Political Science Ka Subjective Question 12th | Bihar Board Class 12th Political Science Notes

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Political Science Ka Subjective Question 12th

1. भारत की सुरक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं का वर्णन कीजिए। (Explain the different aspect of Security policy of India.)

उत्तर ⇒ भारत की सुरक्षा नीति के घटक-भारत एक ऐसा देश है जो दोनों प्रकार दोनों पारंपरिक और अपारंपरिक खतरों का सामना कर रहा है। ये खतरे सीमा के अंदर और बाहर ओर से हैं। भारत की सुरक्षा नीति के चार घटक हैं जो निम्नलिखित हैं—
(i) सैन्य क्षमता

(ii) अंतर्राष्ट्रीय नियमों और संस्थाओं को मजबूत करना

(iii) देश की अंदरूनी सुरक्षा समस्यायें

(iv) गरीबी और अभाव से छुटकारा

(i) सैन्य क्षमता-पड़ोसी देशों के हमलों से बचने के लिए भारत को अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करना जरूरी है। भारत पर पाकिस्तान के कई आक्रमण हुए हैं। दक्षिण एशियाई क्षेत्र में उसके चारों ओर परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं, इसलिए भारत ने 1974 और 1998 में परमाणु परीक्षण किया था।

(ii) अंतर्राष्ट्रीय नियमों और संस्थाओं को मजबूत करना- भारत ने अपने सुरक्षा हितों को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय नियमों और संस्थाओं को मजबूत करने में सहयोग दिया है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एशियाई एकता, अनौपनिवेशीकरण और निरस्त्रीकरण के प्रयासों का समर्थन किया। भारत ने संयुक्त राष्ट्रसंघ को अंतिम पंच मानने पर जोर दिया। उसका मानना है कि हथियारों और परमाणु शस्त्रों की दृष्टि से सभी देशों का समान अधिकार होना चाहिए। भारत ने नव-अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की माँग उठाई।

(iii) देश की अंदरूनी सुरक्षा और समस्यायें भारत की नीति का तीसरा महत्त्वपूर्ण घटक देश की अंदरूनी सुरक्षा समस्याओं से निपटने की तैयारी है। भारत के कई राज्यों-नागालैंड, मिजोरम, पंजाब और कश्मीर आदि राज्यों में अलगाववादी संगठन सक्रिय रहे हैं। इसलिए भारत ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने का प्रयास किया है। उसने देश में लोकतांत्रिक और राजनीतिक व्यवस्था का पालन किया है। उसने सभी समुदाय के लोगों और जन समूहों को अपनी शिकायतें रखने का मौका दिया है।

(iv) गरीबी और अभाव से छुटकारा- भारत ने ऐसी व्यवस्थायें करने का प्रयास किया है जिससे बहुसंख्यक नागरिकों को गरीबी और अभाव से छुटकारा मिल सके और नागरिकों के मध्य आर्थिक असमानता समाप्त हो सके।


2. वित्त विधेयक क्या है? (What is finance bill?)

उत्तर ⇒ संसद का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य देश के लिए कानून का निर्माण करना है । संसद के तीनों अंगों जैसे लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति मिलकर यह कार्य करते हैं। जब किसी कानून को लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पास किया जाता है तब उसे विधेयक कहा जाता है। विधेयक पर राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल जाती है तो वह अधिनियम का रूप ले लेता है। संसद में दो तरह के विधेयक पेश किए जाते हैं- सरकारी विधेयक और गैर सरकारी विधेयक | वित्त विधेयक भी एक सरकारी विधेयक होता है। साधारणतः वित्त विधेयक ऐसे विधेयक को कहते हैं जो आय या व्यय से संबंधित है। वित्त विधेयक में आगामी वित्तीय वर्ष में किसी नये प्रकार के कर लगाने या कर में संशोधन आदि से संबंधित विषय शामिल होते हैं। अतः वे सभी मामले जिनका संबंध वित्तीय मुद्दों से हैं वित्त विधेयक है। सामान्यतः यह विधेयक वार्षिक बजट लोकसभा में पेश के किए जाने के बाद तत्काल लोकसभा में पेश किया जाता है। सभी धन विधेयक नहीं होते हैं। परंतु सभी वित्त विधेयक धन विधेयक नहीं होते हैं। धन विधेयक की तरह वित्त विधेयक भी पहले लोकसभा में पेश किया जाता है। वित्त विधेयक के संबंध में राज्यसभा और लोकसभा को वहीं शक्तियाँ प्राप्त है जो धन विधेयक के संबंध में है। लेकिन धन विधेयक से अलग वित्त विधेयक को राज्यसभा स्वीकृत या अस्वीकृत कर सकता है। वित्त विधेयक संसद में पेश किये जाने के 75 दिनों के अंदर संसद से पास हो जाना और राष्ट्रपति से स्वीकृति भी मिल जाना आवश्यक है।


3. भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के गठन एवं क्षेत्राधिकार का परीक्षण करें। (Examine the composition and jurisdiction of the Indian Supreme Court.)

