BSEB 12th Home Science Subjective Question 2024 | home science important subjective question 12th

BSEB 12th Home Science Subjective 2024 :- दोस्तों यदि आप inter Board pariksha home science question 2024 की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको 12th Home Science Ka VVI Subjective Question दिया गया है जो आपके Class 12th Exam Home Science Question Paper 2024 के लिए काफी महत्वपूर्ण है | 12th Home Science ( गृह विज्ञान ) Subjective Question


1. पारिवारिक के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें। (Describe the different types of family income.)

उत्तर   पारिवारिक आय को मुख्य रूप से तीन भागों में बाँटा जा सकता है

(i) मौद्रिक आय

(ii) वास्तविक आय और

(iii) मानसिक आय

(i) मौद्रिक आय– एक निश्चित समय में परिवार को मुद्रा के रूप में जो आय प्राप्त होती है उसे मौद्रिक आय कहते हैं। ग्रौस और कैण्डले के अनुसार “मौद्रिक आय से तात्पर्य उस क्रय शक्ति से हैं जो मुद्रा के रूप में एक निश्चित समय में एक परिवार को प्राप्त होती है। परिवार में मौद्रिक आय विभिन्न रूपों से प्राप्त की जा सकती है। जैसे—वेतन, मजदूरी, बोनस, पेंशन, ब्याज, लाभ, उपहार, लगान, किराया, रॉयल्टी आदि।

(ii) वास्तविक आय–यह दो प्रकार का होता हैं—

(a) प्रत्यक्ष वास्तविक आय-प्रत्यक्ष वास्तविक आय में वे सभी सेवाएँ तथा सुविधाएँ आती हैं जिनका उपयोग प्रत्यक्ष रूप से परिवार द्वारा बिना धन व्यय किए किया जाता है। इनके प्राप्त न होने पर परिवार को अपने मौद्रिक आय से व्यय करना पड़ता है। उदाहरणस्वरूप–कार्य स्थल पर मुफ्त मकान, नौकर की सुविधा, माली की सुविधा, टेलीफोन की सुविधा, गाड़ी की सुविधा आदि ।

(b) अप्रत्यक्ष वास्तविक आय–यह आय मुख्य रूप से परिवार के सदस्यों के ज्ञान, निपुणता और कौशल के कारण प्राप्त होने वाली आय हैं। जैसे— खाना बनाना, कपड़े सिलना, कपड़ा धोना, आयरन करना, बच्चों को पढ़ाना, घर में बागवानी कर सब्जियाँ प्राप्त करना, उपकरण की मरम्मत आदि ।

(c) मानसिक आय – मौद्रिक आय एवं वास्तविक आय के व्यय से जो संतुष्टि प्राप्त होती हैं वह मानसिक आय हैं। यह पूर्ण रूप से व्यक्तिगत है। यह प्रत्येक व्यक्ति तथा परिवार की अलग-अलग हो सकती है। 


2. पोषक तत्त्व क्या है? इसके क्या कार्य है? (What is Nutrient Element ? What are its functions ?)

उत्तर  पोषक तत्त्व — तत्त्व, जो हमारे शरीर की आवश्यकताओं के अनुरूप पोषण प्रदान करते हैं अर्थात् अपेक्षित रासायनिक ऊर्जा देते हैं उसे पोषक तत्त्व कहते हैं।

प्रमुख पोषक तत्त्व निम्नलिखित हैं

(i) कार्बोहाइड्रेट – यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।

(ii) प्रोटीन – यह शरीर की वृद्धि करता है।

(iii) वसा – इससे शरीर को तीन प्रकार के अम्ल प्राप्त होते हैं— (i) लिनोलीन, (ii) लिनोलोनिक तथा (iii) अरकिडोनिक । शरीर में घुलनशील विटामिनों के अवशोषण के लिए इसकी उपस्थिति आवश्यक है ।

(iv) कैल्शियम – यह अस्थि के विकास एवं मजबूती के लिए आवश्यक है।

(v) फॉस्फोरस – यह भी अस्थि के विकास के लिए आवश्यक है।

(vi) लोहा – यह शरीर की रक्त अल्पता, हिमोग्लोबिन और लाल रक्तकण प्रदान कर दूर करता है। गर्भावस्था एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए अति आवश्यक है।

