12th History Short Question Answer in Hindi :- दोस्तों यदि आप bihar board 12th history question answer की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको History UNIT-X उपनिवेशवाद एवं ग्रामीण समाज : सरकारी रिपोर्टों के साक्ष्य Subjective Question दिया गया है | Class 12th History Book Solutions in Hindi, bihar board 12th history book pdf
12th History Short Question Answer in Hindi
1. स्थायी बंदोबस्त से आप क्या समझते हैं? (What do you understand by Permanent Settlement?)
उत्तर ⇒ स्थायी बंदोबस्त अंग्रेजी सरकार द्वारा लागू की गई भू राजस्व प्रणाली थी। इसे बंगाल में लार्ड कार्नवालिस द्वारा 22 मार्च, 1793 ई० को लागू किया गया था। इसमें कर वसूली का अधिकार स्थानीय जमींदार को दिया गया था। इसमें सरकार और किसानों के बीच जमींदार वर्ग लाया गया। यह व्यवस्था किसानों के शोषण का कारण बना।
2. झूम खेती के बारे में आप क्या जानते हैं? (What do you know about Jhoom cultivation ?)
उत्तर ⇒ झूम खेती कृषि का एक आदिम तरीका है। इसमें पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है और साफ की गई भूमि को लकड़ी से जुताई कर बीज बो दिये जाते थे। फसल पूर्णतः प्रकृति पर निर्भर होती है। इसमें उत्पादन काफी कम होता है। इस प्रकार की खेती की परंपरा आदिवासियों में अधिक प्रचलित थी। अंग्रेजी सरकार ने वन कानून पास कर इसे समाप्त किया था।
3. संथालों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह क्यों किया? (Why did the Santhals revolt against the British rule?)
उत्तर ⇒ संथाल विद्रोह अंग्रेज अधिकारियों, जमींदारों, व्यापारियों तथा महाजनों के शोषण और अत्याचार का परिणाम था। व्यापारियों, महाजनों और साहूकार जिन्हें संथाल आदिवासी दि कहकर संबोधित करते थे, ये लोग संथालों के जंगलों पर परम्परागत अधिकार से वंचित कर दिये और उनके जमीन जायदाद छिन लिये। इस कार्य में महाजनों और साहूकारों को अंग्रेज अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त था ।
इस प्रकार शोषण, अत्याचार से पीड़ित संथालों ने सिद्धू तथा कान्हु के नेतृत्व में 1855-56 में विद्रोह कर दिया।
4. दामिन-ए-कोह पर टिप्पणी लिखें। (Write a short note on “Damine-a-koh.”)
उत्तर ⇒ कंपनी सरकार ने संथालों को जंगल मुहालों में बसाने के लिए राजमहल की तलहटी में काफी बड़े इलाके को सीमांकित किया तथा इसे संथालों की भूमि घोषित कर दिया, इन्हें इसी इलाके के भीतर रहना था तथा हल चलाकर खेती करनी थी। इस सीमांकित स्थान को ही ‘दामिन-ए-कोह’ कहा जाता था। यह मैदानी और पहाड़ियों के मध्य की जगह थी जिसे संथालों को कृषि योग्य बनाना था ।
5. दक्कन दंगा आयोग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। (Write a short note on Dekkan Riot Commission.)
उत्तर ⇒ दक्कन विद्रोह के कारणों की जाँच के लिए कम्पनी के अधिकारियों की माँग पर 1875 में दक्कन दंगा आयोग का गठन किया गया। आयोग द्वारा दक्कन विद्रोह के कारणों की जाँच के बाद तैयार रिपोर्ट ब्रिटिश पार्लियामेंट में 1878 में भेजी गयी। इस रिपोर्ट में रैयतों पर अत्याचार तथा उनमें असंतोष, रैयत वर्ग तथा ऋणदाताओं के बयानों, भू-राजस्व की दरें तथा अकाल और मंदी की स्थिति तथा जिला क्लेक्टरों द्वारा भेजी गई रिपोर्ट का संकलन है।
Bihar Board 12th History Question Answer
6. दक्कन विद्रोह पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। (Write a short note on Deccan revolt.)
उत्तर ⇒ दक्कन 1875 में पुना तथा अहमदाबाद के कुछ जिलों में किसानों ने साहूकारों के अत्याचारों से तंग आकर साहूकारों के खिलाफ विद्रोह कर दिया जिसे इतिहास में दक्कन विद्रोह के नाम से जाना जाता है। एक अनुमान के अनुसार 33 गाँव के लोगों ने विद्रोह किया था। इस विद्रोह में विद्रोहियों के निशाने पर थे मारवाड़ी तथा ब्राह्मण साहूकार । इस विद्रोह की विशेषता यह थी कि इसमें किसी की हत्या नहीं हुई विद्रोहियों का उद्देश्य केवल दस्तावेज को नष्ट करना था ।
7. पहाड़िया जनजाति पर टिप्पणी लिखें। (Write a short note on Paharia Tribes.)
