12th Board Exam Physics Question Answer :- दोस्तों यदि आप Physics Important Question Class 12th की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको 12th physics important questions with answers pdf in hindi दिया गया है जो आपके Inter Exam physics important questions with answers pdf के लिए काफी महत्वपूर्ण है |
12th Board Exam Physics Question Answer
1. किर्कहॉफ के नियम को लिखें। अथवा, विद्युतीय नेटवर्क के लिए किर्कहॉफ के दोनों नियम लिखें।
उत्तर ⇒ किर्कहॉफ का नियम-विद्युत परिपथ में धारा एवं विभवांतर के वितरण को ज्ञात करने के लिए किर्कहॉफ ने निगम दिए जो इस प्रकार है पहला नियम- इस नियम के अनुसार, किसी बिंदु पर मिलने वाली विद्युत धाराओं का बीजीय योग शून्य होता है। बिंदु की ओर जाने वाली धारा धनात्मक एवं बिंदु से दूर जाने वाली धारा ऋणात्मक होता है।
चित्र से,
I1 + I2 -I3 – I4 = 0
( I1 + I2 ) = ( I3 + I4 ) ……………(i)
दूसरा नियम- इस नियम के अनुसार, “किसी बंद विद्युतीय परिपथ के प्रत्येक भाग में प्रवाहित होने वाली विद्युतधारा तथा उसके प्रतिरोध के गुणनफल का बीजीय योग परिपथ में लगे कुल विद्युत वाहक बल के बराबर होता है।
” चित्र से, बंद परिपथ में विद्युत धारा एवं प्रतिरोध के गुणनफल का बीजीय योग = I1R1 + I2R2 – I3R3
एवं परिपथ में लगा वि. वा. बल = ξ
किर्कहॉफ के अनुसार,
ξ = I1R1 + I2R2 – I3R3 …………….(ii)
समी. (ii) किर्कहॉफ के दूसरा नियम का गणितीय रूप है।
किर्कहाफ का दूसरा नियम ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत पर आधारित है।
2. विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के लिए फैराडे का नियम क्या है ?
उत्तर ⇒विद्युत चुम्बकीय प्रेरण से संबंधित फैराडे के निम्नलिखित दो नियम है
पहला नियम- यदि किसी बंद विद्युत परिपथ से सम्बद्ध फलक्स में समय के साथ परिवर्तन होता है तो परिपथ में विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है और वह तब तक वर्तमान रहता है जब तक चुम्बकीय फ्लक्स का परिवर्तन होता रहता है।
दूसरा नियम- किसी कुंडली या बंद परिपथ में प्रेरित विद्युत वाहक बल का परिमाण उससे सम्बद्ध नुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन की दर के समानुपाती होती है। यदि अल्प समयांतराल dt में फ्लक्स में परिवर्तन dΦ हो तो इस नियम से प्रेरित विद्युत वाहक बल
e α . -dΦ/dt
e = -k.dΦ/dt …………. ..(i)
जहाँ ” एक नियतांक है जिसका मान एक होता है। ऋणात्मक चिह्न स्पष्ट करता है कि फ्लक्स के बढ़ने के क्रम में प्रतिलोमी धारा प्रवाहित होती है।
यदि कुंडली में फेरों की संख्या ‘N’ हो, तो
e = -N (dΦ/dt) …………….(ii)
समी (ii) की मदद से कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल प्राप्त किया जा सकता है।
3. धारावाही प्रेरित्र में चुम्बकीय ऊर्जा का व्यंजक प्राप्त करें ।
उत्तर ⇒ माना कि ‘L’ प्रेरकत्व के किसी प्रेरित्र से किसी समय प्रवाहित तत्कालिक धारा I है तथा समय के सापेक्ष धारा वृद्धि की दर dI/dt है। प्रेरित के टर्मिनल a एवं b के बीच विभवांतर
Vab = L.dI/dt ………….(i)
∴ मुख्य धारा के प्रवाह के क्रम में ‘dq’ आवेश के विस्थापन में संपादित कार्य
dw = dq x L.dI/dt = LI.dI [ ∴ I = dq/dt ]
अतः धारा के मान को शून्य से बढ़ाकर 7 तक लाने में संपादित कार्य
यही कार्य प्रेरित में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है।
अतः प्रेरित में संचित ऊर्जा
U = LI2/2 ………………..(2)
समी. (2) आवश्यक व्यंजक है।
4. शक्ति गुणांक क्या है ?