(vii) विटामिन — यह दो प्रकार के होते हैं – (i) जल में घुलनशील विटामिन, जैसेविटामिन—B, विटामिन-C तथा (ii) वसा में घुलनशील विटामिन जैसे— विटामिन A, विटामिन —D, विटामिन– E, विटामिन — KI यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। यह कई रोगों से बचाता है।

BSEB 12th Home Science Subjective 2024


3. दाग़-धब्बों को कितनी श्रेणियों में बाँटा गया है? (In how many classes are the Stains divided ? )

उत्तर  दाग-धब्बों को निम्नलिखित आठ श्रेणियों में बाँटा गया है —

(i) जान्तव धब्बे, उदाहरण— अंडे, दूध, मांस, रक्त आदि ।

(ii) वानस्पतिक धब्बे, उदाहरण – चाय, कोको, कॉफी, फल, मधु आदि।

(iii) चिकनाईयुक्त धब्बे, उदाहरण— मक्खन, तेल, घी, पेंट, वार्निश, सब्जियाँ आदि ।

(iv) खनिज धब्बे, उदाहरण— जंग, स्याही, दवाएँ आदि ।

(v) रंगीन धब्बे, उदाहरण – रंग के धब्बे (आम्लिक एवं क्षारीय दोनों) ।

(vi) पसीने के धब्बे, उदाहरण-पसीने के धब्बे मात्र ।

(vii) झुलसने के धब्बे, उदाहरण – गर्म इस्तिरी या गर्म धातु के छूने से प्राप्त धब्बे ।

(viii) घास के धब्बे, उदाहरण — घास के धब्बे (क्लोरोफिलयुक्त) |


4. गृह सज्जा से आप क्या समझते हैं? गृह सज्जा करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? (What do you understand by home decoration ? What should be kept in mind while decorating home ?)

उत्तर  घर को सजाने एवं सँवारने की कला को गृह सज्जा कहते हैं। सजाने की वस्तुओं का चयन एवं सजाने की विधि घर में रहने वाले की अभिरुचि एवं व्यक्तित्व को प्रदर्शित करती है। गृह सज्जा सुविधा एवं सौदर्य पर आधारित होती है। गृह सज्जा घर को सुन्दर, मनोहारी, आकर्षक मनभावना नैसर्गिक अलौकिक एवं सुविधापूर्ण बनने वाली सभी कलाओं तथा वैज्ञानिक तथ्यों एवं सिद्धांतों का सम्मिश्रण है।

गृह सज्जा करते समय निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए

(i) घर में अवश्यकतानुसार सामान रखना चाहिए ।

(ii) कमरे के आकार के अनुरूप फर्नीचर का चुनाव करना चाहिए ।

(iii) सजावटी वस्तुओं या फर्नीचर को रखते समय एकता एवं अनुरुपता का ध्यान रखना चाहिए।

(iv) कमरे की सजावट करते समय कला के तत्त्वों जैसे— रेखा, बनावट, अकार, रंग, आकृति आदि को ध्यान में रखना चाहिए ।

(v) आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रखना चाहिए ।

(vi) समय-समय पर सजावट की व्यवस्था में परिवर्तन करते रहना चाहिए।

(vii) खुली या काँच वाली आलमारी में सजावट की वस्तुओं को इस प्रकार रखना चाहिए ताकि देखने में आकर्षक लगे।

(viii) हल्के रंग से पुते कमरे में चमकीले रंग की सजावटी वस्तुएँ अधिक अच्छी लगती है।


5. कपड़ों की गुणवत्ता किन-किन कारकों पर निर्भर करती है? (What are the factors on which quality of clothes depends ?)

