वर्णिका, भाग-2 | 10th Hindi subjective | 1. दही वाली मंगम्मा

 


प्रश्न 1. ‘दही वाली मंगम्मा’ का कथावाचक कौन है। संक्षेप में परिचय दीजिए। 

उत्तर ⇒  दही वाली मंगम्मा’ का कथावाचक बेंगूलर (वर्तमान में बंगलूरु ) की रहनेवाली संभ्रान्त महिला थी जिसे मंगम्मा मांजी कहती थी। वह समझदार महिला थी। वह अंधविश्वास को नहीं मानती थी वह दुनियादारी से भली-भांति परिचित थी तथा मंगम्मा से बहुत घुल मिलकर बात करती थी। मंगम्मा रोज उसके हाथ दही बेचती थी।


प्रश्न 2. मंगम्मा का चरित्र चित्रण कीजिए।

उत्तर ⇒   मंगम्मा प्रस्तुत कहानी का प्रमुख केन्द्रीय चरित्र है। कहानी की कथा वस्तु इसके इर्द-गिर्द ही घूमती रहती है। पति से विरक्त रहने वाली मंगम्मा शायद कभी ऐसे नहीं सोची होगी कि उसका बेटा पत्नी के दबाव में आकर उसे छोड़ सकता है पत्नी का श्रृंगार पति है। मंगम्मा और उसकी बहू इस तथ्य को भलीभांति समझती है। रंगप्पा द्वारा बार-बार उसका पीछे करने पर भी वह अपने कर्मपथ से विचलित नहीं होती। पति का अभाव उसे सदा खटकता है। किन्तु, पति के प्रति श्लेषमात्र भी क्षोभ नहीं है। मंगम्मा सम्पूर्ण भारतीय नारीत्व का प्रतिनिधित्व करती है। वह बेटे-बहू और पोते पर अपना स्वत्व सर्वदा बनाये रखना चाहती है।


प्रश्न 3. मंगम्मा का अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था ?

उत्तर ⇒  मंगम्मा का अपनी बहू के साथ अपने पोते को लेकर विवाद था । बहू पोते को जब तब पीट दिया करती थी, इसके लिए मंगम्मा उसे मना करती थी । किन्तु, वह मंगम्मा के साथ लड़ जाती थी


प्रश्न 4. बहु ने सास को मनाने के लिए कौन सा तरीका अपनाया? 

उत्तर ⇒  बहु बुद्धिमती थीं। जब बहु को रंगप्पा के द्वारा ज्ञात हुआ कि उसकी सास ने रंगप्पा को कर्ज देने की स्वीकृति प्रदान की है तब उसने बेटे को ढाल बनाकर पैसे लेने की तरकीब सोचने लगी। वह जानती है कि उसकी सास अपने पोते से बहुत प्यार करती है अतः उसने अपने बेटे को दादी के पास ही रहने के लिए भेज दिया। बच्चा जब दादी के साथ बाजार जाने को मचल रहा था, तो बेटा-बहू ने उसे समझाया अपनी गलती भी उन्होंने स्वीकार की पोता ही समझौते का जरिया बन गया, जो बहू की योजना थीं।


प्रश्न 5. रंगप्पा कौन था और वह मंगम्मा से क्या चाहता है ?.

उत्तर ⇒  रंगप्पा गाँव का जुआरी, लम्पट और आवारा लड़का था वह धन के लोभ में दही बेचकर आते समय मंगम्पा के साथ छेड़छाड़ किया करता था और उससे पैसे भी झटक लेना चाहता था। इतना ही नहीं वह मंगम्मा को अनाथ समझकर उसकी इज्जत भी लूटना चाहता था ।


