Class 12th Biology Question Answer In Hindi | Class 12 Biology Notes in Hindi Medium pdf 2024

Class 12th Biology Question Answer In Hindi :- दोस्तों यदि आप Class 12th Biology Question 2024 की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको 12th Biology Chapter 12 Subjective Question दिया गया है जो आपके Class 12 Biology Notes in Hindi Medium pdf के लिए काफी महत्वपूर्ण है | जीव विज्ञान का क्वेश्चन आंसर


Class 12th Biology Question Answer In Hindi

1.परजीवी जीवाणु क्या है ? किसी एक उदाहरण द्वारा सचित्र वर्णन करें।

उत्तर ⇒ ऐसे जीवाणु जिनके डीएनए में परिचालन द्वारा एक अतिरिक्त (बाहरी) जीन व्यवस्थित होता है और जो अपना लक्षण व्यक्त करता है उसे परजीवी जीवाणु कहते हैं। उदाहरण के लिए आनुवंशिक प्रौद्योगिकी द्वारा तैयार किया गया मानव इंसुलिन ।

मधुमेह का नियंत्रण निश्चित समय अंतराल पर इंसुलिन लेने से ही संभव है। इंसुलिन दो छोटी पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाओं का बना होता है, श्रृंखला ‘ए’ व श्रृंखला ‘बी’ जो आपस में डाईसल्फाइड बंधों द्वारा जुड़ी होती है। 1983 में ऐली लिली नामक एक अमेरिकी कंपनी ने दो डीएनए अनुक्रमों को तैयार किया जो मानव इंसुलिन की श्रृंखला ए और बी के अनुरूप थी जिसे ई. कोलाई के प्लाज्मिड में प्रवेश कराकर इंसुलिन श्रृंखलाओं का उत्पादन किया गया। इन अलग-अलग निर्मित श्रृंखलाओं ए और बी को निकालकर डाईसल्फाइड बंध बनाकर आपस में संयोजित कर मानव इंसुलिन का निर्माण किया गया।


2.क्राई प्रोटींस क्या है ? उस जीव का नाम बताओ जो इसे पैदा करता है। मनुष्य इस प्रोटीन को अपने फायदे के लिए कैसे उपयोग में लाता है ?

उत्तर ⇒ विशिष्ट बीटी जीव विष जीस को वैसलीस थुरीनजिएसिस से पृथक कर कई फसलों जैसे कपास में समाविष्ट किया जा चुका है। जीस का चुनाव फसल व निर्धारित कीट पर निर्भर करता है, जबकि सर्वाधिक बीटी जीव विष कीट-समूह विशिष्टता पर निर्भर करते हैं। जीव विष जिस जीन द्वारा कूटबद्ध होते है उसे कई कहते है ये कई प्रकार के होते हैं। उदाहरणस्वरूप जो प्रोटीस जीन क्राई एसी व क्राई 2 एबी द्वारा कूटबद्ध होते है वे कपास के मुकुल कृमि को नियंत्रित करते है जबकि काई । एवी मक्का छेदक को नियंत्रित करता है।

                     मैमोलस यूरीनजिएसीस की कुछ इससे ऐसी प्रोटीन का निर्माण कर है जो विशिष्ट फोटो जैसे—सोथोडोप्टेशन, कोलियोप्टेशन व डीप्टेरार क मारने में सहायक है। इससे कीटनाशकों के उपयोग की आवश्यकता नहीं है। जिससे फसलों में कीटनाशक रसायनों का प्रयोग कम होता है, जिससे जल और मृदा प्रदूषण रहित रहती है। यह मानव के स्वास्थ्य और लंबे जीवन के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध हो रही है।


3.जीन चिकित्सा क्या है? एडीनोसीन डिएमीनेज (एडीए) की कमी का उदाहरण देते हुए वर्णन करे।