उत्तर ⇒किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ का शक्ति गुणांक परिपथ की यथार्थ माध्य शक्ति और आभासी माध्य शक्ति का अनुपात है।
∴ शक्ति गुणांक = यथार्थ माध्य शक्ति/आभासी माध्य शक्ति
5. धारा घनत्व से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒किसी चालक के प्रति एकांक क्षेत्रफल से प्रवाहित विद्युत धारा के परिमाण को धारा घनत्व कहा जाता है। इसे ‘J’ द्वारा सूचित किया जाता है।
अतः धारा घनत्व (J) = I/A ………..(i)
धारा घनत्व एक सदिश राशि है जिसकी दिशा हमेशा विद्युत धारा की दिशा की ओर होता है।
धारा घनत्व का SI मात्रक A/m2 होता है।
6. अनुगमन वेग से क्या समझते हैं? इसका व्यंजक प्राप्त करें ।
उत्तर ⇒किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर आरोपित करने पर इलेक्ट्रॉनों का जो वेग होता है, उसे अनुगमन वेग कहा जाता है। इसे ‘Vd’ द्वारा सूचित किया जाता है।
अनुगमन वेग का व्यंजक :
A = अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
माना कि किसी चालक की लम्बाई एवं उसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल क्रमशः । तथा A है, चालक के सिरों के बीच विभवांतर आरोपित करने से इलेक्ट्रॉनों का वेग अर्थात् अनुगमन वेग Vd है। हमें अनुगमन वेग का व्यंजक प्राप्त करना है।
अब l दूरी को तय करने में इलेक्ट्रॉनों का लगा समय
t = l/Vd …………(i)
यदि चालक के प्रति एकांक आयतन में इलेक्ट्रॉनों की संख्या हो, तो चालक से ” समय में प्रवाहित आवेश
Q = nA x Ie …………(ii)
अतः प्रवाहित विद्युत धारा
I = Q/t = nA Ie/I/Vd
Vd = nAVde
Vd = I/nAe …………….(iii)
Vd = J/ne ……………(iv)
जहाँ J = I/Aधारा घनत्व
समी. (iii) या (iv) अनुगमन वेग का व्यंजक है।
Physics Important Question Class 12th
7. प्रतिरोधकता एवं विद्युतीय चालकता से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ प्रतिरोधकता- किसी चालक का प्रतिरोध (R), चालक के लम्बाई (I) के समानुपाती तथा चालक तार के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल (A) के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
अर्थात्
Rρ.I/A
R = Pl/A …………..(i)
जहाँ ρ का नियतांक है जिसे चालक का प्रतिरोधकता कहा जाता है। P इसे विशिष्ट प्रतिरोध भी कहा जाता है। समी. (i) से,
ρ = R/I …………….(ii)
प्रतिरोधकता का SI मात्रक Ωm (ओम-मीटर) होता है।
विद्युतीय चालकता—किसी चालक पदार्थ के प्रतिरोधकता के व्युत्क्रम को विद्युतीय चालकता कहा जाता है. इसे K द्वारा सूचित
किया जाता है। अतः विद्युतीय चालकता
K = 1/ρ …….(i)
K = 1/RA/l ⇒ K = l/RA ………….(ii)
समी. (i) एवं (ii) की मदद से विद्युतीय चालकता का मान ज्ञात किया जा सकता है विद्युतीय चालकता का SI मात्रक Ω-1 M-1 या ohm-1 M-1 या Mhom-1 होता है।
8. ओमीय चालक से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒
वैसे पदार्थ जिनसे विद्युत धारा प्रवाहित करने पर ओम का नियम मान्य होता है, ओमीय चालक कहलाते हैं। ऐसे पदार्थो के लिए प्रतिरोधकता का मान अचर रहता है तथा विभवांतर V एवं धारा I के बीच खींचा गया ग्राफ सरल रैखिक होता है। इस ग्राफ की ढाल से पदार्थ का चालकता (conductance) अर्थात् 1/R प्राप्त होता है। वोल्टता की दिशा उलट देने पर विद्युत धारा की दिशा भी बदल जाती है लेकिन वोल्टता के उस मान के लिए धारा का मान समान रहता है।
9. ओम के नियम की सीमाएँ क्या है?
