BSEB Biology Question Paper Class 12th :- दोस्तों यदि आप Inter Exam 2024 Biology Question की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको 12th Bio Chapter 13 Subjective Question दिया गया है जो आपके Biology 12th Question And Answer In Hindi के लिए काफी महत्वपूर्ण है | 12th Biology Viral Subjective Question 2024
BSEB Biology Question Paper Class 12th
1. छद्मावरण तथा अनुहरण के बीच अंतर स्पष्ट करें ।
उत्तर ⇒ कुछ कीटों, सरीसृपों तथा स्तनधारियों में परिवेश के साथ सम्मिश्रित होने की क्षमता होती है। उनके शरीर पर चिह्न होने से उन्हें छाया या टहनियों या समूह के दूसरे सदस्यों से भेद करना कठिन होता है। इसे छद्मावरण कहते हैं।
अनुहरण में दो जातियों एक जैसी दिखती हैं। इसमें एक परभक्षी होता है। अनुहारक प्रति परभक्षी चिह्न के कारण परभक्षी के विरुद्ध सुरक्षात्मक उपाय करता है। जैसे आदिदारुक तितली, वाइसरॉय तितली द्वारा अनुहारित होती हैं।
2. जलोद्भिद पौधों में अनुकूलन के लक्षण बताएँ।
उत्तर ⇒ जलोद्भिद पौधे पानी में या तो पूर्णरूपेण या आंशिक रूप से डूबे रहते हैं अतः इनमें निम्न लक्षण दिखाई देते हैं फूले हुए पर्णवृत्त – जैसे आइक हॉर्निया ये पौधे जल की सतह पर तैरते रहते हैं।
पर्णवृत्तों में वायु की उपस्थिति – यह उत्पलावकता प्रदान करता है। प्रकाश-संश्लेषण के दौरान उत्पन्न (02) का स्थानांतरण वायु कोशिका द्वारा होता है। अल्प विकसित जड़ तंत्र वुलफिया, सालविनिया आदि स्वतंत्र रूप से तैरनेवाले जलोद्भिदों में जड़ अनुपस्थित होता है। हाइड्रिला में अल्पविकसित तथा निफिया में जड़ होता है।
हवा निकास प्रणाली – जलमग्न पौधों को बाहर उपस्थित पर्णवृत्तों के द्वारा वातावरण से गैसों को बदलने में मदद मिलती है।
3. सहोपकारिता और अंतरजातीय स्पर्धा क्या है ?
उत्तर ⇒ सहोपकारिता — जैविक समुदाय की दो जातियों के बीच पारस्परिक लाभ हेतु सहजीवन होता है। यह एक क्रियात्मक साहचर्य होता है। जब पारस्परिक क्रिया करने वाली दो जातियाँ अतिनिकटता के साथ रहती है तो इसे सहोपकारिता कहते हैं। जैसे—पादपों को अपने पुष्प परागित करने और बीजों के प्रकीर्णन के लिए प्राणियों की सहायता चाहिए। इसी प्रकार कवकों और उच्च कोटि पादपों की जड़ों के बीच कवकमूल साहचर्य है। कवक मृदा से अत्यावश्यक पोषक तत्वों के अवशोषण में, पादपों की सहायता करते है जबकि बदले में पादप, कवकों को ऊर्जा उत्पादी कार्बोहाइड्रेट देते हैं। अंतरजातीय स्पर्धा-जैव विकास में अंतरजातीय स्पर्धा एक शक्तिशाली बल माना जाता है। आमतौर पर यह माना जाता है कि स्पर्धा उस समय शुरू होती है जब निकट रूप से संबंधित जातियाँ उन्हीं संसाधनो के लिए स्पर्धा करती है जो सीमित है। स्पर्धा को एक ऐसे प्रक्रम के रूप में परिभाषित कर सकते हैं, “जिसमें एक जाति की योग्यता दूसरी जाति की उपस्थिति में महत्वपूर्ण रूप से पट जाती है। जैसे—दक्षिण अमेरिका की कुछ उपली झीलों में आगंतुक फ्लेमिंगो और वहीं की आवासी मछलियाँ साझा आहार, झील में प्राणिप्लवक के लिए स्पर्धा करती हैं।
4. पारिस्थितिक दक्षता क्या है ? इसके महत्व को बताएँ ?
