Geography Important Subjective Question Class 12th | Bihar Board 12th Geography Subjective Question 2024

Geography Important Subjective Question Class 12th :- दोस्तों यदि आप Bihar Board 12th Geography Subjective की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको 12th Ka VVI Geography Question दिया गया है जो आपके 12th Pariksha Geography Subjective Question के लिए काफी महत्वपूर्ण है | 12th Geography Question Bihar Board


12th Class Geography Important Subjective Question 2024 

1. पत्तन किस प्रकार व्यापार के लिए सहायक होते हैं? (How are ports helpful for trade ?)

उत्तर ⇒ पत्तन समुद्र तट पर वह स्थान है, जहाँ दूसरे देशों से आयात किए गए माल को उतारा जाता है तथा देश के उत्पादित माल को निर्यात के रूप में बाहर भेजा जाता है। इस प्रकार यह एक “प्रवेश एवं निकास बिंदु” का कार्य करता है। यह अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अतः इसे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रवेश द्वार (तोरण) भी कहा जाता है। इसी के द्वारा जहाजी माल तथा यात्री विश्व के एक भाग से दूसरे भाग को जाते हैं। पत्तन जहाज के ठहरने के लिए गोदी, सामान को लादने, उतारने तथा भंडारण हेतु सुविधाएँ प्रदान करते हैं। इन सुविधाओं को प्रदान करने के लिए पत्तन के अधिकारी नौगम्य द्वारों का रख-रखाव, रस्सों व बजरों (छोटी अतिरिक्त नौकाएँ), जहाजों को खींचने वाली मशीनों, श्रम तथा प्रबंधकों इत्यादि की व्यवस्था करते हैं।


2. पत्तनों का वर्गीकरण उनकी अवस्थिति के आधार पर कीजिए। (Classify ports on the basis of location.)

उत्तर ⇒ अवस्थिति के आधार पर पत्तन दो प्रकार के होते हैं

(i) अंतर्देशीय या आंतरिक पत्तन (Inland ports)—ये पत्तन समुद्र तट से दूर स्थित होते हैं, किन्तु किसी नदी या नहर द्वारा समुद्र से जुड़े होते हैं। चपटे तलों वाले जहाजों अथवा बज द्वारा ही ये गम्य होते हैं। मैनचेस्टर और कोलकाता इसके उदाहरण हैं। मैनचेस्टर एक नहर पर तथा कोलकाता हुगली नदी पर स्थित हैं।

(ii) बाह्य पत्तन (Out ports ) — ये गहरे पानी के पत्तन हैं, जो वास्तविक पत्तन से दूर गहरे समुद्र में बनाए जाते हैं। जो जहाज अपने बड़े आकार के कारण या अधिक मात्रा में अवसाद एकत्रित हो जाने के कारण वास्तविक पत्तन तक नहीं पहुँच पाते, उन्हें बाह्य पत्तन लंगर डालने या खड़ा होने की सुविधा प्रदान कर वास्तविक पत्तनों की सहायता करते हैं। ग्रीस में एथेंस का बाह्य पत्तन पिरॉस इसका उदाहरण है।


3. में परिवहन के मुख्य साधन कौन-कौन से हैं? इनके विकास को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें। (Which are the chief means of transportation in India? Discuss the factorsinfluencing their development.)

उत्तर ⇒ भारत में परिवहन के मुख्य साधन स्थल, जल और वायु हैं। स्थल परिवहन के अंतर्गत सड़क, रेलवे और पाइप लाइन; जल परिवहन के अंतर्गत अंतः स्थलीय और सागरीय व महासागरीय मार्ग; तथा वायु परिवहन के अंतर्गत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन आते हैं। इनमें सड़क परिवहन सर्वप्रमुख है, जिससे प्रतिवर्ष 85 प्रतिशत यात्री तथा 70 प्रतिशत भार यातायात का परिवहन किया जाता है। जल परिवहन ईंधन दक्ष तथा पारिस्थितिकी अनुकूल है तथा यह सस्ता साधन है और भारी तथा स्थूल सामग्री के परिवहन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है । महासागरीय मार्ग विदेशी व्यापार के लिए सर्वप्रमुख है; भारत में भार के अनुसार 95% और मूल्य के अनुसार 70% विदेशी व्यापार इस मार्ग से होता है। भारत में परिवहन के साधन के विकास को प्राकृतिक, आर्थिक और राजनैतिक कारकों ने प्रभावित किया है.

