Sociology 5 Marks Subjective Question 2024 Class 12th | 12th VVI Sociology Question Answer PDF

Sociology 5 Marks Subjective Question 2024 :-   दोस्तों यदि आप लोग Bihar Board 12th Exam Sociology Question Paper 2024 की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको Class 12th Sociology Ka Subjective Question pdf  का महत्वपूर्ण प्रश्न दिया गया है | 12th vvi Sociology Question Answer 2024v PDF Download


Sociology 5 Marks Subjective Question 2024

1. भारत में हरित-क्रान्ति के सामाजिक-आर्थिक परिणामों की व्याख्या करें। 

उत्तर   भारतीय ग्रामीणं अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है। भारतीय नियोजनकर्ताओं ने कृषि में वृद्धि करने के लिए समय-समय पर अनेक प्रयास किये हैं। इन्हीं प्रयासों में हरित क्रान्ति भी है। हरित क्रान्ति कृषि के विकास के क्षेत्र में एक ऐसा वट वृक्ष है, जिसके तने के रूप में अनेक कार्यक्रम कृषि के विकास के लिए कार्यरत हैं और इन सभी कार्यक्रमों का समन्वित रूप ही ‘हरित क्रान्ति’ है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत केवल ऐसे क्षेत्रों को लिया गया, जहाँ सिंचाई की या तो पर्याप्त सुविधा उपलब्ध थी अथवा वहाँ पर्याप्त मात्रा में वर्षा होती थी।

‘हरित क्रान्ति’ का लोगों के सामाजिक, आर्थिक क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ा है। इस क्रान्ति से खाद्य उत्पादन में वृद्धि हुई है जिससे देश में खाद्य की स्थिति में सुधार हुआ है। साथ ही इससे भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है। इस क्रान्ति ने किसानों की मानसिकता में बदलाव में अहम् भूमिका अदा किया है। इस संबंध में आंद्रे बेतेई ने कहा कि, “हरित क्रान्ति ने भारतीय किसानों की सक्रियता में एक नया विश्वास जगाया है, क्योंकि इसने न केवल तकनीकी नवाचार को शीघ्रता से आत्मसात करने की क्षमता दिखाई है बल्कि सामाजिक प्रबंधों को निपुणता के साथ संचालित भी किया है। “

इस कार्यक्रम से लघु एवं गरीब किसानों, बटाईदारों और भूमिहीन कृषि मजदूरों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति में अस्थिरता पैदा हुई है। इस क्रान्ति में नवीन तकनीकी तथा उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक, औषधि, सिंचाई आदि का उपयोग किया जाता है। जिससे लघु एवं सीमांत किसानों के बीच दूरी बहुत अधिक बढ़ गई है।

संपन्न किसान जमीन से अधिक मुनाफे कमा रहे हैं परन्तु कृषि मजदूरों की वास्तविक मजदूरी अधिकांश स्थानों पर घट रही है। बड़ी संख्या में बटाईदार भूमिहीन के कतार में आ गये हैं ।

हरित क्रान्ति के कारण जहाँ सामान्य संपन्नता आई है, उससे वहीं गरीब किसान, बटाईदार तथा भूमिहीन कृषि मजदूर लाभप्रद हिस्सेदार बनने में सक्षम नहीं हो पाए हैं।


2. भारतीय कृषक समाज के निर्धनता के कारणों की विवेचना करें।

उत्तर ⇒  भारतीय कृषक के निर्धनता के पीछे अनेक कारण हैं, जिसे निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है—

(i) सामाजिक कारक — भारत में सहकारी समितियों, प्रखण्ड एवं जिला विकास समितियों तथा विद्यालय प्रबंध मंडलों में संस्तरणात्मक प्रणाली देखने को मिलती है। इसमें सम्पन्न या सुविधा प्राप्त लोगों के प्रति आदर का भाव सामाजिक व्यवस्था के सभी स्तरों पर पाया जाता है। परिणाम यह होता है कि जो संगठन सामाजिक असमानता को समाप्त करने के उद्देश्य से बनाये जाते हैं, उसमें भी संस्तरण पनप जाता है। ऐसी स्थिति में सामाजिक सुधार कार्यक्रमों का लाभ उन लोगों को ही विशेषतः मिल पाता है, जो संस्तरणात्मक प्रणाली के शिखर पर हैं। इस प्रकार समाज के गिने-चुने लोग ही इन कार्यक्रमों का लाभ उठाकर और अधिक सम्पन्न हो जाते हैं।

