12th jeev Vigyan Subjective Question :- दोस्तों यदि Class 12th biology Subjective Question 2024 आपकी तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको Inter Exam Ka Question Biology vvi Question Answer दिया गया है जो आपके 12th Exam Biology Subjective Question 2024 में पूछे जा सकते हैं, 12th Ka Biology Ka Subjective Question
12th jeev Vigyan Subjective Question
1. मनुष्यों में रक्त समूह की वंशानुगति को दर्शाते हुए बहुविकल्पता का वर्णन करें ।
उत्तर – रुधिर वर्ग 4 प्रकार के होते हैं— A, B, AB और 0। किसी व्यक्ति का रुधिर वर्ग इन्हीं चार रुधिर वर्गों में से कोई एक हो सकता है। ये रुधिर वर्ग एक जीन द्वारा नियंत्रित होते हैं। उस नियंत्रक जीन के तीन भिन्न-भिन्न रूप होते हैं जिन्हें IA, IB तथा I° द्वारा सूचित किया जाता है। IA तथा 1 कभी भी एक-दूसरे पर प्रभावी नहीं होते हैं। परन्तु जीन ^ तथा IB दोनों ही जीन I पर प्रभावी होते हैं। दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि रुधिर जीन 10, 14 वर्ष 18 के सन्दर्भ में अप्रभावी होता है। यद्यपि रुधिर के लिए मात्र तीन जीन प्रारूप ही होते हैं परन्तु किसी व्यक्ति में इन तीनों से कोई 2 हो सकते हैं जिन्हें हम जीनोटाइप कहते हैं
(i) यदि जीन संयोजन या जीनोटाइप IA IA है तो व्यक्ति का रुधिर वर्ग ‘A’ होगा परन्तु यदि जीनोटाइप 14 19 है, तब भी व्यक्ति का रुधिर वर्ग A ही होगा। यही कारण है कि जीन I° एक अप्रभावी जीन होता है।
(ii) यदि जीनोटाइप 1 1 है, तो व्यक्ति का रुधिर वर्ग (+) ‘B’ होगा। परन्तु जीनोटाइप IB 1° है, तब भी व्यक्ति का रुधिर वर्ग ‘B’ ही होगा ।
(iii) यदि जीनोटाइप है, तब व्यक्ति का रुधिर वर्ग AB’ होगा।
(iv) यदि जीनोटाइप 19 19 है, तब व्यक्ति का रूधिर वर्ग ‘O’ होगा।
2. मानव में लिंग निर्धारण कैसे होता है ? अथवा, मनुष्य में लिंग निर्धारण का गुणसूत्रीय आधार क्या है ? अथवा, लिंग निर्धारण से आप क्या समझते है ?
उत्तर- मानव का लिंग निर्धारण XY प्रकार का होता है। कुल 23 जोड़े क्रोमोसोम में से 22 जोड़े नर और मादा में बिल्कुल एक जैसे होते हैं, इन्हें अलिंग क्रोमोसोम कहते हैं। मादा में X क्रोमोसोमों का एक जोड़ा होता है। और नर में X के अतिरिक्त एक क्रोमासोग Y होता है जो नर लक्षण का निर्धारक होता है। नर में शुक्रजनन के समय दो प्रकार के युग्मक बनते हैं। कुल उत्पन्न शुक्राणु संख्या का 50 