Class 10th History Subjective Question :- दोस्तों यदि आप Bihar Board 10th Social Science Subjective की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको 10th History ( शहरीकरण एवं शहरी जीवन ) Question दिया गया है जो आपके 10th Bihar board social science quesion pdf के लिए काफी महत्वपूर्ण है | BSEB 10th & 12th App
Class 10th History Subjective Question
1. शहरों ने की नई समस्याओं को जन्म दिया?
उत्तर ⇒ नए नए शहरों का उद्भव और शहरों की बढ़ती जनसंख्या ने बहुत सारी नई समस्याओं का जन्म दिया। शहरों में श्रमिकों की संख्या अधिक थी तथा लोक कल्याण की भावना की कमी थी,इसके कारण शहरों में कई नई समस्याओं का जन्म हुआ जैसे बेरोजगारी में वृद्धि, स्वास्थ्य संबंधी समस्या इत्यादि।
2. शहर किस प्रकार की क्रियाओं के केंद्र होते हैं?
उत्तर ⇒ शहर विभिन्न प्रकार की क्रियाओं के केंद्र होते हैं, जैसे-रोजगार, व्यापार- वाणिज्य, शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात यादी। शहर गतिशील अर्थव्यवस्था के भी केंद्र होते हैं। शहर राजनीतिक प्राधिकार के भी महत्वपूर्ण केंद्र होते हैं।
3. शहरों के उद्भव में मध्यम वर्ग की भूमिका किस प्रकार रही?
उत्तर ⇒ शहरों के उद्भव ने मध्यम वर्ग को भी शक्तिशाली बनाया। एक नए शिक्षित वर्ग का अभ्युदय जहां विभिन्न देशों में रहकर भी औसतन एक समान आय प्राप्त करने वाले वर्ग के रूप में उभर कर आए एवं बुद्धिजीवी वर्ग के रूप में स्वीकार किए गए। यह विभिन्न रूप में कार्यरत रहे, जैसे शिक्षक, वकील, चिकित्सक, इंजीनियर, क्लर्क, अकाउंटेंट परंतु इनके जीवन मूल्य के आदर्श सामान रहे और इनकी आर्थिक स्थिति भी एक वेतनभोगी वर्ग के रूप में उभर कर सामने आई ।
4. ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच किन्हीं दो विभिन्नताओं का उल्लेख करें। अथवा, ग्रामीण तथा नगरी जीवन में आप किस तरह का अंतर देखते हैं?
उत्तर ⇒ ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच विभिन्नताएं
(१) ग्रामीण जीवन कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था है, किंतु शहरों में व्यापार तथा उद्योग की अर्थव्यवस्था का चलन है।
(२) गांव में संयुक्त परिवार का चलन है जबकि शहरों में व्यक्तिगत परिवारों का।
5.आर्थिक तथा प्रशासनिक संदर्भ में ग्रामीण तथा नगरिया बनावट के दो प्रमुख आधार क्या है?
उत्तर ⇒ आर्थिक तथा प्रशासनिक संदर्भ में ग्रामीण तथा नगरीय व्यवस्था के दो मुख्य आधार हैं- जनसंख्या का घनत्व तथा कृषि आधारित आर्थिक क्रियाओं का अनुपात। शहरों तथा नगरों में जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है। शहरों तथा नगरों में गांव को उनके आर्थिक प्रारूप में कृषि जन्नत क्रियाकलापों में एक बड़े भाग के आधार पर भी अलग किया जाता है। गांव की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि संबंधी व्यवसाय से जुड़ा है। अत:, एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था मूलतः जीवन निर्वाह अर्थव्यवस्था की अवधारणा पर आधारित थी। ऐसे वर्ग का नगरों की ओर बढ़ना गतिशील मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था के आधार पर संभव हुआ जो प्रतियोगी था एवं एक उद्यमी प्रवृत्ति से प्रेरित था। भारी संख्या में कृषक वर्ग ग्रामीण क्षेत्रों से निकलकर शहरों की ओर नए अवसर की तलाश में बड़े जिससे नए नए शहरों का उदय हुआ जिसके कारण शहरों के आकार और जटिलता में भी अंतर उत्पन्न हुआ। राजनीतिक प्राधिकार का केंद्र प्रायः शहर बन गए।
6.किन तीन प्रक्रियाओं के द्वारा आधुनिक शहरों की स्थापना निर्णायक रूप से हुई?
