10th History Subjective Question Bihar Board :- दोस्तों यदि आप Bihar Board 10th Social Science Subjective Questions की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको 10th History ( यूरोप में राष्ट्रवाद सब्जेक्टिव प्रश्न ) Question दिया गया है जो आपके 10th History Subjective Question Board Exam के लिए काफी महत्वपूर्ण है | BSEB 10th & 12th App
Class 10th History Subjective Question
1. वियना कांग्रेस की दो उपलब्धियां बताएं ।
उत्तर ⇒ वियना कांग्रेस की उपलब्धियां इस प्रकार है-
( 1 ) ऐश्वर्या के बीएनआर नगर में नेपोलियन को पराजित करने वाले प्रमुख राष्ट्रों-ब्रिटेन , रूस , प्रशा और ऑस्ट्रिया के प्रतिनिधियों का सम्मेलन 1815 ईसवी में किया गया। इसे वियना कांग्रेस सम्मेलन कहां गया।
( 2 ) वियना कांग्रेस सम्मेलन में नेपोलियन द्वारा पराजित राजवंशों की पुनर्स्थापना का प्रयास किया गया। फ्रांस और स्पेन में बुर्बो वंश का राज्य में स्थापित हुआ।
2 . यूरोपीय इतिहास में ‘ घेटो ’ का क्या महत्व है ?
उत्तर ⇒ यह शब्द मध्य यूरोपीय देशों में यहूदी बस्ती के लिए प्रयोग किया जाता था। आज की भाषा में यह एक धर्म , प्रजाति या समान पहचान वाले लोगों को दर्शाती है। घेट्टो करण मिश्रित व्यवस्था के स्थान पर एक सामुदायिक व्यवस्था थी ; जो सामुदायिक दंगों को देसी रूप देते थे।
3. मेजिनी कौन था?
उत्तर ⇒ मैजिनी इटली के राष्ट्र वादियों के गुप्त दल कार्बोनरी का सदस्य था। वह सेनापति होने के साथ-साथ , जनतांत्रिक विचारों का समर्थक साहित्यकार भी था। 1830 ईस्वी में नागरिक आंदोलनों द्वारा मैजिनी ने उत्तरी और मध्य इटली में एकीकृत गणराज्य स्थापित करने का प्रयास किया। इसमें असफल रहने पर उसे इटली से पलायन करना पड़ा। 1848 इसवी में मेटरनिख के पराजय के बाद मैजिनी ने पुनः इटली आकर इटली के एकीकरण का प्रयास किया। इस बार भी वह असफल रहा और उसे पलायन करना पड़ा।
4. गैरीबाल्डी के कार्यो की चर्चा करें।
उत्तर ⇒ इतिहास गैरीबाल्डी को इटली के एकीकरण के क्रम में दक्षिणी इटली के रियासतों का एकीकरण करने हेतु याद करता है। प्रारंभ में वह मैजिनी के विचारों का समर्थक था, किंतु बाद में कबूतर से प्रभावित हो संवैधानिक राजतंत्र का पक्षधर बन गया। गैरीबाल्डी पेशे से नाविक था। उसने कर्मचारियों तथा स्वयं सेवकों की सशस्त्र सेना का गठन कर इटली के प्रांत सिसली तथा नेपल्स पर आक्रमण कर विजय प्राप्त कर ली। गैरीबाल्डी ने यहां विक्टर मैनुअल के प्रतिनिधि के रूप में सत्ता संभाली। तत्पश्चात गैरीबाल्डी विक्टर मैनुअल से मिला और दक्षिणी इटली के जीते गए संपूर्ण क्षेत्र एवं संपत्ति उसे सौंप दी। गैरीबाल्डी ने विक्टर इमैनुएल द्वारा दक्षिण क्षेत्र के शासक बनने के निमंत्रण को ठुकरा दिया और कृषि कार्य करना स्वीकार किया।
5. यूरोप में राष्ट्रवाद के फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तरह सहायक हुआ? अथवा ’ यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में नेपोलियन बोनापार्ट की क्या भूमिका थी ?
उत्तर ⇒ यूरोप में राष्ट्रवाद फैलाने में नेपोलियन की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उसने इटली और जर्मनी के राज्यों को भौगोलिक नाम की परिधि से बाहर कर उसे वास्तविक तथा राजनैतिक रूपरेखा प्रदान की जिससे इनके एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। नेपोलियन के प्रभुता तथा उत्कर्ष से अन्य राज्य अपनी अपनी रक्षा का पूर्ण प्रबंध करने लगे इससे उनमें आपसी एकता और राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। नेपोलियन के नेतृत्व में इटली के विभिन्न भागों में एकत्रित सेन में परस्पर प्रेम एवं सहानुभूति की भावना जगी। इटली में नेपोलियन के संगठित शासन से प्रगति हुई। इटली विभिन्न राज्यों में बटा एक राष्ट्र के रूप में महसूस किया गया। नेपोलियन ने जर्मनी के 300 से अधिक स्वतंत्र राज्यों के स्थान पर 39 राज्यों का संघ बनाकर जर्मनी की जनता में राष्ट्रवाद का भाव भरा। इस प्रकार नेपोलियन के कार्य यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में सहायक रहे।
6. जर्मनी के एकीकरण की बाधाएं क्या थी?