प्रतिशत X युक्त होता है और शेष 50 प्रतिशत Y युक्त होता है। इनके साथ अलिंग कोमोसोन तो होते ही है। मादा में केवल एक ही प्रकार के अण्डाणु बनते है जिनमें X क्रोमासोम होता है। के X या Y धारी क्रोमोसोमो से निषेचित होने की प्रायिकता बराबर बराबर रहती है। यदि अण्डाणु का निषेचन X धारी शुक्राणु से हो गया तो युग्मनज (जाइगोट) मादा (XX) में परिवर्धित हो जाता है। इसके विपरीत Y कोमासोम धारी शुक्राणु से निषेचन होने पर नर (XY) शिशु जन्म लेता है। स्पष्ट है कि शुक्राणु की आनुवंशिक संरचना ही शिशु के लिंग का निर्धारण करती है।
3. बिंदु – उत्परिवर्तन क्या है ? एक उदाहरण दें
उत्तर—क्रोमोसोमों के रूपांतर असमानताओं तथा विपवनों को जन्म देते हैं। ऐसे क्रोमोसोमीय विपथन कैंसर कोशिकाओं में सामान्यतः देखे जाते हैं। इसके अतिरिक्त डी एन ए के एकल क्षार युग्म (बेस पेपर) के परिवर्तन भी उत्परिवर्तन को जन्म देते हैं। इसे बिन्दु उत्परिवर्तन (पॉइंट म्यूटेशन) कहते हैं । इस प्रकार के उत्परिवर्तन का जाना माना उदाहरण दात्र कोशिका अरक्तता (सिकल सेल एनिमिया) नामक रोग है डी. एन. ए. के क्षार युग्मों के घटने । बढ़ने से फ्रेम शिफ्ट उत्परिवर्तन उत्पन्न होते रहते हैं ।
4. हीमोफीलियों को रक्तस्रावी रोग क्यों कहा जाता है ?
उत्तर- हीमोफीलिया से ग्रस्त रोगियों में या तो केवल एक ही दोषी जीन होता है जो X गुणसूत्र पर होता है (नर में) या उसमें दोनों ही दोषी जीन होते हैं जो XX गुणसूत्रों पर विद्यमान होते हैं (मादा में) । सामान्य जीन से वे पदार्थ बनते हैं जिनके द्वारा रक्त का स्पंदन नहीं होता। परिणामतः एक बार रक्त का बहना शुरू हो जाने के बाद वह रुकता ही नहीं ।
5. मानव गुणसूत्रों के विषय में कोई तथ्य लिखिए ।
उत्तर- मानव शरीर की प्रत्येक कोशिका में 46 (23 जोड़े) गुणसूत्र होते हैं। गुणसूत्र कोशिका के केन्द्रक में होते हैं। गुणसूत्र जोड़ों के रूप में पाए जाते हैं। प्रत्येक जोड़े का एक गुणसूत्र पिता से और दूसरा माता से आता है। इस प्रकार गुणसूत्र सदैव द्विगुणित ( diploid) संख्या में होते हैं और उन्हें 2n के रूप में व्यक्त किया जाता है। सभी सामान्य मानवों में गुणसूत्रों की संख्या स्थिर रहती हैं। 23 जोड़ी मानव गुणसूत्रों में से एक जोड़ी गुणसूत्र X तथा Y गुणसूत्र नाम दिया जाता है, जिनमें वे जीन होते हैं जो लिंग का निर्धारण करते हैं ।
6. हीमोफीलिया अधिकतर लड़कों में ही क्यों पाया जाता है ?
