Class 12th Physics Subjective Question2024 In Hindi :- दोस्तों यदि आप Class 12th Exam 2024 Physics Question की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको 12th Physics Chapter Wise Subjective Question दिया गया है जो आपके Physics 12th Question And Answer pdf के लिए काफी महत्वपूर्ण है | class 12th physics question
Class 12th Physics Subjective Question 2024 In Hindi
1.गॉस के प्रदेश को लिखें एवं प्रमाणित करें। इस प्रमेय के उपयोग से अति लंबे आवेशित वेलन के कारण, विद्युतीय क्षेत्र का व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर ⇒ गॉस का प्रमेय इस प्रमेय के अनुसार, ‘किसी विद्युतीयक्षेत्र में बंद तल से होकर गुजरने वाला कुल विद्युतीय फ्लक्स तल के भीतर स्थित कुलआवेश का 1/εo है गुना होता है।
प्रमाण : माना कि किसी बंद तल 5 के भीतर O बिंदु पर +2 आवेश स्थित है और इस तल पर बहुत ही छोटे क्षेत्र ds के किसी बिंदु P की O से दूरी है। अतः q आवेश के कारण P बिंदु पर विद्युत क्षेत्र
E = 1/4πεo.q/r2 ………..(1)
अब अल्पांशीय क्षेत्र ds से होकर गुजरनेवाला विद्युतीय फ्लक्स
dΦ = Eds cos θ
= 1/4πεo.q/r2.ds cos θ
= 2/4πεo.ds cos θ/r2
dΦ = 2/4πεo.dΩ ………………(2)
अतः पूरे बंद तल से होकर गुजरनेवाला कुल विद्युतीय फ्लक्स
Φ = q/4πεo . ∫ dΩ = q/4πεo x Ω
Φ = 2/4πεo x 4π
Φ = 1/εo x q = 1/εo x बंद तल के भीतर स्थित आवेश (q) …….. (3)
समी. (3) ही गॉस के प्रमेय को प्रमाणित करता है।
अति लंबे आवेशित वेलन के कारण किसी बिंदु पर विद्युतीय क्षेत्र- माना कि AB एक अति लंबा तथा एकसमान रूप से आवेशित बेलन है जिसके प्रति एकांक लम्बाई पर आवेश 2 है। बेलन के अक्ष से दूरी पर एक बिंदु ‘P’ है जहाँ विद्युतीय तीव्रता का व्यंजक प्राप्त करना है। इसके लिए ‘ लम्बाई तथा त्रिज्या के समाक्षीय बेलन की की गई जो P से होकर गुजरता है। ऐसी सतह को गॉसीय सतह कहा जाता है। अब गाँसीय सतह से होकर गुजरनेवाला कुल विद्युतीय फ्लक्स = EdS cos 0° = Eds, cos 90° + Eds, cos 90°
Φ = Φ1 + Φ2 + Φ3
= E.ds cos 0o = E.ds1 cos 90o + Eds1 cos 90o
= E x 2πrl + 0 + 0
Φ = E x 2πrl ……….(1)
अब गॉस के प्रमेय से,
किसी बंद तल से होकर गुजरनेवाला कुल विद्युतीय फ्लक्स
Φ = 1/εo x बंद तल के भीतर स्थित आवेश
Φ = 1/εo x lλ …………..(2)
समी (1) एवं (2) से,
Φ = 1/εo x lλ = E × 2πrl
E = 1/2πεo.λ/r ………(3)
समी. (3) अति लंबे आवेशित बेलन के कारण P बिंदु पर विद्युतीय तीव्रता का व्यंजक है।
2. समानांतर प्लेट संधारित्र के धारिता का व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर ⇒
चित्र में एक समानांतर प्लेट संधारित्र को दिखाया गया है, जिसमे प्लेट का थे. ‘A’ तथा दोनों प्लेटों के बीच की दूरी ‘ है एवं प्लेट के प्रति एकांक क्षे. पर स्थित आवेश अर्थात् Earthed आवेश का पृष्ठीय घनत्व ‘0’ है, हमें समानांतर प्लेट संधारित्र के धारिता का व्यंजक प्राप्त करना है। हम जानते है कि आवेशित समतल प्लेट के कारण किसी बिन्दु पर विद्युतीय तीव्रता
E = σ/εoεr ……….(1)
