हुआ। बिहार में 1922-23 मैं मुंगेर में शाह मोहम्मद जावेद की अध्यक्षता में किसान सभा की स्थापना हुई। मार्च 1928 में बिहटा (Patna) मैं स्वामी सहजानंद सरस्वती ने किसान सभा की औपचारिक स्थापना की। नवंबर 1929 में सोनपुर में श्रीकृष्ण से इसके सचिव तथा यमुना कायर थी श्री गुरु नानक श्री गुरु लाल एवं कैलाश लाल इसके प्रमंडलीय सचिव बने। 11 अप्रैल 1936 ईस्वी को अखिल भारतीय किसान सभा का गठन लखनऊ में हुआ। 1936 में बिहार में बकाश्त भूमि (स्वयं ज्योति हुई भूमि) के विरुद्ध आंदोलन शुरू हुआ,जिसे कांग्रेस ने उन्हें 1937 के फैजपुर अधिवेशन में मुख्य मांग के रुप में जोड़ा।


6. चंपारण सत्याग्रह के बारे में बताएं? अथवा,चंपारण आंदोलन कब हुआ तथा इसके क्या कारण थे?

उत्तर बिहार में नीलहो द्वारा नील की खेती के लिए तीन कठिया व्यवस्था लागू की गई थी जिसके अनुसार प्रत्येक किसान को अपनी कुल भूमि के 3/20 हिस्से या 15% भूभाग पर नील की खेती करनी होती थी। इसी व्यवस्था के खिलाफ 1917 में सत्याग्रह शुरू हुआ। गांधी जी के आगमन एवं उनके प्रयास के बाद किसानों को राहत दी गई। गांधी जी के प्रयास से चंपारण सत्याग्रह सफल हुआ।


7. साइमन कमीशन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। अथवा, साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया? भारतीयों ने इसका विरोध क्यों किया?

उत्तर 1919 के भारत सरकार अधिनियम में यह व्यवस्था की गई थी कि 10 वर्ष के बाद एक ऐसा आयोग नियुक्त किया जाएगा जो इस बात की जांच करेगा कि इस अधिनियम में कौन-कौन से परिवर्तन संभव हैं। अतः ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने समय से पूर्व सर जॉन साइमन के नेतृत्व में 8 नवंबर, 1927 को साइमन कमीशन की स्थापना की। इसके सभी 7 सदस्य अंग्रेज थे। इस कमीशन का उद्देश्य संवैधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था। इस कमीशन में किसी भी भारतीयों को शामिल नहीं किया गया जिसके कारण भारत में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ। विरोध का एक और मुख्य कारण यह भी था कि भारत के शासन के संबंध में निर्णय विदेशियों द्वारा किया जाना था। 3 फरवरी, 1928 को मुंबई पहुंचने पर साइमन कमीशन का स्वागत हड़तालों , प्रदर्शन और काले झंडों से हुआ तथा साइमन कमीशन वापस जाओ के नारे लगाए गए। साइमन कमीशन की नियुक्ति से भारतीय दल में व्याप्त आपसी फूट एवं मतभेद की स्थिति से उबरने एवं राष्ट्रीय आंदोलन को उत्साहित करने में सहयोग मिला।


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8. खिलाफत आंदोलन का कारण बतावे। अथवा , खिलाफत आंदोलन क्यों हुआ?

उत्तर तुर्की के सुल्तान को खलीफा कहा जाता था। यह इस्लामिक संसार का मालिक माना जाता था। प्रथम विश्व युद्ध में इंग्लैंड के हाथों जब तुर्की की पराजय हुई तो तुर्की के सुल्तान को सत्ता से हटा दिया गया। भारतीय मुसलमानों ने इसका विरोध किया। इसे खिलाफत आंदोलन कहते हैं।


8. रौलट एक्ट क्या था?

उत्तर भारत में क्रांतिकारियों को बढ़ते प्रभाव को समाप्त करने के लिए रौलट एक्ट लाया गया। इसके अनुसार भारत सरकार किसी भी भारतीय को गिरफ्तार कर उस पर बिना मुकदमा चलाए बंदी गृह में रख सकता था। भारतीयों ने इस कानून का तीव्र विरोध किया।


9. दांडी यात्रा का उद्देश्य था?

उत्तर दांडी यात्रा का उद्देश्य था कि समुद्र के पानी से नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन करना तथा ब्रिटिश कानून के भय को भारतीय जनता के अंदर से निकालना था।


10. मेरठ षड्यंत्र से आप क्या समझते हैं?