(i) प्राकृतिक कारक (Physical factors)—मैदानी क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण आसान और सस्ता होता है, जबकि पहाड़ी और पठारी क्षेत्रों में कठिन एवं महँगा होता है। इसलिए मैदानी क्षेत्रों की सड़कें घनत्व और गुणवत्ता में अधिक ऊँचे, बरसाती तथा वनीय क्षेत्रों की तुलना में बढ़िया होती है। यही कारण है कि देश के उत्तरी मैदान में सड़क और रेलमार्ग का सघन जाल मिलता है, जबकि हिमालय, उ०पू० भारत और प० राजस्थान में इनका विरल जाल है।

(ii) आर्थिक कारक (Economic factors) – आर्थिक दृष्टि से विकसित क्षेत्रों में परिवहन का सघन जाल मिलता है; क्योंकि इससे उत्पादक और उपभोक्ता क्षेत्रों के बीच सामानों का आदान-प्रदान होता है। भारत के मैदानी, व्यापारिक और औद्योगिक क्षेत्रों में रेल और सड़क दोनों मार्ग सघन है। समुद्रतटीय क्षेत्रों में महाराष्ट्र-गुजरात के सूतीवस्त्रोद्योग, केरल के मसाले और पं० बंगाल के जूट उद्योग के कारण समुद्री मार्ग का भी विकास हुआ है और इन्हें आंतरिक क्षेत्र से जोड़ने के लिए रेल और सड़क मार्ग का भी ।

(iii) राजनैतिक कारक (Political factors ) — ब्रिटिश शासन काल में रेलों का विकास प्रमुख नगरों को जोड़ने और शासन की सुविधा के लिए किया गया, किन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश के सर्वांगीण विकास के लिए रेल और सड़क मार्ग का विकास हुआ।


12th Ka VVI Geography Class Notes 2024

4. “परिवहन के सभी साधन एक-दूसरे के पूरक होते हैं।” विवेचना करें। (“All means of transportation are complementary. ” Explain.)

उत्तर ⇒ परिवहन एक ऐसा तंत्र है, जिसमें यात्रियों और माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया और ले जाया जाता है। परिवहन के मुख्य साधन स्थल, जल और वायु हैं। स्थल परिवहन के अन्तर्गत सड़क, रेलवे और पाइप लाइन, जल परिवहन के अन्तर्गत अन्तःस्थलीय, सागरीय और महासागरीय मार्ग तथा वायु परिवहन के अन्तर्गत राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय वायु परिवहन आते हैं। ये सभी मार्ग हर जगह नहीं विकसित किये जा सकते हैं। जल परिवहन नहर, नदी, सागर और महासागर तक सीमित रहते हैं। रेल परिवहन का विकास मुख्यतः समतल स्थलीय भागों में होता है और अधिक ऊँचाई पर इन्हें विकसित नहीं किया जा सकता है। इन सभी साधनों के विपरीत सड़क परिवहन का विकास मैदानी, उबड़-खाबड़ और दूर-दराज के क्षेत्रों में भी हो सकता है। रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा तथा नदी और समुद्री बंदरगाह तक पहुँचने के लिए सड़क का सहारा लेना पड़ता है। लम्बी दूरी तय करने के लिए रेलवे और शीघ्र लम्बी दूरी तय करने के लिए वायु परिवहन उपयुक्त हैं। भारी पदार्थ का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मुख्यतः समुद्री मार्गों द्वारा होता है। इन सभी साधनों तक पहुँचने के लिए एक दूसरे साधन का प्रयोग करना पड़ता है। इस प्रकार एक संबंधित परिवहन प्रणाली में परिवहन के सभी साधन एक दूसरे के पूरक होते हैं।


5. पाइपलाइन परिवहन से लाभ एवं हानि की विवेचना करें! (Discuss the advantages and disadvantages of pipeline transportation.)