उत्तर – हीमोफीलिया में जीन X गुणसूत्र पर होते हैं और इसलिए यह दोष माँ से पुत्र में पहुँचता है। माँ में दो X गुणसूत्र होते हैं जिसमें से हो सकता है कि एक X गुणसूत्र पर सामान्य जीन हो, इसलिए वह सामान्य (दोषरहित) होती है। इसी तरह उस माँ की बेटी भी सामान्य हो सकती है, क्योंकि उसमें माँ के एक दोषपूर्ण X गुणसूत्र के साथ पिता का सामान्य X गुणसूत्र आया हुआ होगा। लेकिन नर में केवल एक ही X गुणसूत्र होता है और यदि उस पर दोषपूर्ण जीन मौजूद हुआ तब व्यक्ति को यह आनुवंशिक दोष हो ही जाएगा।
Biology Subjective question 2024 12th Class
7. मेण्डल द्वारा प्रतिपादित अनुवांशिक के नियमों को उल्लेख करें ।
उत्तर- एक संकर कास के आधार पर Mendel ने निम्नलिखित नियम प्रतिपादित किए
(i) इकाई लक्षण का नियम किसी भी जीव के अनेक व्यक्तिगत लक्षण होते है। प्रत्येक लक्षण स्वतंत्र होता है तथा दूसरे पर आधारित नहीं रहता है। जैसे—किसी पौधे का लम्बा होना (T) तथा बोना होना (1) एक इकाई लक्षण है।
(ii) प्रभाविता का नियम — इस नियम के अनुसार जब दो विपरीत ऐलील किसी जीवधारी में एक साथ आते है, तब उनमें से केवल एक बाह्य रूप से दिखाई पड़ता है और दुसरा दबा हुआ रहता है। दिखाई देने वाले लक्षण को प्रभावी तथा ना दिखाई देने वाले लक्षण को अप्रभावी लक्षण कहते है ।
(iii) पृथक्करण का नियम — इस नियम के अनुसार कोई एक युग्मक किसी एक लक्षण के लिए शुद्ध होता है। दो लक्षण साथ आते
है पर Mix नहीं होते हैं। अगले पीढ़ी में प्रकट होते है । इसे युग्मकों की शुद्धता का नियम (Law of purity of Gametes) भी कहते है ।
द्विसंकर क्रास के आधार पर निम्नलिखित नियम दिए :
(i) स्वतंत्र संकलन या अपव्यूहन का नियम — द्विसंकर या बहुसकर क्रॉसों में जहाँ दो या दो से अधिक युग्मविकल्पी लक्षणों के जोड़ो की वशांगति का अध्ययन किया जाता है । वहाँ उन युग्म विकल्पी लक्षणों के जोड़ो का स्वतंत्र अपव्यूहन होता हैं ।
8. किसी व्यक्ति की पहचान में डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग एक सुनिश्चित पक्का परीक्षण क्यों माना जाता है ?
उत्तर— क्योंकि व्यक्ति के शरीर की प्रत्येक कोशिका का डी.एन.ए. एक समान होता है और यह माता-पिता के डी.एन.ए. से मिलता-जुलता होता है क्योंकि बच्चों को अपना डी.एन.ए. अपने माता-पिता से ही मिलता है। जैसा कि हमारी अंगुलियों के निशानों के विषय में है वैसे ही हर व्यक्ति का अपना डी एन ए भी सबसे अलग होता है। यदि अपराध स्थल पर अपराधी का एक बाल, रक्त की बूँद अथवा वीर्य पड़ा मिला हो तो उससे अपराधी का डी. एन. ए. पहचानने में मदद मिलता है और संदिग्ध व्यक्ति के डी. एन. ए. से उसकी तुलना करके सच का पता लगाया जा सकता है
9. जीनों की रासायनिक प्रकृति कैसी होती है ?