प्रश्न 6. नजम्मा का चरित्र चित्रण कीजिए ।

उत्तर ⇒  नंजम्मा कहानी की नायिका मंगम्मा की बहू । वह समझदार एवं दबंग प्रवृत्ति की है। उसे अपने अधिकार एवं कर्त्तव्य का ज्ञान है। वह अपना हक किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं जानती है। पति एवं पुत्र पर अपना हक मानती है इसलिए सास से झगड़ा भी कर लेती है। माँ जी के पूछने पर वह बड़ा ही तर्कपूर्ण उत्तर देती है कि सास हो जाने का मतलब सब बात उनकी ही रहनी चाहिए। उनका बेटा मेरा पति है, मैं उनकी पत्नी हूँ। वह अपने बेटे पर अपना हक रखे। मैं चुप रहूँगी। किंतु मैं अपने बेटे को भी मार नहीं सकती तो मैं कहाँ की बहू रही ? वह अक्लमंद औरत है। सास को वश में करने के लिए अपने पुत्र को सास के पास भेज देती है और अन्त में पति-पत्नी दोनों अपनी गलती स्वीकार कर आमदनी के स्रोत पर यह कहकर अधिकार जमा लेती है कि ‘भला कितने दिन काम कर सकोगी, इस उम्र में इतनी धूप में दही बेचने जाना ठीक नहीं है।’ दही बेचने का काम स्वयं करने लगती है।


प्रश्न 7. ” गाँवों में यह बात दही बेचने वाली मंगम्मा के घर में है तो शहर में दही लेने वाली मंगम्मा के घर में भी है।” ऐसा कहकर कहानीकार ने क्या स्पष्ट करने का प्रयास किया है ?

उत्तर ⇒  प्रस्तुत कथन के माध्यम से कहानीकार ने वर्तमान पारिवारिक परिवेश पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है। कहानीकार का कहना है कि आज सास एवं बहू की आपसी खींचतान के कारण पारिवारिक माहौल बिगड़ता जा रहा है। सास अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए बहू का महत्त्व स्वीकार नहीं करती हैं तो बहू भी पति पर अपना अधिकार मानकर सास की बातों पर ध्यान नहीं देती है। दोनों अपनी स्वतंत्रता की होड़ में लगी होती है। यह नाटक सिर्फ गाँव में ही नहीं चलता, बल्कि शहर में भी यही कहानी चल रही है। यह सारे संसार का ही किस्सा है। दोनों पीढ़ियों की आपसी वर्चस्व के कारण पारिवारिक अनुशासन भंग होता जा रहा है जिसका कोई अंत नहीं है ।


प्रश्न 8. दही वाली मंगम्मा का सारांश लिखें।

उत्तर ⇒   मंगम्मा अवलूर के निकट बेंकटपुर की रहने वाली थी। उसे एक पुत्र, पतोहू तथा एक पोता थे जो घर में साथ-साथ रहते थे मंगम्मा के पास गाय भी थी वह रोज घूम-घूमकर दही बेचती थी। पति नहीं था । पतोहू घर का कामकाज देखती थी । एक दिन पतोहू ने पोते को बहुत पीटा। इस पर मंगम्मा बिगड़ गई और पतोहू को रोकते हुए भला-बुरा कहा। इसी बात पर दोनों में मतभेद हो गया । मंगम्मा बहुत दु:खी हुई और अलग रहने लगी ।

उसके गाँव का एक लफंगा लड़का रंगप्पा उससे पैसे झीटना चाहता था रंगप्पा की बात जब पतोहू को पता चला तो अपने बेटे को सिखाकर मंगम्मा के पास भेज दिया और फुसलाकर फिर अपने साथ कर लिया । इस प्रकार, मंगम्मा फिर से अपने घर में खुशी-खुशी रहने लगी ।


प्रश्न 9. मंगम्मा की बहू ने विवाद निपटाने की पहल क्यों की ?

उत्तर ⇒  मंगम्मा की बहू बुद्धिमति थी जब उसे यह ज्ञात हुआ रंगप्पा उसकी सास के पैसे ऐंठना चाहता है तो वह तुरंत अपने बेटे को ढाल के रूप में इस्तेमाल करती है। वह बेटे को दादी के पास रहने के लिए भेज देती है और अपनी गलती भी स्वीकार कर लेती है। इस प्रकार मंगम्मा की बहू विवाद निपटाने की पहल कर रंगप्पा के उम्मीदों पर पानी फेर देती है


प्रश्न 10. मंगम्मा ने अपना ‘धरम’ नहीं छोड़ा। कैसे?

उत्तर ⇒  मंगम्मा का अपनी बहू से झगड़ा था । बहू के कहने पर बेटा भी साथ छोड़ देता है । उसके पास थोड़े से पैसे है जिसे रंगप्पा नामक व्यक्ति हड़पना चाहता है वह बार-बार उसका पीछा करता है । लेकिन वह अपने ‘कर्मपथ से विचलित नहीं होती है और अपना धरम नहीं छोड़ती है ।


हिंदी गोधूलि भाग 2 – OBJECTIVE 
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