उत्तर ⇒ जीन चिकित्सा, ऐसा एक प्रयास है जिसके द्वारा किसी बच्चे या भ्रूण में चिह्नित किए गए जीन दोषों का सुधार किया जाता है। उसमें रोग के उपचार के लिए जीनों को व्यक्ति की कोशिकाओं या उनको में प्रवेश कराया जाता है। आनुवंशिक दोष वाली कोशिकाओं के उपचार के लिए सामान्य जीन को व्यक्ति या भ्रूण में स्थानांतरित करते हैं जो निष्क्रिय जन की क्षतिपूर्ति कर उसके कार्यों को संपन्न करते हैं।

 

जीन चिकित्सा का पहले पहल प्रयोग वर्ष 1990 में एक चार वर्षीय लड़की में एडोनोसिन डिएमीनेज (एडीए) की कमी को दूर करने के लिए किया गया था। यह एंजाइम प्रतिरक्षा तंत्र के कार्य के लिए बहुत आवश्यक होता है। कुछ बच्चों में एडीए की कमी का उपचार अस्थिमज्जा के प्रत्यारोपण से होता है। जबकि दूसरों में एंजाइम प्रतिस्थापन चिकित्सा द्वारा उपचार किया जाता है, जिसमे मूई द्वारा रोगी को सक्रिय एडीए दिया जाता है, जीन चिकित्सा में सर्वप्रथम रोगी के रक्त से लसीकरण को निकालकर शरीर से बाहर संवर्धन किया जाता है। सक्रिय एडीए का सीडीएनए (पश्च विषाणु संवाहक का प्रयोग कर) लसीका में प्रवेश कराकर अंत में रोगी के शरीर में वापस कर दिया जाता है। ये कोशिकाएँ मृतप्राय होती है, इसलिए आनुवंशिक निर्मित लसीकाणुओं को समय-समय पर रोगी के शरीर से अलग करने की आवश्यकता होती है। यदि मज्जा कोशिकाओं से विलगित अच्छे जीनों को प्रारंभिक भूणीय अवस्था की कोशिकाओं से उत्पादित एडीए में प्रवेश करा दिए जाए तो यह एक स्थायी उपचार हो सकता है।


4.टीकों का निर्माण कैसे किया जाता है ?

उत्तर ⇒ टीकों (Vaccines) का निर्माण अनेक बीमारियों जैसे चेचक डिप्थीरिया, टिटेनस व पोलियो आदि की रोकथाम के लिए टीके लगाए जाते है। परन्तु इन टीकों को तैयार करने की वर्तमान विधि काफी कठिन एवं खर्चीली है। आशा की जाती है कि क्लोनिंग द्वारा न केवल इन रोगों के टीकों को, अपितु अनेक अन्य रोगों के टीकों को भी बहुत कम खर्च पर तैयार किया जा सकता है।

            गत वर्षों में मलेरिया पर काबू पाने के लिए टीकों के निर्माण की दिशा में कुछ प्रगति हुई है। इनमें से कुछ टीके तो मच्छर द्वारा काटे जाने के समय रक्षा करते हैं तथा कुछ टीके उन लोगों के लिए है जिन्हें मलेरिया हो चुका है। मलेरिया परजीवी प्लाज्मोडियम से स्पोरोजोइट एंटीजन के जीन को पृथक कर लिया जाता है। इस जीन के माध्यम से या तो एंटीजन संश्लेषित किया जाता है (जिससे टीका तैयार किया जाता है), या इसे किसी जीवाणु में अन्य परजीवियों के एंटीजनों के साथ प्रत्यारोपित किया जाता है ताकि सम्मिश्र टीका (composite vaccine) मिल सके।


5.इंटरफेरॉन अन्य प्रतिरक्षी प्रोटीनों का संश्लेषण कैसे किया जाता है ?

