12th Biology Subjective Question Bihar Board | Class 12 Biology Subjective Question 2024

12th Biology Subjective Question Bihar Board :- दोस्तों यदि आप Class 12th Exam Biology Question की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको Biology Chapter 6 ( वंशागति का आण्विक आधार ) Subjective Question दिया गया है जो आपके Biology 12th Question And Answer pdf के लिए काफी महत्वपूर्ण है | Biology 12th Question And Answer pdf 2024


12th Biology Subjective Question 2024-25 Bihar Board

1. आर. एन. ए. के प्रकारों को लिखें।

उत्तर ⇒(i) mRNA (messenger ) – यह DNA के कोड को ग्रहण कर उसे अमीनो अम्ल के रूप में डीकोड करता है।

(ii) tRNA (Transfer) – इसे विलेय RNA भी कहते हैं। यह राइबोन्यूक्लियोटाइड का बना होता है। यह सबसे छोटा RNA अणु है।

(iii) rRNA (Ribosome ) – यह सबसे स्थिर प्रकृति का RNA है जो राइबोसोम से लगा रहता है। यह तीनों प्रकार के RNA में सर्वाधिक क्रियाशील रहता है।


2. यदि एक द्विरज्जुक डीएनए में 20 प्रतिशत साइटोसीन है तो डीएनए में मिलने वाले एडेनीन के प्रतिशत की गणना कीजिए।

उत्तर ⇒द्विकुंडली डीएनए के प्रतिपादक डार्विन चारग्राफ के परीक्षण के अनुसार ऐडेनीन व थाइमिन तथा ग्वानिन व साइटोसीन के बीच अनुपात स्थिर व एक-दूसरे के बराबर रहता है माना नाइट्रोजनीकृत क्षार की कुल संख्या डी एन ए में 100 है। उसमें से साइटोसीन की मात्रा 20 प्रतिशत है। नियम के अनुसार ग्वानिन की मात्रा भी 20 प्रतिशत हुई। अब हमारे पास क्षार के 60 जोड़े शेष हैं। ऐडेनीन हमेशा दो हाइड्रोजन आबंधों के द्वारा थाइमिन के साथ जोड़े बनाता है। इस प्रकार शेष मात्रा में ऐडेनीन और थाइमिन की संख्या बराबर होगी। अतः एडेनीन की मात्रा (60 2 = 30)30% होगी।

साइटोसीन 20 प्रतिशत है। साइटोसीन = ग्वानिन इस प्रकार 20% = 20%

कुल =40%

ऐडेनीन एवं ग्वानिन की संख्या होगी 100 – 40 = 60%

ऐडेनीन = ग्वानिन
इसलिए, 60% मात्रा को दो बराबर-बराबर भागों में बाँटा गया

                       30% +30%

इस प्रकार, ऐडेनीन की मात्रा 30% होगी।


3. डीएनए का महत्व या कार्य बताइए।

उत्तर ⇒डीएनए का महत्व (Significance of DNA ) — डीएनए के दो मुख्य कार्य होते है—

(i) कोशिका की सभी उपापचयी क्रियाओं का नियंत्रण डीएनए के अणुओं में चार (A. T. C. G) प्रकार के धारकों का एक निश्चित क्रम होता है, जिसमें आनुवंशिक सूचना निहित रहती है। इसके द्वारा DNA कोशिका में एंजाइमों के संश्लेषण को नियंत्रित करता है। यही एंजाइम सभी जैव रासायनिक क्रियाओं पर नियंत्रण रखते है।

(ii) स्वयं के द्विगुणन या पुनरावर्तन (Duplication or replication) द्वारा कोशिका जनन में सहायता करना DNA का अणु स्वयं का द्विगुणन करता रहता है जिससे DNA के एक अणु से उसी प्रकार के दो अणु बनते है। कोशिका के केन्द्रक में विद्यमान गुणसूत्रों के सभी DNA अणु द्विगुणित होते हैं, जिसके फलस्वरूप प्रत्येक गुणसूत्र दो सन्तति गुणसूत्रों (daughter chromosomes) में बदल जाता है। कोशिका के विभाजन के समय इन दोनों में से एक-एक गुणसूत्र एक-एक कोशिका में पहुँच जाता है। इस प्रकार एक ही प्रकार का DNA दोनों संतति कोशिकाओं में बराबर मात्रा में पहुँच जाता है। बार-बार ऐसा होने से कोशिकाओं के विभाजन के साथ-साथ आनुवंशिक सूचना भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तान्तरित होती रहती है।


