12th Biology Question Paper In Hindi :- दोस्तों यदि आप Biology Subjective Question Paper 12th की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको जीव विज्ञान Chapter 10 मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव Subjective Question दिया गया है जो आपके 12th Exam Biology Question 2024 के लिए काफी महत्वपूर्ण है Bihar Board 12th Biology Model Question 2024
12th Biology Question Paper In Hindi
1. निम्नलिखित में मजीवियों की भूमिका तथा इनके विषय में विचार–विमर्श करें
(क) एकल कोशिका प्रोटीन (एस सी पी)
(ख) मुदा
उत्तर⇒ (क) एकल कोशिका प्रोटीन (एस सी पी) – पशु तथा मानव पोषण के लिए प्रोटीन के वैकल्पिक स्रोतों में से एक एकल कोशिका प्रोटीन है।
सूक्ष्मजीवों का प्रोटीन के अच्छे स्रोत के रूप में बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा रहा है। वास्तव में, अधिकांश लोगों द्वारा मशरूम भोजन के रूप में खाए जाने लगे हैं। अतः बड़े पैमाने में मशरूम संवर्धन एक प्रकार से बढ़ता हुआ उद्योग है। जिससे अब विश्वास होने लगा है कि सूक्ष्मजीव आहार के रूप में स्वीकार्य हो जायेंगे। सूक्ष्मजीवी स्पाइरुलाइना में प्रोटीन, खनिज, वसा कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिन प्रपुर मात्रा में विद्यमान है। इसका उपयोग पर्यावरणीय प्रदूषण को भी कम करता है। सूक्ष्मजीव जैसे मिथायलोफिलस मिथायलोट्रोपस की वृद्धि तथा बायोमास उत्पादन की उच्च दर से संभावित 25 दिन तक प्रोटीन उत्पन्न कर सकते है।
(ख) मृदा- जैव उर्वरक एक प्रकार के जीव है, जो मृदा की पोषक गुणवत्ता को बढ़ाते है। जैव उर्वरकों का मुख्य स्रोत जीवाणु क्वक तथा सायनोबैक्टीरिया होते हैं। लैग्युमिनस पादपों की जहाँ पर स्थित मंथियों का निर्माण राइजोबियम के सहजीवी संबंध द्वारा होता है। यह जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर कार्बनिक रूप में परिवर्तित कर देते है। पादप इसका उपयोग पोषका के रूप में करते हैं। यह भी वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर सकते हैं। इस प्रकार मृदा में नाइट्रोजन अवयव बढ़ जाते हैं।
2. BOD तथा COD क्या है, वर्णन करें
उत्तर⇒ कार्बनिक अवशिष्ट की मात्रा बढ़ने से अपघटन की दर बढ़ती है तथा O का उपयोग बढ़ता है। जल में घुल गई O, से DO की मात्रा घटती है। जैव रासायनिक ऑक्सीजन माँग (BOD) ऑक्सीजन मापक है। इससे जल में कार्बनिक पदार्थों के अपघटन की दर का पता चलता है। जहाँ उच्च BOD है वहाँ DO निम्न होगा
रासायनिक ऑक्सीजन माँग (COD)— यह जल में प्रदूषण के भार का मापक है। जल में कार्बनिक पदार्थों के ऑक्सीकरण हेतु आवश्यक Og की मात्रा के बराबर है।
3. किस भोजन (आहार) में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया मिलते हैं ? इनके कुछ लाभप्रद उपयोगों का वर्णन करें।
उत्तर⇒ लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया (एल ए बी) दूध में मिलते हैं। ये दूध में वृद्धि करते है और उसे दही में परिवर्तित कर देते हैं। वृद्धि के दौरान ये अम्ल उत्पन्न करते हैं जो दुग्ध प्रोटीन को स्कदित तथा आंशिक रूप से पचा देते हैं। दही बनने पर विटामिन बी 12 की मात्रा बढ़ने से पोषण संबंधी गुणवत्ता में भी सुधार हो जाता है। हमारे पेट में भी, सूक्ष्मजीवियों द्वारा उत्पन्न होने वाले रोगों को रोकने में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया एक लाभदायक भूमिका का निर्वाह करते है।
4. प्राथमिक तथा द्वितीयक वाहितमल उपचार के बीच पाए जाने वाले मुख्य अंतर कौन से हैं?
