Home Science Class 12th In Hindi Bihar Board | 12th Home Science Subjective Question 2024 in Hindi Medium

Home Science Class 12th In Hindi Bihar Board :- दोस्तों यदि आप इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 गृह विज्ञान की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको 12th Home Science Ka Subjective Question 2024 दिया गया है जो आपके Class 12th Home Science Question Answer 2024 के लिए काफी महत्वपूर्ण है | Class XII Exam Home Science Subjective 2024


1. वस्त्रों का सामाजिक और मनोवैज्ञानिक महत्त्व क्या है?  (What are the social and psychological importance of garments?)

उत्तर वस्त्रों का सामाजिक और मनोवैज्ञानिक महत्त्व – किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से जानने से पहले सबसे पहला प्रभाव जो पड़ता है वह उसके परिधानों का होता है। वह व्यक्ति किस तरह से अपने आपको सजाता है, उसके चलने का तरीका, उसके बात करने का तरीका, वह किस तरह से अपने आप को ध्यान रखता है। इन सब बातों पर उसका पूरा व्यक्तित्व निर्भर करता है और यही तथ्य व्यक्तित्व को उभार कर सामने लाते हैं। उस व्यक्ति के परिधान किस हद तक उस व्यक्ति को सामने लाते हैं यह बात पहने गए वस्त्रों के डिजाइन, रंग आदि पर निर्भर

      किंतु, एक प्रश्न हर व्यक्ति के दिमाग में आता है कि आखिर मनुष्य ने कपड़ा पहनना शुरू क्यों किया? विभिन्न प्रकार की ड्रेस कैसे बनीं?

         बहुत से एंथ्रोपालोजिस्ट्स ने इन प्रश्नों के जवाब ढूँढने की कोशिश की है और इसके चलते काफी जानकारियाँ सामने आई हैं। समाज में बहुत से मनोवैज्ञानिकों ने भी अपने-अपने विचार इसमें जोड़े हैं। प्रत्येक देश में अपनी-अपनी कथाएँ और मनोविज्ञान, परिधानों के बारे में अलग-अलग हैं। हम एकदम निश्चित रूप से यह नहीं कह सकते कि आखिर मनुष्य ने कपड़ा पहनना क्यों शुरू किया था? किंतु कुछ सिद्धांत ऐसे सामने आए हैं जिनके ऊपर बहुत से लोग विश्वास कायम करते हैं और बहुत से नहीं भी करते हैं।


2. बिहार के किसी एक शिल्प का वर्णन करें। (Describe any one of the crafts of Bihar.)

उत्तर सूजनी बिहार की प्रमुख कढ़ाई है। पुराने सूती कपड़े जैसे साड़ी धोती आदि की कई तह बिछाकर सर्वप्रथम चारों किनारों की सिलाई की जाती है। फिर रनिंग स्टिच से चारखाने बनाते हैं। प्रत्येक घर में तोता, मोर, चिड़ियाँ, हाथी, फूल, पत्तियाँ आदि स्टिच से बनाई जाती है।

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3. रोग प्रतिरक्षण सारणी बताइए। (Explain table of immunization schedule.)

उत्तर ⇒  रोग प्रतिरक्षण सारणी (Immunization schedule) के अनुसार कौन कौन से टीके कब लगवाये जाते हैं, उनका विवरण निम्न प्रकार हैं

                   कब                       क्या                               क्यों 
16 से 36 सप्ताहटी० टी० के दो टीकेगर्भवती महिला को लगाए जाते हैं। इससे माँ और नवजात शिशु को टेटनस से बचाव होता है।
3 से 9 महीने के बीचएक महीने के अंतर पर पी० टी० के तीन टीके और पोलियो की तीन खुराके देनी चाहिएगलघोंटू (डिप्थीरिया), काली खाँसी (कुकुर खाँसी), टेटनस और पोलियो से बच्चे का बचाव
0 से एक महीने के बीचबी० सी० जी० टीकातपेदिक (T.B.) से बचाव के लिए
9 से 12 महीने के बीचखसरे का एक टीकाखसरे से बच्चे का बचाव।
18 से 24 महीने के बीचडी० पी० टी० और पोलियो की एक-एक बूस्टर खुराकगलघोंटू (डिप्थीरिया), काली खाँसी  (कुकुर खाँसी) और टेटनस से बच्चे का बचाव।
15 माहएम० एम० आर.खसरा, कनफेड, रूबैला से बचाव।
5 से 6 वर्ष के बीच टाइफाइड और डी० पी० टी० के दो बूस्टर टीके गलघोंटू (डिप्थीरिया), टिटनेस और  बीच टायफाइड बुखार से बच्चे का बचाव।
10 वर्षटी० टी० और टायफाइड के दो टीकेटिटनस और टायफाइड से बचाव।
16 वर्षटी० टी० और टायफाइड के दो टीकेटिटनेस और टायफाइड से बचाव

 


4. शरीर में जल का क्या कार्य है? (What is the function of water in the body ?)

