Biology Subjective Question 12th Class :- दोस्तों यदि आप Class 12th jeev vigyaan Question की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको इंटर का बायोलॉजी Chapter 3 Long Question दिया गया है जो आपके Biology 12th Class Question Paper Answer pdf के लिए काफी महत्वपूर्ण है | class 12th Biology model paper 2024
Biology Subjective Question 12th Class 2024
1.शुक्राणुजनन क्या है ? संक्षेप में शुक्राणुजनन की प्रक्रिया का वर्णन करें।
उत्तर- वृषण में अपरिपक्व नर जर्म कोशिकाएँ (शुक्राणुजन / स्पर्मेटोगोनिया- एकवचन- स्पर्मेटोगोनियम) शुकजनन (स्पर्मेटो- जेनेसिस) द्वारा शुक्राणु उत्पन्न करती है जोकि किशोरावस्था के समय शुरू होती है शुक्रजनक नलिकाओं (सेमिनिफेरस ट्यूब्यूल्स) की भीतरी भित्ति में उपस्थित शुक्राणुजन समसूत्री विभाजन (माइटोटिक डिवीजन) द्वारा संख्या में वृद्धि करते हैं। प्रत्येक शुक्राणुजन द्विगुणित होता है और उसमें 46 गुणसूत्र (क्रोमोसोम) होते हैं। कुछ शुक्राणुजनों में समय-समय पर अर्द्धसूत्री विभाजन या अर्द्धसूत्रण (मिओटिक डिवीजन) होता है जिनको प्राथमिक शुक्राणु कोशिकाएँ (प्राइमरी स्पर्मेटोसाइट्स) कहते हैं।
एक प्राथमिक शुक्राणु कोशिका प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन (न्यूनकारी विभाजन) को पूरा करते हुए दो समान अगुणित कोशिकाओं की रचना करती हैं, जिन्हें द्वितीयक शुक्राणु कोशिकाएँ (सेकेंडरी स्पर्मेटोसाइट्स) कहते हैं। इस प्रकार उत्पन्न प्रत्येक कोशिका में 23 गुणसूत्र होते हैं। द्वितीयक शुक्राणु कोशिकाएँ, दूसरे अर्द्धसूत्री विभाजन से गुजरते हुए चार बराबर अगुणित शुक्राणुप्रसू (स्पर्मेटिड्स) पैदा करते हैं। शुक्राणुप्रसू रूपांतरित होकर शुक्राणु (स्पर्मेटोजोआ / स्पर्म) बनाते हैं और इस प्रक्रिया का शुक्राणुजनन (स्पर्मिओजेनेसिस) कहा जाता है।
2.अण्डजनन क्या है ? अण्डजनन की संक्षिप्त व्याख्या करें।
उत्तर- एक परिपक्व मादा युग्मक के निर्माण की प्रक्रिया को अण्डजनन (Oogenesis) कहते हैं।
अण्डजनन की शुरुआत भ्रूणीय परिवर्धन चरण के दौरान होती है जब कई मिलियन मातृ युग्मक कोशिकाएँ यानि अण्डजननी (ऊगोनिया) प्रत्येक भ्रूणीय अण्डाशय के अंदर विनिर्मित होती है। जन्म के बाद अण्डजननी का निर्माण और उसकी वृद्धि नहीं होती है।
3.आर्तव चक्र या मासिक चक्र क्या है? आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रुअल साइकिल) को कौन से हॉर्मोन नियमन करते हैं ? अथवा, आर्तव चक्र क्या है ? आरेखीय निरूपण की सहायता से आर्तव चक्र के विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन करें ।
उत्तर— मादा प्राइमेंटों में होने वाले जनन चक्र को आर्तव चक्र (मैन्स्टुअल साइकिल ) या सामान्य जनों की भाषा में मासिक धर्म या माहवारी कहते हैं। प्रथम ऋतुस्राव / रजोधर्म (मेन्स्ट्रएशन) की शुरुआत यौवनारंभ पर शुरू होती है, जिसे रजोदर्शन (मेनार्के) कहते है। स्त्रियों में यह आर्तव चक्र प्रायः 28/29 दिनों की अवधि के बाद दोहराया जाता है, इसीलिए एक रजोधर्म से दूसरे रजोधर्म के बीच घटनाचक्र को आर्तव चक्र (मैन्सटुअल साइकिल ) कहा जाता है। एल एच और एफ एस एच का स्रवण एस्ट्रोजन के स्रवण को उद्दीपित करता है। एल एच तथा एफ एस एच दोनों ही आर्तव चक्र के मध्य (लगभग 14वें दिन) अपनी उच्चतम स्तर को प्राप्त करते हैं।
Biology Subjective Question 12th Exam 2024