उत्तर ⇒ तरल पदार्थों और गैसों की लंबी दूरी के परिवहन के लिए पाइप लाइन परिवहन का सबसे सुविधाजनक साधन है। नगरों में जल आपूर्ति के लिए पाइप लाइनों का उपयोग काफी समय से हो रहा है, लेकिन पेट्रोलियम एवं इसके उत्पादों का पाइपलाइनों द्वारा परिवहन एक अपेक्षाकृत नया विचार है। इनके द्वारा ठोस पदार्थों, यथा लोहा को भी गाद या गारा में बदलकर परिवहन होता है।

पाइपलाइन परिवहन से निम्नलिखित लाभ हैं

(i) पाइपलाइन उबड़-खाबड़ भूमि और पानी के नीचे भी बिछाई जा सकती है।

(ii) इनके संचालन और रख-रखाव की लागत कम होती है।

(iii) इसमें ऊर्जा की बचत होती है। केवल कुछ स्थानों पर पंपिंग में ही कुछ ऊर्जा की खपत होती है, जो नगण्य है।

(iv) माल उतारने और लादने का झंझट नहीं होता है। अतः समय की बचत होती है।

(v) तेल का प्रवाह निरंतर बना रहता है। ट्रकों और रेलों की तरह माल को लेट पहुँचने की संभावना नहीं रहती है।

(vi) इसमें प्रदूषण का खतरा नहीं होता है। यह पर्यावरण हितैषी है।

पाइपलाइन परिवहन की कुछ हानियाँ भी हैं, जैसे

(i) इसमें लोच नहीं है। एक बार बिछाने के बाद इसकी क्षमता में वृद्धि नहीं हो सकती है।

(ii) इसकी सुरक्षा कठिन है।

(iii) भूमिगत पाइपलाइन की मरम्मत में कठिनाई होती है।

(iv) पाइप लाइन के टूट जाने पर पेट्रोलियम बह जाता है, कभी कभी इसमें आग लग जाती है और पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है।


6. भारत के आर्थिक विकास में रेलवे की भूमिका की विवेचना कीजिए । (Discuss the role of railways in the economic development of India.)

उत्तर ⇒भारतीय रेल मार्ग एशिया में प्रथम स्थान रखता है। इसका देश के आर्थिक विकास में बड़ा योगदान है। रेलवे ने कृषि और उद्योगों के विकास की गति को तेज करने में योगदान दिया है। रेल यात्रियों की भारी संख्या को दूरदराज के स्थानों तक ले जाती है तथा रेलें भारी मात्रा में माल की ढुलाई करती हैं। औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों के विकास में रेल परिवहन की मांग में अधिक वृद्धि हुई है। यह निम्नलिखित उदाहरणों से स्पष्ट है
(i) कोयला रेलों द्वारा सबसे अधिक ढोया जाता है। 2001-2002 में रेल द्वारा 230 करोड़ टन कोयला ढोया गया है।

(ii) लौह अयस्क, मैंगनीज, चूना पत्थर आदि की ढुलाई औद्योगिक इकाइयों के लिए की गई है।

(iii) रेलवे उर्वरक, मशीन आदि को कृषि कार्य के लिए पहुँचाती रहती है।

(iv) रेलवे तैयार माल को बाजारों तक पहुँचाती हैं।

(v) विदेशों से आयात किये गये माल को देश के आंतरिक भागों तक पहुँचाती हैं।

(vi) रेलों द्वारा श्रमिक एक स्थाने से दूसरे स्थान को रोजगार के लिए जाते हैं।


7. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार क्या है? इससे देश कैसे लाभ प्राप्त करते हैं? (What is international trade ? How do nations gain from it ? )

उत्तर ⇒अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को कहते हैं। राष्ट्रों को व्यापार करने की आवश्यकता उन वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए होती है, जिन्हें या तो वे स्वयं उत्पादित नहीं कर सकते या जिन्हें वे अन्य स्थान से कम दाम में खरीद सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण तथा आवश्यकता से अधिक उत्पादन का परिणाम है। किसी भी सामग्री का अधिक मात्रा में उत्पादन ही यह सुनिश्चित करता है कि वह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सम्मिलित किया जाएगा। इस प्रकार आयात और निर्यात अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के दो पहलू हैं, और आयातक और निर्यातक देश एक दूसरे के पूरक होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार हैं- प्राकृतिक संसाधनों में असमानता, आवश्यकता से अधिक उत्पादन, वस्तुओं की कमी, परिवहन और संचार का विकास, प्रौद्योगिकी में असमानता, सांस्कृतिक विशिष्टता, व्यापारिक नीतियाँ, शान्ति और राजनीतिक स्थिरता, राजनीतिक संबंध और आर्थिक माँग। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वस्तुओं और सेवाओं के तुलनात्मक लाभ, परिपूरकता व हस्तांतरणीयता के सिद्धांतों पर आधारित होता है और सिद्धान्ततः यह व्यापारिक भागीदारों को समान रूप से लाभदायक होना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से देशों को निम्न लाभ पहुँचते हैं