उत्तर ⇒ गिनती इन प्रक्रियाओं ने आधुनिक शहरों की स्थापना में निर्णायक भूमिका निभाई, वे थी- पहला, औद्योगिक पूंजीवाद का उदय; दूसरे,विश्व के विशाल भू-भाग पर औपनिवेशिक शासन की स्थापना और तीसरा लोकतांत्रिक आदर्श ओं का विकास।
7. गांव के कृषि जन्य आर्थिक क्रियाकलापों की विशेषताओं को दर्शाए।
उत्तर ⇒ गांव के कृषि जन आर्थिक क्रियाकलापों की विशेषता थी कि गांव की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि संबंधी व्यवसाय से जुड़ा होता है। अधिकांश वस्तुएं कृषि उत्पाद ही होती है जो इनकी आय का प्रमुख स्रोत होते हैं । गांव की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था मूलतः जीवन निर्वाह अर्थव्यवस्था की अवधारणा पर आधारित है।
8.समाज का वर्गीकरण ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में किस जनता के आधार पर किया जाता है?
उत्तर ⇒ समाज का वर्गीकरण ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में आर्थिक आधार पर किया जाता है। गांव में रोजगार की संभावनाएं काफी कम होती है जबकि शहरों की ओर व्यक्ति का पलायन इसलिए होता है कि शहरों में रोजगार की अपार संभावनाएं होती है। हर व्यक्ति को संतुष्ट करने के लिए अंतहीन सुविधाएं प्रदान करता है।
9. श्रमिक वर्ग का आगमन शहरों में किन परिस्थितियों के अंतर्गत हुआ?
उत्तर ⇒ आधुनिक शहरों में जहां एक और पूंजीपति वर्ग का उदय हुआ तो दूसरी ओर श्रमिक वर्ग का शहरों में फैक्ट्री प्रणाली की स्थापना के कारण तृतीय वर्ग जो लगभग भूमि विहीन कृषक वर्ग के रूप में थे,शहरों की ओर बेहतर रोजगार के अवसर को देखते हुए भारी संख्या में गांव से शहरों की ओर इनका पलायन हुआ। इस तरह, रोजगार की संभावना को तलाशते हुए श्रमिक वर्ग का शहरों में आगमन हुआ।
Bihar Board Class 10th Social Science Short Question Answer
10. व्यवसायिक पूंजीवाद ने किस प्रकार नगरों के उद्भव में अपना योगदान दिया?
उत्तर ⇒ नगरों के उद्भव का एक प्रमुख कारण व्यवसाय पूंजीवाद के उदय के साथ संभव हुआ। व्यापक स्तर पर व्यवसाय, बड़े पैमाने पर उत्पादन, मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था, शहरी अर्थव्यवस्था जिसमें काम के बदले वेतन, माधुरी का नगद भुगतान एक गतिशील एवं प्रतियोगी अर्थव्यवस्था, स्वतंत्र उद्यम, मुनाफा कमाने की प्रवृत्ति, मुद्रा बैंकिंग, साख का विनिमय, बीमा अनुबंध, कंपनी साझेदारी, ज्वाइंट स्टॉक,एकाधिकार आदि इस व्यवसाय कुंजी वादी व्यवस्था की विशेषता रही। इन विशेषताओं ने ही नगरों के उद्भव में अपना योगदान दिया।
11. नगरों में विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग अल्पसंख्यक हैं ऐसी मान्यता क्यों बनी?
उत्तर ⇒ नगरों में विशेषाधिकार प्राप्त हुए वर्ग होते हैं जो सामाजिक तथा आर्थिक दृष्टि से संपन्न होते हैं। यह सत्य है कि यह सामाजिक और आर्थिक विशेषाधिकार खुशी व्यक्तियों को प्राप्त हुए थे जो अल्पसंख्यक वर्ग हैं तथा जो पूर्णरूपेण उन्मुक्त तथा संतुष्ट जीवन जी सकते हैं। क्योंकि अधिकतर व्यक्ति जो शहरों में रहते थे वह गांव में ही सीमित थे तथा उन्हें सापेक्षिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं थी। एक तरफ संपन्न थी तो दूसरी और गरीबी, एक तरफ बाय चमक-दमक थी तो दूसरी ओर धूल और अंधकार। एक और अवसर था तो दूसरी और निराशा थी।
12.नागरिक अधिकारों के प्रति एक नई चेतना किस प्रकार के आंदोलन या प्रयास से बनी?
