Inter Exam biology Subjective Question :- दोस्तों यदि आप BSEB 12th Exam Biology Question की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको Class 12th Biology Chapter 1 Ka Subjective Question दिया गया है जो आपके Biology Subjective Question 12th 2024 में पूछे जा सकते हैं, 12th jeev Vigyan Subjective question 2024
Inter Exam 2024 biology Subjective Question
1. कूट फल के बारे में उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर — वह फल जिसका विकास अण्डाशय से न होकर पुष्प के अन्य भागों से होता है, कूट फल कहलाता है । जैसे— नाशपाती, सेव आदि ।
2. एक प्ररूपी आवृत्तबीजी बीजांड के भागों का विवरण दिखाते हुए एक स्पष्ट एवं साफ-सुथरा नामांकित चित्र बनाएँ । अथवा, एक प्रारूपिक आवृतबीजी फूल के अनुदैर्घ्य काट का स्वच्छ एवं नामांकित चित्र बनावें ।
उत्तर —
3. बैगिंग (बोरा वस्त्रावरण) या थैली लगाना तकनीक क्या है पादप जनन कार्यक्रम में यह कैसे उपयोगी है ?
उत्तर — बैगिंग (बोरा वस्त्रावरण) या थैली लगाना एक कृत्रिम संकरीकरण विधि है। फसल की उन्नति या प्रगतिशीलता कार्यक्रम के लिए एक प्रमुख उपागम है । विपुसित पुष्पों को उपयुक्त आकार की थैली से आवृत्त किया जाना चाहिए जो सामान्यतः बटर पेपर (पतले कागज) की बनी होती है। ताकि इसके वर्तिका को अवांछित परागों से बचाया जा सके। इस प्रक्रम को बैगिंग (या बोरा वस्त्रावरण) कहते हैं । जब बैगिंग पुष्प का वर्तिकाय सुग्राह्यता को प्राप्त करता है तब नर अभिभावक से संग्रहीत परागकोश के पराग को उस पर छिटका जाता है और पुष्प को पुनः आवरित करके, उसमें फल विकसित होने के लिए छोड़ दिया जाता है।
4. विपुसन से क्या तात्पर्य है ? एक पादप प्रजनक कब और क्यों इस तकनीक का प्रयोग करता है ?
उत्तर – यदि कोई मादा जनक द्विलिंगी पुष्प धारण करता है तो पराग के प्रस्फुटन से पहले पुष्प कलिका से परागकोश के निष्कासन हेतु एक जोड़ा चिमटी का प्रयोग आवश्यक होता है। इस चरण को विंपुसन कहा जाता है। विपुसित पुष्पों को उपयुक्त आकार की थैली से आवृत्त किया जाना चाहिए जो सामान्यतः बटर पेपर की बनी होती है। ताकि इसके वर्तिकाम को अवांछित परागों से बचाया जा सके। इस प्रक्रम को बैगिंग कहते हैं। यह तकनीक बढ़िया किस्म के पादप प्राप्त करने के लिए व्यापक रूप से व्यापारिक पादप पुष्प उत्पादन करने वाले लोगों द्वारा अपनाई जा रही
5. एक सेब को आभासी फल क्यों कहते हैं ? पुष्प का कौन-सा भाग फल की रचना करता है ? अथवा आभासी फल या असत्य फल को परिभाषित करें ।
उत्तर— कुछ प्रजातियों में जैसे सेब, स्ट्राबेरी (रसभरी), अखरोट आदि में फल की रचना में पुष्पासन भी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाता है। इस प्रकार के फलों को आभासी फल कहते हैं । अधिकतर फल केवल अण्डाशय से विकसित होते हैं और उन्हें यथार्थ या वास्तविक फल कहते हैं।
6. निम्नलिखित की परिभाषा लिखिए:-
(i) स्वपरागण(ii) परपरागण ।
उत्तर — (i) स्वपरागण — यदि एक फूल के परागकोश से निकले परागकण उसी फूल के वर्तिकाम पर पहुँच जाए, तब इसे स्वपरागण कहते हैं।
(ii) परपरागण – जब किसी पौधे के परागकोश से निकले परागकण उसी स्पीशीज के अन्य पौधे के वर्तिकाम पर पहुँचते हैं, तब इसे परपरागण कहते हैं ।
12th Class biology Subjective Question 2024