उत्तर ⇒ भारतीय संविधान के अनुसार भारत में एक सर्वोच्च न्यायालय होगा जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश के अलावे अन्य न्यायाधीश होंगे। सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति
राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। न्यायाधीश वही व्यक्ति हो सकता है जो भारत का नागरिक हो, किसी उच्च न्यायालय में 5 वर्षों तक न्यायाधीश या किसी उच्च न्यायालय में 10 वर्षों तक वकील रह चुका हो या राष्ट्रपति के नजर में कानून का ज्ञाता हो। न्यायाधीश 65 वर्षों तक अपने पद पर बना रह सकता है।

क्षेत्राधिकार – सर्वोच्च न्यायालय को व्यापक क्षेत्राधिकार प्राप्त है। सर्वोच्च न्यायालय भारत सरकार एवं राज्य सरकार के बीच का मुकदमा, दो या दो से अधिक राज्यों के बीच के मुकदमों वाई कर सकता है। यहाँ उच्च न्यायालयों के द्वारा दी गई विधि, दिवानी एवं फौजदारी मामलों के निर्णय के विरुद्ध अपील की जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय राष्ट्रपति द्वारा परामर्श मांगे जाने पर आवश्यक एवं उचित परामर्श भी देता है। मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के मामलों में सर्वोच्च न्यायालय में सीधे अपील की जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय मौलिक अधिकार का संरक्षक होता है। सर्वोच्च न्यायालय का न्यायिक पुनराविलोकन का भी अधिकार प्राप्त है।

inter Pariksha rajnitik Shastra subjective


4. गुट निरपेक्षता क्या है? इसका मूल्यांकन करें। (What is Non-Alignment ? Evaluate it. )

उत्तर ⇒ गुट निरपेक्षता का अर्थ साधारणतः तटस्थता के रूप में समझा जाता है। सकारात्मक दृष्टिकोण से इसका अर्थ गुटों से अलग रहकर अपने स्वतंत्र स्थिति और सम्प्रभुता तथा राष्ट्रीय सुरक्षा को कायम रखते हुए सहयोग एवं सहअस्तित्व के आधार पर विश्व शांति और आर्थिक विकास का मार्ग प्रस्तुत करना है। दरअसल गुटों से अलग रहने से हर प्रश्न के औचित्य अनौचित्य को देखा जा सकता है तथा न्यायोचित ढंग से अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया जा सकता है। गुटनिरपेक्षता शब्द जिस नीति अथवा दृष्टिकोण का द्योतक बन गया है उनका बोध कराने के लिए यही एकमात्र शब्द नहीं है। साथ ही साथ न ही यह सबसे संतोषजनक शब्द है। यह शब्द शायद पंडित जवाहर लाल नेहरू ने गढ़ा था और वे भी इससे बहुत प्रसन्न नहीं थे क्योंकि इस शब्द में प्रकटत: एक निषेधात्मक ध्वनि है। निरपेक्षता अब विश्वव्यापी हो गया है और इसका कार्यक्षेत्र भी अत्यंत व्यापक है। बेलग्रेड के प्रथम शिखर सम्मेलन में 25 देशों ने भाग लिया था और 24-25 फरवरी, 2003 में कुआलालम्पुर में आयोजित 13 वे शिखर सम्मेलन के बाद इसके सदस्य देशों की संख्या 116 हो गयी। सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ-साथ इसके कार्यक्षेत्र में भी काफी विस्तार हुआ। चूँकि यह नई संकल्पना है। प्रारंभ में गुटनिरपेक्ष देशों को एक कठिनाई से जूझना पड़ा कि अन्य राष्ट्रों को कैसे समझाया जाए कि गुटनिरपेक्षता क्या है, कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के संदर्भ में इसे एक स्वतंत्र और नयी संकल्पना के रुप में मान्यता कैसे दिलायी जाए। शुरू में दोनों गुटों ने गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों पर विश्वास किया— पश्चिमी गुट की अपेक्षा पूर्वी गुट ने अधिक। 1961 के बेल्ग्रेड सम्मेलन में बोलते हुए नेहरू ने कहा नि:संदेह हम साम्राज्यवाद, उपनिवेश, नस्लवाद आदि के विरोधी हैं। जब हम कहते हैं कि हम किसी विशेष गुट से न जुड़ें तो स्पष्टतया उसका अर्थ यह नहीं है कि हम सभी देशों से अपने संबंध न रखें। 1961 से इसका औपचारिक इतिहास शुरु होता है जिसे देखते हुए गुट निरपेक्षता के निहितार्थों को निम्न प्रकार इंगित किया जा सकता है —