उत्तर ⇒ओम के नियम की सीमा— कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जिनके लिए V~I ग्राफ सरल रैखिक नहीं होते हैं बल्कि वक्रीय होते हैं. ऐसे पदार्थों को अओमीय पदार्थ कहा जाता है। विद्युत परिपथों में कुछ ऐसे पदार्थ हैं जहाँ ओम का नियम लागू नहीं होता है।
(i) V की I से समानुपातिकता समाप्त हो जाती है।
(ii) V तथा I के बीच संबंध V के चिह्न पर निर्भर करता है अर्थात् यदि V के खास मान के लिए धारा I है तो V का परिमाण स्थिर रखकर इसकी दिशा बदलने पर विपरीत दिशा में I के समान परिमाण की धारा उत्पन्न नहीं होती है। जिसके लिए डायोड एक अच्छा उदाहरण है।
(iii) V तथा I के बीच संबंध से स्पष्ट है कि धारा I के लिए विभव के एक से अधिक मान हो सकते हैं।
10. विद्युतीय शक्ति क्या है ?
उत्तर ⇒ किसी विद्युत परिपथ में विद्युत ऊर्जा के व्यय की दर को उस परिपथ की विद्युत शक्ति कहा जाता है। इसे P द्वारा सूचित किया जाता है।
अतः P = W/t = I2Rt/t
⇒ P = I2R ……………… (1)
⇒ P = IR x I
⇒ P = VI ……………. (2)
समी॰ (1) से,
P = I2R2/R = (IR)2/R
⇒ P = V2R ………… (3)
समी॰ (1), (2) या (3) विद्युतीय शक्ति का व्यंजक है।
11. बीयो- सार्वत नियम क्या है ?
उत्तर ⇒ थीयो और सावंत ने किसी धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र के लिए एक गणितीय व्यंजक दिए, जिसे बीयो सार्वत का नियम कहा जाता है। इस नियम से किसी धारावाही चालक (dt) के कारण P बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र
dB α l
⇒ dB α dt
⇒ dB α.1/r2
⇒ dB α sinθ
⇒ dB α.Idl sinθ/r2
⇒ dB = μ0/4π x Idl sinθ/r2
जहाँ μ0/4π = 10-7 H/M ……….. (1)
4π समी (1) बीयो सार्वत नियम का गणितीय व्यंजक है।
bihar board 12th physics question
12. विद्युत वाहक बल एवं विभव मापी से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒एकांक धनावेश को किसी सेल को एक सिरे से दूसरे सिरे तक ले जाने में किया गया कार्य विद्युत वाहक बल कहलाता है। इसे ξ या ε द्वारा सूचित किया जाता है। यदि q आवेश की बैटरी के एक सिरे से दूसरे सिरे तक ले जाने में किया गया कार्य w हो तो विद्युत वाहक बल
ξ = w/q
विद्युत वाहक बल का SI मात्रक जूल प्रति कुलम्ब होता है जिसे वोल्ट कहा जाता है।
विभवमापी- विभवमापी एक ऐसा विद्युतीय उपकरण है, जिसके द्वारा किसी सेल के विद्युत वाहक बल अथवा किसी विद्युतीय परिपथ के दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर की माप की जाती है एवं इसके द्वारा दो सेलों के विद्युत वाहक बल की तुलना किया जाता है।
13. लॉरेंटज बल क्या है ?