उत्तर— जीनों की रासायनिक प्रकृति अब तक आप जान चुके हैं कि जीन ही वंशागति लक्षणों के वाहक है एवं ये गुणसूत्रों पर होते हैं। अनेक वैज्ञानिकों के कार्य से आज हमें ज्ञात है कि जीन इन रासायनिक अणुओं के खंड होते हैं जिन्हें हम DNA अथवा डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic acid) कहते हैं। एक गुणसूत्र में डी. एन. ए. परीक्षण जिसे डी. एन. ए. फिंगर प्रिंटिंग (DNA fingerprinting) कहते हैं, के द्वारा पहचाना जा सकता है। ऐसा इसलिए कि व्यक्ति के शरीर की प्रत्येक कोशिका का डी. एन. ए. एक समान होता है और वह माता-पिता के डी. एन. ए. से मिलता-जुलता होता है। ऐसा होना स्वाभाविक ही है, क्योंकि बच्चों को अपना डी. एन. ए. अपने माता-पिता से ही मिलता है। जैसा कि हमारी उंगलियों के निशानों के विषय में है, वैसे ही हर व्यक्ति का अपना डी. एन. ए. भी सबसे अलग होता है। यदि अपराध स्थल पर अपराधी का एक बाल,रक्त की बूंद अथवा वीर्य पड़ा मिला हो तो उससे अपराधी का डी. एन्. ए. पहचानने में मदद मिलती है और संदिग्ध व्यक्ति के डी. एन. ए. से उसकी तुलना करके सच का पता लगाया जा सकता है ।
10. एक संकर क्रॉस का प्रयोग करते हुए, प्रभाविता नियम की व्याख्या करें ।
उत्तर- एक संकर संकरण प्रयोगों के अपने प्रेक्षणों को आधार बनाकर मेंडल ने इनकी वंशागति संबंधी अपनी समझ के सारे रूप में दो सामान्य नियम प्रस्तावित किए। उनमें से एक नियम है प्रभाविता का नियम (लॉ ऑफ डोमिनेंस) प्रभाविता नियम के अनुसार ।
(क) लक्षणों का निर्धारण कारक नामक विविक्त (डिस्कीट) इकाइयों द्वारा होते हैं ।
(ख) कारक जोड़ों में होते हैं।
(ग) यदि कारक जोड़ों में दो सदस्य असमान हो तो इनमें से एक कारक दूसरे कारक पर प्रभावी हो जाता है अर्थात् एक ‘प्रभावी’ और एक ‘अप्रभावी’ होता है ।
(घ) F1 में केवल एक जनक लक्षण का प्रकट होना तथा F2 में दोनों जनक लक्षणों का प्रकट होना, प्रभाविता के नियम के द्वारा समझा जा सकता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि F2 में 3: 1 का अनुपात क्यों पाया जाता है ।
11. अपूर्ण प्रभाविता (Incomplete Dominance) से आप क्या समझते हैं? उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर- मैडल के प्रयोग में म, विषम युग्मजी का फोनोटाइप किसी एक F जनक के सदृश पाया गया परन्तु कुछ पौधों में F का फीनोटाइप किसी भी जनक से नहीं मिलता। इसका एक उदाहरण है श्वानपुष्प या स्नैपड्रैगन में फूल में फूल के रंग की वंशागति इसे अपूर्ण प्रभाविता कहा जाता है। तद्रूप प्रजनन लाल फूल वाले (RR) तथा सफेद फूल वाले (fr) पौधों बीच संकरण से प्राप्त F1 पौधों (Rr) में गुलाबी फूल उत्पन्न हुए। स्वपरागण से उत्पन्न F2 पीढ़ी में लाल (RR), गुलाबी (Rr) एवं सफेद (mr) फूल वाले पौधे 1: 2:1 के अनुपात में प्राप्त हुए। R अलील अलील पर पूर्णरूपेण प्रभावी नहीं रहने के F, (Rr) संतति में फूल गुलाबी हो गये ।
12. परीक्षार्थ संकरण (Test Cross) क्या है ?