(i) महाशक्तियों के सैनिक गुटों व विचारधारात्मक ध्रुवीकरण से बचना।

(ii) शीत युद्ध से दूर रहना

(iii) हर मुद्दे को उसके गुणों पर आंकना तथा अपने विकास का स्वतंत्र मार्ग चुनना

(iv) सभी देशों के साथ मित्रता व परस्पर काम की नीति अपनाना ।

(v) संयुक्त राष्ट्र को पूर्ण समर्थन देना ।

(vi) दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद नीति की निन्दा करना ।

(vii) परमाणु अस्त्रों के निर्माण पर रोक तथा निःशस्त्रीकरण की आवश्यकता पर बल देना। (viii) अंतर्राष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधान खोजना तथा

(ix) नयी अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक व आर्थिक व्यवस्था स्थापित करना ।

इस प्रकार कुछ ही वर्षों में इसके सदस्यों की संख्या में वृद्धि होती चली गई। चूँकि अग्रणी नेताओं ने गुट निरपेक्षता पदबंध की नमनशील परिभाषा की, इसलिए धीरे-धीरे इसमें लैटिन अमेरिका के वे राज्य भी शामिल हो गये जो रियो सन्धि के तहत अमेरिका के गुट में शामिल माने जाते थे। गुट निरपेक्षता की लहर ने सैनिक गुटों को कमजोर किया। इराक व अल्बानिया गुट निरपेक्ष हो गए। वि-उपनिवेशीकरण की प्रक्रिया तेजी से चलती रही जिसकी वजह से एशिया व अफ्रीका के गुलाम देश स्वतंत्र राज्य बन गए। शीत युद्ध के बढ़ते हुए कटाव ने तनाव- शैथिल्य का रूप धारण कर लिया। अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा व सहयोग की दिशा में आश्चर्यजनक प्रगति हुई तथा नयी अंतर्राष्ट्रीय राजनीति व आर्थिक व्यवस्था लाने के अभियान ने जोड़ पकड़ा।


5. ‘गुट निरपेक्ष आंदोलन अब अप्रासंगिक है’ वर्णन करें। (‘Non-Aligned Movement is irrelevant today. Describe.)

उत्तर ⇒ द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद खासकर भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद एशिया और विश्व की राजनीति में भारत की महत्त्वपूर्ण स्थिति को देखते हुए दोनों महाशक्तियों को अपने-अपने गुट में शामिल करने का प्रयास किया। ऐसी विषम परिस्थिति में भारत द्वारा एक विवेकपूर्ण मार्ग का चयन स्वभाविक हीं नहीं वरन् अत्यन्त आवश्यक था। परिमाणस्वरूप भारत गुटनिरपेक्षता की नीति का अनुसरण किया जो भारत के स्वाभिमान और आत्मसमान के अनुकूल था। लेकिन आज विश्व रजनीति के रंगमंच में एक नए समीकरण उभर रहे हैं। भारत ने इस परिदृश्य की विशेषताओं को बारीकी से अध्ययन करने के बाद अपनी कुटनीति में संशोधन किया। अब गुट निरपेक्षता का वह अर्थ नहीं है जो शीत युद्ध के समय था। आज जब गुट ही नहीं है। तो गुट निरपेक्षता का क्या अर्थ? दूसरी ओर गुट निरपेक्ष आंदोलन के सामने अनेक चुनौतियाँ भी उभरकर सामने आयी है। जैसे विश्व की बड़ी शक्तियों द्वारा सैनिक दबाव बनाया जाना, गुट निरपेक्ष देशों के बीच तनाव उत्पन्न होना एवं इनके बीच आर्थिक पिछड़ापन आदि। इन्हीं सब कारणों से स्पष्ट होता है कि गुट निरपेक्ष आंदोलन अब अप्रासंगिक हो गया है। इन सबके बाबजूद गुटनिरपेक्ष आंदोलन के भारत जैसे सदस्य देश अपनी स्वतंत्र नीति पर चल रहा है जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में शांति, सुरक्षा व सहयोग बनाए रखना है। इन्हीं सब कारणों के आधार पर कहा जा सकता है कि गुट निरपेक्ष आंदोलन की प्रासंगिकता अभी भी है।


6. सुरक्षा परिषद के क्या कार्य हैं? (What are the functions of Security Council.) यां, सुरक्षा परिषद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। (Write a Short note on Security Council.)