उत्तर ⇒ यदि कोई आवेशित कण किसी स्थान पर स्थित हो एवं उस स्थान पर विद्युतीय क्षेत्र E तथा चुम्बकीय क्षेत्र B दोनों स्थित हो तो उस आवेशित कण पर लगने वाला परिणामी बल दोनों बलों के सदिश योगफल के बराबर होता है।
अर्थात F = Fe+Fm ……………….. (1)
Fm = qE
Fm = qE+q(V+B) ………….(2)
समी. (1) से,
समी. (2) को ही लॉरेंटज का संबंध कहा जाता है एवं इस बल को लॉरेंटज का बल कहा जाता है।
14. विद्युत चुम्बकीय प्रेरण क्या है ?
उत्तर ⇒ किसी बंद कुंडली और चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में विद्युत वाहक बल के प्रेरित होने की घटना को विद्युत बल चुम्बकीय प्रेरण कहा जाता है। कुंडली में उत्पन्न विद्युत वाहक बल को प्रेरित विद्युत वाहक तथा उत्पन्न धारा को प्रेरित धारा कहा जाता है।
15. लेंज के नियम को लिखें एवं समझावें अवया, लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के सिद्धान्त का पोषण करता है, कैसे?
उत्तर ⇒ विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की घटना से प्रेरित विद्युत वाहक बल तथा प्रेरित धारा की दिशा लेंज के नियम से ज्ञात की जाती है। यह नियम ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत पर आधारित है, इस नियम के अनुसार, “विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के कारण किसी परिषद में प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होती है कि वह उस कारण का ही विरोध करती है। जिसके कारण वह स्वयं उत्पन्न होती है।
इस नियम की सत्यता चित्र में दिखाए गए प्रयोग से स्पष्ट हो जाता है। जब छड़ चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुंडली की ओर गतिशील किया जाता है, तब कुंडली के उस सिरे पर Anti clockwise धारा प्रेरित होती है, जो एक उत्तरी ध्रुव का कार्य करती है। अतः प्रेरित धारा की दिशा आते हुए चुम्बक को प्रतिकर्षित करती है। इसी प्रकार जब चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुंडली से दूर ले जाते है तब गैल्वेनोमीटर मैं विपरीत दिशा में विक्षेप होता है अर्थात् कुंडली के उस सिरे पर clockwise धारा प्रेरित होती है जो एक दक्षिणी ध्रुव के समान कार्य करती है। यहाँ प्रेरित धारा की दिशा दूर जाते हुए चुम्बक को अपनी ओर आकर्षित करती है अतः प्रेरित धारा की दिशा ऐसी होती है जो उस कारण का ही विरोध करती है जिससे वह स्वयं उत्पन्न करती है।
16. स्वप्रेरण एवं अन्योन्य प्रेरण में अंतर स्पष्ट करें। [BSEB, 2016] अथवा, स्वप्रेरण एवं अन्योन्य प्रेरण से आप क्या समझते है ?
उत्तर ⇒ किसी कुंडली से प्रवाहित धारा को परिवर्तित करने पर स्वयं उसी कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल तथा प्रेरित विद्युत धारा को उत्पन्न होने की घटना को स्वप्रेरण कहा जाता है। जबकि एक कुंडली में धारा के परिवर्तन के कारण दूसरी कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होने की घटना को अन्योन्य प्रेरण कहा जाता है।
17. गतिकीय विद्युत् वाहक बल क्या है ?