(i) देश उन वस्तुओं का आयात कर सकते हैं जिनका उनके यहाँ उत्पादन नहीं होता तथा सस्ते मूल्य पर खरीदा जा सकता है।

(ii) देश अपने यहाँ अतिरिक्त उत्पादन को उचित मूल्य पर अन्य देशों को बेच सकते हैं, जिससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि होगी ।

(iii) देश अपने विशिष्ट उत्पादन का निर्यात कर सकते हैं, जिससे विश्व अर्थव्यवस्था में सुधार आता है।

(iv) आधुनिक युग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के अंतर्गत प्रौद्योगिक ज्ञान तथा अन्य बौद्धिक सेवाओं का भी आदान-प्रदान किया जाता है, जिससे दोनों देशों को लाभ पहुँचता है। (v) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से देशों के बीच आपसी सहयोग और भाईचारा बढ़ता है।


8. कार्यों के आधार पर शहरों का वर्गीकरण करें। (Give functional classification of towns.)

उत्तर ⇒ कार्य नगरों के उदय और विकास का आधार है। प्रत्येक नगर या शहर अनेक प्रकार के कार्य करता है और विशेषीकृत सेवाओं का निष्पादन करता है। कुछ नगरों को कुछ निश्चित कार्यों में विशिष्टता प्राप्त होती है और उन्हें कुछ विशिष्ट क्रियाओं, उत्पादनों या सेवाओं के लिए जाना जाता है। प्रमुख अथवा विशेषीकृत कार्यों के आधार पर नगरों को मोटे तौर पर निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जाता है

(i) प्रशासनिक नगर और शहर उच्चतर स्तर के प्रशासनिक मुख्यालयों वाले शहरों को प्रशासनिक नगर कहते हैं। जैसे—-नई दिल्ली, चंडीगढ़, गाँधीनगर, गुवाहाटी इत्यादि ।

(ii) औद्योगिक नगर – जिन नगरों में औद्योगिक कार्य की प्रधानता है, उन्हें औद्योगिक नगर कहते हैं। जैसे—– जमशेदपुर, मुंबई, कोयंबटूर आदि ।
(iii) परिवहन नगर परिवहन कार्य की प्रधानता वाले रेलवे या सड़क जंक्शन, पत्तन इत्यादि परिवहन नगर कहलाते हैं। जैसे कांडला, मुगलसराय आदि।

(iv) व्यापारिक नगर व्यापार और वाणिज्य में विशिष्टता प्राप्त नगर इस कोटि में आते हैं, जैसे कोलकाता, सहारनपुर, सतना इत्यादि ।

(v) खनन नगर खनन क्षेत्रों में विकसित रानीगंज, झरिया, डिगबोई इत्यादि इस वर्ग में आते हैं।

(vi) गैरिसन (छावनी नगर) फौजी छावनी के रूप में विकसित अंबाला, उधमपुर, दानापुर इत्यादि इस प्रकार के नगर हैं।

(vii) धार्मिक और सांस्कृतिक नगर धार्मिक या सांस्कृतिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध वाराणसी, मथुरा, हरिद्वार इत्यादि इस वर्ग के नगर हैं।

(viii) शैक्षणिक नगर शिक्षा केंद्रों के रूप में विकसित अलीगढ़, वाराणसी, ऑक्सफोर्ड इत्यादि शैक्षणिक नगर हैं।

(ix) पर्यटन नगर – नैनीताल, मसूरी, शिमला, ऊटी इत्यादि पर्यटन के लिए मशहूर हैं।


Inter Exam Geography Question Paper 2024

9. इंटरनेट ( साइबर स्पेस) क्या है? (What is internet or cyber space ? )