4.मानव मादा में लैंगिक चक्र (रजोचक्र) का वर्णन कीजिए।
उत्तर- मानव मादा में लैंगिक चक्र (रजोचक्र) — वह अवधि जिसके दौरान मानव मादा में संतान पैदा करने की क्षमता होती है, उसे जननता काल (fertility period) कहते हैं स्त्रियों में यह 12-13 वर्ष की आयु (यौवनारम्भ) से 45-50 वर्ष (रजोनिवृत्ति menopause) तक चलता है। यौवनारम्भ के बीच मादा जनन तंत्र में एक नियमित मासिक घटनाचक्र चलता रहता है, जिसे रजोचक्र (menstrual cycle) कहते हैं। रजोचक्र के दौरान होने वाली घटनाएँ इस प्रकार हैं
(1) प्रत्येक रजोचक्र में हर 28 दिन में एक अण्डा परिपक्व होकर निकलता है।
(2) रजोचक्र का आरम्भ रज-प्रवाह से होता है जिसके दौरान गर्भाशय का कोशिकीय अस्तर उतरकर बाहर निकलता है और उसके साथ साथ रक्त प्रवाह होता है। यह प्रक्रिया 3-4 दिन तक चलती रहती है।
(3) रजोचक के आरंभ होने से पाँचवें से लेकर तेरहवें दिन तक ग्राफियन फॉलिकल (graafian follicle) की वृद्धि होती है और उसका परिपक्वन होता है। इस फॉलिकल में एक अण्डाणु होता है जिसे घेरती हुई कोशिकाओं की एक सहमति होती है।
(4) ग्राफियन फॉलिकल से एक हार्मोन ईस्ट्रोजन (oestrogen) निकलता है जो गर्भाशय को अण्डाणु प्राप्त करने की तैयारी के लिए उत्तेजित करता है।
(5) गर्भाशय का अस्तर बनाने वाली कोशिकाएँ तेजी से वृद्धि करती है और रक्त वाहिकाओं का एक घर जाल बन जाता है।
(6) अण्डाशय से अण्डे का निकलना अण्डोत्सर्ग कहलाता है। अण्डोत्सर्ग रजोय के आरंभ होने के 12-14 दिन बाद होता है। ग्राफियन फॉलिकल फूटकर अण्डा आ जाता है।
(7) फूट चुके फॉलिकल की कोशिकाएँ कार्पस लुटियम का रूप ले लेती हैं जिससे प्रोजेस्टोरॉन (pogesterone) का स्राव निकलता है।
(8) अण्डा फैलोपियन कलिका नलिका में से होते हुए तेरहवें अथवा चौदहवें दिन गर्भाशय में पहुँचता है जहाँ वह सोलहवें दिन तक (यानि 48-73 घण्टे तक) कायम रहता है।
(9) यदि इस दौरान अण्डे को किसी शुक्राणु को मिलन का संयोग नहीं होता तो उसका अपक्षय होने लगता है। अट्ठाइसवें दिन के अंत में अण्डा और उसके साथ-साथ गर्भाशय अस्तर भी बाहर निकल जाते है।
(10) यह समय होता है गर्भाशय के मोटे अस्तर के धीमे विघटन का आरंभ होना।
Class 12th jeev vigyaan Question 2024
5.मनुष्य में मादा जनन तंत्र का एक स्वच्छ, समुचित एवं नामांकित आरेख बनावें । इसके विभिन्न अवयवों के कार्यों को लिखें।
उत्तर :
मानव स्त्री जननांग के भाग एवं कार्य निम्नवत् है।
(a) अण्डाशय- उदर गुहा में एक जोड़ी अण्डाशय होते है जो अण्डाणु का निर्माण करते हैं तथा मादा हार्मोन स्रावित करता है।
(b) अण्डवाहिनी- अण्डाशय के नीचे कुप्पी नुमा लम्बा नाल होता है। जिसे फैलोपियन नलिका कहते हैं। इसका एक संकरा सिरा गर्भाशय में खुलता है। यह नाल अण्डाणुओं के निषेचन होने तक भण्डारण एवं पोषण का कार्य करती है।
(c) गर्भाशय- यह शंक्वाकार रचना संयोजी उत्तकों से बनी थैली है। जिसका निचला संकरा भाग ग्रीवा कहलाती है तथा यह योनि में खुलती है।
(d) योनि यह 7-10 सेमी. संकुचनशील उत्तकों से बनी नलिका है जो मैथुन क्रिया में लिंग धारण करती है तथा खोधर्म सव को बाहर निकालती है। इसका सिरा बाहर भग या योनि छिद्र द्वारा खुलता है।
(e) भग— यह मादा जननांग का बाहरी भाग होता है जिस पर जघन रोम पाए जाते हैं। इनके बीच में दीर्घ ओष्ठ एवं लघु ओष्ठों की संरचनाएँ होती हैं जो योनि छिद्र को सुरक्षा प्रदान करती है। इसी के नीचे मूत्रमार्ग का छिद्र भी होता है। इस प्रकोष्ट में एक छोटा उभार भी होता है जिसे भगशिश्न कहते हैं। यह पुरुष लिंग के समजात तथा उत्तेजनशील होता है।