उत्तर ⇒ अचर चुम्बकीय क्षेत्र में गतिशील चालक में प्रेरित विद्युत वाहक बल को गतिकीय विद्युत वाहक बल कहा जाता है।
माना कि एक अचर चुम्बकीय क्षेत्र B जो कागज के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर है मैं एकलुप चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर V वेग से गतिशील है। माना की अल्प समय dt में खूप अल्प विस्थापन
में विस्थापित होता है। अतः लूप के क्षेत्रफल में कमी = -ldx ……..(1)
अतः चुम्बकीय फलक्स में कमी
dΦ = Bldx ……….(2)
यदि प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान हो तो
e = -dΦ/dt
= -d ( -Bldx)/dx [∴ V = dx/dt ]
e = BIV ……..(3)
समी (3) गतिकीय विद्युत वाहक बल का व्यंजक है
I= e/R = BIV/R …………….(4)
समी (4) की मदद से प्रेरित धारा का मान ज्ञात किया जा सकता है।
18. भँवर धाराएँ से क्या समझते हैं ? इसके दो उपयोग को लिखें ।
उत्तर ⇒ फोकी नामक वैज्ञानिक ने अपने प्रयोग से यह देखा की यदि कोई धातु का टुकड़ा बदलते हुए चम्बकीय क्षेत्र में रखा हो या किसी चुम्बकीय क्षेत्र में इस प्रकार से गतिशील हो तो उससे सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में समय के साथ परिवर्तन हो तो धातु के संपूर्ण आयतन में प्रेरित धाराएँ उत्पन्न हो जाती है जो धातु के टुकड़े की गति का विरोध करती है। ये धाराएँ चक्रवात होती है। इसलिए इन्हें भँवर धाराएँ या फोको धारा कहा जाता है। ये धाराएँ उतनी प्रबल होती है कि धातु का टुकड़ा गर्म होकर लाल हो जाता है।
इसके दो उपयोग निम्न हैं:
(i) रेलगाड़ी के चुम्बकीय ब्रेक में।
(ii) विद्युत चुम्बकीय अवमंदन में ।
19. किसी चालक की प्रतिरोधकता ताप पर कैसे निर्भर करता है ?
उत्तर ⇒ किसी चालक के पदार्थ की प्रतिरोधकता ताप के बढ़ने से बढ़ती है और ताप के घटने से घटती है। किसी धातु की प्रतिरोधकता की ताप पर निर्भरता को निम्नलिखित समी. से व्यक्त कर सकते हैं
जहाँ ρt = ρo = (1+α.t)
ρo = 0°C ताप पर प्रतिरोधकता
ρt = t°C ताप पर प्रतिरोधकता
α = नितयांक है, जिसे पदार्थ का प्रतिरोधकता ताप गुणांक कहते हैं जिसका मात्रक K-1 होता है।
12 ka physics ka question answer
20. अतिचालकता से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं जिनकी प्रतिरोधकता ताप घटाने पर धातु की तरह पहले नियमित रूप से घटती है और एक ताप पर उसकी प्रतिरोधकता एकाएक घटकर शून्य हो जाती है। इस घटना को अतिचालकता कहते है और ऐसे पदार्थ को अतिचालक कहा जाता है।
21. चालक, अर्द्धचालक एवं अचालक से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ चालक— ऐसे पदार्थ जिनकी प्रतिरोधकता बहुत कम होती है, चालक कहे जाते हैं। चाँदी सबसे श्रेष्ठ चालक है। ताप के बढ़ने पर चालकों की प्रतिरोधकता बढ़ती है। अर्द्धचालक- ऐसे पदार्थ जिनकी प्रतिरोधकता चालकों और अचालकों की प्रतिरोधकताओं के बीच होती है, अर्द्धचालक कहे जाते हैं। जरमेनियम एवं सिलिकन अर्द्धचालक के उदाहरण है। ताप के बढ़ने पर अर्धचालकों की प्रतिरोधकता घटती है। अचालक — ऐसे पदार्थ जिसकी प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है, अचालक कहे जाते है। रबर, काँच की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है।
22. गतिशीलता से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ एकांक परिमाण के विद्युत क्षेत्र से उत्पन्न अनुगमन वेग को गतिशीलता कहा जाता है। इसे ” द्वारा सूचित किया जाता है। Vd
अतः गतिशीलता μ = Vd/E
23. ऐम्पियर को परिभाषित करें।
उत्तर ⇒ किन्हीं दो समानांतर और सीधे धारावाही चालकों के बीच क्रियाशील बल
F/t = M0.I1I2/r
∴ M0= 4π x 10-7 H/M, I1 = I2 = r = 1 तो
F/l =2 x 10-7 N/m
अतः एक ऐम्पियर प्रबलता की विद्युत धारा वह स्थायी धारा है जो वायु या निर्वात में एक-दूसरे से एक मीटर की दूरी पर स्थित दो लंबे, सीधे एवं समानांतर चालकों से प्रवाहित होने पर उनके बीच 2 x 10-7 N/m का बल उत्पन्न कर देती है।
24. ऐमीटर को हमेशा श्रेणीक्रम में और वोल्टमीटर को समानांतर क्रम में जोड़ा जाता है, क्यों ?