उत्तर⇒ प्राथमिक वाहितमल उपचार – वाहितमल से बड़े-छोटे कणों को निस्यंदन (फिल्ट्रेशन) तथा अवसादन (सेडीमिटेशन) द्वारा भौतिक रूप से अलग कर दिया जाता है। इन्हें भिन्न-भिन्न चरणों में अलग किया जाता है। आरंभ में तैरते हुए कूड़े-करकट को अनुक्रमिक निस्यंदन द्वारा हटा दिया जाता है। इसके बाद शितबालुकाश्म (मिट) (मृदा तथा छोटे गुटिकाओ केवल) को अवसादन द्वारा निष्कासित किया जाता है। सभी ठोस जो प्राथमिक आप्लावक (स्लज) के नीचे बैठे कण है, वह और प्लावी (सुपरनैटेट) वहि स्राव (इफ्लुएंट) का निर्माण करता है। वहिःस्राव को प्राथमिक निःसादन (सेटलिंग) टैंक से द्वितीयक उपचार के लिए ले जाया जाता है।
द्वितीयक वाहितमल उपचार- प्राथमिक वहिःस्राव को बड़े वायुवीय ट्रैकों में से गुजारा जाता है। जहाँ यह लगातार यांत्रिक रूप से हिलाया जाता है और वायु को इसमें पंप किया जाता है। इससे लाभदायक वायुवीय सूक्ष्मजीवियों की प्रबल सशक्त वृद्धि ऊर्णक के रूप में होने लगती है। वृद्धि के दौरान यह सूक्ष्मजीव बहिःस्राव में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों के प्रमुख भागों की खपत करता है। यह बहिःस्राव के बीओडी (बॉयाकेमीकल ऑक्सीजन (डिमांड) को महत्वपूर्ण रूप से घटाने लगता है। बीओडी ऑक्सीजन की उस मात्रा को संदर्भित करता है जो जीवाणु द्वारा एक लीटर पानी में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों की खपत कर उन्हें ऑक्सीकृत कर दे। वाहितमल का तब तक उपचार किया जाता है तब तक बीओडी घट न जाए।
5. सूक्ष्मजीवों का उपयोग जैव उर्वरक के रूप में फायदेमंद है। कैसे ?
उत्तर⇒ रसायन उर्वरकों के अधिकाधिक प्रयोग के कारण कई तरह के पर्यावरण सम्बन्धीय समस्याएँ जुड़ी है। अतः सूक्ष्मजीवों का प्रयोग जैव उर्वरक बनाने और उसका उपयोग खेतों में करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। जैव उर्वरकों का मुख्य स्रोत जीवाणु कवक तथा साइनोबैक्टीरिया होते हैं जो मृदा को पोषण गुणवत्ता को बढ़ाते हैं। कुछ जीवाणु सहजीवी सम्बन्धों द्वारा (राइजोबियम) एवं अन्य जीवाणु (ऐजोस्पाइरिलम तथा ऐजोबैक्टर) मृदा में मुक्तावस्था में रहकर नाइट्रोजन को स्थिर कर सकते हैं।
Class 12th jeev vigyaan Model Paper 2024
6. हम भोजन में प्रतिदिन सूक्ष्मजीवों का कैसे उपयोग करते हैं? इनके लाभ बताएँ
उत्तर⇒ हम प्रतिदिन अपने आहार में सूक्ष्मजीवों अथवा उससे उत्पन्न उत्पादों का उपयोग करते हैं। इसका सामान्य उदाहरण है, दही। लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया (एल ए बी) जो दूध में वृद्धि करता है और इसे दही में परिवर्तित कर देता है और इसके विटामिन B2 को बढ़ाकर इसके पोषक तत्त्व को बढ़ा देता है। सैकरोमाइसीज सैरीवीसी का उपयोग ब्रेड बनाने में होता है। हमारे कुछ पारम्परिक आहार जैसे- इडली, डोसा, पनीर और चीज भी सूक्ष्मजीवों से उत्पन्न खाद्य है।
7. उर्णक (Flocs) पर टिप्पणी लिखे ।