उत्तर ⇒ इंटरफेरॉन एक महत्त्वपूर्ण एंटिबॉडी-प्रोटीन है। रोगाणु में उपस्थित कोई विशिष्ट जीन मनुष्य कोशिका या पोषी कोशिका को उत्प्रेरित करता है, जिसके कारण यह कोशिका एक विशिष्ट एण्टीबॉडी का संश्लेषण करने लगती है। यह एण्टीबॉडी रोगाणु के आक्रमण का प्रतिरोध करती है। तथा शरीर स्वस्थ बना रहता है। अनेक रोगों जैसे हर्पोज कैंसर यहाँ तक कि जुकाम के उपचार के लिए भी ये काम आते हैं। परन्तु ये बहुत महँगे होते है।

    यदि वायरस में उपस्थित उस जीन को पृथक कर दिया जाए जो पोषी कोशिका में एण्टीबॉडी को उत्प्रेरित करता है, तो प्लैमिड में इस जीन को प्रतिस्थापित कर क्लोनिंग द्वारा विभिन्न एण्टीबॉडी संश्लेषित किए जा सकते है। सन् 1980 में ज्यूरिख विश्वविद्यालय (University of Zurich) के ना बीजमैन (Charles Wiesmann) ने पुनर्योगज डीएनए तकनीक से ई. कोलाई (E. Coli) नामक जीवाणु के माध्यम से इसका संश्लेषण कराया। इस तकनीक द्वारा इंटरफेरॉन संश्लेषित किए जा चुके है तथा अन्य अनेक एण्टीबॉडी पदार्थों को सश्लेषित करने के प्रयत्न किए जा रहे है।

Bihar Board Class 12th Biology Question 2024


6.आनुवांशिक रूपांतरित पौधों के चार उपयोग लिखें।

उत्तर ⇒ आनुवंशिक रूपान्तरित पौधों के चार उपयोग निम्नलिखित है:

(क) बी. टी. कपास कृमि (रलम) प्रतिरोधी

(ख) बी. टी. मक्का कीटनाशक एवं शाकनाशक कैटपिलर प्रतिरोधी

(ग) बी. टी. टमाटर-कीटनाशक एवं शाकनाशक कैटपिलर प्रतिरोधी

(घ) बी. टी. बैंगन कीटनाशक एवं शाकनाशक कैटपिलर प्रतिरोधी


7.जीन अभियंत्रिकी (Genetic Engineering) क्या है? अभियंत्रित डी.एन.ए. प्राप्त करने हेतु अवस्थाओं को लिखें

उत्तर ⇒ आनुवंशिक अभियात्रिको जीनी हेरफेर को कहते है जिसमें किसी अवांछित आनुवंशिक लक्षण के जीन को काटकर उसके स्थान पर वांछित गुण वाले जीन को लगा देते हैं। पुर्नसंयोजन डी.एन.ए. प्रौद्योगिकी का यही मूलभूत सिद्धांत है। इसमें निम्न चार चरण होते है-वांछित जीन का विलगन, वाहक DNA अणु का चयन, वांछित जीन को वाहक जीन से जोड़कर पुर्नसंयोजित DNA अणु का निर्माण तथा अंत में पुर्नसंयोजित DNA अणु का पुंजकीकरण


8.एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमीफेसियन्स पादप कोशिकाओं के कायाकल्प में वाहक का काम कैसे करता है?

उत्तर ⇒ बैसिलस थुरिएजिएसिल नामक जीवाणु एक प्रकार का जीव विष बनाता है जो कीट एवं पेस्ट नाशक होता है। इसे Bt-genes कहते हैं। इसे प्राप्त कर DNA ligase के साथ पुर्नसंयोजित DNA प्लाजमिड प्राप्त करते है तथा इसे एमोबैक्टीरियम ट्यूमीफेसियस के माध्यम से फसलों में समाविष्ट कर देते हैं। इस प्रकार आनुवंशिकी परिवर्तित फसल BI-कपास, Bt-मक्का, Bt-टमाटर आदि प्राप्त करते है।


9.वायो- रिएक्टर (Bio-reactors) क्या है?