उत्तर ⇒ ऐमीटर किसी विद्युत परिपथ में प्रवाहित होने वाली धारा का मान देता है। किसी परिपथ में यह श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है ताकि मापी जाने वाली कुल धारा इससे होकर गुजरे।
इसके विपरीत वोल्टमीटर किसी विद्युतीय परिपथ के किसी भाग पर उत्पन्न विभवांतर की माप प्रदान करता है। परिपथ के जिस भाग पर उत्पन्न विभवांतर की माप ज्ञात करनी होती है, वोल्टमीटर को उस भाग के समानांतर क्रम में जोड़ा जाता है।
25. डायनेमो क्या है ?
उत्तर ⇒ डायनेमो एक ऐसा यंत्र है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है। यह यंत्र विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित है।
26. उन दो कारकों को लिखें जिस पर तापयुग्मी में उत्पन्न ताप विद्युत वाहक बल पर निर्भर करता है।
उत्तर ⇒ (i) तापयुग्मी में ताप विद्युत वाहक बलयुग्मी के संधियों के बीच तापमान के अंतर पर निर्भर करता है। (ii) तापयुम्मी के धातु जितना ज्यादा विद्युत ऋणात्मक एवं विद्युत धनात्मक होगा, ताप विद्युत वाहक बल उतना ही अधिक होगा ।
27. शेट क्या है ?
उत्तर ⇒ यह एक अल्पमान का प्रतिरोध है, जिसे ऐमीटर के कुंडली में समानांतर क्रम में जोड़ा जाता है जिससे ऐमीटर की माप सीमा बढ़ जाती है।
यदि I = महत्तम धारा जिसे मापना है।
Ig = कुंडली से प्रवाहित धारा
rs = शंट का प्रतिरोध
Rc = कुंडली का प्रतिरोध हो, तो
∴ Ic x Rc = ( I – Ic ).rs
Ic . Rc = ( I.rs – Ic.rs
Ic(Rc + rs ) = I.rs
Ic = I.rs/(Rc + rs ) ;………………(1)
समी. (1) की मदद से शंट का प्रतिरोध ज्ञात किया जा सकता है।
28. चोक कुंडली क्या है ? अथवा, चोक कुण्डली के उपयोग समझाइए ।
उत्तर ⇒ चोक कुंडली चोक कुंडली उच्च प्रेरकत्व की एक कुंडली होती है जो नरॅम लोहे के क्रोड पर विद्युतरोधी ताँबे के तार को लपेटकर बनाई जाती है। इस कुंडली का प्रतिरोध लगभग शून्य रहता है। परन्तु लोहे के क्रोड के कारण प्रेरकत्व का मान बहुत अधिक । होता है और इसका प्रतिघात बहुत अधिक होता है जो परिषद की प्रतिबाधा बढ़ा देता है। चोक कुंडली का लाभ यह है कि इसके कारण परिपथ में विद्युत ऊर्जा का व्यय न्यूनतम होता है।
12th Board Exam Physics Question
Class 12th – Physics Objective | ||
1 | विद्युत क्षेत्र तथा विद्युत आवेश | Click Here |
2 | विद्युत विभव एवं धारिता | Click Here |
3 | विद्युत धारा एवं परिपथ | Click Here |
4 | विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव | Click Here |
5 | चुंबकत्व | Click Here |
6 | विद्युत चुंबकीय प्रेरण | Click Here |
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9 | किरण प्रकाशिकी | Click Here |
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BSEB Intermediate Exam 2023 | ||
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