उत्तर⇒ उर्णक (Flocs ) – यांत्रिक वातन टंकियों में यांत्रिक रूप में वायवीय जीवाणु के लिए हवा प्रवाहित किया जाता है। इसके लिए पंप या वातक (aerator) का प्रयोग किया जाता है जिससे इन जीवों को लगातार ऑक्सीजन मिलता रहता है। इससे वायवीय सूक्ष्मजीव लगातार एवं प्रबल वृद्धि कर जीवाण झुंड के रूप में ऊर्णक (flocs) बनाते है।
8. नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सूक्ष्मजीवों की भूमिका के बारे में बताएँ ।
उत्तर⇒ नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सूक्ष्मजीवों को निम्नांकित भूमिका नाइट्रोजन स्थिरीकरण प्रक्रिया द्वारा पृथ्वी के वायुमंडल को नाइट्रोजन, अमोनिया तथा जीवो के लिए लाभदायक अन्य अणुओं में परिवर्तित किया जाता है। नाइट्रोजन स्थिरीकरण पादपों तथा अन्य जीवो के लिए अनिवार्य है क्योंकि जीवों के बुनियादी निर्माण के लिए अकार्बनिक नाइट्रोजन की जरूरत होती है इसलिए नाइटोजन चक्र के रूप में यह कृषि और उर्वरक के निर्माण के लिए आवश्यक है ।
नाइट्रोजन स्थिरीकरण सूक्ष्म जीवाणु जैसे एजोटावेक्टर द्वारा मिट्टी में प्राकृतिक रूप से किया जाता है। कुछ नाइट्रोजन फिक्सिंग जीवाणु लेगुमिनोसी कुल के पौधों के साथ सहजीवित होते हैं। जीवाणु मटर कुल के पौधों की जड़ों में प्रथियाँ बनाते है और वायुमंडल से नाइट्रोजन ग्रहण कर नाइट्रोजनी यौगिक में परिणत करते है, जिससे मृदा की पोषकत्ता बढ़ती है। नील रहित शैवाल जैसे ऐनावेना, नॉस्टॉक नाइट्रोजन गैस को ग्रहण कर उसे नाइट्रोजनी यौगिक में बदल देते हैं जिससे मृदा की उर्वरता बढ़ जाती है।
9. वाहित मल के आप क्या समझते हैं? वाहित मल उपचार में सुक्ष्मजीवों की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर⇒ किसी भी समुदाय द्वारा काम में लाने के बाद व्यर्थ जल व उसमें मिले पदार्थों को वाहित मल (Sewage) कहते है।
वाहित मल में 1-2% ठोस पदार्थ तथा 98-99% पानी होता है। वाहित मल में कार्बनिक पदार्थ अधिक मात्रा में रहते है। अतः इससे जीवाणु एवं अन्य सूक्ष्मजीवों की संख्या में वृद्धि होती है। जिससे जलाशय में घुली ऑक्सीजन की सान्द्रता कम हो जाती है और इसके कारण Biochemical Oxygen Demand या BOD में वृद्धि होती है। अतः इस प्रकार जल जलीय जन्तुओ के साथ-साथ मनुष्यों के लिए भी हानिकारक है। इसके सेवन से अनेक प्रकार की बीमारियों उत्पन्न होती है।
वाहितमल के उपचार में सुक्ष्मजीवियों की भूमिका- सूक्ष्मजीवों का उपयोग कर कार्बनिक प्रदूषकों का अपघटन कराया जाता है। इसके लिए सूक्षमजीवियों के oxidation pond या यांत्रिक टंकियों (Mechnical tanks) का प्रयोग किया जाता है। जिससे इन सूक्ष्मजीवियों को लगातार ऑक्सीजन मिलता रहता है। जिससे यह वृद्धि कर जीवाणु झुंड के रूप में उर्णक या फ्लाक (Flocs) बनाते है।
ये सूक्ष्मजीव बहिस्राव के उपस्थित कार्बनिक पदार्थों के प्रमुख भागों की खपत करता है, जिससे जल का BOD घट जाता है।
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