(ii) आर्थिक कारक (Economic Factor)– कृषक समाजों में सामान्यतः भूमि का स्वामित्व एक नियंत्रण आर्थिक शक्ति का प्रमुख स्रोत है। भारत में कुछ लोग ऐसे जिनके पास प्रचुर मात्रा में भूमि है, तो कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इससे पूर्णत: वंचित है। भू-स्वामियों और भूमिहीनों के बीच प्रभुत्व एवं निर्भरता के परंपरागत बंधन पाये जाते हैं जो प्रथम प्रकार के लोगों को भूमिहीनों को अनेक तरीकों से नियंत्रित करने में समर्थ बना देते हैं।

(iii) जीवन का ढंग (Style of Life) — ग्रामीण सामाजिक संरचना की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता जीवन के ढंग सम्बन्धी अन्तरों के रूप में है। भारतीय गाँवों में बड़े भू-स्वामी, जागीरदार एवं जमींदार आदि पक्के मकानों तथा कोठियों में रहते हैं। बटाईदार और कृषि श्रमिक कच्चे मकानों या झोपड़ियों में रहते हैं।

(iv) राजनीतिक कारक (Political Factor) — ग्रामीण क्षेत्रों में शक्ति और सत्ता की दृष्टि से असमानताएँ पाई जाती है। गाँवों में एक ही व्यक्ति में विशेषाधिकार सम्पत्ति एवं शक्ति एक ही व्यक्ति में केन्द्रित होती है तथा सामाजिक दृष्टि से भी विविध साधनों एवं सुविधाओं से वंचित रहते हैं। ऐसी स्थिति में समाज को समतावादी आधार पर निर्मित करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी दशा में विकास एवं सुधार कार्यों में लगे लोगों का संस्तरणात्मक प्रणाली के शिखर पर बैठे समूहों को छोड़कर उन लोगों तक पहुँचना जिनके लाभ के लिए योजनाएँ बनाई गई है, बहुत कठिन है, परिणामस्वरूप विकास कार्यक्रमों एवं किसी भी नवीन योजना का लाभ साधारणत: उन्हीं लोगों को मिल पाता है जो पहले से सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न हैं।


3. मंडल आयोग ने पिछड़े वर्गों के निर्धारण की कौन-सी कसौटियाँ सुझायीं?

उत्तर मंडल आयोग ने अन्य पिछड़े वर्गों के निर्धारण के लिए निम्नलिखित सुझाव दिया —

(1) सामाजिक रूप से अन्य पिछड़े वर्ग वे हैं—

(i) जो वर्ग अपनी आजीविका के लिए मुख्यत: शारीरिक श्रम पर निर्भर रहते हैं।

(ii) जिन्हें दूसरे व्यक्तियों द्वारा सामाजिक रूप से पिछड़ा समझा जाता है।

(iii) जिसमें 17 वर्ष से कम आयु के लड़कों और लड़कियों का कम आयु में ही विवाह होने का अधिक प्रचलन

(iv) जिनमें राज्य की औसत की तुलना में स्त्रियों द्वारा दो प्रतिशत अधिक शारीरिक श्रम किया जाता है।

(2) शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग वे हैं

(i) जिनमें 5 से 15 वर्ष की आयु तक कभी भी स्कूल न जाने वाले बच्चों का प्रतिशत राज्य के औसत से 25 प्रतिशत अधिक हो।

(ii) जिनमें इस आयु के बच्चों द्वारा बीच में ही शिक्षा छोड़ देने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत राज्य के औसत से 25 प्रतिशत अधिक हो।

(iii) जिनमें 10वीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने वाले लोगों का प्रतिशत राज्य के औसत से 25 प्रतिशत कम हो।

(3) आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग

(i) जिनकी परिवार की सम्पत्ति का औसत मूल्य राज्य के औसत से 25 प्रतिशत कम है।

(ii) जिनमें कच्चे मकानों में रहने वाले परिवार राज्य में औसत से 25 प्रतिशत अधिक हैं।