उत्तर शरीर में जल का निम्नलिखित कार्य है

(1) शरीर का निर्माण कार्य—शरीर के पूरे भार का 56% भाग जल का होता है। गुर्दे में 83%, रक्त में 85%, मस्तिष्क में 79%, मांसपेशियाँ में 72%, जिगर में 70% तथा अस्थियाँ में 25% जल होता है।

(ii) तापक्रम नियंत्रक के रूप में जल शरीर के तापक्रम को नियंत्रित रखता है।

(iii) घोलक के रूप में—यही माध्यम है जिससे पोषक तत्त्वों को कोषों तक ले जाया जाता है तथा चयापचय के निरर्थक पदार्थों को निष्काषित किया जाता है। पाचन क्रिया में जल का प्रयोग होता है। मूत्र में 96% जल होता है। मल-विसर्जन में इसकी आवश्यकता होती है। इसकी कमी से कब्जियत होती है। में

(iv) स्नेहक कार्य- यह शरीर के अस्थियों के जोड़ों में होने वाले रगड़ से बचाता है। संधियों के चारों तरफ थैलीनुमा ऊतक में यह उपस्थित होता है, जिसके नष्ट होने से संधियाँ जकड़ जाती हैं।

(v) शरीर के निरूपयोगी पदार्थों को बाहर निकालना- शरीर के विषैले पदार्थों को मूत्र तथा पसीने द्वारा यह बाहर निकालने में सहायक होता है।

(vi) नाजुक अंगों की सुरक्षा तथा पोषक तत्त्वों का हस्तांतरण करना – यह पोषक तत्त्वों को एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचाता है। साथ ही नाजुक अंगों का सुरक्षा भी करता है।


5. खाद्य-पद्धार्थों के मानक प्रमाण चिह्न के नाम उदाहरण सहित लिखें। (Write the name with example of Standard Proof Symbol of food materials.)

उत्तर खाद्य पदार्थों के मानक प्रमाण चिह्नों के नाम उदाहरणसहित निम्नलिखित हैं

                    मानक प्रमाण चिह्नों के नाम                                     उदाहरण
 एफ० पी० ओ० (Fruit Product Order)संरक्षित फल, सब्जियाँ, फलों के रस, फलों के पेय स्कवैश, जैम, जैली, सूखे फल, शरबत, कृत्रिम सिरका, अचार, सीरप आदि। 
  आई० एस० आई० (I.S.I.)(शिशु दुग्ध आहार, पाउडर दूध, कोको पाउंडर, आइसक्रीम, सेक्रीन, बिस्कुट, बेकिंग पाउडर, नमक, बेसन, पनीर, बीयर, रम, कस्टर्ड पाउडर, विद्युत – पंखे, इस्तिरी, चूल्हा, केतली, स्विच मिक्सी, प्रेशर कुकर एवं गैस चूल्हा आदि।) कृषि एवं खाद्य, रसायन, सिविल इंजीनियरींग, चिकित्सा उपकरण, इलेक्ट्रोनिकी एवं दूर संचार, विद्युत तकनीकी, जहाजरानी भारवहन, पेट्रोलियम, कोयला, यांत्रिक इंजी० संरचना और धातु एवं वस्त्रादि ।
  एगमार्क (AGMARK)घी, मक्खन, खाद्य तेल, शहद, दालें, मसालें, आटा, बेसन आदि।

 


6. मिलावट से आप क्या समझते हैं? किन्हीं पाँच खाद्य पदार्थों में होने वाली मिलावट का वर्णन करें। (What do you understand by adulteration ? Describe adulteration in any five food items.) 