4. डीएनए (अनुवंशिक पदार्थ) प्रतिकृतिकरण के अर्थ-संरक्षी प्रतिकृतिकरण से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒आनुवंशिक पदार्थ (DNA) का प्रतिकृतिकरण (Replication of genetic material-DNA) — वॉट्सन तथा क्रिक ने DNA का जो प्रतिरूप प्रस्तुत किया था, उसकी एक विशेषता यह है कि इससे इस बात का तुरन्त अन्दाजा लगाया जा सकता है कि उसका प्रतिकृतिकरण किस प्रकार से हो सकता है। उनका विचार था कि DNA की दोनों श्रृंखलाएँ विकुण्डलित (uncoil) होकर अलग-अलग हो जाती हैं। प्रत्येक श्रृंखला एक टेम्पलेट या फर्मे या साँचे (tempelate) की तरह कार्य करती है। श्रृंखला पर लगे कुछ नाइट्रोजनी क्षारकों में, कोशिका द्रव्य में विद्यमान नाइट्रोजनी क्षारकों में से वही क्षारक आ लगते हैं, जो उनके पूरक होते है, अर्थात् श्रृंखला में यदि A है तो उसके सामने T भी आकर आबंधित हो सकता है, T के सामने A; C के सामने G; G के सामने C. इस प्रकार दोनों पुरानी श्रृंखलाओं के सामने उनके पूरक क्षार आबंधित हो जाते हैं जो जुड़कर नया DNA अणु बना लेते हैं। इस प्रकार, नये DNA अणु में एक श्रृंखला, जनक DNA की व एक नई श्रृंखला होती है। इस प्रकार DNA से दो DNA अणु बन जाते है प्रतिकृतिकरण की ऐसी विधि को जिसमें एक श्रृंखला जनक से प्राप्त होती है, अर्ध-संरक्षी प्रतिकृतिकरण (semi-conservative replication) कहते हैं।


5. सेन्ट्रल डोग्मा से आपका क्या तात्पर्य है ?

उत्तर ⇒सेन्ट्रल डोग्मा (Central dogma) जीवधारियों में प्रोटीनों का संश्लेषण प्रायः DNA के ही प्रत्यक्ष नियंत्रण में होता है। जिन जीनों में DNA नहीं होता, वहाँ अवश्य यही कार्य RNA के नियंत्रण में होता है। किसी विशिष्ट पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला में पाये जाने वाले अमीनो अम्लों के अनुक्रम का निर्धारण DNA श्रृंखला के किसी खंड विशेष में क्षारको के अनुक्रम पर निर्भर करता है। न्यूक्लीक अम्लों द्वारा प्रोटीन रचना का नियंत्रण RNA के माध्यम से होता है। द्विकुंडलित DNA में निहित सूचना RNA को दी जाती है, जो दूत की भाँति कार्य करता है और पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला के निर्माण के लिए इसकी सूचना का अनुवाद होता है। इस प्रकार सूचना DNA से m-RNA; m-RNA से पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला की ओर प्रवाहित होती है DNA-m-RNA→ Protein

सूचना के एक ही दिशा में इस प्रवाह को अणु जीव विज्ञान में सेन्ट्रल डोग्मा (Central dogma) कहते थे। यद्यपि 1970 में ऐसे प्रमाण भी उपलब्ध हुए हैं, जिनके अनुसार RNA से भी DNA का संश्लेषण संभव है।


Class 12th Exam Biology Question 2024

6. आनुवंशिक कोड के गुण या विशेषताएँ बताइए 

उत्तर ⇒ आनुवंशिक कोड की निम्न विशेषताएँ (Special features of genetic code) हैं :

(i) प्रत्येक अमीनो अम्ल के लिए कम से कम एक त्रिक (triplet ) कोडोन होता है।

(ii) कोड अपहलासित (degenerate) होता है, अर्थात् एक ही अमीनो अम्ल के लिए एक से ज्यादा कोडोन हो सकते हैं।

(iii) कोड अनतिव्यापी (non-overlapping) होता है अर्थात् तीन क्षारकों में एक अमीनो अम्ल कोड होता है, अगले अमीनो अम्ल के लिए तीन क्षारक और चाहिए। पिछले तीन क्षारकों में से कोई भी अगले अमीनो अम्ल के कोडोन में सम्मिलित नहीं होगा। परन्तु हाल ही में वैज्ञानिकों को पता लगा कि जीवाणु भोजी x 174 में कुछ नतिव्यापी (overlapping) होते हैं।