(a) एक समान माध्यम के लिए यदि दोनों प्लेटों के बीच स्थित माध्यमे की विद्युतशीलता वा पारो वैद्युत, हो एवं दोनों प्लेटों के बीच विभवांतर “V” हो, तो हम लिख सकते हैं, कि
V = E x d
V = σ/εoεr × d ………………(2)
प्लेट के एकांक क्षेत्र पर स्थित आवेश σ है।
∴ प्लेट के A क्षेत्र पर स्थित आवेश
Q = Aσ ……………(3)
यदि समानांतर प्लेट संधारित्र की धारिता ‘C’ हो, तो
C = Q/V …………..(4)
समी. (2), (3) एवं (4) से,
C = Aσ/σ/εoεr.d
C = εoεrA/d ………..(5)
यदि दोनों के बीच हवा स्थित हो, तो 8, = 1
C = εoA/d ………..(6)
(b) यौगिक माध्यम के लिए :
यदि दोनों प्लेटों के बीच स्थित माध्यम की मुटाई क्रमशः d1, d2 एवं d3 है एवं इनकी विद्युतशीलता क्रमशः t1 , t2 एवं t3 हो तो हम लिख सकते हैं कि दोनों प्लेटों के बीच का विभवांतर
V = V1 + V2 + V3
V = E1d1 + E2d2 + E3d3
V = σ/εoε1 + σ/εoε2 + σ/εoε3
V = σ/εo ( d1/ε1 + d2/ε2 + d3/ε3 ) …………..(7)
प्लेट के एकांक क्षेत्र पर स्थित आवेश σ है।
∴ प्लेट के A क्षेत्र पर स्थित आवेश
Q = Aσ …………(8)
अतः समानांतर प्लेट संधारित्र की धारिता
C = Q/V. Aσ/σ/εo ( d1/ε1 + d2/ε2 + d3/ε3 )
C = εoA ( d1/ε1 + d2/ε2 + d3/ε3 )
समी. (5) एवं (9) की मदद से एक समान माध्यम एवं यौगिक माध्यम के लिए समानांतर प्लेट संधारित्र की धारिता ज्ञात किया जा सकता है।
3. गॉस के प्रमेय की मदद से किसी आवेशित गोलीय चालक के कारण किसी बिंदु पर विद्युतीय तीव्रता का व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर ⇒ माना कि a त्रिज्या के आवेशित गोला के सतह पर +Q आवेश एक समान रूप से वितरित है। इस आवेशित गोले के केन्द्र से दूरी r पर एक बिंदु p है जहाँ विद्युतीय तीव्रता का व्यंजक प्राप्त करना है । इसके लिए, r त्रिज्या के एक गोलाई सतह की कल्पना की गई है, जो गॉसीय सतह कहा जाता है।
Case: a जब बिंदु ‘P ‘ गोला के बाहर स्थित हो :
यदि ‘P ‘ बिंदु पर विद्युतीय तीव्रता हो तो गॉसीय सतह से होकर गुजरने वाला कुल
विद्युतीय फ्लक्स
Φ = E × S × cos 0°
Φ = E × 4πr2 × 1 = E × 4πr2 ………….(1)
अब गॉस के प्रमेय से,
किसी बंद सतह से होकर गुजरने वाला कुल विद्युतीय
फ्लक्स
Φ = 1/εo × बंद तल के भीतर स्थित आवेश
Φ = 1/εo × Q
समी. (1) से (2) से
E = 4πr2 = 1/εo × Q …………(3)
Case (b): जब बिंदु गोला के अंदर स्थित हो :
इस स्थिति में,
गाँस के प्रमेय से,
Φ = 1/εo × बंद तल के भीतर स्थित आवेश
Φ = 1/εo × 0 = 0 ………..(4)
समी (1) एवं (4) से,
E × 4πr2 = 0 ⇒ E = 0 ……….. (5)
समी (4) एवं (5) की मदद से एक समान रूप से आवेशित गोले के कारण किसी बिंदु पर विद्युतीय तीव्रता का व्यंजक है।
12th Exam Physics Subjective Question
4. सिद्धांत सहित किसी वान-डे-ग्राफ जनित्र की बनावट एवं क्रिया पद्धति की व्याख्या करें।
उत्तर ⇒ सिद्धान्त— यह दो सिद्धान्त पर स्थिर विद्युतीय आधारित है
(i) किसी नुकीले भागों से त्रिज्या के दिशा में हवा या गैसों का विद्युत विसर्जन होता है।
(ii) यदि खोखला चालक किसी आवेशित चालक के सम्पर्क में रखा जाए तब खोखला चालक आवेश प्राप्त करने लगता है तथा इसका विभव बढ़ने लगता है। यह आवेश खोखले चालक पर तेजी से सतह पर वितरित हो जाता है।