उत्तर  कपड़ों की गुणवत्ता निम्न कारको पर निर्भर करती है—

(1) बुनाई सधन बुनाई के कपड़े अच्छे होते हैं। 

(2) सिलाई-सिलाई पक्की, साफ व धागे का रंग कपड़े के रंग से मिलता जुलता होना चाहिए। जोड़ में काफी दबाव होना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर कपड़ा छोटा-बड़ा किया जा सके। किनारों पर इंटरलॉक किया होना चाहिए ताकि धागा न निकले।

(3) बनावट – जिस वस्त्र की बनावट एवं परिसज्जा अच्छी होती है वह वस्त्र अच्छा माना जाता है। 

(4) प्रकार – बाजार में विभिन्न प्रकार के वस्त्र मिलते हैं। अपनी आवश्यकता, अवसर एवं मौसम को ध्यान में रखकर ही ले ।

(5) मजबूती कपड़े वही अच्छे माने जाते है जो मजबूत तथा अधिक दिनों तक चलता है।

(6) स्वरूप – वस्त्र जो मजबूती के साथ देखने में अच्छा लगे तथा उसका आकार अच्छा हो उस पर सिलवटे न पड़े। 

(7) उचित रंग – वस्त्रों का रंग पक्का होना चाहिए । वस्त्र का रंग व्यक्ति के देहाकृति के अनुरूप होना चाहिए। कच्चे रंग के वस्त्र दूसरे वस्त्र पर लगकर वस्त्र की रूप रेखा बिगाड़ देते हैं।

(8) डिजाईन – वस्त्र विभिन्न प्रकार के डिजाईन के बनते है | कौन-सा डिजाईन किस व्यक्ति पर अच्छा लगेगा इसको ध्यान में रखकर तैयार करना चाहिए। डिजाईन को आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न रंग के कपड़ों का प्रयोग किया जाता है।

(9) चिकना– वस्त्र की चिकनाई अच्छी होती वह वस्त्र पहनते वाले के लिए आरामदायक होता है। रूखड़ी सतह का वस्त्र शरीर को अराम नहीं देता है।

बिहार बोर्ड 12वीं गृह विज्ञान प्रश्न


6. वस्त्र क्यों आवश्यक है? वस्त्र खरीदते समय किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए? (Why clothes are needed? What things should be kept in mind while purchasing clothes ?)

उत्तर   वस्त्र मानव के लिए निम्न कारणों से आवश्यक है—

(i) शरीर की सुरक्षा-— वस्त्र हमारे शरीर की सुरक्षा प्रदान करता है। वस्त्र हमें सर्दी, गर्मी तथा वर्षा से बचाते हैं।

(ii) व्यक्ति की पहचान — वस्त्र से ही व्यक्ति की पहचान बनती है। उदाहरण के लिए वर्दियों के आधार पर ही हम पहचानते है कि यह फौज का व्यक्ति है या पुलिस का या होटल का या वकील, डॉक्टर इत्यादि।

(iii) व्यक्तित्व निर्माण में — व्यक्ति को सुन्दर एवं आकर्षक बनाने में वस्त्र का महत्वपूर्ण स्थान हैं। सुन्दर परिधान शारीरिक एवं मानसिक विकास में सहायक होकर सामाजिक जीवन को सुन्दर एवं सुखमय बनाते हैं। व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास जगता है।

(iv) शारीरिक सौन्दर्य एवं आकर्षण बढ़ाने में — आज हरेक व्यक्ति सुन्दर दिखना चाहता हैं। सभी व्यक्ति की शरीर की आकृति एक समान नहीं होती। कोई नाटा, लम्बा, कंधा चौड़ा आदि होती है। उचित परिधान के प्रयोग से बेढंग अंगों को छिपाया जाता है। यह काम परिधान ही करता है।

(v) सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए — आजकल वस्त्रों से हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा का मूल्यांकन होता है।

(vi) मनोवैज्ञानिक सुरक्षा – सही परिधान हमें आत्मबल तथा आत्मविश्वास जागृत करता है। दूसरे के सामने आने में हीन भावना नहीं जागृत होती है। अच्छे एवं सुन्दर वस्त्रों को धारण करने से मन प्रसन्न एवं आनंदित रहता है।

वस्त्र खरीदते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए

(i) टिकाऊपन- वही वस्त्र अच्छा माना जाता है जो मजबूत तथा अधिक दिनों तक चलता है। अतः कपड़े खरीदते समय टिकाऊपन पर ध्यान देना चाहिए ।

(ii) पसीना सोखने की क्षमता—जो कपड़ा पसीना आसानी से सोख लेता है वह अच्छे किस्म का माना जाता है। पसीना नहीं सोखने वाला वस्त्र मनुष्य को बेचैनी बढ़ा देता है। मिश्रित तंतुओं से बने वस्त्र आसानी से पसीना सोख लेते हैं। इसलिए खरीदते समय इसका ध्यान रखना चाहिए।