(iii) जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक परिवारों को पीने का पानी प्राप्त करने के लिए आधा

किलोमीटर से अधिक दूर जाना पड़ता है।

Class 12th Sociology Questions and Answers 2024


4. भारत में राज्य के सामने मुख्य चुनौतियों की विवेचना करें। 

उत्तर ⇒  राजनीतिक संस्थाओं तथा समाज में फैली विभिन्न समस्याओं के बीच एक घनिष्ठ संबंध होता है। सामाजिक, आर्थिक व्यवस्था साफ-सुथरी होने से राज्य संगठित बनता है, जबकि विभिन्न प्रकार की समस्याएँ राज्य के सामने गंभीर चुनौतियाँ पैदा करने लगती हैं। इस दशा में राज्य के साधन इन चुनौतियों का सामना करने में ही समाप्त हो जाते हैं, उनका उपयोग विकास कार्यों में नहीं हो पाता है। आज भारत में राज्य के सामने अनेक चुनौतियाँ हैं। इन्हें निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है

(i) सामाजिक आंदोलन — समाज के सामने जब भी कोई संकट पैदा होता है तो बहुत से लोग संगठित होकर या जो एक नई व्यवस्था लाने की कोशिश करते हैं अथवा संकट पैदा करने वाली दशाओं का विरोध करते हैं। हमारे समाज में समय-समय पर होने वाले आन्दोलनों में किसान आंदोलन, श्रमिक आंदोलन, महिला आंदोलन प्रमुख रहे हैं। ऐसे सभी आंदोलन एक विशेष विचारधारा पर आधारित होते हैं तथा इनका उद्देश्य एक विशेष वर्ग के हितों की रक्षा करना होता है।

(ii) दबाव समूह, हित समूह और संघवाद दबाव समूह अथवा हित समूह का अर्थ उन गुटों से होता है जो सरकार की नीतियों को प्रभावित करने के लिए संगठित होते हैं। इनका उद्देश्य सरकार पर इस तरह का दबाव डालना होता है, जिससे उनके हित अधिक से अधिक सुरक्षित रह सकें। मजदूर संघ, छात्र संगठन, महिला संगठन, विभिन्न प्रतिष्ठानों के कर्मचारी संगठन, अल्पसंख्यक वर्ग तथा धार्मिक संगठन दबाव समूह के उदाहरण हैं।

(iii) सांप्रदायिकता – भारत में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक तनाव ने गंभीर समस्या उत्पन्न कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों में देश में कई स्थानों पर हिन्दू-मुस्लिम दंगों का जो रूप सामने आया, उससे लगता है कि सांप्रदायिकता की समस्या आज भी सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है।

(iv) क्षेत्रवाद — क्षेत्रवाद भी राष्ट्रीय एकीकरण के सामने एक गंभीर चुनौती के रूप में सामने आया है। क्षेत्रवाद वह भावना है जो एक विशेष क्षेत्र के लोगों को प्रत्येक दशा में अपने क्षेत्र की संस्कृति, भाषा और संसाधनों के लिए सरकार पर दबाव डालने का प्रोत्साहन देती है।

(v) जातिवाद – जातिवाद भी देश के सामने एक चुनौती का रूप धारण कर चुका है। के० एम० पणिक्कर ने लिखा है कि, ‘राजनीति की भाषा में अपनी जाति के प्रति निष्ठा की भावना ही जातिवाद है। इसका अर्थ है कि जब विभिन्न जातियों के लोग केवल अपनी ही जाति के हितों को पूरा करने का प्रयत्न करते हैं तब इस दशा को जातिवाद कहा जाता है।

(vi) भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार ने भी देश में एक चुनौती का रूप धारण कर लिया है। राजनेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस, सार्वजनिक सेवाओं से संबंधित विभागों और व्यापारियों में कोई भी वर्ग ऐसा नहीं है, जिसमें भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहराई तक न पहुँच चुकी हैं। राजनेताओं और अधिकारियों को अपराधी गिरोहों का संरक्षण मिला रहता है।