बनावट — इसकी बनावट को चित्र में दिखाया गया है। इसमें अचालक के दो स्तम्भों P तथा P2 पर चालक पदार्थ का खोखला गोला S होता है। इसमें A और B दो घिरनी के ऊपर अचालक पदार्थ की पट्टी होती है। चिरनियों को मोटर से घुमाया जाता है। C और C दो धातु-कंधी होता है। इसमें C चालक 5 से जुड़ा रहता है। इसे संग्राहक कंघी कहा जाता है। P को उत्सर्जक कंघी कहा जाता है जो पट्टी के निचले सिरा पर होता है। यह उच्च धन है विभव से जुड़ा होता है।
क्रिया- C1 को उच्च धन विभव से जोड़ने पर नुकीले सिरे से धन आवेश का विसर्जन होने लगता है। यह धन आवेश पट्टी के ऊपर चढ़ता है। पट्टी के घूमने से आवेश C1 के पास पहुँचता है। यह आवेश C2 के द्वारा गोला S के बाहरी सतह पर वितरित होने लगता है। लगातार 5 पर धन आवेश संचित होने से इसका विभव बढ़ने लगता है। इसके द्वारा कई लाख वोल्ट तक का विभव प्राप्त किया जा सकता है। पूरा यंत्र स्टील के चैम्बर में बंद रहता है। ऐसा करने से आवेश का S से विसर्जन नहीं होता है।
5. किसी आविष्ट चालक के स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक प्राप्त करें एवं दो चालकों के आवेश वितरण में ऊर्जा हानि का व्यंजक प्राप्त करें ।
उत्तर ⇒
माना कि किसी चालक की धारिता ‘C’ है, एवं इसे ‘Q’ आवेश तक आवेशित करना है, हमें इस दौरान सम्पादित कार्य का व्यंजक प्राप्त करना है। यदि चालक को आवेशित करने के क्रम में किसी क्षण चालक पर आवेश ” हो तो उस क्षण चालक पर विभव
V = q/c ………… (1)
यदि चालक को और अल्प आवेश ‘dq’ दिया जाए तो इस दौरान सम्पादित कार्य
dW = v. dq ……… (2)
dW = q/c. dq ……… (3)
अतः चालक को q = 0 से q = Q तक आवेशित करने में सम्पादित कुल कार्य
समी॰ (7) किसी चालक को आवेशित करने में सम्पादित कार्य का व्यंजक है। यही कार्य उस चालक में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है, जिसे विद्युत स्थैतिक स्थितिज ऊर्जा कहा जाता है।
अतः आवेशित चालक की विद्युत स्थैतिज ऊर्जा
P.E = U = 1/2 CV2 = Q2/2C = 1/2QV
समी. (8) आवेशित चालक के स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक है।
चालकों के आवेश वितरण में ऊर्जा हानि का व्यंजक—माना कि C1 तथा C2 धारिता के दो चालक है, जिन्हें V1, तथा V2 विभव तक आवेशित किया गया है, हमें आवेश वितरण में ऊर्जा हानि का व्यंजक प्राप्त करना है।
जब दोनों चालकों एक-दूसरे से काफी अधिक दूरी पर स्थित हो, तो वे एक-दूसरे को प्रभावित नहीं करेंगे।
जब दोनों चालकों को सुचालक तार से जोड़ दिया जाता है, तो आवेश उच्च से निम्न विभव की ओर प्रवाहित होने लगता है, और यह तब तक प्रवाहित होता है, जब तक कि दोनों का विभव समान न हो जाए। यदि दोनों चालकों का उभयनिष्ठ विभव ‘V’ हो, तो आवेश संरक्षण
सिद्धांत से,
प्रारंभिक आवेश = अंतिम आवेश
C1V1 + C2V2 = C1V+ C2V
⇒ C1V1 + C2V2 = V (C1 + C2)
⇒ V = C1V1 + C2V2/C1 + C2 ……….(1)
प्रारम्भ में चालकों की ऊर्जा
Ui = 1/2C1V12+ C2V22 ……(2)
अंत में चालकों की ऊर्जा
Uf = 1/2C1V2+ 1/2C2V2