उत्तर ⇒ सुरक्षा परिषद (Security Council) – सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र की कार्यपालिका के समान है। इसके 15 सदस्य होते हैं जिनमें 5 स्थायी सदस्य हैं— अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, चीन और रूस । इसके अन्य 10 सदस्य महासभा के द्वारा 2 वर्ष के लिए चुने जाते हैं। भारत कई बार सुरक्षा परिषद का सदस्य चुना जा चुका है। स्थायी सदस्य को किसी भी प्रस्ताव पर वीटो (Veto) का अधिकार है। सुरक्षा परिषद के कार्य निम्नलिखित हैं

(i) यह विश्व में शांति स्थापित करने के लिए उत्तरदायी है और किसी भी मामलों पर जो विश्व शांति के लिए खतरा बना हुआ हो, विचार कर सकती है।

(ii) यह किसी भी देश द्वारा भेजी गई किसी भी शिकायत पर विचार करती है और मामले या झगड़े का निर्णय करती है।

(iii) सुरक्षा परिषद अपने प्रस्तावों या निर्णयों को लागू करवाने के लिए सैनिक कार्यवाही भी कर सकती है। इराक के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही का निर्णय सुरक्षा परिषद ने लिया था। शीतयुद्ध के बाद के सालों में बांग्लादेश में लोकतंत्र कायम रहा है। पाकिस्तान में शीतयुद्ध के बाद के वर्षों में लगातार दो लोकतांत्रिक सरकारें बनी। 1999 में यहाँ सैनिक शासन स्थापित हुआ।


7. विश्व शांति बनाये रखने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका का परीक्षण करें। (Examines the role of UNO to maintain peace of the world.)

उत्तर ⇒ संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्रधान उद्देश्य विश्व में शांति और सुरक्षा की स्थापना करना, राज्यों के आपसी झगड़ों का शांतिपूर्ण निपटारा करना तथा अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को कायम रखना है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर के अनुच्छेद । में संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों का वर्णन इस प्रकार किया गया है: अन्तर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा को बनाये रखना, शांति के खतरों को सामूहिक तथा प्रभावकारी उपायों से रोकना, आक्रमण तथा शांति भंग होने वाले प्रयासों को दबाना तथा न्याय और अन्तर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार शांतिपूर्ण साधनों द्वारा शांति भंग करने वाली स्थितियों तथा विवादों का निपटारा करना तथा सुलझाना। विश्व शांति बनाये रखने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका (Role of the U.N. in maintaining World Peace ) — संयुक्त राष्ट्रसंघ ने विश्व में शांति स्थापित करने के लिए अथक प्रयास किए हैं और वह अपने प्रयासों में काफी हद तक सफल भी रहा है क्योंकि शीत युद्ध को शुरू न होने देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका संयुक्त राष्ट्रसंघ की है। विश्व में शांति स्थापित रखने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा जो कार्य किये गये हैं, उनमें से मुख्य कार्यों का संक्षिप्त विवेचन निम्नलिखित हैं:

(i) कोरिया की समस्या (Korean Problems) – 1950 ई० में उत्तरी कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर आक्रमण कर दिया। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने युद्ध को रोकने के लिए 16 राष्ट्रों की सेनायें उत्तरी कोरिया में प्रतिरोध के लिए भेजी। भारत ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की सहायता करते हुए दोनों देशों में युद्ध को समाप्त करवाया।

(ii) स्वेज नहर की समस्या (Problems concerned with Suez Canal) – जुलाई, 1965 ई० में मिस्र ने स्वेज नहर के राष्ट्रीयकरण की घोषणा कर दी। इसके राष्ट्रीयकरण से इंगलैण्ड और फ्रांस को बहुत अधिक हानि होने का भय था । अतः उन्होंने स्वेज नहर पर अपना अधिकार जमाने के उद्देश्य से इजरायल द्वारा मिस्र पर आक्रमण कर दिया। इस युद्ध को बन्द करने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ ने सभी प्रयास किया।

(iii) भारत-पाक युद्ध (Indo-Pak War) – 1965 ई० में जब पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया तो संयुक्त राष्ट्रसंघ ने इस युद्ध को समाप्त करवाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। यह युद्ध जनवरी, 1966 ई० में ताशकन्द संधि के साथ समाप्त हुआ।