उत्तर ⇒ किसी जीव का अपने भोजन स्रोतों के दोहन तथा उस भोजन को जीवभार में परिवर्तित करने की क्षमता, पारिस्थितिक दक्षता प्रदर्शित करती है। इन अनुपातों का परिकलन, ऊर्जा प्रवाह के पथों के विभिन्न जगहों पर ऊर्जा के निर्गत से निवेश के बीच संबंध तय करता है। दक्षता को प्रतिशत में व्यक्त करने के लिए इन अनुपातों को 100 से गुणा किया जाता है।
प्रकाश संश्लेषी दक्षता सीधी और विकिरण को उपयोग करने की क्षमता का मापन करती है।
किसी जीव की परिस्थितिक दक्षता को इस प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है
पारिस्थितिक दक्षता = पोषण स्तर पर जैवभार उत्पादन में ऊर्जा X 100/पूर्व पोषण स्तर पर जैवभार उत्पादन में ऊर्जा
5. प्रव्रजन (Migration) क्या है ? जन्तु इस लक्षण को कैसे दर्शात हैं?
उत्तर ⇒ किसी जीव जन्तु का एक आबादी को छोड़कर किसी नई आबादी में जाने की प्रक्रिया को प्रवजन कहते हैं। नए स्थान पर आने वाले सदस्यों को अप्रवासी एवं उस स्थान को छोड़कर जाने वाले सदस्यों को उत्प्रवासी कहते हैं। यह सदस्य वहाँ के प्रवासी सदस्यों से समागम कर नई प्रजातियाँ पैदा कर सकते हैं या जीन में परिवर्तन या कुछ जीन को बिल्कुल समाप्त कर सकते हैं
12th Biology Viral Subjective Question
6. परभक्षी एवं परजीवी के अंतरों को लिखें।
उत्तर ⇒ परभक्षी – जब एक जीव शिकार कर दूसरे जीव को मार कर अपना भोजन प्राप्त करता है, उसे परभक्षी कहते हैं। उदाहरण शेर का भोजन बकरी।
परजीवी – जब एक जीव किसी अन्य जीव पर भोजन हेतु पूर्णतः आश्रित होता है, उसे परजीवी कहते हैं। जैसे मलेरिया मनुष्य के स्थिर में।
7. शीतनिष्क्रियता एवं ग्रीष्मनिष्क्रियता में अंतर करें और प्रत्येक का एक उदाहरण दें।
उत्तर ⇒ शीतनिष्क्रियता एवं ग्रीष्मनिष्क्रियता के बीच निम्नलिखित अंतर हैं :
शीतनिष्क्रियता | ग्रीष्मनिष्क्रियता |
1. इसे शीत निद्रा कहते हैं। जंतु शीत अवस्था को निष्क्रियता में व्यतीत करते हैं। 2. यह लम्बे काल का होता है तथा पूरे शीत तक कायम रहता है। 3. उदाहरण-ध्रुवीय भालू | 1. इसे ग्रीष्म निद्रा कहते हैं। जंतु गर्म एवं सूखे की स्थिति का सामना निष्क्रियता में करते हैं 2. यह केवल गर्म समय तक एवं दिन में रहता है क्योंकि रातें ठंड रहती है। 3. उदाहरण- घोंघा |
8.सहोपजीविता एवं कॉमेन्सलिजिम में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ सहोपजीविता में दोनों स्पीसीज एक-दूसरे को फायदा देते हैं। जैसे—लाइकेन शैवाल एवं फफूँदी के बीच एक सहोपजीविता का उदाहरण है। यहाँ फफूँदी अवशोषण में मदद करता है। साथ ही साथ यह शैवाल को सुरक्षा भी देता है जबकि शैवाल भोजन निर्माण करता है। कॉमेन्सलिजिम में एक स्पीसीज को फायदा पहुँचता है जबकि दूसरे को न फायदा न घाटा। इस तरह के रिश्ते का उदाहरण है ऑर्किड । यह आम एवं अन्य वृक्षों पर उग जाता है। ऑर्किड को जगह मिल जाती है जबकि मददगार वृक्ष को कोई घाटा एवं फायदा नहीं होता।
9. उन लक्षणों को लिखें जो जैव समुदाय को सशक्त बनाते हैं?