उत्तर  मार्च 1929 में सरकार ने 31 श्रमिक नेताओं को बंदी बनाकर मेरठ लाया तथा उन पर मुकदमा चलाया गया। इन पर आरोप था कि यह सम्राट को भारत की प्रभुसत्ता से वंचित करने का प्रयास कर रहे थे। इन नेताओं में मुजफ्फर अहमद, एस ए डांगे, शौकत उस्मानी, फिलिप सम्राट तथा ब्रेनवैली मुख्य थे।


11. जलियांवाला बाग हत्याकांड का वर्णन संक्षेप में करें।

उत्तर रौलट एक्ट के विरोध में जनता पंजाब के अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में इकट्ठी हुई। 13 अप्रैल 1919 को इस निहत्थे लोगों पर जनरल ओ डायर ने अंधाधुंध गोलियां बरसा दी, जिससे हजारों लोग मारे गए। इससे सर्वत्र हाहाकार मच गया। विश्व भर में इस घटना की निंदा शुरू हो गई।


12. राष्ट्रवाद का क्या अर्थ है?

उत्तर राष्ट्रवाद का शाब्दिक अर्थ है राष्ट्रीय चेतना का उदय। ऐसी राष्ट्रीय चेतना का उदय जिसमें आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक एकीकरण महसूस हो सके।


13. असहयोग आंदोलन क्यों वापस लिया गया?

उत्तर 5 फरवरी 1922 ईस्वी को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा में राजनीतिक जुलूस पर पुलिस द्वारा फायरिंग के विरोध में भीड़ ने थाना पर हमला कर दिया जिसमें 22 पुलिसकर्मी की जान चली गई। आंदोलन के हिंसक हो जाने के कारण 12 फरवरी 1922 को गांधी जी ने आंदोलन वापस ले लिया।


14. सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारणों को लिखे।

उत्तर सविनय अवज्ञा आंदोलन के निम्नलिखित कारण-साइमन कमीशन का बहिष्कार, नेहरू रिपोर्ट अस्वीकार किया जाना, 1929-30की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी, भारत में समाजवाद के बढ़ते प्रभाव, क्रांतिकारी आंदोलनों में उभार का आना,1929 में कांग्रेस अधिवेशन द्वारा पूर्ण स्वराज्य की मांग तथा गांधी जी की 11 सूत्री मांगों को इरविन ने मानने से इनकार कर दिया।


15. बारदोली सत्याग्रह का कारण क्या था? क्या यह सत्याग्रह सफल रहा?

उत्तर ⇒  गुजरात में स्थित बारदोली के किसानों ने सरकार द्वारा बदले गए कर के विरोध में बल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में सत्याग्रह किया। पटेल ने किसानों के लगान में हुई 22% की कर वृद्धि का विरोध किया तथा सरकार से मांग की कि सरकार प्रस्तावित लगान में वृद्धि को वापस ले। सरदार पटेल ने इस आंदोलन को संगठित किया तथा बारदोली पत्रिका के माध्यम से इसका प्रसार किया। कई बौद्धिक संगठन बनाए गए। आंदोलन का विरोध करने वालों का सामाजिक बहिष्कार किया जाने लगा। इस आंदोलन में महिलाओं की भी सक्रिय भागीदारी रही। आंदोलन के समर्थन में के के एम मुंशी तथा लालजी नारंगी ने मुंबई विधान परिषद की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। अगस्त 1928 तक पूरे क्षेत्र में आंदोलन सक्रिय रूप से फैल चुका था। सरदार पटेल की गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए गांधीजी 2 अगस्त 1928 को वर्दोली पहुंचे। गांधीजी के प्रभाव के कारण सरकार ने लगान में वृद्धि को गलत बताया और बढ़ोतरी 22% से घटाकर 6.03% कर दी। बारदोली सत्याग्रह के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. राष्ट्रवाद के उदय के कारणों एवं परिणामों की चर्चा करें।

उत्तर राष्ट्रवाद के उदय और विकास के प्रभावी कार्य को एवं शक्तियों की विवेचना निम्नलिखित प्रकार से की जा सकती है-

