10th Class Hindi Subjective Question Answer | कक्षा 10वीं ‘नागरी लिपि’ सब्जेक्टिव क्वेश्चन

10th Class Hindi Subjective Question 2022 :- दोस्तों यदि आप लोग इस बार Bihar Board Exam 2022 Hindi Subjective की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको Class 10th Hindi Ka Subjective Question दिया गया है जो आने वाले Matric Exam 2022 Hindi Subjective Question के लिए काफी महत्वपूर्ण है | 10th Class Science Objective


1. गुर्जर प्रतिहार कौन थे?

उत्तर  गुर्जर प्रतिहार भारत के बाहर से आकर आठवीं सदी के आरंभ – में अवंती प्रदेश में अपना शासन स्थापित किया। बाद में इन्होंने कन्नौज पर कब्जा कर लिया।


2. लेखक ने किन भारतीय लिपियों से देवनागरी का संबंध बताया है ?

उत्तरलेखक ने गुजराती, मराठी, नेपाली और बंगला आदि भारतीय लिपियों से देवनागरी लिपि का संबंध बताया है।


3. देवनागरी में कौन-सी भाषाएँ लिखी जाती हैं?

उत्तर देवनागरी में संस्कृत, प्राकृत, खड़ी बोली की भाषाएँ लिखी जाती हैं। इनके अलावा हिन्दी की विविध बोलियाँ तथा नेपाली और नेवारी भाषा देवनागरी में लिखी जाती हैं।


4. ब्राह्मी और सिद्धम लिपि की तुलना में नागरी लिपि की मुख्य पहचान क्या है ?

उत्तर गुप्तकाल की ब्राह्मी तथा बाद की सिद्धम लिपि के अक्षरों के सिरों पर छोटी आड़ी लकीरें या छोटे तिकोन हैं लेकिन नागरी लिपि की मुख्य पहचान यह है कि अक्षरों के सिरों पर पूरी लकीरें बन जाती हैं और ये शिरोरेखाएँ उतनी ही लम्बी रहती हैं जितनी कि अक्षरों की चौड़ाई होती है। मोटे तौर दोनों की यही पहचान है।


5. नागरी लिपि कब तक एक सार्वदेशिक लिपि थी?

उत्तरनागरी लिपि का सार्वदेशिक लिपि इसलिए कहा जा सकता है कि इसका प्रचलन करीब 8वीं सदी से 12वीं सदी तक पूरे देश में फैल चुका था। कोंकण, देवगिरि, चोड़ राजाओं केरल, श्रीलंका, लाहौर, उत्तर भारत में मेवाड़, गुहिल, सांभर-अजमेर, कन्नौज, काठियावाड़ा, आबू और त्रिपुरा आदि क्षेत्रों तक इसका प्रचलन था।


6. देवनागरी लिपि के अक्षरों में स्थिरता कैसे आई है?

उत्तरदेवनागरी लिपि के टाइप बन जाने पर इसके अक्षरों में स्थिरता आई।


7. देवनागरी लिपि के अक्षरों में स्थिरता कैसे आई?

उत्तर लगभग दो सौ वर्ष पहले छापाखाने के लिए देवनागरी लिपि बनी तब से अनेक पुस्तकें छपनी शुरू हो गयी। केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय विभिन्न साहित्यिक और विद्वानों ने इस लिपि में सुधार कर प्रेस तथा कंप्यूटर के लायक में बनाया। इससे इसमें स्थिरता आ गई।


8. लेखक ने पटना से नागरी का क्या संबंध बताया है?

उत्तर ‘पादताडितकम’ नामक नाटक से जानकारी मिलती है कि पाटलिपुत्र (पटना) को नगर कहते थे। अतः ‘नागर’ या ‘नागरी’ शब्द उत्तर भारत के किसी बड़े नगर से संबंध रखता है। लेखक ने कहा है कि हो सकता है यह बड़ा नगर प्राचीन पटना ही हो।


⇒ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ⇐


1. नागरी को देवनागरी क्यों कहते हैं? लेखक इस संबंध में क्या बताता है?

या, नागरी की उत्पत्ति के संबंध में लेखक का क्या कहना है? पटना से नागरी का क्या संबंध है?

उत्तर ⇒  नागरी नाम के संबंध में अनेक मत हैं। कुछ विद्वानों का विचार है कि गुजरात के नागर ब्राह्मणों ने सबसे पहले इस लिपि का प्रयोग किया, इसलिए इसका नाम नागरी पड़ा। कुछ विद्वानों का मत है कि और सब तो नगर हैं लेकिन काशी ‘देवनागरी’ है, अतः वहाँ प्रयुक्त होने के कारण इसे ‘देवनागरी’ कहते हैं। ‘पादताडितकम’ के अनुसार पाटलिपुत्र को नगर कहते थे। चंद्रगुप्त (द्वितीय) ‘विक्रमादित्य’ का व्यक्तिगत नाम ‘देव’ था। इसलिए पाटलिपुत्र को ‘देवनगर’ कहते थे। यह भी संभव है कि उत्तर भारत की प्रमुख लिपि होने के कारण इसे ‘देवनागरी’ कहा गया है।


2. ‘नागरी लिपि’ पाठ का सारांश लिखें। अथवा, देवनागरी लिपि में कौन-कौन सी भाषाएँ लिखी जाती हैं?

उत्तर हिन्दी तथा इसकी विविध बोलियाँ देवनागरी लिपि में लिखी जाती हैं। नेपाली, जेवारी और मराठी की लिपि भी नागरी है। संस्कृत और प्राकृत की पुस्तक भी देवनागरी में ही प्राकशित होती है। गुजराती लिपि भी देवनागरी से बहुत भिन्न नहीं। बंगला लिपि भी प्राचीन नागरी लिपि की बहन ही है। सच तो यह है कि दक्षिण भारत की अनेक लिपियाँ नागरी की भाँति ही प्राचीन ब्राह्मी से विकसित हैं।

बारहवीं सदी के श्रीलंका के शासकों के सिक्के पर भी नागरी अक्षर मिलते हैं महमूद गजनवी, मुहम्मद गोरी, अलाउदीन खिलजी, शेरशाह ने भी अपने नाम नागरी में खुदवाए हैं और अकबर के सिक्के में भी ‘रामसिया’ शब्द अंकित है। वस्तुतः ईसा की आठवीं-नौवीं सदी से नागरी लिपि का प्रचलन सारे देश में था।

नागरी नाम को लेकर तरह-तरह के विचार हैं। किन्तु इतना निश्चित है कि ‘नागरी’ शब्द किसी बड़े नगर से संबंधित है। काशी को देवनगर कहते थे, हो सकता है, वहाँ प्रयुक्त लिपि का नाम ‘देवनागरी’ पड़ा हो। वैसे, गुप्तों की राजधानी पटना भी ‘देवनगर’ थी इसके नाम पर यह नामकरण हो सकता है। जो भी हो, यह नगर-विशेष की लिपि नहीं थी। आठवीं-ग्यारहवीं सदी में यह सार्वदेशिक लिपि थी।

नागरी लिपि के साथ अनेक प्रादेशिक भाषाएँ जन्म लेती हैं, यथा, मराठी, बंगला आदि। नागरी लिपि के लेख न केवल पश्चिम तथा पूर्व बल्कि सूदूर दक्षिण से भी मिले हैं।


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