7. द्विनिषेचन (Double fertilization) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर— प्रत्येक परागकण में दो पुंयुग्मक होते हैं। ये बीजांड-द्वार से भ्रूणकोश तक पहुँचते हैं ।
पुंयुग्मकों में से एक के साथ संलयित होकर युग्मज का निर्माण करता है। इसे युग्मक संलयन (syngamy) कहते हैं। दूसरा पुंयुग्मक द्वितीय द्विगुणित केन्द्रक से संलयित होकर त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक बनाता है जिसे त्रिसंलयन कहते हैं।
इस प्रकार एक भ्रूणकोश में दो लैंगिक संलयन संपन्न होते हैं। इस घटना को द्विनिषेचन कहते हैं।
8. कीट- परागण वाले पौधों की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर—कीट परागित पौधों की निम्न विशेषताएँ होती हैं—
(i) पुष्प बड़े, रंगयुक्त तथा आकर्षक होते हैं।
(ii) पुष्प की पंखुड़ियाँ बड़ी होती हैं। छोटी होने की स्थिति में पुष्प के अन्य भाग बड़े तथा आकर्षक हो जाते हैं। पोइनसेटिया की पत्तियाँ फूल वाले भाग में अंशतः या पूर्णतः रंगीन होते हैं।
(iii) छोटे फूल एक-साथ गुच्छे में खिलते हैं या संयुक्त होकर एक सिर बनाते हैं। उदाहरण- सूर्यमुखी ।
(iv) इनके खिलने का एक खास वक्त होता है तभी परागणकर्ता भी उपस्थित रहता है।
(v) इनसे मकरंद स्रावित होता है जो कीटों को पोषण देता है।
(vi) परागकणों की बाह्य सतह काँटेदार चिपकने वाली होती है जो परागकीट कहलाती है तथा कीटों में आसानी से चिपक जाती है।
(vii) बहुत सारे फूलों के परागकण खाने योग्य होते हैं जिन्हें कीट खाते हैं। जैसे गुलाब, मैग्नोलिया ।
9. त्रिसंलयन क्या है ?’ इस प्रक्रिया का अंतिम उत्पाद क्या होता है ? यह किस रूप में परिवर्धित होता है ?
उत्तर— तीन केन्द्रकों का मिलना त्रिसंलयन है जो आवृत्तबीजों पौधों के पुष्पों में होते हैं। स्त्रीकेसर 8- केन्द्रक युक्त होते हैं। जिसमें भ्रूणपोष के बीच में दो ध्रुवीय केन्द्रक संयुक्त होकर द्विगुणित (2n) केन्द्रक बनाते हैं ।
दो पुंयुग्मकों में से एक अण्ड के साथ तथा दूसरा इस द्विगुणित केन्द्रक से संलयन कर (3n) त्रिकेन्द्रक युक्त रचना का निर्माण करता है। इसे ही त्रिसंलयन कहते हैं। त्रिसंलयन की प्रक्रिया के उपरांत त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक का निर्माण होता है।
प्राथमिक भ्रूणपोष कोशिका (3n) बारंबार सूत्री विभाजन कर भूणपोष का निर्माण करती है। भूणपोष विकसित होते ही भ्रूण तथा अंकुरण के दौरान नवोद्भिद् के निर्माण तक पोषण प्रदान करती है ।
10. परागकोश की संरचना का सचित्र वर्णन करें ।
उत्तर—परागकोश पुंकेसर का वह भाग होता है जिसमें परागकण होते हैं। यह द्विपालित होता है। इसकी प्रत्येक पाली में दो दीर्घाकृत स्थित कोश अर्थात् परागकोश विद्यमान होते हैं ।
प्रत्येक परागकोश असंख्यक परागकण धारण करता है। परागकोश की भित्ति 4-5 परतों की बनी होती है। परिवर्धित होते हुए परागकण मध्य परतों एवं टेपीटम के उत्पादों को उपभोग में लाते हुए मात्र बाह्य त्वचा एवं अंतःत्वचा को अवशेष के रूप में छोड़ देते हैं।
11. किसी परिपक्व बीजांड की आंतरिक संरचना दशति हुए उसका भली-भाँति संकेतित चित्र बनाइए।
उत्तर—
Biology Subjective Question 12th 2024
12. मोनोकार्षिक फलों को लिखें।
उत्तर- वह सत्य फल जिसका विकास एक कार्पेल से होता है, मोनोकार्पिक फल कहलाता है।
13. टेपीटम से आप क्या समझते हैं?