उत्तर- टेस्ट क्रॉस के अन्तर्गत अप्रबल जनकीय पौधों का प्रबल पौधों से क्रॉस कराया जाता है। इस प्रक्रिया में आधे अप्रबल एवं आधे प्रबल पौधों की प्राप्ति हुई, यदि यह क्रॉस विषम युग्मों के साथ हुआ तथा चारों प्रबल प्राप्त होते हैं।
12th Biology vvi Subjective Question 2024
13. मनुष्य में किसी दो क्रोमोसाम विकार का वर्णन करें।
उत्तर- 1. डाउन्स सिन्ड्रोम इसके अन्तर्गत 21 जोड़ गुणसूत्र में दो के बजाय 3 अर्थात् 1+ (21) गुण सूत्र हो जाते हैं। यह 700 में से किसी 1 में होता है। यह व्यक्ति नाटा एवं मन्द बुद्धि का होता है तथा जीवन अव 16-17 वर्ष की ही होती है।
2. टर्नर सिन्ड्रोम–स्वी के लिंग गुणसूत्र में केवल एक X गुणसूत्र पाया जाता है जिससे इन स्त्रियों के वक्ष एवं जनन अंग अविकसित होते हैं तथा यह नुपुंसक होती हैं।
14. सहलग्नता को परिभाषित करें ।
उत्तर—-दो होमोलोगस गुणसूत्रों के भागों को एक-दूसरे के साथ जुड़ने की घटना सहलग्नता कहलाती है।
15. एकसंकर क्रॉस के आधार पर मेण्डल के प्रतिपादित नियमों को लिखें।
उत्तर- एकसंकर क्रॉस के आधार पर मेंडल ने निम्नांकित नियमों को प्रतिपादित किया
(i) युग्मित कारकों का नियम प्रत्येक लक्षण दो इकाई कारकों (ऐलील) द्वारा प्रदर्शित होते हैं जो समान गुणसूत्र पर समान स्थान पर स्थित होते हैं।
(ii) प्रभाविता का नियम किसी लक्षण के विभिन्न विशेषकों को प्रदर्शित करने वाले दो ऐलीलों (कारकों) में से अपने आपको प्रदर्शित करता है जिसे प्रभावी कारक कहते हैं और जो प्रदर्शित नहीं हो पाता है उसे अप्रभावी कारक कहते हैं ।
(iii) पृथक्करण का नियम- एक व्यष्टि में उपस्थित एक लक्षण के दो कारक मिश्रित नहीं होते हैं बल्कि युग्मक निर्माण के समय एक-दूसरे से पृथक व स्पष्ट बने रहते हैं ताकि एक युग्मक एक लक्षण का केवल एक कारक ले जा सकें व हमेशा शुद्ध रहे ।
16. मेंडल ने अपने प्रयोग के लिए मटर का चयन क्यों किया?
उत्तर – मंडल ने अपने प्रयोग के लिए मटर के पौधों को चुना क्योंकि यह वार्षिक होते हैं, इसमें कई विपरीत लक्षण पाये जाते हैं तथा इसका दे करना आसान होता है ।
17. ट्रांसक्रीप्शन और ट्रांसलेशन में अन्तर बताइए । अथवा, संक्षेप में ट्रांसक्रीप्शन का वर्णन करें
उत्तर-ट्रांसकीफाननेटिक सूचना को DNA के स्टूड से RNA कॉपी करने को ट्रांसस्क्रीप्शन कहते हैं।
18. पूर्ण प्रभाविता एवं आंशिक प्रभाविता में अन्तर लिखें।
उत्तर-पूर्ण प्रभाविता एवं आंशिक प्रभाविता में अन्तर
पूर्ण प्रभाविता | आंशिक प्रभाविता |
1. संकरण के बाद प्रथम पीढ़ी (F) में विपरीत गुणों के जोड़ों में दिखाई पड़ने वाले लक्षण पूर्ण प्रभाविता कहलाते हैं। | 1. संकरण के बाद प्रथम पीढ़ी में विपरीत गुणों के जोड़ों में मौजूद रहते हुए नहीं दिखाई पड़ने वाले लक्षण आंशिक कहलाते हैं। प्रभाविता |
2. असमान कारकों के जोड़ों में से कोई एक जो दूसरे से दब जाता हैं । | 2. असमान कारकों के जोड़ों में कोई एक जो दूसरे के ऊपर प्रभावी हो जाता है। |
Biology Class 12 Subjective Questions 2024 in Hindi
19. टेस्ट ट्यूब बेबी किसे कहते हैं ? अथवा, परखनली शिशु किसे कहते हैं ?