5. अन्य पिछड़े वर्गों के प्रति सरकार की नीति का समीक्षा करें।

उत्तर सरकार ने अन्य पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए 1998-99 में अनेक अग्रलिखित योजनाएँ शुरू की हैं जिन्हें निम्नलिखित रूप में व्यक्त किया जा सकता हैं-

(i) परीक्षा के पूर्व कोचिंग — इस योजना का प्रारम्भ पिछड़े वर्गों के उम्मीदवार प्रतियोगी प्रवेश परीक्षा में सफल बनाने के लिए किया गया है। प्रतिवर्ष एक लाख रुपये से कम आमदनी वाले परिवारों के बच्चे इसका लाभ उठा सकते हैं।

 (ii) छात्रों के लिए छात्रावास — इस योजना के अन्तर्गत उन राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों में छात्रावासों का निर्माण किया गया है जहाँ पिछड़े वर्गों की घनी आबादी है और छात्रावासों की कमी है। ये छात्रावास माध्यमिक, उच्च स्तर माध्यमिक, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए बनाए गए हैं। इनमें कम-से-कम एक-तिहाई छात्रावास सिर्फ लड़कियों के लिए है । पाँच प्रतिशत सीटें विकलांग छात्रों के लिए आरक्षित रखी गयी है। लेकिन यह योजना साधन सम्पन्न वर्ग के लिए नहीं होती है। इनके निर्माण का आधा खर्च केंद्र सरकार और शेष खर्च संबंधित राज्य को वहन करना पड़ता है

(iii) मैट्रिक पूर्व छात्रवृत्ति — इस योजना के अन्तर्गत ऐसे छात्रों को छात्रवृत्तियाँ दी जाती हैं। जिनके माता-पिता अभिभावक की सालाना आमदनी 44,500 रुपये से अधिक न हो। यह छात्रवृत्ति पहली दसवीं कक्षा तक उन छात्रों को दी जानी सुनिश्चित की गई है जो छात्रावासों में नहीं रहते हैं। दसवीं कक्षा के अन्त में यह छात्रवृत्ति बन्द कर दी जाएगी।

(iv) मैट्रिक के बाद छात्रवृत्ति — इस योजना के अन्तर्गत मैट्रिक और उच्चतम माध्यमिक स्तर के बाद छात्रवृत्ति दी जाती है ताकि वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।

(v) स्वयंसेवी संगठनों को सहायता — इस योजना में स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा अन्य पिछड़े वर्गों की सामाजिक आर्थिक स्थिति और शिक्षा का स्तर ऊँचा उठाना शामिल है ताकि उन्हें समुचित रोजगार मिल सके।


6. ग्राम सभा के संगठन एवं कार्यों का वर्णन करें।

उत्तर ⇒  ग्राम सभा के सदस्य उस पंचायत क्षेत्र के निर्वाचक नामावली में दर्ज सभी मतदाता होते हैं। 1993 के अधिनियम के अनुसार ग्राम सभा की बैठक समय-समय पर होगी, किन्तु दो बैठकों के बीच का अंतराल तीन महीने से अधिक नहीं होगा। निर्धारित समय पर बैठक बुलाने का अधिकार मुखिया को है। यदि वह समय पर बैठक नहीं बुलाता है, तो पंचायत समिति का कार्यपालक पदाधिकारी ऐसी बैठकों का आयोजन करेगा। ग्राम सभा की बैठक की गणपूर्ति के लिए कुल सदस्यों के दसवें भाग की उपस्थिति आवश्यक है। बैठक आरंभ होने के 30 मिनट के अन्दर यदि गणपूर्ति नहीं होती है तो पीठासीन अधिकारी उसे एक सप्ताह के लिए बढ़ा सकता है। ग्राम सभा की बैठक की अध्यक्षता मुखिया और उसकी अनुपस्थिति में उपमुखिया करेगा।

ग्राम सभा के कार्य — ग्राम सभा निम्नलिखित कार्यों का निष्पादन करता है

(i) ग्राम सभा ग्राम से संबंधित विकास योजनाओं के कार्यान्वयन में सहायता प्रदान करता तथा विकास योजनाओं से लाभान्वित होने वालों की पहचान करता है।