(iv) कोड कोमारहित (commaless) होता है, अर्थात् दो कोडोनों के बीच कोमा की आवश्यकता नहीं होती। एक अमीनो अम्ल को कोडित

कर देने के बाद अगले तीन क्षारक दूसरे अमीनो अम्ल को स्वतः ही कोडित कर देते हैं।

(v) कोड असंदिग्ध (unambiguous) होता है अर्थात् एक निश्चित कोडोन एक निश्चित अमीनो अम्ल को ही प्रदर्शित करेगा।

(vi) कोड सार्वत्रिक (universal) होता है अर्थात् सभी जीवधारियों में एक-सा होता है।


7. निम्न के बीच अंतर बताइए :

(क) पुनरावृत्ति डीएनए एवं अनुषंगी डीएनए

(ख) एमआरएनए और टीआरएनए ।

(ग) टेम्पलेट रज्जु और कोडिंग रज्जु ।

उत्तर ⇒(क) पुनरावृत्ति डीएनए एवं अनुषंगी डीएनए— डीएनए अनुक्रम में स्थित कुछ विशिष्ट जगहों के बीच अभिन्नता का पता लगाते हैं।

इसको पुनरावृत्ति डीएनए कहते हैं। डीएनए ढेर एक बहुत बड़ा शिखर बनाता है जबकि साथ में अन्य छोटे शिखर बनते हैं जिसे अनुषंगी डीएनए कहते हैं।

(ख) एम आरएनए और टी आरएनए एम आरएनए (mRNA) टेम्पलेट प्रदान करता है।

(ग) टेम्पलेट रज्जु और कोडिंग रज्जु-रज्जुक जिसमें घुयत्व में 3‘और 3’ से 5 (35) की ओर है। वह टेम्पलेट के रूप में कार्य करते हैं इसलिए यह टेम्पलेट रज्जुक कहलाता है। दूसरी लड़ी जिसमें ध्रुवत्व ( 5’3′) व अनुक्रम आरएनए जैसा होता है। अनुलेखन के दौरान स्थानांरित हो जाता है। यह रज्जुक कोडिंग रज्जुक कहलाता है।


8. पुनर्योगजी डीएनए से आपका क्या अभिप्राय है ?

उत्तर ⇒पुनर्योगजी डीएनए (Recombinant DNA ) – सन् 1972 में यह पता चला कि किसी एक जीव से DNA का खंड लेकर दूसरे जीव के DNA के साथ शरीर से बाहर (परखनली में) संकरण कराना संभव है। इस संकरण से प्राप्त DNA को पुनर्योगजी डीएनए (Recombinant DNA) कहा गया। पॉलबर्ग (Paul Berg, 1972) ने SB-40 नामक वाइरस या विषाणु के DNA को ई. कोलाई नामक जीवाणु में सफलतापूर्वक प्रतिरोपित किया । परिणामस्वरूप, एक ऐसे नये जीव की उत्पत्ति हुई जिसमें SB-40 विषाणु तथा ई. कोलाई दोनों के ही गुण थे। सामान्य ई. कोलाई की भाँति यह मनुष्य की आंतों में पनप सकता था तथा विषाणु की भाँति कैंसर जैसे रोग उत्पन्न कर सकता था इस प्रकार एक नई तकनीक का विकास हुआ। इसे पुनर्योगजी डीएनए तकनीक (Recombinant DNA Technology) कहा जाता है।


9. यदि डीएनए के एक रज्जुक के अनुक्रम निम्नवत् लिखे हैं :

S-ATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3′ तो पूरक रज्जुक के अनुक्रम को 5 → 3′ दिशा में लिखें।

उत्तर ⇒डीएनए में दोनों श्रृंखलाएँ प्रति समानांतर ध्रुवणता रखती है। इसका अर्थ है कि एक श्रृंखला की ध्रुवणता 5′ से 3′ की ओर हो तो दूसरे की ध्रुवणता 3′ से 5′ की तरह होगी।