उत्तर- टेस्ट ट्यूब बेबी पात्रे निषेचन का एक उदाहरण है। इसमें अंड का निषेचन शरीर के बाहर होता है। फिर zygote को 8 कोशीय भ्रूण तक विकसित कर माता के शरीर में फैलोपियन ट्यूब में प्रवेश कराया जाता है जहाँ भ्रूण का आगे का विकास हो पाता है। अतः इसे Zygota Intez Fallopian Transfer (ZIFT) कहते हैं। यदि भ्रूण का विकास 8 कोशिका मे अधिक में होती है, तो इसे सीधे गर्भाशय में प्रतिस्थापित किया जाता है। इसे Intra Uterine Transfer (IUT) कहते हैं। सबसे पहला टेस्ट ट्यूब बेबी लूई जॉय बाउन 1978 में इंग्लैंड में पैदा हुई थी जबकि भारत में सबसे पहला टेस्ट ट्यूब बेबी हर्षा, 1986 में मुम्बई में पैदा हुई थी।
20. जीन उत्परिवर्तन से आप क्या समझते हैं ? जैव क्रम विकास में इसकी क्या भूमिका है ?
उत्तर – किसी जीवों के गुणसूत्र की संख्या में स्थायी परिवर्तन को जीन उत्परिवर्तन कहते हैं। जैव क्रम के विकास में इसकी भूमिका निम्न है
(i) उत्परिवर्तन जैव क्रम विकास का स्रोत है। Generecombination के द्वारा Genetic diversity बहुत अधिक मात्रा में सम्पन्न होती है।
(ii) उत्परिवर्तन के द्वारा नये की उत्पत्ति सम्पन्न होती है।
21. किसी एक उदाहरण के साथ पृथक्करण के नियम का वर्णन करें।
उत्तर- पृथक्करण / विसंयोजन का नियम — इस नियम के अनुसार जब विपरीत लक्षण के जोड़े को क्रॉस कराया जाता है तो युग्मक बनते समय एक जोड़ी के ऐलील एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं। फलस्वरूप प्रत्येक युग्मक में दो में से केवल एक ऐलील रहता है। यह युग्मक अपने में शुद्ध होता है, क्योंकि किसी लक्षण के लिए केवल एक ऐलील इसमें रहता है। युग्मकों के संगलन से प्रत्येक लक्षण के दोनों ऐलील पुनः जोड़ी बना लेते हैं। इसलिए द्विगुणित जीवधारी में प्रत्येक लक्षण के समय अर्धसूत्री विभाजन होता है, इसलिए इनमें जोड़ी में से सिर्फ एक ऐलील पाया जाता है। कोई युग्मक किसी एक लक्षण के लिए बिल्कुल शुद्ध होता है, अतः इस नियम को युग्मकों की शुद्धता का नियम भी कहते हैं।
22. क्लाइनफेल्टर सिण्ड्रोम पर प्रकाश डालें।
उत्तर—क्लाइनफेल्टर सिण्ड्रोम—यह यह ट्राइसोमी का एक उदाहरण है, लेकिन इसमें लिंग-क्रोमोसोम X की एक अतिरिक्त प्रतिलिपि के मौजूद रहने के चलते मानव कोशिका में 47 क्रोमोसोम (44+ XXY) हो जाता है। यह संलक्षण पुरुषों में पाया जाता है जो देखने में सामान्य लगते हैं, लेकिन इनमें मादा लक्षण परिलक्षित होते हैं, जैसे स्त्री की भाँति वक्ष की वृद्धि । ऐसे पुरुष प्रायः बाँझ होते हैं, क्योंकि इनमें शुक्राणु बहुत कम बन पाते हैं ।
23. प्रत्यक्ष सहलग्नता एवं परोक्ष सहलग्नता पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर—प्रत्यक्ष सहलग्नता एवं परोक्ष सहलग्नता जो जीन 50 या इससे कम मैप यूनिट्स की दूरी पर पाए जाते हैं, उनमें प्रत्यक्ष सहलग्नता होती है और जो 50 से अधिक मैप यूनिट्स पर पाए जाते है उनमें परोक्ष सहलग्नता होती है 1 map unit (centimoran) = 1% recombination, मैप यूनिट्स द्वारा मैप दूरी का अध्ययन होता है।
12th biology Short question Answer 2024 in Hindi