उत्तर ⇒  खाद्य पदार्थों में कोई मिलता-जुला पदार्थ मिलाने अथवा उसमें से कोई तत्त्व निकालने या उसमें कोई हानिकारक तत्त्व मिलाने से खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में परिवर्तन लाने को मिलावट कहते हैं। दुकानदार अधिक लाभ कमाने के लिए मिलावट करते हैं।

पाँच खाद्य पदार्थों में होने वाले मिलावट निम्न हैं

1. अनाज अनाज में मिट्टी या कंकड़ पत्थर मिलाया जाता है। गेहूँ में सस्ते अनाज जैसे-जौ आदि मिलाया जाता है। अच्छे आनाज में धूल लगे अनाज का मिश्रण या कटे टूटे दानों का मिश्रण किया जाता है।

2. चीनी – चीनी में विषैले पदार्थ जेसे ऐकीन या केलमेट मिलाकर खाद्य को अधिक मिठा कर दिया जाता है। फलों में सेक्रीन के टीके लगा दिए जाते हैं ताकि ये अधिक मीठे लगे। इसका स्वास्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

3. दूध दूध से मलाई निकालकर और पानी तथा अरारोट का मिश्रण किया जाता है जिससे पानी मिलाने पर भी दूध गाढ़ा दिखाई दे। भिन्न-भिन्न किस्म के दूध का भी मिश्रण किया जाता है।

4. चाय – चाय पत्ति में हल्का किस्म की पत्तियाँ काम में लाई गयी पत्तियाँ, लकड़ी का बुरादा, चमड़े की कतरन तथा मिट्टी का मिश्रण किया जाता है।

5. पिसी मिर्च – पिसी मिर्च में गेरू रंग, लकड़ी का लाल रंगा बुरादा चिरनी पाउडर सुखे बेरों के छिलकों का बुरादा, ईंट का चूर्ण आदि मिलाया जाता है।

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7. धुलाई की विभिन्न विधियों के बारे में लिखें। (Write about different methods of washing.)

उत्तर ⇒  घरेलू प्रयोग में तथा सभी पारिवारिक सदस्यों के परिधानों में तरह-तरह के वस्त्र प्रयोग में आते हैं। सूती, ऊनी, रेशमी, लिनन, रेयन और रासायनिक वस्त्र तथा मिश्रण से बने वस्त्र भी रहते हैं। धुलाई की उचित विधि के प्रयोग से वस्त्रों का सौन्दर्य स्थायी और टिकाऊ होता है, साथ ही कार्यक्षमता भी बढ़ती है । 

कपड़े धोने की विधियाँ —

(i) रगड़कर – रगड़कर केवल उन्हीं वस्त्रों को स्वच्छ किया जा सकता है जो मजबूत और मोटे होते हैं। रगड़ क्रिया को विधिपूर्वक करने के कई तरीके हैं। वस्त्र के अनुरूप तरीके का प्रयोग करना चाहिए ।

(a) रगडने की क्रिया हाथों से घिसकर – रगड़ने का काम हाथों से भी किया जा सकता है। हाथों से उन्हीं कपड़ों को रगड़ा जा सकता है जो हाथों में आ सके अर्थात् छोटे कपड़े।  

(b) रगड़ने की क्रिया मार्जक ब्रश द्वारा– कुछ बड़े वस्त्रों को जो कुछ मोटे और मजबूत भी होते हैं, ब्रश से मार्जन के द्वारा गंदगी से मुक्त किया जाता है।

(c) रगड़ने की क्रिया घिसने और मार्जन द्वारा — जबूत रचना के कपड़ों पर ही इस विधि का प्रयोग किया जा सकता है।

(ii) हलका दबाव डालकर – हलका दबाव डालकर धोने की क्रिया उन वस्त्रों के लिए अच्छी रहती हैं। जिनके घिसाई और रगड़ाई से क्षतिग्रस्त हो जाने का शंका रहती है। हल्के, कोमल तथा सूक्ष्म रचना के वस्त्रों को इस विधि से धोया जाता है।

(iii) सक्शन विधि का प्रयोग – सक्शन विधि का प्रयोग भारी कपड़ों को धोने के लिए किया जाता है। बड़े कपड़ों को हाथों से गूंथकर तथा निपीडन करके धोना कठिन होता है। जो वस्त्र रगड़कर धोने से खराब हो सकते हैं जिन्हें गूंथने में हाथ थक जा सकते हैं और वस्त्र भी साफ नहीं होता है उन्हें सक्शन विधि की सहायता से स्वच्छ किया जाता है।