उत्तर ⇒ शहरी सभ्यता ने पुरुषों के साथ महिलाओं में भी व्यक्तिवाद की भावना को उत्पन्न किया एवं परिवार की उपादेयता और स्वरूप को पूरी तरह बदल दिया। महिलाओं के मताधिकार आंदोलन या विवाहित महिलाओं के लिए संपत्ति में अधिकार आदि आंदोलनों के माध्यम से ही महिलाएं लगभग 870 ईसवी के बाद राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले पाई पुरस्कारों की बढ़ती हुई आबादी के साथ 19वीं शताब्दी में अधिकतर आंदोलन से चार्टडिग , 10 घंटे का आंदोलन आदि ने नागरिक अधिकार के प्रति एक नई चेतना को विकसित किया ।
13. नगरीय जीवन एवं आधुनिकता दूसरे से अभिन्न रूप से कैसे जुड़े हुए हैं ?
उत्तर ⇒ शाहरुख का सामाजिक जीवन आधुनिकता के साथ अवैध रूप से जोड़ा जा सकता है। वास्तव में यह एक दूसरे के अंतर अभिव्यक्ति है। शहरों को आधुनिक व्यक्ति का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है। से हर व्यक्ति को संतुष्ट करने के लिए अंतहीन संभावनाएं प्रदान करता है ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न |
Matric Pariksha history subjective question answer
1. ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच विभिन्नता को स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच काफी भिन्नता आएं हैं। जनसंख्या की दृष्टि से गांव की आबादी कम होती है, नगरों की आबादी ज्यादा होती है। आज शहरों में तेजी से बढ़ती रोजगार की अपार संभावनाओं ने ग्रामीण लोगों को शहरों की ओर पलायन करने को विवश किया है जिसके कारण शहरों की जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। शहरों में जनसंख्या का घनत्व गांव से अधिक है। गांव की अर्थव्यवस्था का स्रोत कृषि तथा पशुपालन है जो कि उनकी आजीविका का मुख्य साधन है, वहीं दूसरी ओर शहरों में व्यापार और उत्पादन आदि जीविका के साधन है।
गांव का प्राकृतिक वातावरण काफी स्वच्छ होता है लेकिन शहरों में बढ़ती जनसंख्या के कारण, फैक्ट्रियों के निर्माण के कारण वातावरण काफी दूषित होता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, रोजगार आदि सुविधाएं शहर में अधिक उन्नत अवस्था में होती है जबकि गांव में इंसानों का अभाव होता है।
आरती तथा प्रशासनिक संदर्भ में भी ग्रामीण तथा नगरीय व्यवस्था में अंतर है। शहर तथा नगरों से गांव को उनके आर्थिक प्रारूप में कृषि जनक रे क्लब में एक बड़े भाग के आधार पर भी अलग किया जाता है। गांव की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि संबंधी व्यवसाय से जुड़ा है। अत:,एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था मूलतः जीवन निर्वाह अर्थव्यवस्था की अवधारणा पर आधारित थी। ऐसे वर्ग का नगरों की ओर बढ़ना एक गतिशील मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था के आधार पर संभव हुआ जो प्रतियोगिता एवं एक उद्यमी प्रवृत्ति से प्रेरित था पुलिस चौकी सामाजिक आर्थिक परिवर्तन के आधार पर प्रवजन की प्रक्रिया प्रारंभ हुई । पर आधुनिक शहरों के विकास में भी लोगों को शहरी जीवन की ओर रुझान बढ़ाया। ऐसी प्रक्रिया है जहां क्रमशः नगरीय जनसंख्या का बड़ा से बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरों में बसने लगा है। राजनीतिक प्राधिकार के केंद्र बन गए हैं जहां दस्तकार, व्यापारी और अधिकारी बसने लगे।
2. शहरीकरण की प्रक्रिया में व्यवसाई वर्ग, मध्यम वर्ग एवं मजदूर वर्ग की भूमिका की चर्चा करें।
उत्तर ⇒ शहरीकरण की प्रक्रिया में व्यवसाई वर्ग,मध्यम वर्ग एवं मजदूर वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका रही। शहरी करण के साथ ही समाज में इन वर्गों का महत्व बढ़ता गया।