उत्तर ⇒ बायो- रिएक्टर एक बड़े वॉल्यूम का (आयतन) पात्र है, जिसमें कच्चा माल डालकर जीवाणुओं, पौधों और जीव कोशिका या एंजाइम की मदद से विशिष्ट उत्पाद तैयार किये जाते है। 


10.बीटी कॉटन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर ⇒ Bt कॉटन ( Bt Cotton) यह पीड़क प्रतिरोधी फसलों का निर्माण हैं जो पीड़कनाशकों की मात्रा को कम प्रयोग में लाती है। बोटी (B1) एक प्रकार का जीव विष है जो एक जीवाणु बैसीलस यूरिन्जिएन्सिस के द्वारा उत्पादित होता है जिसे संक्षेप में BI कहते है। बीटी जीवविष जीन जीवाणु से क्लोनित होकर पौधों में प्रकट होकर कीटो या पोड़कों के प्रति प्रतिरोधकता उत्पन्न करता है जिससे कीटनाशकों के उपयोग की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रकार से जैव पीड़कनाशियों का निर्माण होता है। बीटी कॉटन इसी का एक उदाहरण है।

जीव विज्ञान का क्वेश्चन आंसर 2024


11.ट्रांसजेनिक जंतुओं के लाभों का वर्णन करें। अथवा, परजीवी जन्तु क्या है ? ऐसे जन्तुओं से होनेवाले चार फायदों को बतायें।

उत्तर ⇒ ट्रांसजेनिक जंतुओं के लाभ इस प्रकार है—

 (i) इनसे अधिक दूध, मांस, अंडे का उत्पादन ले सकते हैं।

(ii) इस प्रकार से उत्पन्न जीवों मे रोग प्रतिरोधी क्षमता उच्च होती है।

(iii) इनसे प्राप्त जीव अधिक कार्यशील होते है।

(iv) ये जंतु आर्थिक संरचना सुदृढ़ करने के आधार स्तंभ है।


12.क्लोन या एक पुंजक की परिभाषा बताइए। एक पुंजक के एक एक लाभ एवं हानि के बारे में लिखें।

उत्तर ⇒ आकारिकीय तथा आनुवंशिक रूप से एकसमान जीवों के लिए क्लोन शब्द की रचना की गई है। अलैंगिक जनन के परिणामस्वरूप जो संतति उत्पन्न होती है, वह केवल एक-दूसरे के समरूप ही नहीं, बल्कि अपने जनक के आनुवंशिक रूप से भी समान होती है। इसलिए अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति को क्लोन कहा गया है।

लाभ-  आकारिकीय तथा आनुवंशिक रूप से संतति जनक के समान होती है। दानि आनुवंशिक विभिन्नताएं उत्पन्न नहीं होती है।


13.निकोटिन का क्या प्रभाव है ?

उत्तर ⇒ निकोटिन के कारण रक्तचाप एवं दिल की गति बढ़ जाती है क्योंकि यह एड्रिनलीन एवं एड्रिनलीन के प्राव को बढ़ाता है।


14.एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमोसिस एक प्राकृतिक संवाहक है, कैसे ?

उत्तर ⇒ एम्रोबैक्टीरियम ट्यूमीफेसियस एक जीवाणु है जो द्विबीजपत्री पादपों को संक्रमित कर उसमें ट्यूमर (पथरी) को प्रेरित करता है। इसमें पथरी प्रेरक जीन (VIR) TDNA क्षेत्र में उपस्थित रहता है। जैव तकनीकी क्षेत्र में क्लोनिंग वाहक के रूप में इस जीवाणु का प्रयोग किया जाता है। इसके प्लाज्मिड को असंक्रामक बनाकर बाधित बा जीन को इसके TDNA क्षेत्र में प्रवेश कराकर TDNA को निष्क्रिय बना लिया जाता है। फिर इस निष्क्रिय प्लाज्मिड को जोन स्थानांतरण के उपयोग में लाया जाता है इससे मुक्त जीवाणु को क्लोनिंग कराकर मुक्त कर दिया जाता है जो अपने होस्ट में पहुँचकर वांछित उत्पाद उत्पादित करना प्रारंभ कर देता है। इस प्रकार यह एक प्राकृतिक संवाहक का कार्य करता है।


 15.आनुवंशिकता रूपान्तरित जीव क्या है तथा इसका लाभ बताइए अथवा आनुवंशिकत रूपान्तरित जो (GMO) से आप क्या समझते हैं? ऐसे पौधों से होने वाले दो लाभों को बताइए