उत्तर—पुष्पीय पौधों के लघुबीजाणुधानी के आंतरिक परत के रूप में टैपीटम पाया जाता है। इसकी कोशिकाएँ सघन जीवद्रव्य से भरी होती है साथ ही साथ ये द्विगुणीत होती हैं। इनका कार्य विकासशील परागकणों को पोषक देना है।
14. पुष्पीय पौधों में फल का विकास कैसे होता है ? अथवा, फल किसे कहते हैं ?
उत्तर— पुष्प में बीजाण्ड निषेचन के पश्चात् वह बीज (भ्रूण) में परिवर्तित होता है तथा अण्डाशय की भित्ति इन्हें चारों ओर से घेर लेती है, जिसे फल कहते हैं।
15. पुंपूर्वता से आप क्या समझते हैं? इसके लाभ बताइए।
उत्तर—पुंपूर्वता द्विलिंगी पुष्पों में पर परागण के लिए एक स्थिति है जिसमें नर जनन भाग (एंथर) मादा भाग (स्टिग्मा) से बहुत पहले परिपक्व होकर परागकणों को मुक्त कर पर परागण को उत्साहित करता है । लाभ-द्विलिंगी पुष्पों में स्वनिषेचन को रोककर विभिन्नता उत्पन्न करता है।
16. वायु परागण क्या है ? वायु परागित पुष्पों के गुणों का सोदाहरणं वर्णन करें।
उत्तर— वायु परागण — इस प्रकार के परागण में हवा के झोंके के साथ परागकण एक पुष्प से दूसरे पुष्प तक पहुँचते हैं । वायु-परागित पुष्पों में आकर्षण, मकरग्रथियों और सुगंध का अभाव होता है। इस कमी को पूरा करने के लिए फूलों में असंख्य परागकण बनते हैं।
विशेषताएँ:
(i) ये पुष्प भड़कीलें नहीं होते हैं।
(ii) मकरग्रन्थियों और सुगंध का अभाव होता है।
(iii) ये प्रायः छोटे होते हैं।
(iv) परागकणों की संख्या अनगिनत होती है ।
(v) वर्तिकाग्र रोएँदार, पक्षवत और शाखित होता है ।
(vi) वायु परागित पौधों में मक्का, चावल, गेहूँ, घास, गन्ना, ताड़ आदि प्रमुख है।
17. एकल संकरण एवं द्विसंकरण में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर— एक संकर क्रॉस — जब दो पौधों के बीच एक इकाई लक्षण के आधार पर संकरण कराया जाता है तो इसे एक संकर क्रॉस कहते है ।
हिसंकर क्रॉस — जब दो विपरीत पौधों के बीच अलग लक्षण के आधार पर संकरण कराया जाता है तो इसे द्विसंकर क्रॉस कहते हैं ।
18. वायुपरागित पुष्पों के अनुकूलन बताइए ।
उत्तर- कुछ फूलों में परागण की किया वायु द्वारा होती है जिसे वायु परागण कहते हैं। ऐसे पुष्प जिनमें वायु द्वारा परागण होती है वायु परागित पुष्प कहते हैं।
वायुपरागत पुष्पों के अनुकूलन:-
(i) ये पुष्प चटकीले तथा भड़कीले नहीं होते हैं ।
(ii) इसमें मकर ग्रंथियों और सुगंध का अभाव होता है।
(iii) ये पुष्प छोटे, रंगहीन, गंधहीन और आकर्षणहीन होते हैं ।