व्यवसाई वर्ग- सारी करण की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप ही व्यापार तथा वाणिज्य का विकास हुआ। नए-नए व्यवसायों के कारण विभिन्न व्यवसाय उत्पत्ति हुई। क्योंकि व्यापार शहरों में ही होते थे,इसलिए शहरों में ही विभिन्न व्यवसाई वर्ग अस्तित्व में आए। व्यवसाई वर्ग नगरों के उद्भव का एक प्रमुख कारण व्यवसायिक पूंजीवाद के उदय के साथ संभव हुआ। व्यापक स्तर पर व्यवसाय, बड़े पैमाने पर उत्पादन, मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था, शहरी अर्थव्यवस्था जिसमें काम के बदले वेतन मजदूरी का नगर भुगतान, एक गतिशील एवं प्रतियोगी अर्थव्यवस्था, स्वतंत्र उधम, मुनाफा कमाने की प्रवृत्ति, मुद्रा, बैंकिंग, साख बिल का विनिमय, बीमा अनुबंध कंपनी ताजियादारी आदि व्यवसाय पूंजीवादी व्यवस्था की विशेषता रहे। शहरों में व्यवसाई वर्ग एक नए सामाजिक शक्ति के रूप में उभर कर आया।
मध्यमवर्ग- शहरीकरण की प्रक्रिया में समाज में मध्यम वर्ग के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शहरों के उद्भव ने मध्यम वर्ग को काफी शक्तिशाली बनाया। एक नए शिक्षित वर्ग का अभ्युदय जहां विभिन्न देशों में रहकर भी औसतन एक समान आय प्राप्त करने वाले वर्ग के रूप में उभर कर आए एवं बुद्धिजीवी वर्ग के रूप में स्वीकार किए गए। यह मध्यमवर्ग विभिन्न रूप में शहरों में कार्यरत थे, जैसे- शिक्षक, वकील, चिकित्सक, इंजीनियर, क्लर्क, अकाउंटेंट्स। इनके जीवन मूल्य के आदर्श सामान रहे और इनकी आर्थिक स्थिति भी एक वेतनभोगी वर्ग के रूप में उभर कर आई।
मजदूर वर्ग- आधुनिक शहरों में जहां एक और पूंजीपति वर्ग का अभ्युदय हुआ तो दूसरी और शहरों में श्रमिक व मजदूर वर्ग का भी उदय हुआ। सामंती व्यवस्था के अनुरूप विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग के द्वारा सर्वहारा वर्ग का शोषण प्रारंभ हुआ जिसके परिणाम स्वरूप शहरों में दो परस्पर विरोधी वर्ग भरकर आए पूरा स्टॉक शहरों में कल कारखानों की स्थापना के कारण कृषक वर्ग के रूप में थे, बेहतर रोजगार के अवसर को देखते हुए भारी संख्या में शहरों की ओर पलायन किए। अतः सारी करण ने इन मजदूरों को रोजगार का अवसर मुहैया कराया जिसके कारण शहरों में मजदूर वर्ग का उदय हुआ।
3. शहरी जीवन में किस प्रकार के सामाजिक बदलाव आए?
उत्तर ⇒ शहरों का सामाजिक जीवन आधुनिकता के साथ अभिन्न रूप से जोड़ा जाता है। वास्तव में यह एक दूसरे की अंतर अभिव्यक्ति है। शहरों को आधुनिक व्यक्ति का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है। सघन जनसंख्या के यह स्थल जहां कुछ मनीषियों के लिए अवसर प्रदान करता है वही यथार्थ में यह अवसर केवल कुछ व्यक्तियों को ही प्राप्त होता है। परंतु इन बाधाओं के बावजूद शहर समूह पहचान के सिद्धांत को आगे बढ़ाते हैं जो कई कारणों से जैसे प्रजाति, धर्म, नृजातीय, जाति प्रदेश तथा शहरी जीवन का पूर्ण प्रतिनिधित्व करते हैं। वास्तव में कम स्थान में अत्यधिक लोगों का जमाव,पहचान को और तीव्र करता है तथा उनमें एक और सह अस्तित्व की भावना उत्पन्न करता है तो दूसरी और प्रतिरोध का भाव। अगर एक और तहसील की भावना है तो दूसरी और पृथक्करण की प्रक्रिया।