(iv) निःशस्त्रीकरण के लिए प्रयास (Efforts made for the disarmament) – संयुक्त राष्ट्र ने निःशस्त्रीकरण को लागू करने और विध्वंशक परमाणु हथियारों पर पाबंदी लगाने के लिए समय-समय पर कई सम्मेलन बुलाये हैं तथा कई प्रस्ताव पास किये हैं। संयुक्त राष्ट्र को निःशस्त्रीकरण के प्रयासों में भारत का सहयोग भी प्राप्त हुआ और यह काफी हद तक शस्त्रों के प्रसार को रोकने में सफल रहा है।

राजनीतिक विज्ञान का क्वेश्चन


8. महासभा पर निबन्ध लिखें। (Write an essay on General Assembly.)

उत्तर ⇒ महासभा (General Assembly) – महासभा संयुक्त राष्ट्रसंघ का सबसे बड़ा अंग है। क्योंकि इसमें सदस्य राज्य को सार्वभौम समानता के आधार पर स्थान प्राप्त है। इसका सत्र हर वर्ष सितम्बर के तीसरे मंगलवार को प्रारम्भ होता है और लगभग तीन महीने तक चलता है। महासभा में सारे निर्णय उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से लिये जाते हैं किन्तु संधि या महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव पास करने हेतु उपस्थित व मतदान करने वाले सदस्यों का 2/3 बहु आवश्यक है।

महासभा के निम्नलिखित कार्य हैं

(i) अन्तर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना तथा सहयोग के सामान्य सूत्रों पर विचार करना।

(ii) निःशस्त्रीकरण व शस्त्रों के विनियमन को प्रभावित करने वाले सूत्रों पर विचार करना तथा सुरक्षा परिषद या अपने सदस्यों को ऐसे सूत्रों के बारे में अपनी सिफारिश भेजना ।
(iii) न्यासी परिषद के सदस्यों का चुनाव करना तथा न्यासी परिषद की रिपोर्ट स्वीकार करना एवं न्यायी संधियों की स्वीकृति देना।

(iv) सामान्य कल्याण या राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों में दरार या चार्टर के सिद्धान्तों का उल्लंघन होने की स्थिति में समस्या की उत्पत्ति के कारणों की परवाह नहीं करते हुए उसके शांतिपूर्ण समाधान हेतु सिफारिश करना शामिल है। (v) सुरक्षा परिषद के 10 अस्थायी सदस्यों, आर्थिक व सामाजिक परिषद के 54 सदस्यों, अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के 15 जजों तथा महासचिव की नियुक्ति सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा करती है।


9. संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत की भूमिका पर संक्षिप्त निबंध लिखें। (Write a short essay on India’s role in United Nations Organisation.)

उत्तर ⇒ भारत संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र के स्थापना से लेकर आज तक इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाया है। संयुक्त राष्ट्र में चार्टर निर्माण में भारत ने भाग लिया। भारत की सिफारिश पर हीं चार्टर में मानव अधिकार एवं मौलिक स्वतंत्रताओं को बिना किसी भेद-भाव के लागू करने के उद्देश्य से जोड़ा। भारत के सहयोग से चीन, बांग्लादेश, हंगरी, श्रीलंका, आयरलैंड और रूमानिया आदि देश संयुक्त राष्ट्रसंघ का सदस्य बना ! भारत ने आर्थिक रूप से पिछड़े देशों के विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र में हमेशा आवाज उठायी है। भारत ने महासभा एवं सुरक्षा परिषद में विश्व में निःशस्त्रीकरण के लिए हमेशा दबाव बनाया है। 1987 में राजीव गाँधी ने महासभा में बोलते हुए परमाणु निःशस्त्रीकरण की अपील की थी। इसके अलावे भारत संयुक्त राष्ट्र में राजनीतिक सहयोग भी किया है। जैसे—कोरिया समस्या, स्वेज नहर की समस्या, हिन्द-चीन का प्रश्न, हंगरी में अत्याचारों का विरोध, चीन की सदस्यता में भारत का सहयोग आदि। भारत संयुक्त राष्ट्रसंघ के विभिन्न पदों पर भी रह चुका है । अतः कहा जा सकता है कि विश्व शांति एवं सुरक्षा के लिए भारत हमेशा सहयोग देता रहा है।

Political Science Ka Subjective Question 12th


 Class 12th Arts Question  Paper
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12th Political Science ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
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