(iv) मशीन से धुलाई करना – वस्त्रों को मशीन से भी धोया जाता है। धुलाई मशीन कई प्रकार की मिलती है, कार्य प्रणाली के आधार पर ये तीन टाइप की होती हैं सिलेंडर टाइप, वैक्यूम कप टाइप और टेजीटेटर टाइप मशीन की धुलाई तभी सार्थक होती है जब अधिक वस्त्रों को धोना पड़ता है और समय कम रहता है।


8. धब्बे छुड़ाने की प्रमुख विधियाँ क्या हैं? . (What are the important methods for removing stain or spot ? ) अथवा वस्त्रों पर विभिन्न प्रकार के धब्बों को छुड़ाने की तालिका प्रस्तुत करें। Or, Represent the table for removing different types of stain or spot on clothes.)

उत्तर धब्बे छुड़ाने की प्रमुख विधियों या वस्त्रों पर विभिन्न प्रकार के धब्बों को छुड़ाने की तालिका

                  धब्बे             सूती तथा लिनन वस्त्रों            रेशमी, ऊनी तथा कृत्रिम वस्त्रों
रसदार सब्जी (घी एवं हल्दी)स्याही सोख्ता (चूस) ऊपर तथानीचे रखकर इंस्तिरी करने से हटाई जाती चिकनाई स्याही चूस पर आ जाती है। उसके बाद साबुन तथा गर्म जल से धोकर धूप में सुखानी चाहिए। स्प्रिट, पेट्रोल या मिट्टी तेल का प्रयोग करके इस धब्बे को हटाया जाता है। जैविक घोल में भींगाकर साबुन से धोने से भी धब्बे को हटाया जाता है। हलकी गर्म इस्तिरी से चिकनाई  पोटेशियम परमैंगनेट तथा अमोनिया घोल में बारी-बारी से डुबोकर धब्बे को हटाया जाता है। पेट्रोल, स्प्रिट या मिट्टी के तेल का प्रयोग कर धब्बे को हटाया जाता है।
चाय या कॉफीउबलता हुआ जल डालने से धब्बे हट जाते हैं। ग्लिसरोल में  भींगाने पर भी धब्बे हट जाते हैं। सोडा या सुहागा फैलाकर  उबलता जल उस पर डालने से धब्बे हट जाते हैं।गुनगुने जल में भींगाने तथा सुहागा के घोल में डालने से धब्बे हट जाते हैं। हलके हाइड्रोजन पेरोक्साइड के घोल में डालने से भी धब्बे हट जाते है। 
रक्तठंढे जल से धोने से धब्बे हट  जाते हैं। नमक के घोल में लने से भी धब्बे हट जाते हैं। ठंढे जल से धोने से तथा स्टार्च या मैदा फैलाकर सुखाने डा के बाद ब्रश से रगड़ने पर धब्बे हट जाते हैं।
स्याहीसाबुन तथा जल से धोकर, नींबू तथा नमक रखकर धूप में सुखाने पर, दूध या खट्टे दही में भींगाकर रखने से, पोटेशियम परमैंगनेट के घोल में रखकर ऑक्जेलिक अम्ल में रखकर तथा जैविक घोल के प्रयोग कर धब्बे हटाये जाते हैं। साबुन तथा जल से धोकर नींबू तथा नमक रखकर धूप में सुखाने पर तथा हाइड्रोजन पेरोक्साइड के घोल के प्रयोग से भी धब्बे हटाये जाते हैं।

 


9. भारत में खुले में शौच समस्या का समाधान क्यों मुश्किल है? (Why problem of defection in open areas is difficult to solve in India?)

उत्तर ⇒  भारत में शौच समस्या का समाधान निम्न कारणों से मुश्किल है—

(1) शौचालय की खुबियों से अनभिज्ञता के कारण भारत के लोग शौच की समस्या से ग्रस्त हैं।

(2)भारत के लोग पुरानी दिनचर्या को छोड़ने से इंकार के कारण भी शौच की समस्या है |

(3) रूढ़िवादी परम्पराओं के कारण भी शौच की समस्या है। लोग अपनी आदतों को बदलना नहीं चाहते।

(4) “खुले में शौच करने के कई फायदे हैं” का समर्थन करना भी इसका कारण है।

(5) भारत गाँवों का देश है। गाँवों में लोग अशिक्षित, गरीब तथा अज्ञानता के कारण सरकार .द्वारा दी गयी शौचालय निर्माण सहायता की जानकारी की कमी या उससे अंजान रहते हैं।

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10. व्यय को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का विवरण दें। (Describe the factors that influence expenditure.) 