(iv) पुष्प हल्के तथा प्रायः चिकने होते हैं।
Class 12th Biology Chapter 1 Ka Subjective Question
19. प्लाज्मिड क्या है ? प्लाज्मिड की संरचना तथा उपयोगिता संक्षेप में लिखें।
उत्तर – यह जीवाणु कोशिका में उपस्थित बाह्य नाभिकीय छोटा एवं वर्तुलाकार डी. एन. ए. है जो कुछ एक्स्ट्रा क्रोमोजोमल जीन को धारण किए रहता है तथा स्वद्विगुणन क्षमताधारी होता है। जैसे—PBR-322, PUC 10 आदि। इनकी लम्बाई लगभग 2700 Pb होती है। इसमें द्विगुणन व उपस्थित स्थलन, सेलेव – टेबल मार्कर, क्लोनिंग केन्द्र नामक भाग होता हैं ।
20. जन्तुओं द्वारा परागित किन्हीं चार पौधों के नाम जन्तुओं सहित बताएँ ।
उत्तर— जन्तुओं द्वारा परागित पौधें इस प्रकार से हैं
(i) प्राइमुला – इस पौधे में परागण मधुमक्खी के द्वारा होता है ।
(ii) यक्का या अण्डफिल – इस पौधे में परागण प्रेनुबा नामक जीव के द्वारा होता है
(iii) मरमीको फिली— इस पौधे में परागण चीटियों के द्वारा होता है ।
(iv) मैलको फिलस — इस पौधे में परागण घोंघा के द्वारा होता है।
21. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें :—
(i) वास्तविक या सत्य फल (ii) अनिषेचन जनित फल (iii) बहुभ्रूणता
उत्तर :—
(i) जिस फल के निर्माण में उस फल के फूल के अण्डाशय ही भाग लेता है उस फल को वास्तविक यो सत्य फल कहते हैं । जैसे— आम, अंगूर
(ii) कुछ पौधों में निषेचन के बिना ही फल का निर्माण हो जाता है ऐसे फल को अनिषेचन जनित फल कहते हैं। जैसे—केला, संतरा
(iii) जब एक बीज के अन्दर एक से अधिक भ्रूण हो तो इस अवस्था को बहु भ्रूणता कहते हैं। जैसे— नींबू ।
22. जलपरागण के बारे में उदाहरण सहित बतायें ।
उत्तर— जल द्वारा होने वाला परागण को जल परागण कहते है । हाइड्रिला तथा वेलिसनेरिया में जल परागण होता है । वेलिसनेरिया में नए पौधे तथा मादा पौधे अलग-अलग होते हैं, अर्थात् एकलिंगाश्रयी होते हैं। जब नर पुष्प परिपक्व हो जाते है तब वे पोधे से विच्छेदित होकर पानी पर तैरने लगते है । स्त्री पौधो में वृंत लंबाई में वृद्धि करके पुष्प को जल की सतह पर लाता है। नर पुष्प जैसे ही मादा के संपर्क में आता है, परागकोषों से परागकण निकलकर वर्तिका से चिपक जाते हैं और इस प्रकार पर – परागण हो जाता है। परागण के पश्चात् मादा पुष्पों के वृंत कुंडलित होकर फिर पानी में चले जाते हैं जहाँ बीज और फूलों का निर्माण होता है ।
Inter Exam biology Subjective Question Answer 2024
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