(ii) ग्राम सभा सामुदायिक कार्यक्रमों के लिए नगद या सामान या दोनों रूपों में अंशदान करता है तथा स्वैच्छिक श्रमिकों को लाभ प्रदान करता है।

(iii) ग्राम सभा वयस्क शिक्षा और परिवार कल्याण कार्यक्रम चलाने और समाज के सभी वर्गों के बीच एकता और सौहार्द्र बढ़ाने का कार्य करता है।

(iv) यह मुखिया और अन्य सदस्यों से किसी कार्यक्रम योजना और आय-व्यय के संबंध में स्पष्टीकरण माँग सकता है।

(v) ग्राम सभा ग्राम पंचायत के कार्यों को देखने के लिए निगरानी समिति का गठन कर सकता है और उनके प्रतिवेदन की जाँच कर सकता है।


7. संख्या एवं सत्ता के आधार पर परिवार के प्रकार का वर्णन करें।

उत्तर ⇒  सामाजिक विद्वानों ने परिवार का कई कारकों के आधार पर वर्गीकरण किया है

(i) सदस्यों की संख्या के आधार पर – परिवार में सदस्यों की संख्या के आधार पर परिवार तीन प्रकार के होते हैं

(a) एकाकी परिवार (Nuclear Family)– सामाजिक संरचना में ऐसे परिवारों को केन्द्र माना गया है, क्योंकि इसमें सदस्यों की संख्या बहुत कम होती है। साधारणतया पति-पत्नी और अविवाहित उनके बच्चे ही इन परिवारों के सदस्य होते हैं। औद्योगिकीकरण के वर्तमान युग में व्यक्तिवादिता और औपचारिक संबंधों में वृद्धि होने के कारण ऐसे परिवारों की संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है।

(b) विवाह संबंधी परिवार (Conjugal Family) — विवाह संबंधी परिवार एकाकी परिवार की अपेक्षा कुछ बड़े होते हैं। इसके सदस्य केवल वही व्यक्ति नहीं होते, जिन्होंने उसमें जन्म लिया है बल्कि पत्नी-पक्ष के कुछ दूसरे व्यक्तियों को भी सम्मिलित कर लिया जाता है। साधारणतया ऐसे परिवार केवल उन्हीं समूहों में पाये जाते हैं जहाँ विवाह के दो व्यक्तियों का मिलन समझा जाता है।

(c) संयुक्त परिवार (Joint Family)– डॉ० एस० सी० दूबे ने कहा कि, “यदि मूल परिवार एक साथ रहते हों और उनमें निकट का नाता हो, एक ही स्थान पर भोजन करते हों और एक ही आर्थिक इकाई के रूप में कार्य करते हों, तो उन्हें उसके सम्मिलित रूप को संयुक्त परिवार कहा जा सकता है। “

(ii) सत्ताधारी के आधार पर — सत्ता के आधार पर परिवार दो प्रकार के होते हैं

(a) मातृसत्तात्मक परिवार — जिन परिवारों में स्त्रियाँ पुरुषों की अपेक्षा अधिक शक्ति सम्पन्न होती हैं तथा परिवार की सभी नीतियाँ और सभी अधिकार स्त्रियों के पक्ष में होते हैं, उन्हें मातृसत्तात्मक परिवार कहा जाता है।

(b) पितृसत्तात्मक परिवार पितृसत्तात्मक परिवार पुरुष प्रधान होते हैं। इनमें परिवार की सत्ता किसी पुरुषं में निहित होती है। ऐसे परिवारों में पुरुष ही सदस्यों के अधिकारों तथा कर्तव्यों का निर्धारण करते हैं तथा उसी को परिवार की सम्पत्ति के उपयोग और वितरण का अधिकार होता है।

Class 12th Sociology Ka Subjective Question 2024 pdf


8. बेरोजगारी के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।

उत्तर बेकारी के निम्नलिखित प्रकार है

(i) मौसमी बेकारी– कुछ उद्योगों या व्यापार की प्रकृति इस प्रकार की होती है कि वे पू वर्ष में केवल कुछ महीने ही चलते हैं। उदाहरण के लिए, वर्फ और चीनी मिले वर्ष में 6-7 महीने ही कार्य करती है। शेष महीनों में इन उद्योगों में लगे मजदूर बेकार रहते हैं। अतः इस प्रकार के बेकारी को मौसमी बेकारी कहते हैं।