शहरों में नए सामाजिक समूह बने। सभी वर्ग के लोग बड़े शहरों की ओर बढ़ने लगे। शहरी सभ्यता ने पुरुषों के साथ महिलाओं में भी व्यक्तिवाद की भावना को उत्पन्न किया एवं परिवार की उपादेयता और स्वरूप को पूरी तरह बदल दिया। जहां परिवारिक संबंध अब तक बहुत मजबूत थे वही यह बंधन ढीले पड़ने लगे। महिलाओं के मताधिकार आंदोलन या अविवाहित महिलाओं के लिए संपत्ति में अधिकार आदि आंदोलनों के माध्यम से महिलाएं लगभग 1870 ईसवी के बाद से राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले पाई। समाज में महिलाओं की स्थिति में भी परिवर्तन आए। आधुनिक काल में महिलाओं ने समानता के लिए संघर्ष किया और समाज को कई रूपों में परिवर्तन करने में सहायता दी । पर ऐतिहासिक परिस्थितियां महिलाओं के संघर्ष के लिए कहीं सहायक सिद्ध हुई तो कहीं बाधक। उदाहरण के लिए द्वितीय विश्व युद्ध के समयपाश्चात्य देशों में महिलाओं ने कारखानों में काम करना प्रारंभ किया। एक दूसरा उदाहरण है जहां महिलाएं अपनी अस्मिता में परिवर्तन लाने में सफल हुई वह क्षेत्र था उपभोक्ता विज्ञापन। विज्ञापनों ने उपभोक्ता के रूप में महिलाओं को संवेदनशील बनाया। शहरी जीवन में समाज में नए-नए वर्गों का उदय हुआ। व्यवसाई वर्ग, मध्यमवर्ग, पूंजीपति वर्ग तथा श्रमिक वर्ग।
4. शहरों के विकास की पृष्ठभूमि एवं उसकी प्रक्रिया पर प्रकाश डालें।
उत्तर ⇒ शहरीकरण का अर्थ है किसी गांव के शहर या कस्बे के रूप में विकसित होने की प्रक्रिया। शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, रोजगार आदि सुविधाएं शहरों में उन्नत अवस्था में होती है। गांव से शहरों का विकास एक वृहद प्रक्रिया है जो कई शताब्दियों पर फैली है। समाज शास्त्र के अनुसार नगरीय जीवन पर आधुनिकता एक दूसरे के पूरक हैं और शहर को आधुनिक व्यक्ति का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है। हर व्यक्ति को संतुष्ट करने के लिए अंतहीन संभावनाएं प्रदान करता है। आधुनिक काल से पूर्व व्यापार एवं धर्म शहरों की स्थापना के महत्वपूर्ण आधार थे, ऐसे निवेश क्षेत्र जो मुख्य व्यापार मार्ग अथवा पतन और बंदरगाहों के किनारे बसे थे। कुछ एक क्षेत्र के धार्मिक स्थल के रूप में भारी संख्या में भक्तों को आकर्षित करते थे तथा यह धार्मिक स्थल नगर अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ भी करते थे ।
मध्यकालीन सामंती सामाजिक संरचना एवं मध्यकालीन जीवन मूल्य तेरहवीं शताब्दी तक अपने शिखर पर थे। नए प्रतिरोध के पश्चात भैया व्यवस्था लगभग 16 मी शताब्दी तक बनी रही। इस व्यवस्था ने नई एवं शक्तियों को जो इसे परिवर्तन करना चाहती थी यथासंभव नियंत्रित रखा, रोका और अपने में समाहित किया। अंततः,एक नई सामाजिक एवं राजनीतिक संरचना विकसित हुई जो अपनी राजनीतिक एवं आर्थिक अवधारणाओं को स्वीकार करती थी जो अधिक लौकिक थी एवं जिज्ञासु प्रवृत्ति से प्रेरित थी।
इसी पृष्ठभूमि में शहरी जीवन का पुनः उदय हुआ। कालांतर में ऐसे शहरों का विस्तार हुआ जिसमें मध्य पर्वतों का निर्माण हुआ। यह शहर तथा इनके व्यस्त उद्यमी नागरिक भविष्य की दृष्टिगोचर एवं अग्रदूत थे। यह शहर नए राजमार्गों से जोड़े गए तथा इनके बीच सड़क एवं जल मार्गों द्वारा व्यापार होने लगा। शहरीकरण की प्रक्रिया बहुत लंबी रही है लेकिन आधुनिक शहर के उदय का इतिहास 200 वर्ष पुराना है। तीन ऐतिहासिक प्रक्रियाओं ने आधुनिक शहरों की स्थापना में निर्णायक भूमिका निभाई। पहला, औद्योगिक पूंजीवाद का उदय, दूसरा विश्व के विशाल भू-भाग पर औपनिवेशिक शासन की स्थापना और तीसरा एक प्रगतिशील शहरी व्यवस्था की ओर बढ़ने की प्रवृत्ति बढ़ी। औद्योगिकरण ने भी इस शहरीकरण के स्वरूप को काफी प्रभावित किया।
Class 10th History Subjective Question In Hindi
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