(१) सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन -19वीं सदी के धार्मिक एवं सामाजिक सुधार आंदोलनों ने राष्ट्रवाद उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। ब्रह्म समाज, आर्य समाज, रामकृष्ण मिशन तथाथियोसॉफिकल सोसायटी जैसी संस्थाओं ने हिंदू धर्म में प्रचलित बुराइयों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया। अंधविश्वास, धार्मिक कुरीतियां तथा सामाजिक कुप्रथाएं, छुआछूत,बाल विवाह दहेज प्रथा एवं बालिका हत्या जैसी समस्याओं के समाधान के लिए जनमत तैयार करने में इन संस्थाओं ने सराहनीय कार्य किया। परिणाम स्वरूप,सुधार आंदोलनों ने राष्ट्रीयता की भावना जनमानस में कूट-कूट कर भरी ।

(२) आर्थिक शोषण – भारत में अंग्रेजों ने जो आर्थिक नीतियां अपनाई इसके परिणाम स्वरूप आर्थिक राष्ट्रवाद का उदय हुआ। ब्रिटिश आर्थिक नीति के तहत भारत में भू राजस्व की अत्यधिक वृद्धि हुई। इस व्यवस्था का विरोध एक तरफ किसानों ने किया तो दूसरी तरफ पुराने जमींदारों ने भी किया, क्योंकि स्थाई बंदोबस्त में ‘सूर्यास्त कानून’ के कारण पुराने जमींदारों द्वारा एक नियत समय पर भू राजस्व जमा नहीं करने पर उनकी जमीन दारी नीलाम कर दी जाती थी पूरा स्टॉप कृषि के व्यवसायीकरण के कारण किसानों का दौरा शोषण हुआ। एक और उनसे अधिकतम राजस्व वसूला गया तो दूसरी ओर इस राजस्व को आधा करने के लिए महाजनों के जाल में फंसते चले गए।

(३) तत्कालिक कारण – लॉर्ड लिटन का प्रतिक्रियावादी शासन राष्ट्रवाद का तत्कालीन कारण बना ,जैसे – (a) लिटन 1876 में सिविल सेवा परीक्षा की अधिकतम आयु सीमा 21 वर्ष से घटाकर 19 वर्ष कर दी। इससे भारतीयों के लिए इस नौकरी के दरवाजे लगभग बंद हो गए।
(b) 1877 ईस्वी में भारत में भयंकर अकाल पड़ा था। अकाल में लोगों को बचाने के बजाय खर्चीली दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया जिसमें विक्टोरिया को कैसर ए हिंद की उपाधि दी गई।

(C) 1878 में लिखने वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट पारित कर भारतीय भाषा समाचार पत्रों पर प्रतिबंध लगा दिया। इस एक्ट द्वारा अंग्रेजी समाचार पत्रों पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया।


2. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में गांधीजी के योगदान की विवेचना करें। अथवा भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी सर्वाधिक लोकप्रिय क्यों हुए? उनके राजनीतिक कार्यक्रमों पर संक्षिप्त चर्चा करें।

उत्तर भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में जितना योगदान गांधीजी का है संभवत: इतना किसी और भारतीय का नहीं है। 1919 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक या स्वतंत्रता प्राप्ति तक आप भारत की राजनीति पर इस प्रकार छाए रहे कि बहुत से इतिहासकारों ने इस काल को गांधी युग नाम दिया है। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं ।

(१)देश के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लेते हुए उन्होंने अन्य नेताओं का मार्गदर्शन भी किया। अपने अहिंसा की नीति अपनाकर शांतिपूर्ण ढंग से शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार को झुका दिया।

(२) आपने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए कोई सशक्त संघर्ष क्रांति नहीं की बल्कि असहयोग, सत्याग्रह, बहिष्कार, स्वदेशी आंदोलन आदि शांतिपूर्ण हथियारों का प्रयोग किया

(३)आपने हिंदू मुस्लिम एकता को बनाए रखने के लिए बहुत प्रयत्न किए ताकि अंग्रेजों द्वारा अपनाई गई ‘फुट डालो और राज करो, की संप्रदायिकता पूर्ण नीति सफल ना हो सके।

(४)आपने हरिजनों को पूर्ण सम्मान दिलाया और सदियों से उनके साथ होने वाले अन्याय को दूर किया।

(५)वास्तव में गांधी जी देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए सदा तैयार रहते थे ऐसा करते हुए कई बार गोलियों के बीच जाना पड़ा कई बार लाठियां खानी पड़ी और कई बार जेल जाना पड़ा। फिर भी वह अपने मार्ग पर डटे रहे और वीर सेनानी की भांति अपने देश की आजादी की लड़ाई में लगे रहे।