दोनों रज्जुक क्षार आपस में हाइड्रोजन बंध द्वारा युग्मित होकर क्षार युग्मक बनाते हैं। ऐडेनिन व थाइमिन जो विपरीत रज्जुकों में होते हैं, आपस में दो हाइड्रोजन बंध बनाते हैं। ठीक इसी प्रकार से ग्वानीन साइटोसीन से तीन हाइड्रोजन बंध द्वारा बँधा रहता है जिसके फलस्वरूप सदैव यूरीन के विपरीत दिशा में पीरामिडिन होता है। इससे कुंडली के दोनों रज्जुकों के बीच लगभग समान दूरी बनी रहती है। अतः यहाँ पर पूरक रज्जुक के अनुक्रम की दिशा इस प्रकार होगी:

-5′-ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3′

3′ – TACGTACGTACGTACGTACGTACGTACG-5′


10. DNA और RNA के बीच दो प्रमुख अंतर बताइए।

उत्तर ⇒ DNA और RNA के बीच निम्नलिखित अंतर हैं:

DNARNA
1. इसमें Cytosine, Adenine, Thymine तथा Guanine नामक नाइट्रोजनी क्षार पाए जाते हैं।

2. यह double belical संरचना है।

1. इसमें Guanine, Adenine, Cytosine तथा Uracel जैसे नाइट्रोजनी झार पाए जाते हैं।

2. यह सिंगल धागे के समान संरचना है।


11. प्रोटीन की रचना व कार्यों पर उत्परिवर्तन क्या प्रभाव डालता है ?

उत्तर ⇒ प्रोटीन की रचना व कार्यों पर उत्परिवर्तन का प्रभाव (Effect of mutations on Protein Structure and Function) उत्परिवर्तक कारकों जैसे पराबैंगनी किरणों, X-किरणों तथा रसायनों के प्रभाव में न्यूक्लिक अम्लों के क्षारकों में कुछ परिवर्तन आ जाते हैं। इनका प्रभाव प्रोटीन संश्लेषण पर भी पड़ता है, क्योंकि प्रोटीन की संरचना, अमीनो अम्ल , अनुक्रम पर निर्भर करती है जो m RNA क्षारकों के अनुक्रम पर, m-RNA का क्षारक अनुक्रम, अन्ततः DNA में क्षारक अनुक्रम पर निर्भर करता है। यदि एक भी क्षारक नष्ट हो जाता है, तो हो सकता है, इससे क्षारकों का सारा अनुक्रम बिगड़ जाये तथा बिल्कुल भिन्न प्रकार की प्रोटीन बने। ऐसे उत्परिवर्तन को प्रेमशिफ्ट उत्परिवर्तन (Frameshift mutation) कहते है। इसके विपरीत, कभी-कभी क्षारक में कोई परिवर्तन होने के बावजूद प्रोटीन  के अमीनो अम्ल अनुक्रम में कोई अन्तर नहीं पड़ता, क्योंकि यह त्रिक कोडोन के तीसरे क्षारक पर होता है, जिससे 1-RNA व अमीनो अम्ल अन्तर्क्रिया अप्रभावित रहती है। ऐसे उत्परिवर्तन को शान्त उत्परिवर्तन (silent mutation) कहते है।


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12. बहुविकल्पता के बारे में सोदाहरण लिखें।

उत्तर ⇒ किसी लक्षण की वंशागति का नियंत्रण जब दो से अधिक जीन/ अलील द्वारा होता हो तो स्थिति बहुविकल्पता कहलाता है जैसे मानव में ABO रक्त समूह की वंशागति ।


13. सादर्न ब्लोटिंग तकनीक से आप क्या समझते हैं?

उत्तर ⇒ किसी दिए गए DNA सैंपल के किसी विशिष्ट DNA विन्यास/ अनुक्रम / सिक्वेंश का पता लगाने के लिए अपनाई जाने वाली वह जैव अभियांत्रिक तकनीक जिसमें DNA खंड को इलेक्ट्रो-फोरिसिस द्वारा पृथक कर उसकी पहचान प्रोब हाइब्रिडाइजेशन तकनीक द्वारा किया जाता है. सादर्न ब्लॉटिंग तकनीक कहलाता है।


14. डी. एन. ए. सम्परीक्षक (प्रोब) क्या है ? जैव प्रौद्योगिकी में इसके उपयोग बतावें ।