(iii) सिलवट अवरोधक— कपड़ा खरीदते समय तन्तुओं को कुछ समय के लिए पकड़ कर रखें उसके बाद देखें कि उसमें सिलवटें तो नहीं पड़ रही है। जिन वस्त्रों पर शीघ्रता से सिलवटे पड़ जाती है उसे अतिरिक्त देखभाल की जरूरत पड़ती है।

(iv) धोने में सुविधा- कपड़े खरीदते समय यह ध्यान देना चाहिए कि वस्त्र धोने में सुविधाजनक हो । जिन कपड़ों को धोना कठिन होता उन पर ड्राईक्लीन कराने में अधिक व्यय करना पड़ता है।

(v) रंग का पक्कापन–कपड़े का रंग पक्का होना चाहिए । घटिया किस्म के कपड़ों का रंग पक्का नहीं होता वे एक दो बार धोने के बाद पहनने योग्य नहीं रहते। जबकि पक्के रंग का कपड़ों का आकर्षण अधिक समय तक बना रहता है।

(vi) प्रायोजन – वस्त्र का चुनाव प्रायोजन के अनुसार करना चाहिए। जैसे-सूती वस्त्र, परिधान के काम आते हैं। इसका उपयोग घरेलू उपयोग में जैसे-तौलिया, झाड़न, मेजपोश, चादर, बेडशीट आदि के लिए किया जाता है।

(vil) मौसम-मौसम के अनुकूल वस्त्रों को चुनने, खरीदने एवं पहनने की समझ सबको होनी चाहिए। गर्मी के मौसम के लिए हल्के रंग के सूती वस्त्र अच्छे रहते हैं क्योंकि इनमें ताप के संवहन की क्षमता होती है। वर्षा ऋतु में जल अभेद्य, सर्दी के दिनों में गहरे रंग के ऊनी वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए।

(vili) फैशन फैशन समय-समय पर परिवर्तित होते रहते हैं। कौन-सा फैशन किस तरह के व्यक्तित्व पर फबेगा किस पर नहीं फबेगा खरीदारी करते समय इसका ध्यान रखना चाहिए।

(ix) मूल्य-वस्त्र विभिन्न मूल्य के बाजार में उपलब्ध है। आवश्यक हैं सही मूल्य में सही वस्त्र खरीदे जाए। अच्छी चीज प्राप्त करने के लिए यदि थोड़े अधिक मूल्य चुकाने पड़े तो भी चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए।

(x) वस्त्रों की देखरेख एवं संचयन-वस्त्र की खरीदारी करते समय यह ध्यान देना चाहिए कि कौन से वस्त्र फफूँदी के प्रति ज्यादा संवेदनशील हैं, कौन से वस्त्र को कीड़े खा सकते हैं, वस्त्र कितने समय के लिए बंद करके रखा जा सकता है, कीड़ों से बचाव कैसे करें आदि।


7. सिले-मिलाये (रेडीमेड) वस्त्र खरीदते समय किन-किन बातों पर ध्यान रखना चाहिए? (What should be taken care at the time of purchasing readymade clothes?)

उत्तर  सिले-सिलाये वस्त्र खरीदने से कई लाभ होते हैं। सिले- सिलाये वस्त्र खरीदने से वस्त्र कम समय में उपलब्ध हो जाते हैं। आजकल अधिकांश लोग रेडीमेड वस्त्र ही खरीदना पसंद करते हैं। रेडीमेड वस्त्र खरीदते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए

(i) सीवन-रेडीमेड वस्त्र खरीदते समय उलट-पुलट कर देख लें कि कपड़े का जोड़ सफाई से लगा हो, सिलाई मजबूत हो, कपड़े का दबाव ऐसा हो जिसे जरूरत पड़ने पर बढ़ाया जा सके किनारों पर पिको हो । 

(ii) तुरपन–रेडीमेड वस्त्र पर तुरपन इकहरे धागे से एवं पास-पास हो, तुरपन उसी रंग के धागे से हो जिस रंग का वस्त्र है।

(iii) प्लैकेट या बटन की पट्टी वस्त्रों पर बटन पट्टी के अनुरूप लगायी गयी हो। पट्टी लगाते समय वस्त्रों पर झोल न पड़े। बटन या हुक पास-पास लगे हो ।