Uf = 1/2 (C1 + C2)V2
Uf = 1/2 (C1 + C2). ( C1V1 + C2V2 )2/ (C1 + C2)2
Uf = 1/2 ( C1V1 + C2V2 )2/ (C1 + C2)
अतः ऊर्जा में हानि, Ui – Uf
1/2C1V12+ C2V22 – 1/2 ( C1V1 + C2V2 )2/ (C1 + C2)
1/2C1V12+ C2V22 (C1 + C2) – C12V12+ C22V22 + 2 C1V1·C2V2 / (C1 + C2)
V2( V12+V22 – 2V1·V2 )
ऊर्जा में हानि 1/2· C1·C2 (V1 – V2 )2 /C1 + C2 > 0 (धनात्मक) ………………(4)
समी (4) की मदद से आवेश के पुर्नवितरण में ऊर्जा हानि का व्यंजक है यह हानि सुचालक तार में ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में स्थांतरित हो जाता है। …
6. चुम्बकीय द्विध्रुव के कारण किसी बिन्दु पर चुंबकीय विभव एवं चुंबकीय प्रेरण का व्यंजक प्राप्त करें ।
उत्तर ⇒ माना कि SN चुंबकीय द्विध्रुव है, जिसका चुंबकीय आघूर्ण M है, जहाँ M = m x 2l
चुंबकीय द्विध्रुव के मध्य बिंदु 0 से दूरी पर एक बिंदु ‘P’ है, जहाँ चुंबकीय विभव एवं प्रेरण का व्यंजक प्राप्त करना है। चुंबकीय विभव :
चित्र से,ΔOKN में,
cos θ = OK/ON = OK/l
∴ OK = l cos θ ……………. (1)
ΔSOT में,
cos θ = OT/OS = OK/l
∴ OT = l cos θ ……… (2)
पुन: ΔSPT में,
cos α = PT/SP
θ का मान बहुत कम है।
cos α = 1
PT/SP ≈ 1
∴ SP = PT = OP + OT
SP = ( r + l cos θ)
एवं ΔPKN में,–
cos β = PK/NP
β का मान बहुत कम है।
cosβ = 1
PK/NP ≈ 1
NP = PK = OP – OK–
NP = (r – l cos θ )
अतः चुंबकीय द्विभुव के कारण ‘P’ बिन्दु पर चुंबकीय विभव
V = μ0/4π·m/NP – μ0/4π·m/SP
= μ0/4π·m [ 1/r – l cosθ – 1/r + l cosθ ]
= μ0/4π·m [ r + l cosθ – r + l cosθ/(1/r – l cosθ) (r + l cosθ) ]
= μ0/4π·(m × 2l) cosθ/r2 + l2 cos2θ ………….. (5))
जहां , M = m x 2l
∴ r >> I cos θ
∴ l2 cos2 θ के मान को नगन्य होने के कारण छोड़ने पर (6)
V = μ0/4π·Mcosθ/r2 ………………….(6)
सभी (6) चुंबकीय द्विध्रुव के कारण किसी बिन्दु पर चुंबकीय विभव का व्यंजक है।
चुंबकीय प्रेरण-
हम जानते हैं कि
Br = -dV/dr ….. (7)
समी॰ (6) एवं (7) से,
Br = -d [μ0 /4π·M cos θ/r2]
= μ0 /4π·M cos θ·d(r–2)/dr
= μ0 /4π·M cos θ·[-2] r3
Br = μ0 /4π·2M cos θ/r3 ……………. (8)
चित्र से, dy = rdθ
Bθ = –dv/dy = –dv/rdθ ………(9)
समी. (6) एवं (9) से,
Bθ = –d[μ0 /4π·2M cos θ/r2]/rdθ
= -μ0 /4π·M/r3·d(cos σ)/dθ
= -μ0 /4π·M/r3·(–sin θ)
= -μ0 /4π·M/r3·sin θ ……….. (10)
चुंबकीय द्विध्रुव के कारण ‘P‘ बिन्दु पर परिणामी चुंबकीय प्रेरण
B = √(Br)2 +(Bθ)2
= √(μ0 /4π·2M cos θ)2/r3 + (μ0 /4π·2M sin θ)2
= μ0 /4π·M/r3√4cos2 θ + sin2 θ
= μ0 /4π·M/r3√4cos2 θ + 1 – cos2 θ
B = μ0 /4π·M/r3√1 + 3cos2 θ …………. (11)
यदि परिणामी चुंबकीय प्रेरण ‘B‘ Br के साथ α कोण बनावे तो,
tan α = Bθ/Br = μ0 /4π × M sin θ/r3/μ0 /4π × M cos θ/r3
tan α = 1/2 tan θ
∴ α = tan-1 (1/2 tan θ) …………….(12)
समी॰ (11) एवं (12) की मदद से चुंबकीय द्विध्रुव के कारण किसी पर चुंबकीय प्रेरण का परिमाण एवं दिशा ज्ञात किया जा सकता है।
Class 12th Physics Subjective in HIndi
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