उत्तर ⇒इंटरनेट लिखित सूचनाओं के संचार का एक माध्यम है। यह दुनिया भर के विभिन्न प्रकार के कम्प्यूटरों को मॉडम (एक उपकरण) के माध्यम से जोड़ देता है। सारे संसार में अनेक संस्थाओं ने इंटरनेट पर अपनी-अपनी वेबसाइट खोल रखी है। कम्प्यूटर के की बोर्ड पर वेबसाइट अक्षर टाइप करते ही सूचनाओं का भंडार हमारे सामने उपस्थित हो जाता है। साइबर स्पेस विद्युत द्वारा कम्प्यूटरीकृत स्पेस का संसार है, जो वर्ल्ड वाइड वेबसाइट जैसे इंटरनेट द्वारा घिरा हुआ है। यह भेजने वाले और प्राप्त करने वाले के शारीरिक संचलन के बिना कम्प्यूटर पर सूचनाओं के प्रेषण और प्राप्ति की विद्युतीय अंकीय दुनिया है। साइबर स्पेस हर जगह विद्यमान है, यथा कार्यालय में चलती नौका में और उड़ते वायुयान में प्रतिवर्ष लाखों नये ग्राहक इंटरनेट से जुड़ रहे हैं और इसके विस्तार की गति मानव इतिहास में अद्वितीय है। विश्व के अधिक प्रयोक्ता संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, चीन और भारत में हैं।


10. प्रवास के सामाजिक जनांकिकीय परिणाम क्या – क्या हैं? (What are the socio-demographic consequences of migration ?)

उत्तर ⇒ प्रवास सामाजिक परिवर्तन में सहायक होता है। इससे विभिन्न संस्कृतियों के लोगों का अंतर्मिश्रण होता है, जिससे लोगों के मानसिक स्तर का विस्तार होता है तथा संकीर्ण विचारों का अन्त होता है। यह परिवर्तन विशेष रूप से नगरीय क्षेत्रों में होता है, जहाँ मिश्रित संस्कृति का विकास होता है। इतना ही नहीं, प्रवास के माध्यम से नवीन प्रौद्योगिकियों, परिवार नियोजन, बालिका शिक्षा इत्यादि से संबंधित नये विचारों का नगरीय क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर विसरण होता है। किन्तु, ग्रामीण-नगरीय प्रवास के कारण व्यक्ति अपने परिवार से अलग जाता है और स्वतंत्र जीवन व्यतीत करने के क्रम में कभी-कभी गुमनामी, खिन्नता, अपराध और औषध दुरुपयोग (drugabuse) जैसी असामाजिक क्रियाओं में फँस जाता है। पुरुष बाह्य प्रवास के कारण स्त्रियाँ प्रशिक्षित लोगों के बाह्य प्रवास के कारण गाँव उनकी सेवाओं से बचित रह जाता है। गाँवों में छूट जाती हैं, जिससे उनपर अतिरिक्त शारीरिक और मानसिक दबाव पड़ता है। उच्च मानव प्रवास उद्गम तथा गंतव्य दोनों स्थानों की जनांकिकी को भी प्रभावित करता है। यह जनसंख्या का पुनर्वितरण करता है। ग्रामीण नगरीय प्रवास नगरों में जनसंख्या की वृद्धि में योगदान देता है। यह दोनों क्षेत्रों की आयु एवं लिंग संरचना में गम्भीर असंतुलन पैदा कर देता है। नगरों में कार्यशील आयु के पुरुषों की संख्या बढ जाती है, जिससे नगर का लिंग अनुपात काफी कम हो जाता है। इसके विपरीत गाँवों में लिंग अनुपात बढ़ जाता है तथा यहाँ आश्रित जनसंख्या (Dependant population) की अधिकता हो जाती है।


11. भारत के 15 प्रमुख राज्यों में मानव विकास के स्तरों में किन कारणों ने भिन्नता उत्पन्न की है? (Which factors have caused spatial variation in the level of human development among 15 major states of India?)