(ii) आकस्मिक बेकारी– यह वह बेकारी है जो कि अचानक ही आकस्मिक रूप से मजदूरों की संख्या में वृद्धि हो जाने के फलस्वरूप पैदा हो जाती है। आर्थिक मंदी या युद्धकाल के बाद प्रायः इसी प्रकार के बेकारी उत्पन्न होती है।

(iii) चक्रीय बेकारी — इस प्रकार की बेकारी व्यापार के चक्र में उतार-चढ़ाव के फलस्वरूप उत्पन्न होती है। दूसरे शब्दों में उन्नत व्यापार में चकलक मंदी आ जाने पर श्रमिकों को काम से हटना पड़ता है, तो इसे चक्रीय बेरोजारी कहा जाता है।

(iv) ग्रामीण बेकारी — गाँव में किसान लोग खेती कार्य में केवल कुछ समय ही व्यस्त रहते हैं, शेष समय उनके लिए कोई कार्य नहीं होता तो उसे ग्रामीणं बेकारी कहते हैं।

(v) अर्द्धबेकारी कभी-कभी मिलों कारखानों और कार्यलयों में आवश्यकता से अधिक लोगों को भर्ती कर लिया जाता है। चूँकि इन लोगों के लिए काम कम होता है। अतः उन्हें सुविधाएँ और वेतन भी कम मिलता है, इसलिए उसे अर्द्धबेरोजगारी कहा जाता है।

(vi) औद्योगिक बेकारी कभी-कभी श्रमिकों की हड़ताल या मालिकों द्वारा औद्योगिक संस्थाओं में तालाबंदी के कारण भी हजारों श्रमिक बेकार हो जाते हैं, या अन्य किसी कारण से कोई मिल या कारखाना बंद हो जाने से अधिक श्रमिक बेकार हो जाते हैं, तो इसे औद्योगिक बेकारी कहा जाता है।


9. सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार पर एक निबंध लिखें।

उत्तर ⇒  किसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ को प्राप्त करने के लिए जान बुझकर कर्तव्य का पालन न करना है। भ्रष्टाचार सदैव किसी स्पष्ट अथवा अस्पष्ट लाभ के लिए कानून तथा समाज के विरोध में किया जाना वाला कार्य है।

भ्रष्टाचार के कारण: भ्रष्टाचार के लिए अनेक कारण अनुदायी है-

(i) कानून की अपनी कमियाँ— अनेक कानून ऐसे होते हैं जिसके बचने के अनेक रास्ते हो सकते हैं। इस परिस्थिति का पूरा-पूरा लाभ कानून से संबंधित लोग लेते हैं और व्यापारी आदि को वे कमियाँ बताकर उनसे पैसा लेते हैं और व्यापारियों को अनुचित लाभ उठाने में करते हैं।

(ii) नियम कानून के संबंध में ज्ञान का अभाव आम जनता विशेषकर अनपढ़ जनता को नियम कानून की वास्तविकताओं का ज्ञान नहीं होता है और उसी अज्ञानता का लाभ वकील, पुलिस, अदालत के अधिकारी, सरकारी दफ्तर के क्लर्क आदि उठाते हैं और लोगों को कानून का दाँव-पेंच दिखाकर पैसा ऐंठते हैं.

इसी तरह आबादी की भिन्नता, बड़े-बड़े व्यापारियों तथा राजनीतिज्ञों का गठबंधन आत्म-स्वार्थ की पूर्ति इत्यादि भष्टाचार के कारण है।

भ्रष्टाचार के रूप या प्रकार:

आज भ्रष्टाचार उद्योगपतियों, व्यापारियों, ठेकदारों, सरकारी अधिकारियों, डॉक्टरों, वकीलों, शैक्षणिक संस्थानों, धार्मिक संस्थाओं, राजनेताओं में बड़े पैमाने पर देखने को मिलता है।

भ्रष्टाचार के निराकरण के उपाय:

भ्रष्टाचार को रोकने के लिए राजनतिज्ञों के नैतिक स्तर सुधार लाने, पुलिस तथा अन्य सरकारी अधिकारियों को इमानदारीपूर्वक कार्य करने की आवश्यकता है। इसी तरह अदालत को राजनीतिक दबाव तथा पक्षपात सहित होकर कार्य करना होगा व्यापारियों तथा उद्योगपतियों में इमानदारी को भावना को जागृत करना होगा तथा भ्रष्टाचार के विरूद्ध प्रचार कर जनता को संगठित करना होगा।


10. एड्स से आप क्या समझते हैं?