(iv) बटन, हुक, काज-बटन पट्टी पर लगे बटन, कपड़े के रंग से मेल खाते हुए हो । काज पूर्ण रूप से सही तरह से भरा होना चाहिए।

(v) आकर्षक रेडीमेड वस्त्रों को आकर्षक बनाने के लिए उन पर मोती, सितारे, कढ़ाई, टाइपिन, फ्रिल, लेस आदि लगाये जाते हैं। यह देखने में आकर्षक हो। यह पहनने वाले व्यक्ति पर अच्छा लगेगा या नहीं।


8. वस्त्रों की देखरेख और उसका संचयन आप किस प्रकार करेंगी? (How will you care and storage of clothes ?)

उत्तर  वस्त्रों की देखरेख और उसका संचयन निम्नलिखित विधि से करना चाहिए

(i) ब्रश करना और धूप हवा दिखाना-मोट सूती या ऊनी वस्त्रों को उतारकर टाँगने के पूर्व मुलायम ब्रश से झाड़कर, पसीना लगे वस्त्र को धूप हवा लगाने के बाद संचयन करना चाहिए।

(ii) स्वच्छ संरक्षण-सभी वस्त्रों को अल्प या अधिक समय के लिए सहेज कर रखना पड़ता है। अलमारी के भीतर फिनाइल की गोली, नीम की सुखी पत्तियाँ, कीटनाशक पदार्थ अवश्य डाल देना चाहिए। इसके अतिरिक्त अलमारी की सफाई एवं पॉलिश समय-समय पर करना चाहिए।

(iii) क्षण मरम्मत प्रयोग के दरम्यान प्रायः वस्त्रों की सिलाई उघड़ जाती है या खोंच लगकर फट जाती है। इसे तुरत मरम्मत कर लेना चाहिए।

(iv) दाग़ छुड़ाना एवं धुलाई की उचित विधि-वस्त्रों पर खाने पीने या अन्य वस्तुओं के दाग लग जाते हैं। इन्हें छुड़ाने के लिए कई प्रकार की विधियाँ अपनाई जाती है। जो विधि एवं अपमार्जक जिस वस्त्र के लिए उपयुक्त हो उसका प्रयोग करें।

(v) विधिपूर्वक सुखाना—आजकल बाजार में ऑटोमेटिक ड्रायर उपलब्ध है। किन्तु सभी वस्त्रों को ड्रायर में सुखाना उचित नहीं है। अतः कपड़े को धूप-छाँव आदि में विधिपूर्वक ही सुखाना चाहिए।

(vi) विधिपूर्वक इस्तिरी करना– वस्त्रों पर उचित विधि से इस्तिरी करना आवश्यक है। रासायनिक रेशों पर अधिक गर्म इस्तिरी के प्रयोग से वे जल जाते हैं। अतः उन पर हल्की गर्म इस्तिरी का प्रयोग करना चाहिए।


9. वस्त्रों के धुलाई के सामान्य नियम क्या है? (What are the general methods/principles of cleaning of clothes ? )

उत्तर   वस्त्रों की धुलाई के सामान्य नियम निम्नलिखित हैं

(i) मैले वस्त्रों को शीघ्र धोना चाहिए। मैले वस्त्रों को दोबारा पहनने से उनमें मैल जम जाती है जिससे उसे साफ करना कठिन हो जाता है।

(ii) मैले वस्त्र को उतार कर किसी टोकरी, टब या थैले में रखना चाहिए । मैले कपड़े इधर-उधर फेंकना नहीं चाहिए अन्यथा धोते समय एकत्र करने में कठिनाई होती है।

(iii) कपड़ों को धोने से पूर्व उनकी प्रकृति के अनुसार अलग-अलग कर लेना चाहिए। ऊनी, रेशमी, सूती तथा कृत्रिम तंतुओं से बने वस्त्रों को अलंग-अलग विधियों द्वारा धोना चाहिए। सूती तथा रंगीन कपड़ों को भी अलग-अलग करके धोना चाहिए ।

(iv) वस्त्रों को धोने से पहले उनकी मरम्मत अवश्य कर लेनी चाहिए तथा उन पर लगे दाग धब्बे को भी सुखाना चाहिए।