उत्तर ⇒ DNA probe का इस्तेमाल recombinant DNA को बनाने में किया जाता है। Recombinant DNA जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत उपयोगी है। आनुवांशिक प्रौद्योगिकी Prokaryotic और Eukaryotic] DNA का मिश्रित रूप है जो DNA के अण के विभाजन को सम्मिलित करता है। इसका उद्देश्य एक खास DNA खंड को अलग करना और उसे ऐच्छिक स्थिति पर दूसरे DNA अणु में insulate करना होता है। नए तैयार उत्पाद को r-DNA कहा जाता है और इस r-DNA को बनाने में जो मददगार होता है, उसे DNA probe कहते हैं। जैव-प्रौद्योगिकी में DNA probe का इस्तेमाल निम्नलिखित कार्यों में होता है— (i) Bt कॉटन बनाने में (ii) तम्बाकू बनाने में (iii) फ्लेवर-सवेर टमाटर बनाने में, (iv) गोल्डन राइस बनाने में।


15. एम. आर. एन. ए. और टी. आर. एन. ए. में अन्तर बताएँ ।

उत्तर ⇒ एम. आर. एन. ए. और टी. आर. एन. ए. में अन्तर :

m-RNAt-RNA
1. यह जीवाणु में पाया जाता है।

2. यह प्रोटीन संश्लेषण करता है।

3. यह टेम्पलेट प्रदान करता है।

1. यह अमीनो अम्ल में पाया है 

2. यह आनुवांशिक कूट को पढ़ने का काम करता है

3. यह RNA स्थानांतरण के दौरान संरचनात्मक उत्प्रेरक भूमिका निर्वाह करता है।


16. DNA के द्विसूत्री संरचना के दो मुख्य विन्दुओं की विवेनाच करें ।

उत्तर ⇒  DNA अणु की रचना को वाट्सन तथा क्रिक नामक वैज्ञानिक ने सफलतापूर्वक दर्शाया जिसे डी.एन.ए. का वाट्सन व क्रिक मॉडल कहते हैं। इसके अनुसार डी. एन. ए. अणु एक द्विकुंडलीय रचना है जिसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है:

(i) DNA अणु में दो पूरक पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाएँ एक-दूसरे के प्रति समानांतर (antiparallel) एक उभयनिष्ठ अक्ष के चारों ओर सर्पिल रूप में कुंडलित होती हैं।

(ii) प्रत्येक कड़ी में बाहर की ओर फॉस्फेट तथा डिऑक्सीराइबोस शर्करा एकांतर रूप से सजे होते है। यही फॉस्फेट एवं शर्करा कुंडली के मुख्य आलंब (main support ) होते हैं।

(iii) एक श्रृंखला में शर्करा के कार्बन 3′ से 5′ दिशा में जबकि दूसरे 5′ से 3′ दिशा में पाए जाते हैं। इस प्रकार दोनों स्टैंड विपरीत दिशाओं में रहते हैं ।


17. DNA प्रतिकृति के लिए आवश्यक किन्हीं दो इन्जाइम्स का नाम लिखें तथा प्रत्येक का एक विशिष्ट कार्य को बतावें ।

उत्तर ⇒ डी. एन. ए. प्रतिकृति के लिए आवश्यक दो इन्जाइम इस प्रकार से है- (i) पॉलिमरेज (ii) लाइगेज।

(i) डी.एन.ए. पॉलिमरेज एन्जाइम का उपयोग कर आकृतियाँ बना लेता है।
(ii) प्रतिजैविक प्रतिरोधी जीन को संवाहक के साथ जोड़ने का काम लाइगेज एन्जाइम के द्वारा होता है।


18. यूक्रोमैटिन एवं हेटरोक्रोमेटिन में अन्तर बतावें ।

उत्तर ⇒ यूक्रोमैटिन एवं हेटरोक्रोमेटिन में अन्तर—एक प्रारूपी केन्द्रक के अंदर कहीं-कहीं क्रोमैटिन ढीले तौर पर बँधे रहते हैं। इनमें अभिरंजन हल्के रंग का होता है, इसे यूक्रोमैटिन कहा जाता है।

वैसे कोमैटिन, जो मजबूती से बँधे रहते हैं एवं गाढ़े रंग से अभिरंजित होते हैं, को हेटरोक्रोमैटिन कहा जाता है। यूक्रोमैटिन को सक्रिय क्रोमैटिन एवं हेटरोक्रोमैटिन को निष्क्रिय क्रोमैटिन कहा जाता है।

12th Biology Subjective Question 2024


Class 12th Biology – Objective 
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