उत्तर व्यय को प्रभावित करने वाले तत्त्व निम्नलिखित हैं

(i) परिवार ढाँचा- हमारे देश में गाँवों में सयुक्त परिवार व्यवस्था तथा शहरों में एकांकी परिवार व्यवस्था है। संयुक्त परिवार में कई मदों पर संयुक्त व्यय किए जाते हैं। जैसे— मकान किराया, भोजन, बिजली तथा नौकर दाई आदि । इसलिए प्रत्येक सदस्य पर आर्थिक बोझ कम होता है। एकांकी परिवार को इन मदों पर शत-प्रतिशत व्यय करना पड़ेगा और उसे कम बचत होगी।

(ii) परिवार के सदस्यों की संख्या – एक परिवार में यदि कई व्यक्ति कमानेवाले हों तो वहाँ अधिक आमदनी होने के कारण शिक्षा, मनोरंजन, खेलकूद तथा विलासिता पर अधिक व्यय होगा। एकांकी परिवार में ऐसा संभव नहीं है।

(iii) व्यक्ति का पेशा–व्यक्ति का पेशा भी व्यय को प्रभावित करता है। यदि व्यक्ति नौकरी पेशावाला हो तो उसका रहन-सहन का स्तर उच्च रखना पड़ता है। वहीं मजदूर वर्ग के लोग अपने रहन-सहन पर कम व्यय करते हैं ।

(iv) सामाजिक एवं धार्मिक परम्पराएँ- प्रत्येक समाज में कुछ ऐसे आयोजन होते हैं जिन पर अन्य मदों पर कटौती कर अधिक खर्च करना पड़ता है। जैसे—छट्ठी, विवाह, गृह प्रवेश, श्राद्ध, जन्मदिन, दिवाली, दशहरा, होली, ईद, बकरीद, क्रिसमस, वैशाखी, ओणम आदि पर लोगों को अधिक व्यय करना पड़ता है।

(v) निवास स्थान एवं भौगोलिक स्थिति — गाँवों तथा कस्बों में रहने वाले लोगों का रहन-सहन, नगरों में बसने वाले लोगों की अपेक्षा निम्न स्तर का होता है। यदि निवास कार्यस्थल से बहुत दूर हों तो वहाँ तक यातायात से पहुँचने में भी अधिक खर्च करना पड़ता है।

(vi) परिवार के मुखिया की विवेकशीलता परिवार का मुखिया विवेकशील हैं तो यह अच्छी तरह समझता है कि कब, किस मद में और कितना खर्च किया जाए ताकि परिवार के सभी सदस्यों को अधिकतम सुख-संतोष प्राप्त हो सके।


11. जल प्रदूषण से आप क्या समझते हैं? जल को शुद्ध करने की विधि का वर्णन करें। (What do you understand by water pollution ? Describe the method of water purification.)  

उत्तर ⇒  जिस जल में कुछ पदार्थों की भौतिक अशुद्धता के कारण जल के स्वाद, गंध, रंग आदि में परिवर्तन आ जाए तो उसे प्रदूषित जल कहते हैं। . शुद्ध जल एवं स्वच्छ जल में अवांछित पदार्थों का मिश्रण जल प्रदूषण कहलाता है।

शुद्ध जल प्राप्त करने के तरीके या विधियाँ—

(i) घरेलू विधि–घरेलू तौर पर पानी को शुद्ध किया जाता है जैसे- कपड़े से छानना, उबालना, विशेष छन्नियों का प्रयोग करके किया जाता है।

(ii) रासायनिक विधि— रासायनिक विधि से जल को शुद्ध करने के लिए क्लोरीन, पोटासियम परमैंगनेट, कॉपर सल्फेट, बुझा हुआ चुना इत्यादि का प्रयोग किया जाता है।

(iii) यांत्रिक विधि—जल को साफ करने के लिए यह विधि सबसे प्रचलित हैं। इस विधि में जल शुद्ध करने के लिए फिल्टर, वाटर प्यूरिफायर, आर० ओ० आदि का प्रयोग किया जाता है।

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