24. प्रारंभन कूट तथा समापन कूट का वर्णन करें।
उत्तर – प्रारंभन कोडोन अधिकांश प्रोटीन या पॉलिपेप्टाइड के प्रथम एमीनो अम्ल मिथियोनिन होता है एवं mRNA पर इसके लिए AUG या कभी कभी GUG (in bacteria) कोडोन रहते हैं। चेन बनने के पहले मिथियोनिन या फॉर्माइलेटेड (formylated) होना आवश्यक होता है। वैसे कोडान, जो पॉलिपेप्टाइड चेन बनाने की प्रक्रिया शुरू करते हैं उसे (AUG) चेन प्रारंभन कहते हैं । समापन कोडोन 64 कोडोनों में तीन कोडोन (UAA, UAG एवं UGA) ऐसे होते हैं जो पॉलिपेप्टाइड चेन के समापन का संकेत देते हैं। इन्हें चेन समापन कोडोन कहते हैं। चूंकि ये किसी एमीनो अम्ल का संकेत वाहक नहीं होते हैं. अतः इन्हें नॉनसेंस कोडोन (nonsense codon) भी कहते हैं। mRNA में ये जहाँ रहते हैं, पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला बनने की क्रिया वहाँ रोक देते हैं ।
25. युग्मन और प्रतिकर्षण को परिभाषित करें ।
उत्तर – डब्ल्यू. बेसन एवं आर. सी. पनेट (W. Bateson and R.C Punnett) ने 1906 में मीठे मटर (Lathyrus odoratus) पर अपने प्रयोगों द्वारा यह देखा कि स्वतंत्र अपव्यूहन का सिद्धांत इसमें लागू नहीं होता है। इन्होंने बैंगनी फूल एवं लंबे परागकणों (purple flower and long pollen grains) वाले पौधे का संकरण लाल फूल एवं गोल परागकणों (red flower and round pollen grains) वाले पौधे से कराया। इस क्रॉस से F, पीढ़ी के पौधे बैंगनी फूल एवं लंबे परागकणों वाले थे। जब F, पीढ़ी के पौधों के बीच क्रॉस करवाया गया तो F, पाढ़ी में टेस्ट क्रॉस से 7:1:1:7 का अनुपात प्राप्त हुआ जो मेंडल के परिणाम से भिन्न थे। इसे इस प्रकार समझा जा सकता है
इस अप्रत्याशित परिणाम का स्पष्टीकरण देते हुए बेटेसन तथा पनेट ने कहा कि जब दो प्रभावी लक्षण (P एवं L) एक ही जनक से मिलते है, जैसा कि PPLL X ppll के संकरण से हुआ, तब वे अगली पीढ़ियों में भी साथ साथ रहते हैं तथा पृथक नहीं होते। इस क्रिया को युग्मन या कपलिंग (coupling) कहा गया। परन्तु यदि जीन Pएवं L विभिन्न जनकों (PPIl x PPLL) से आते हैं तब वे अगली पीढ़ी के संतानों में पृथक हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को विकर्षण या रिपलसन (repulsion) कहा गया। उनलोगों के अनुसार युग्मन तथा विकर्षण का संयुक्त रूप ही सहलग्नता है।
26. मेंडल की सफलता के कारणों को लिखें
उत्तर- मेंडल की सफलता के कारण मेंडल की सफलता के निम्नलिखित कारण है
(i) मटर के पौधे का चयन वनस्पति जगत में पाए जानेवाले लाखों पौधों में से मेंडल ने केवल मटर के ही पौधों को अपने प्रयोगों के लिए इसलिए चुना, क्योंकि मटर के पौधों में अनेक प्रकार के विपरीत गुण होते हैं ।
(ii) कार्य-प्रणाली_मेंडल ने अपने अध्ययन के लिए एक समय में सिर्फ एक ही गुण को लिया । इसके साथ-साथ उन्होंने अवांछित परागकणों से संभावित पर-परागण को रोका। संयोग से उनके द्वारा चयनित गुण अलग अलग क्रोमोसोम पर अवस्थित थे जिससे उनके परिणामों में व्यवधान नहीं पैदा हुए।
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