उत्तर ⇒ निम्नांकित स्तरों पर जीव, जातियों के बीच आनुवंशिक विभिन्नताएँ तथा समुदायों के बीच सशक्त जैव समुदाय बनाते है। ‘आनुवंशिक विविधता—एक ही जाति वितरण क्षेत्र के अनुसार विविध प्रकार की होती है। उनमें अनुवंशिक विविधता हो जाती है। जैसे— आम की 1000 जातियाँ । ‘जातीय विविधता – यह जाति स्तर पर पाई जाने वाली विविधता है।
पारिस्थिकीय विविधता पारितंत्र के स्तर पर पाई जाने वाली विविधता है। जैसे—वर्षा, वन, रेगिस्तान, समुद्री तट आदि ।
Bihar Board 12th Biology Model Paper 2024
10. जलोद्भिद्, मरुद्भिद् तथा समोद्भिद के बारे में सोदाहरण लिखें। अथवा, जलीय पौधे तथा मरूद्भिद पौधे को सोदाहरण परिभाषित करें ।
उत्तर ⇒ जलोद्भिद्वे – वे पादप जो केवल जल या अत्यधिक नम मिट्टी में वृद्धि करते हैं, जलोद्भिद् कहलाते हैं। जैसे— कमल, जलकुम्भी आदि ।
मरुद्भिद- वे पादप जो केवल अधिकताप, गर्मी या मरूभूमि में उगते एवं वृद्धि करते हो, मरूद्भिद् कहलाते हैं। जैसे—नागफनी।
समोद्भिद्वे- वे स्थलीय पादप जो न तो विशेष सूखें और न तो विशेष रूप से नम वातावरण के लिए अनुकूलित हो तथा जिन्हें वृद्धि के लिए साधारण जल की आवश्यकता हो, समोदभिद कहलाते है। जैसे- पॉली गोनम, जोमस आदि।
11. मरुस्थलीय पौधों की पत्तियों में अनुकूलन बताएँ । अथवा, मरुस्थलीय पौधों के पारिस्थितिक अनुकूलन का उल्लेख करें ।
उत्तर ⇒ मरुस्थलीय या शुष्क पौधों की पत्तियों में निम्नलिखित अनुकूलन पाए जाते हैं :
(i) पत्तियाँ छोटी, शल्कपत्र या काँटों के रूप में परिवर्तित हो जाती है जिससे कम-से-कम जल की क्षति वाष्पोत्सर्जन द्वारा हो।
(ii) पत्तियों में जल संचय करने योग्य ऊतक होते हैं।
(iii) रंघ स्टोमैटल कैविटी में धँसे रहते हैं। नागफनी, यूफोर्बिया, आर्जेमोन, एकेसिया आदि जिरोफाइट (मरुभिद) के उदाहरण है।
12. जलवानस्पतिक अवस्था क्या है ?
उत्तर ⇒ जल के अंदर शैवालों की जनमने की अवस्था जलवानस्पतिक अवस्था कहलाती है। ये सूर्य प्रकाश से अपना भोजन बनाते हैं। जलीय जीवों के ये भोज्य पदार्थ हैं।
13. सहभोजिता एवं असहभोजिता में अंतर बतायें अथवा सहभोजिता एवं असहभोजिता (अंतर जातीय परजीविता) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ सहभोजिता- यह ऐसी पारस्परिक क्रिया है जिसमें एक जाति को लाभ होता है और दूसरी को न हानि न लाभ होता है। आम की शाखा पर अधिपादक (एपीफाइट) के रूप में उगने वाले ऑर्किड और व्हेल की पीठ को आवास बनाने वाले बार्नेकल को फायदा होता है जबकि आम के पेड़ और व्हेल को उनसे कोई लाभ नहीं होता।
असहभोजिता/अंतरजातीय परजीविता- अंतरजातीय परजीविता में एक जाति को हानि होती है जबकि दूसरी जाति अप्रभावित रहती है।
BSEB Biology Question Paper 2024 12th In HIndi
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