उत्तर ⇒ पहाड़िया जनजाति राजमहल के इर्द-गिर्द रहते थे और वहीं जंगल की उपज से अपनी गुजर-बसर करते थे। ये झूम खेती करते थे अर्थात् जंगल के किसी छोटे से हिस्से की झाड़ियों को काटकर और घास-फूस को जलाकर जमीन साफ कर लेते थे और राख की पोटाश से उपजाऊ बनी जमीन पर खाने के लिए दालें और ज्वार – बाजरा उगा लेते थे। वर्षों तक उस जमीन पर खेती करते फिर उसे परती छोड़कर नये इलाके में चले जाते थे। उनका संपूर्ण जीवन यहाँ की पहाड़ियों में ही सिमटा हुआ था। वे बाहरी लोगों का विरोध करते और उस रास्ते से जानेवालों से पथकर वसूलते थे।
8. जोतदार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। (Write a short note on Jotdar.)
उत्तर ⇒ जोतदार 18वीं सदी के अंत में उभरा हुआ वर्ग था वस्तुतः धनी कृषकों को जोतदार कहा जाता था जिसका विवरण फ्रांसिस बुकानन के सर्वे में हम पाते हैं। जोतदारों के पास जमीनों के बड़े-बड़े रकबे होते थे जो कई हजार एकड़ में फैले होते थे और उनकी जमीनों पर उप बटाईदार के माध्यम से की जाती थी। ये बंटाईदार खेती करके उपज का आधा भाग जोतदार
को दे देते थे। जोतदार गाँव में ही निवास करते थे तथा जमींदारों से अधिक प्रभावशाली होते थे क्योंकि गाँव के व्यक्तियों पर इनका सीधा नियंत्रण स्थापित था। जोतदार जमींदारों के निलाम की गयी जमीन को खरीद लेते थे। इस प्रकार इनके पास जमीन की बड़ी-बड़ी रकबे थी और ये गाँव के स्तर पर प्रभावशाली व्यक्ति होते थे। कभी-कभी तो ये सरकार और जमींदारों के आदेश और निर्देश को नजर अंदाज कर देते थे।
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9. जमींदार वर्ग के बारे में संक्षिप्त में टिप्पणी लिखें। (Write a short note about Zamindari Group.)
उत्तर ⇒ आधुनिक समय में ब्रिटिश सरकार द्वारा जमींदारों के प्रति मैत्रीपूर्ण नीति अपनाई गयी । 1857 में तो कैनिंग द्वारा राजाओं और जमींदारों को ‘आँधी में तरंगरोधक’ की संज्ञा दी गई थी। ब्रिटिश शासकों द्वारा जमींदारों को बढ़ावा दिया जा रहा था क्योंकि जमींदार वर्ग अंग्रेज और रैयतों के बीच मध्यस्थ के रूप में थे। जमींदारों के बल पर ही सुदूर भारत में शोषण परक शिकंजा कस दिया था। जमींदारों के शोषण एवं ब्रिटिश सरकार की धनलोलूप नीतियों के चलते कृषकों को अपनी खेती से बेदखल होना पड़ा था। इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप ब्रिटिश भारत में अनेकानेक कृषक आंदोलन हुए। सिद्ध एवं कान्हू के नेतृत्व में 1855-56 ई० में संथाल विद्रोह हुआ जिसका कुरतापूर्वक दमन कर दिया गया । 1860 ई० में पबना एवं नदिया जिले के कृषकों द्वारा भारतीय इतिहास की सर्वप्रथम एवं महत्त्वपूर्ण कृषक हड़ताल हुए।
10. महालवाड़ी व्यवस्था पर टिप्पणी लिखें। (Write a note on the Mahalwari system.)
उत्तर ⇒ भू-राजस्व की यह व्यवस्था अवध और मराठा अधिकृत क्षेत्रों में (1803-04) में लागू की गयी। यह जमींदारी व्यवस्था का संशोधित स्वरूप था। इस व्यवस्था में लगान महाल (गाँव या जागीर) के आधार पर तय किया गया था। लगान चुकाने की जिम्मेवारी समस्त महाल की थी। किसान का जमीन पर व्यक्तिगत अधिकार नहीं रहा, बल्कि सारी भूमि महाल के नियंत्रण में थी । इस व्यवस्था में मार्टिन वर्ड ने संशोधन करके इसे उत्तर-पश्चिमी प्रदेश में लागू किया। इस व्यवस्था में भी कृषकों का शोषण हुआ।
11. रैयतवाड़ी व्यवस्था की विशेषताओं को लिखें। (Write the features of Ryotwari System.)
उत्तर ⇒ 1820 ई० में अंग्रेजों द्वारा मद्रास प्रांत से एक नई भूराजस्व नीति के तहत रैयतवाड़ी व्यवस्था की शुरुआत की गई। इस व्यवस्था की खास बात यह थी कि सरकार ने किसानों (रैयतों) के साथ सीधे भूराजस्व बंदोवस्त की शुरुआत की। इस व्यवस्था में किसान और सरकार के बीच कोई बिचौलिया नहीं था। इस व्यवस्था को शुरू करने का श्रेय सर टॉमस रो को जाता है।
12th History Short Question 2024
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