(६) उन्होंने महान नेतृत्व तथा बलिदान के फलस्वरूप अंग्रेज, उन्होंने जून 1948 ईस्वी को भारत छोड़ने की घोषणा की थी, इससे पहले ही 15 अगस्त 1947 ईस्वी को छोड़कर यहां से चले गए।

(७) यह महात्मा गांधी ही थे जिन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन को जन आंदोलन बना दिया।

(८) महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए आंदोलन जैसे- असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन आदि मैं अधिकतर जनसाधारण ही थे जिन्होंने बढ़ चढ़कर भाग लिया।

(९)महात्मा गांधी के नेतृत्व में जनता ने अपनी एकता की शक्ति को पहचाना। महात्मा गांधी ने ही साधारण लोगों में नए उत्साह का सृजन किया और उनमें आत्म बल पैदा किया। लोगों ने उनके नेतृत्व में रहकर कुर्बानी और आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ा और अपने देश को स्वतंत्र कराने में सफलता प्राप्त की ।

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3. जलियांवाला बाग में किस कानून के विरोध स्वरूप लोग इकट्ठे हुए थे? उस वक्त क्या घटना हुई थी? इस घटना की भारतीय जनमानस पर क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर (१) रोलेट एक्ट के विरोध लोग स्वरूप जलियांवाला बाग में इकट्ठे हुए थे। यह एक काला कानून था,जिसमें किसी भारतीय को बिना कारण बताए गिरफ्तार किया जा सकता था तथा मुकदमा चलाया जा सकता था।

(२) 9 अप्रैल ,1919 ईस्वी को दो स्थानीय नेताओं डॉक्टर सत्यपाल मलिक एवं किचलू को गिरफ्तार किया गया।

(३)इनकी गिरफ्तारी के विरोध स्वरूप 13 अप्रैल, 1919 ईस्वी को जलियांवाला बाग में गोलियां चली जिसमें निर्दोष लोग मारे गए।

(४) इस नरसंहार के विरोध में रविंद्र नाथ टैगोर ने ‘ नाइट ,की उपाधि त्याग दी। संकरण नायर ने वायसराय के कार्य समिति से इस्तीफा दे दिया। गांधी जी ने ‘ केसर ए हिंद ,की उपाधि त्याग दी।

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4.अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कैसे हुई? के प्रारंभिक उद्देश्य क्या थे?

उत्तर 19वीं शताब्दी के अंतिम चरण में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से ही भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को नई दिशा एवं गति मिली। हालांकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के पूर्व क्षेत्रीय स्तर पर भारत में कई संगठन स्थापित हो चुके थे, लेकिन अखिल भारतीय स्तर पर कोई राजनीतिक संगठन नहीं था जो भारतीय राष्ट्रवादी यों के लिए मार्ग प्रशस्त ई का काम कर सके।लॉर्ड लिटन द्वारा बनाए गए प्रेस अधिनियम और छात्र अधिनियम का भारतीयों द्वारा जबरदस्त विरोध किया गया जिसके कारण सरकार को प्रेस अधिनियम वापस लेना पड़ा था। राष्ट्र वादियों को लगने लगा कि संगठित होकर विरोध करना ज्यादा कारगर होगा। लॉर्ड रिपन के काल में हुए इल्बर्ट बिल विवाद का यूरोपियन द्वारा संगठित विरोध से प्राप्त विजय ने भारतीय राष्ट्र वादियों को संगठित होने का पर्याप्त कारण दे दिया। अतः,1883 के दिसंबर में इंडियन एसोसिएशन के सचिव आनंद मोहन बोस ने कोलकाता में नेशनल कांफ्रेंस नामक एक अखिल भारतीय संगठन का सम्मेलन बुलाया जिसका उद्देश्य राष्ट्र वादियों को एकजुट करना था। दूसरी तरफ एक रिटायर्ड ब्रिटिश अधिकारी ए ओ ह्यूम ने इस दिशा में प्रयास करते हुए 1884 में भारतीय राष्ट्रीय संघ की स्थापना की। इन्हें ब्रिटिश संसदीय कमेटी का भी समर्थन प्राप्त था। इसी संगठन का नाम बदलकर 1885 ईसवी में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कर दिया गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रारंभिक उद्देश्य निम्नलिखित थे-

(१)भारत के विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय हित के काम से जुड़े लोगों के संगठनों के बीच एकता की स्थापना का प्रयास