उत्तर ⇒ ऐसे पौधे, जीवाणु, कवक एवं जन्तु जिनके जीन में हस्तकौशल द्वारा परिवर्तन किए गए है, अनुवांशिक रूपान्तरित जीव (Genetically modified organism, GM.O.) कहलाते है। आनुवंशिकता रूपान्तरित जीव वह जीव है, जिसका विकास genetically रूप से किया गया है। कुछ bacteria, yeast, insects, plants, मछली, स्तनधारी जंतु को Genetically रूप से विकसित किया गया है। जो हमें अधिक मात्रा में उत्पादन देने का काम करता है, तथा उससे पानी मिट्टी, ऊर्जा को सुरक्षा प्रदान होता है। यहाँ तक कि किसान लोग अधिक मात्रा में फसल का उत्पादन करते है तथा उनकी गुणवता भी अच्छी होती है।


16.सुक्ष्म अंतःक्षेषण क्या है ? यह किस प्रकार तकनीक से पुनर्योग DNA में मदद करता है ?

उत्तर ⇒ इस विधि से कोई बाहरी डी.एन.ए. को सीधे तौर पर किसी जंतु कोशिका या पादप कोशिका के केंद्रक में inject किया जाता है। इसका उपयोग अंडाणु अंडे तथा भ्रूण में किया जाता है। Jeffey S. Chamberlain एवं अन्य वैज्ञानिकों ने मिलकर चूहों में एक विकृति को दूर करने में सफलता प्राप्त को जिसमें आनुवंशिक रूप से Neuromuscular रोग हो गया था। रोग मनुष्य के Muscular dystrophy जैसे ही था।


17.बायो- पाइरेसी (जैविक चोरी) का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करें।

उत्तर ⇒ मल्टीनेशनल कंपनियों व दूसरे संगठनों द्वारा किसी राष्ट्र या उससे संबंधित लोगों से बिना व्यवस्थित अनुमोदन व क्षतिपूरक भुगतान के जैव संसाधनों का उपयोग करना बायो- पाइरेसी (जैविक चोरी) कहलाता है। भारतीय संसद ने भी जैविक चोरी को रोकने के लिए नियम बनाए हैं। हाल ही में संसद ने भारतीय एकस्व बिल (इंडियन पेटेंट बिल) में दूसरा संशोधन पारित किया है जो ऐसे मुद्दों को ध्यानार्थ लेगा, जिसके अंतर्गत एकस्य नियम संबंधी आपातकालिक प्रावधान तथा अनुसंधान एवं विकासीय प्रयास शामिल है।


Class 12th Biology Question In Hindi

18.आधुनिक जैविक विकास के आलोक में नैतिकता के विचार पर प्रकाश डालें।

उत्तर ⇒ मानव जाति द्वारा अन्य जीवधारियों से हितसाधन बिना विनियमों के और अधिक नहीं किया जा सकता है। सभी मानवीय क्रियाकलापों के लिए जो जीवधारियों के लिए असुरक्षात्मक या सहायक हो उनमें आचरण की परख के लिए कुछ नैतिक मानदंडों का आवश्यकता है।

                  ऐसे मुद्दों में नैतिकता से इनमें जैवविज्ञानिक महत्त्व भी है। जीवों के आनुवंशिक रूपांतरण के तब अप्रत्याशित परिणाम निकल सकते हैं जब ऐसे जीवों का पारिस्थितिक तंत्र में सन्निविष्ट कराया जाए। इसलिए भारत सरकार ने ऐसे संगठनों को स्थापित किया है जैसे कि GEAC (आनुवंशिक अभियांत्रिक संस्तुति समिति) जो कि जी एम अनुसंधान संबंधी कार्यों की वैधानिकता तथा जनसेवाओं के लिए जी एम जीवों के सन्निवेश की सुरक्षा आदि के बारे में निर्णय लेती है।


19.पारजीवी जन्तुओं के हानिकारक प्रभावों का वर्णन करें।

उत्तर ⇒ पारजीवी जन्तुओं के हानिकारक कुप्रभाव निम्न है

(I) जातियों की स्थिरता-विभिन्न जीवधारियों में जीनों के प्रवेश के साथ जातियों की स्थिरता बिगड़ जाती है।