उत्तर ⇒मानव विकास सूचकांक की दृष्टि से विश्व के 172 देशों में भारत का स्थान 127वाँ है और इसे मध्यम मानव विकास दर्शाने वाले देशों में रखा गया है। भारत के विभिन्न राज्यों में भी मानव विकास के स्तरों में भिन्नता पायी जाती है। भारत के योजना आयोग ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मानव विकास सूचकांक का परिकलन किया है। इसके अनुसार 0.638 संयुक्त सूचकांक मूल्य के साथ केरल कोटिक्रम में सर्वोच्च है। इसके बाद क्रमश: पंजाब, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और हरियाणा (सभी 0.5 से अधिक) आते हैं। दूसरी ओर, देश के 15 प्रमुख राज्यों में बिहार (0.367) का स्थान सबसे नीचे है। बिहार के अतिरिक्त, असम, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और उड़ीसा (0.386 से 0.404) भी कोटिक्रम में नीचे हैं। भारत में मानव विकास के स्तरों में प्रादेशिक भिन्नता के कई कारण जिनमें साक्षरता, आर्थिक विकास और उपनिवेशकाल में विकसित प्रादेशिक विकृतियाँ और सामाजिक विषमताएँ मुख्य ‘हैं। केरल भारत का सबसे अधिक साक्षर (90.92%) राज्य हैं। इसी प्रकार पंजाब (69.68%), तमिलनाडु (73.47%), महाराष्ट्र (77.27%) और हरियाणा (68.59% ) भी अधिक साक्षर राज्य हैं। साक्षरता के उच्च स्तर मानव विकास सूचकांक के उच्च स्तर के कारण हैं। दूसरी ओर, बिहार में कुल साक्षरता दर भारत के सभी राज्यों से निम्न ( 47.53% ) है और यह मानव विकास में भी निम्नतम स्तर पर है। मानव विकास के निम्न स्तर वाले अन्य राज्य असम (64.28%), उत्तरप्रदेश (57.36% ), मध्यप्रदेश (64.11% ) और उड़ीसा (63.61% ) में भी साक्षरता का स्तर निम्न है। इन निम्न स्तर वाले राज्यों में पुरुष और स्त्री साक्षरता के बीच अधिक अंतर है। इसी प्रकार, आर्थिक दृष्टि से विकसित महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में मानव विकास सूचकांक का मूल्य असम, बिहार, मध्यप्रदेश जैसे पिछड़े राज्यों की तुलना में ऊँचा है। उपनिवेश काल में विकसित प्रादेशिक विकृतियाँ और सामाजिक विषमताएँ अब भी भारत की अर्थव्यवस्था और समाज में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।


12. सतत पोषणीय विकास की अवधारणा का वर्णन करें। (Explain the concept of sustainable development.)

उत्तर ⇒ संयुक्त राष्ट्रसंघ रिपोर्ट “ आवर कॉमन फ्यूचर” के अनुसार ” सतत पोषणीय विकास का अर्थ है एक ऐसा विकास जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकता की पूर्ति को प्रभावित किए बिना वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपनी आवश्यकता की पूर्ति करना।” इसका अर्थ यह कि मृदा या वन जैसे मूल्यवान संसाधनों का उपयोग इस गति से किया जाए ताकि इससे पर्यावरण संतुलन भी कायम रहे और इसका प्राकृतिक रूप से पुनरस्थापन या पुनश्चक्रण हो सके और भविष्य में लोगों के लिए भी ये संसाधन बचे रहें। इस प्रकार, सतत पोषणीय विकास के दो दृष्टिकोण हैं- पर्यावरणीय दृष्टिकोण और आर्थिक दृष्टिकोण सतत पोषणीय विकास का उद्देश्य आज की और भावी पीढ़ियों के प्रत्येक व्यक्ति के बेहतर जीवन को सुरक्षित करना है। यह एक ऐसी सामाजिक प्रगति है, जिसमें प्रत्येक की आवश्यकता पूरी होती है, पर्यावरण की सुरक्षा है, प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग होता है और आर्थिक वृद्धि और रोजगार के उच्च और स्थिर स्तर बने रहते हैं।

Geography Important Subjective Question 2024


 Class 12th Arts Question  Paper
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PART – A ⇒ मानव भूगोल के मूल सिद्धांत
 UNIT – Iमानव भूगोल : प्रकृति एवं विषय क्षेत्र
 UNIT – IIविश्व जनसंख्या : वितरण घनत्व और वृद्धि
 UNIT – IIIजनसंख्या संघटन
 UNIT – IVमानव विकास
 UNIT – Vप्राथमिक क्रियाएँ
 UNIT – VIद्वितीयक क्रियाएँ
 UNIT – VIIतृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप
 UNIT – VIIIपरिवहन एवं संचार
 UNIT – IXअंतरराष्ट्रीय व्यापार
 UNIT – Xमानव बस्ती

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