(v) धुलाई के लिए कपड़े की प्रकृति के अनुसार ही साबुन तथा डिटर्जेन्ट का चुनाव करना चाहिए।

(vi) वस्त्रों की धुलाई से पूर्व धोने के लिए प्रयोग में आने वाले सभी सामानों को एक स्थान पर एकत्र कर लेना चाहिए।

(vii) वस्त्रों को स्वच्छ पानी में ठीक तरह से धोकर उनमें से साबुन या डिटर्जेंट निकाल देना चाहिए अन्यथा वस्त्र के तंतु कमजोर हो जाते हैं।

(viii) सुखाने के लिए सफेद वस्त्रों को उल्टा करके धूप में सुखाना चाहिए तथा रंगीन वस्त्रों को छाया में सुखाना चाहिए अन्यथा उनके रंग खराब होने की संभावना रहती है। सफेद वस्त्रों को अधिक समय तक धूप में पड़ा रहने दिया जाय तो उन पर पीलापन आ जाता है।

(ix) सुखाते समय वस्त्रों को हैंगर पर लटका कर सुखाना चाहिए, जिससे उन पर अनावश्यक दबाव न पड़े।

(x) सुखाने के बाद वस्त्रों को इस्तरी करके ही रखना चाहिए।

BSEB 12th Home Science Subjective Question 2024


10. शिशुओं के वस्त्रों के चुनाव आप किस प्रकार करेंगी? (How can you select children cloths ? )

उत्तर   शिशुओं के लिए वस्त्रों का चुनाव निम्न प्रकार से करेंगे

(i) शिशु के लिए सूती कपड़ा सबसे अच्छा होता है। सूती वस्त्र में भी कोमल तथा हल्का वस्त्र शिशु की कोमल त्वचा को क्षति नहीं पहुँचाता। सूती वस्त्र में सरंध्रता (porous) होने के कारण शिशु की त्वचा की पसीना सोख लेता है, उसे चिपचिपा नहीं होने देता। शिशुओं के लिए रेशमी नायलान वस्त्र कष्टदायक होता है।

(ii) शिशु के वस्त्रों को बार-बार गंदे होने के कारण कई बार धोना पड़ता है। इसलिए शिशुओं के वस्त्र ऐसी होनी चाहिए जिन्हें बार- बार धोया तथा सुखाया जा सके । वस्त्र ऐसा नहीं होना चाहिए जिसे घर में धोया जा सके या जिसे सूखने में बहुत अधिक समय लगता हो ।

(iii) शिशुओं के वस्त्र हमेशा साफ तथा कीटाणुरहित होना चाहिए। वस्त्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उन्हें गर्म पानी में धोना चाहिए तथा डेटॉल के पानी में भिंगोना चाहिए। इसलिए वस्त्र ऐसा होना चाहिए जो गर्म पानी तथा डेटॉल या कीटाणुनाशक पदार्थ को सहन कर सके।

(iv) उसके गर्म कपड़े भी ऐसे होने चाहिए जो गर्म पानी में सिकुड़े नहीं ।

(v) शिशुओं के कपड़ों की संख्या अधिक होनी चाहिए क्योंकि उसके कपड़े गंदे हो जाने पर कई दिन में कई बार बदलने पड़ते हैं।

(vi) शिशुओं के कपड़े मांड रहित होने चाहिए तथा इलास्टिक वाले नहीं होने चाहिए ।

(vii) शिशुओं के कपड़े सामने, पीछे या ऊपर की ओर खुलने चाहिए, जिससे शिशु को सिर से कपड़ा न डालना पड़े।

(viii) शिशुओं के वस्त्रों में पीछे की ओर बटनों के स्थान पर कपड़े से बाँधने वाली पेटियाँ (ties) या बंधक होने चाहिए क्योंकि बटन पीछे होने से शिशु के लेटने पर उसे चुभ सकते हैं।

(ix) शिशुओं के कपड़ों के रंग व डिजाइन अपनी रुचि के अनुसार होने चाहिए, परंतु रंग ऐसा होना चाहिए जो धोने पर निकले नहीं क्योंकि शिशु के वस्त्रों को अधिक धोना पड़ता

( x ) शिशुओं के वस्त्रों में मजबूती का इतना महत्त्व नहीं होता है क्योंकि शिशुओं की वृद्धि बहुत तीव्र गति से होती है। जब तक शिशु के कपड़ों के फटने की स्थिति आती है वे छोटे हो चुके होते हैं।


11. एक किशोरी के लिए परिधानों के चुनाव में किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए? (What are the points you will keep in your mind while selecting garments for an adolescent girl?)