(ii) प्रोटीन-विभिन्न जीवधारियों में निवेशित जीन पॉलीपेप्टाइड, प्रोटीन व Enzyme के संश्लेषण द्वारा कार्य करते है किन्तु विदेशी जीन सामान्यतः सूरण प्रणाली द्वारा आक्रमित होते है, जिसके परिणामस्वरूप जैव रसायन नष्ट हो जाते है जोकि लम्बे समय तक हानिकारक सिद्ध हो सकता है या Allergy उत्पन्न हो सकती है।

(iii) मानव क्लोनिंग आजकल किसी भी जीव का क्लोनिंग करना संभव हो पाया है। पर यह परिवार तंत्र को बर्बाद कर देगा।


20.एग्रोबैक्टीरियम पर संक्षेप में टिप्पणी लिखें

उत्तर ⇒ एग्रोबैक्टीरियम- एमोबैक्टीरियम पादप एवं जन्तुओं में जीन का स्थानातरण का संवाहक है। एमोबैक्टीरियम ट्युमीपेशिएंस द्विबीजपत्री पौधों का एक रोगजनक पैथोजन है। यह पौधों की जड़ों में ट्यूमर बनाता है। दूयूमर बनाने की क्षमता बैक्टीरियम में स्थित II प्लाज्मिड के कारण होती है।


21.जीन चिकित्सा तथा आण्विक निदान में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒ -जीन चिकित्सा तथा आण्विक निदान में अंतर –

जीन चिकित्साआण्विक निदान
(i) जीन चिकित्सा द्वारा जीन-दोषों का सुधार किया जाता है

(ii) इसमें जीव के आनुवंशिक दोष के उपचार हेतु एक या अधिक सामान्य जीन को कायिक कोशिका में प्रवेश कराया जाता है।

(i) इसमें रोग के प्रारंभिक पहचान के लिए रिकॉम्बीनेंट DNA टेक्नोलॉजी, PCR, BELISA का उपयोग किया जाता है।

(ii) इसमें रोग की प्रारंभिक पहचान की जाती है।


22.जीवद्रव्य संवर्धन को परिभाषित करें।

उत्तर ⇒ जीवद्रव्य संवर्धन-पौधों को कोशिकाओं से कोशिका भित्ति हटाकर नग्न कोशिका को जीवद्रव्य या प्रोटोप्लास्ट कहते हैं। प्रोटोप्लास्ट दो तरह से प्राप्त किया जाता है— (1) यांत्रिक विधि तथा (2) एंजाइमी विधि।

प्रोटोप्लास्ट मुख्यतः पत्ती की कोशिकाओं से प्राप्त किया जाता है। इस संवर्धन में दो चयनित प्रोटोप्लास्ट के क्यूजोजेन की मदद से युग्मित किया जाता है। युग्मित प्रोटोप्लास्ट को संवर्धित किया जाता है तब उसमें कोशिका भित्ति बन जाती है। प्रोटोप्लास्ट से प्लांटलेट्स बनाए जाते है।

Class 12th Biology Question 2024


Class 12th Biology – Objective 
1जीवधारियों में जननClick Here
2पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजननClick Here
3मानव प्रजननClick Here
4जनन स्वास्थ्यClick Here
5वंशागति और विभिन्नता के सिद्धांतClick Here
6वंशागति का आणविक आधारClick Here
7विकासClick Here
8मानव स्वास्थ्य एवं रोगClick Here
9खाद उत्पादन बढ़ाने के लिए उपायClick Here
10मानव कल्याण में सूक्ष्मजीवClick Here
11जैव प्रौद्योगिकी के सिद्धांत एवं प्रक्रिया हैClick Here
12जैव प्रौद्योगिकी एवं इसके अनुप्रयोगClick Here
13जीव एवं समष्टियाClick Here
14परिस्थितिक तंत्रClick Here
15जैव विविधता एवं संरक्षणClick Here
16पर्यावरण मुद्देClick Here
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