(२) देशवासियों के बीच मित्रता और सद्भावना का संबंध स्थापित कर धर्म, जाति, या प्रांतीय विद्वेष को समाप्त करना

(३)राष्ट्रीय एकता के विकास एवं सुदृढ़ीकरण के लिए हर संभव प्रयास करना तथा प्रार्थना पत्रों तथा समाचार पत्रों द्वारा वायसराय एवं उनकी काउंसिल से सुधारो हेतु प्रयास करना।


5. चंपारण सत्याग्रह का कारण लिखिए तथा इस सत्याग्रह में गांधी जी की भूमिका को लिखें।

उत्तर महात्मा गांधी के सत्याग्रह का आरंभ चंपारण से हुआ। गांधी जी ने इस आंदोलन में सत्य और अहिंसा को आधार बनाया था, इसलिए चंपारण सत्याग्रह भी कहा जाता है।
चंपारण में नील की खेती बहुत दिनों से होती थी पुलिस ने इस क्षेत्र में अंग्रेज बागान मालिकों को जमीन की ठेकेदारी दे दी गई थी। इन लोगों ने इस क्षेत्र में तीन कठिया प्रणाली लागू कर रखी थी। इसके अनुसार प्रत्येक किसान को अपनी खेती योग्य जमीन के 3/20 हिस्से या 15% हिस्से में नील की खेती करनी पड़ती थी जबकि किसान नील की खेती नहीं करना चाहते थे, क्योंकि इससे भूमि की उर्वरता कम हो जाती थी। इतना ही नहीं, किसान अपना नील बाहर नहीं भेज सकता था, उन्हें बाजार से कम मूल्य पर बागान मालिकों को ही नील बेचना पड़ता था। तीन कठिया व्यवस्था में 1908 में कुछ सुधार भी लाया गया, परंतु इससे किसानों को कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। जब जर्मनी के वैज्ञानिकों ने कृत्रिम नीले रंग का उत्पादन शुरू कर दिया तब विश्व बाजार में भारतीय नील की मांग गिर गई। जब नील का मूल्य घटने लगा तब बागान मालिकों ने इस क्षति की पूर्ति भी किसानों से ही करनी चाहिए। उन पर उनके प्रकार के नए कर लगा दिए गए। अगर कोई किसान नील की खेती से मुक्त होना चाहता था तो उसके लिए आवश्यक था कि वह बागान मालिक को एक बड़ी राशि सर्वेश या तवन के रूप में दे। बागान मालिकों की इस अत्याचार से चंपारण के किसान त्रस्त थे।

1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में चंपारण के किसान राजकुमार शुक्ला ने गांधीजी को चंपारण आने और यहां के किसानों की दुर्दशा देखने के लिए आमंत्रित किया। गांधीजी 1917 में चंपारण आए। राजेंद्र प्रसाद, आचार्य कृपलानी, ब्रजकिशोर प्रसाद, धरणीधर प्रसाद और गोरख प्रसाद के साथ गांधी जी ने किसानों की दयनीय स्थिति की जांच ली। बड़ी संख्या में किसान गांधी जी के पास बागान मालिकों के अत्याचारों की शिकायत लेकर आए। सरकार गांधीजी की लोकप्रियता से चिंतित हुई,उन्हें गिरफ्तार कर उन पर मुकदमा चलाया गया लेकिन शीघ्र ही उन्हें छोड़ दिया गया। गांधी जी को किसी प्रकार के आंदोलन करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया,उन्हें केवल किसानों के कष्ट के बारे में भी जानकारी हासिल करने की स्वीकृति दी गई।
गांधीजी के दबाव पर सरकार ने 1917 में एक जांच समिति ‘ चंपारण एग्रेरियन कमेटी , नियुक्त किया गया। गांधी जी को भी इसका सदस्य बनाया गया। समिति की सिफारिशों के आधार पर ‘ चंपारण कृषि अधिनियम , बना।
इसके अनुसार-

(१) तीन कठिया प्रणाली समाप्त कर दी गई तथा अनेक प्रकार के कर भी समाप्त कर दिए गए।

(२)बढ़ाए गए लगान की दरों में कमी की जाए तथा जो अवैध वसूली किसानों से की गई थी उसका 25% किसानों को लौटाया जाए। किसानों को इससे बहुत राहत मिली। किसानों में नई चेतना जगी और वह भी राष्ट्रीय आंदोलन को अपना समर्थन देने लगे।

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