6.स्वस्थ प्रजनन क्रिया पर एक संक्षिप्त लेख लिखें।
उत्तर – स्वस्थ प्रजनन का तात्पर्य जनन के सभी पहलुओं जैसे शारीरिक, भावनात्मक, व्यावहारिक तथा सामाजिक स्वास्थ्य से है; दुनिया में भारत पहला देश है, जहाँ राष्ट्रीय स्तर पर जननात्मक स्वस्थ समाज को प्राप्त करने की कार्य योजनाएँ बनाई गई है। इन कार्यक्रमों को परिवार कल्याण के नाम से जाना जाता है। इनकी शुरुआत 1951 में हुई थी। जनन संबंधित और आवधिक क्षेत्रों को इसमें सम्मिलित करते हुए बहुत उन्नत व व्यापक कार्यक्रम फिलहाल ‘जनन एवं बाल सेवा कार्यक्रम’ (RCH) के नाम से प्रसिद्ध है। इन कार्यक्रमों के अंतर्गत जनन संबंधी विभिन्न पहलुओं के बारे में लोगों की जागरुकता पैदा करते हुए जननात्मक रूप से सम्बन्ध समाज तैयार करने के लिए सुविधाएँ एवं प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।
आज अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि से होनेवाली समस्याओं तथा सामाजिक उत्पीड़नों जैसे कि दौन दुरूपयोग एवं यौन संबंधी अपराधों आदि के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है ताकि लोग इन्हें रोकने एवं जननात्मक रूप से जिम्मेदार एवं सामाजिक रूप से स्वस्थ समाज तैयार करने का विचार करें और आवश्यक कदम उठाएँ। लोगों को जनन संबंधी समस्याओं जैसे कि सगर्भता, प्रसव, यौन संचारित रोगों, गर्भपात, गर्भ निरोधकों, ऋतुस्राव संबंधी समस्याओं, बंध्यता आदि के बारे में चिकित्सा सहायता एवं देखभाल उपलब्ध कराना आवश्यक है। बढ़ती मादा भ्रूण हत्या पर कानूनी रोक तथा लिंग परीक्षण आदि पर वैधानिक प्रतिबंध लगाना जरूरी है। बाल प्रतिरक्षीकरण (टीका) आदि कुछ महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
7.गैस्ट्रलेशन तथा जनन परतों के निर्माण के बारे में सचित्र वर्णन करें।
उत्तर— गैस्टलेशन — युग्मन से गैस्टुला निर्माण की प्रक्रिया गैस्ट्रलेशन कहलाता है। इसमें कोशिकाएँ छोटे समूह में या पर्त में गति करती है। तीन प्राथमिक जनन स्तरों यथा अंतः श्चर्म, बाह्यचर्म एवं मध्यजन स्तर कन्दुक भवन का उत्पादक कन्द्रुक या गैस्ट्रला कहलाता है।
प्राथमिक जनन स्तरों का बनना- अन्तः कोशिकाएँ संहति कोशिकाएँ या भ्रूणीय गाँठ की कोशिकाएँ पुनः व्यवस्थित होकर भ्रूणीय या जननिक बिम्ब बनाती है। जननिक बिम्ब दो स्तरों को विभेदित होती है। बाह्य अधिकोरक बड़ी स्तंभी कोशिकाओं द्वारा बना होता है, अथ कोरक स्तर भूणीय अन्तःश्चर्म का कार्य करता है। यह प्रथम प्राथमिक जननिक स्तर है जो पहले विभेदित होता है। अधः कोरक स्तर पाश्र्वतः वृद्धि करता है और कोरक गुहा को ऊपर से ढँक लेता है। यह स्तर कोरक गुहा को पीतक कोश में रूपान्तरित कर देता है।
अधः कोरक भ्रूण की बाह्यचर्म या एक्टोडर्म तथा मध्य जननस्तर या मीजोडर्म दोनों का निर्माण करता है। अधिकतर एपीब्लास्ट पार्श्वतः वृद्धि करता है एवं एक्टोडर्म बनाता है। यद्यपि एक बिन्दु पर (भ्रूणीय अक्ष का प्रारंभिक प्रमाण होता है) एपीब्लास्ट कोशिकाएँ प्रयुरोद्भवन कर एक कोशिकीय उभार बनाती है जिसे आदि रेखा कहते हैं। ये कोशिकाएँ सतत् रूप से प्रचुरोद्भवन करती हुई एपीब्लास्ट व हाइपोब्लास्ट के मध्य से बढ़ती रहती है। ये तृतीय जनन स्तर मीजोडर्म बनाती है।
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