उत्तर ⇒  एड्स एक गंभीर बीमारी है। यह संक्रमित साथ से यौन संबंध स्थापित करने एवं एच० आई० वी० संक्रमण युक्त रक्त संक्रमित सुई या सिरिन्जों से दबा चढ़ाने से और संक्रमित माँ से गर्भस्था शिशु में फैलता है।

एड्स के रोगी पर आर्थिक सामाजिक परिवारिक तथा स्वयं पर बहुत बुरा असर पड़ता है। आधे से अधिक मरीज तो मँहगी दवाओं के उपलब्ध करा सकने में असमर्थता के कारण जल्दी ही मृत्य को प्राप्त हो जाते हैं। उसे सामाजिक प्रतिकार झेलना पड़ता है। परिवार विखर जाता है तथा रोगी स्वयं भी जल्दी मर जाता है।

यह कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं है बल्कि एक सामाजिक समस्या है, जिनके सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक पक्ष होते हैं। इसके आर्थिक परिणाम गंभीर होते हैं, क्योंकि स्वास्थ्य पर राष्ट्र का आधा व्यय तक एड्स की रोकथा में ही लग सकता है, यदि रोगियों की आवश्यकताओं को पूरा किया जाने लगे। एड्स के अधिकत्तर मरीज परिवार के मुखिया होते हैं। वे अपने परिवार को जीवन यापन के साधनों से विहिन छोड़ जाते हैं। एच० आई० वी० व्यक्ति न केवल प्रारंभ से अलगाव और अंत में एक या दो वर्षों तक शारीरिक समस्याओं से पीड़ित होते हैं बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी बर्बाद हो जाते हैं। एड्स रोगी डॉक्टरों द्वारा इलाज करने से अस्वीकार कर दिये जाते हैं। मित्र साथ छोड़ देते हैं युवा और विवाहित एड्स रोगियों की पत्नियों कम उम्र में ही विधवा हो जाती है।

एड्स यद्यपि अनेक कारणों से उत्पन्न होती हैं, लेकन इसके प्रसार का मुख्य कारण वेश्यावृत्ति है। अतः एड्स को नियंत्रित करने के लिए अवैध संबंध तथा वेश्यावृत्ति का उन्मूलन होना चाहिए।


11. संस्कृतिकरण क्या है? भारतीय जाति व्यवस्था में परिवर्तन लाने में इसकी भूमिका की चर्चा करें।

उत्तर ⇒  संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई निम्न हिन्दू जाति या जनजाति अपने से उच्च जाति के समान ही अपने रीति-रिवाजों, कर्मकाण्डों, विचारों और जीवन शैली को बदलने लगती है।

भारतीय जाति-व्यवस्था में परिवर्तन लाने में संस्कृतिकरण की भूमिका महत्त्वपूर्ण है जो निम्नलिखित हैं—

(i) निम्न जातियों के जीवन-शैली में परिवर्तन

(ii) जातिगत नियमों में लचीलापन

(iii) समाज की शक्ति संरचना में परिवर्तन

(iv) अंतर्जातीय, सम्बंधों में परिवर्तन

(v) स्थानीय गतिशीलता में वृद्धि

Bihar Board 12th Sociology 5 Marks Subjective 2024


Class 12th Sociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
 UNIT – ISociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 1
 UNIT – IISociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 2
 UNIT – IIISociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 3
 UNIT – IVSociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 4
 UNIT – VSociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 5
 UNIT – VISociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 6
 UNIT – VIISociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 7
 BSEB Intermediate Exam 2022
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 Class 12th Arts Question  Paper
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