उत्तर   एक किशोरी के लिए वस्त्र खरीदते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखूँगी

(i) प्रयोजन वस्त्र प्रयोजन के अनुकूल लूँगी। इसके लिए रेशों की विशेषताओं, उसके गुण, सूत बनाने की विधि, सूत से की गयी बुनाई, उसके गुण-अवगुण तथा विशेषताओं को ध्यान में रखूँगी।

(ii) टिकाऊपन–वस्त्र की मजबूती/टिकाऊपन, धागों की बँटाई, वस्त्र की बुनाई एवं उसकी देखरेख पर ध्यान दूँगी।

(iii) ऋतु एवं मौसम से अनुकूलता- मौसम के अनुकूल वस्त्रों को पहनने वाली खरीदूँगी, क्योंकि वस्त्र का कार्य शरीर की गर्मी और सर्दी से रक्षा करना होता है और शरीर के सामान्य तापक्रम को प्रतिकूल परिस्थितियों में बनाये रखता है।

(iv) उचित रंग—–रंग हमारी मनोभावनाओं को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं। व्यक्ति, त्वचा और समय के अनुरूप रंगों का चुनाव कर वस्त्र खरीदूँगी ।

(v) वस्त्रों की धुलाई कुछ वस्त्रों को प्रतिदिन तथा कुछ को यदा-कदा समय-समय पर धोना पड़ता है। कौन-से साबुन किस वस्त्र के सौन्दर्य एवं रंग को नष्ट नहीं करेंगे? कौन से रेशे क्षारीय माध्यम में नष्ट नहीं होते हैं और किन पर अम्लों का बुरा प्रभाव पड़ता है? उसी के अनुरूप शोधक सामग्रियों का चुनाव करना अति आवश्यक है।

(vi) वस्त्रों की देखरेख, सुरक्षा एवं संचयन–पहनने के बाद वस्त्रों को किस प्रकार टाँगना है? किस प्रकार के रेशों में कीड़े लगते हैं? किसे कितने समय तक बक्से में बंद रखा जा सकता है आदि बातों पर ध्यान देना अति अनिवार्य है।

(vii) फैशन और शैली— इसका महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। वैसे तो फैशन और शैली में परिवर्तन होते रहते हैं किन्तु वर्तमान में यह किस स्थान के लिए तथा किसके अनुकूल इसकी जानकारी आवश्यक होती है।

(viii) किस्म और श्रेणी–वस्त्रों के मूल उद्गम और रचना संबंधी विभिन्न प्रक्रियाओं की जानकारी से उसके किस्म एवं श्रेणी को समझने का अवसर प्राप्त होता है, इससे वस्त्र का प्रयोजनार्थ, उचित चयन की क्षमता बढ़ती है।

(ix) मूल्य–यह अति आवश्यक है। आर्थिक स्थिति के अनुसार महँगे तथा सस्ते वस्त्रों का चयन करूंगी।

BSEB 12th Home Science Subjective Question 2024


Class 12th Home Science Objective 2024
UNIT – I 12th Home Science Objective
UNIT – II12th Home Science Objective
UNIT – III 12th Home Science Objective 
UNIT – IV 12th Home Science Objective
UNIT – V 12th Home Science Objective
UNIT – VI 12th Home Science Objective
 BSEB Intermediate Exam 2024
 1Hindi 100 MarksClick Here
 2English 100 MarksClick Here
 3Physics Click Here
 4ChemistryClick Here
 5BiologyClick Here
 6MathClick Here
 Class 12th Arts Question  Paper
 1इतिहास   Click Here
 2भूगोल  Click Here
 3राजनीतिक शास्त्र Click Here
 4अर्थशास्त्र Click Here
 5समाज शास्त्र Click Here
 6मनोविज्ञान Click Here
 7गृह विज्ञान Click Here
 812th All Subject Online Test Click Here

Leave a Comment