उत्तर ⇒ जर्मनी के एकीकरण में निम्नलिखित प्रमुख बाधाएं थी
A. लगभग 300 छोटे बड़े राज्य,
B. इन राज्यों में व्याप्त राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक विशेषताएं,
C. राष्ट्रवाद की भावना का अभाव,
D. ऑस्ट्रिया का हस्तक्षेप तथा
E. मेटरनिख की प्रतिक्रियावादी नीति।
10th History Subjective Question Social Science
7. इटली , जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की भूमिका क्या थी ?
उत्तर ⇒ इटली तथा जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया सबसे बड़ी बाधा थी। एकीकरण के पीछे मूलतः राष्ट्रवादी भावना थी और ऑस्ट्रिया का चांसलर ‘मेटरनिख’ और प्रतिक्रियावादी था ।उसने इटली तथा जर्मनी में एकीकरण हेतु होने वाले सभी आंदोलनों अथवा प्रयासों को दबाया। मेटरनिख की दमनकारी नीति के प्रतिक्रिया स्वरूप इटली तथा जर्मनी की जनता में राष्ट्रवाद की भावना बढ़ती गई।
ऑस्ट्रेलिया में मेटरनिख के पतन के बाद इटली तथा जर्मनी के लोगों ने एकीकरण के मार्ग का सबसे बड़ा बाधा समाप्त हुआ देख पुनः भारी उत्साह के साथ एकीकरण का प्रयास किया और अंततः सफलता पाई।
8. विलियम – प्रथम के बगैर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असंभव था। कैसे?
उत्तर ⇒ विलियम प्रथम का यह दृढ़ विश्वास था कि प्रशा के सुदृढ़ राजतंत्र के नेतृत्व में ही जर्मनी का एकीकरण संभव है। विलियम – प्रथम राष्ट्रवादी विचारधारा का था। उसके द्वारा जर्मनी में औद्योगिक क्रांति में तेजी लाने एवं आधारभूत संरचनाओं को सुदृढ़ करने के फलस्वरूप जर्मन राज्य एकता के सूत्र में बंधते गए। जर्मनी के एकीकरण के मार्ग में बाधक बन ऑस्ट्रिया से मुकाबला हेतु सुदर्शन शक्ति की आवश्यकता थी, जिसके लिए विलियम – प्रथम हमेशा तत्पर रहा। विलियम प्रथम ने एकीकरण के उद्देश्य को ध्यान में रखकर अपने प्रशासन हेतु योग्य व्यक्तियों का चयन किया था। इसी क्रम में उसने महान कूटनीतिज्ञ बिस्मार्क को अपना चांसलर नियुक्त किया।
विलियम प्रथम ही वह व्यक्ति था जिसने बिस्मार्क को जर्मनी के एकीकरण जैसा महत्वपूर्ण कार्य करने का अवसर प्रदान किया तथा हर कदम पर उसने समर्थन भी दिया। अन्यथा बिस्मार्क के लिए यह उपलब्धि हासिल कर पाना असंभव था।
9. 1848 ईस्वी के फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे? अथवा, 1848 की फ्रांसीसी क्रांति के मुख्य तीन कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर ⇒ फ्रांस में जुलाई, 1830 ईसवी की क्रांति के पश्चात ऑरलियंस वंश के लुइस फिलिप ने उदार- वादियों, पत्रकारों तथा पेरिस की जनता के समर्थन से सत्ता प्राप्त की। राजा बनने के बाद लुई फिलिप ने मताधिकार को मध्यम वर्ग तक तो पहुंचा दिया किंतु साधारण जनता को कोई लाभ नहीं मिला।
लुइस फिलिप समाज के विभिन्न वर्ग-समाजवादियों, गणतंत्रवादियों, निरंकुशवादियों आदि सभी को संतुष्ट करने की कोशिश में किसी को भी संतुष्ट नहीं कर सका। यद्यपि लुइस फिलिप की नीतियां उदारवाद की ओर अग्रसर थी, किंतु वह स्वयं ऐसा नहीं था। उसने समाजवादियों के खिलाफ पूंजी पतियों का पक्ष लिया। गणतंत्र वाद के प्रति उसकी प्रतिक्रियावादी नीति तथा दमनात्मक कार्यों ने 1848 ईसवी की क्रांति को जन्म दिया।
10. राष्ट्रवाद क्या है?
उत्तर ⇒ राष्ट्रवाद किसी विशेष भौगोलिक,सांस्कृतिक व सामाजिक परिवेश में रहने वाले लोगों के बीच व्याप्त एक भावना है जो उनमें परस्पर प्रेम और एकता को स्थापित करती है। यह भावना आधुनिक विश्व में राजनीतिक पुनर्जागरण का परिणाम है।
11. मेटरनिख युग क्या है?
उत्तर ⇒ भोजपुरिया के चांसलर के रूप में मेटरनिख नहीं है 1815 ईस्वी से 1848 की तक शासन किया।शासनकाल के दौरान उसने यूरोप की राजनीति में इतनी प्रमुख भूमिका निभाई की इस कालावधी को मेटरनिख युग कहा जाता है।
12. फ्रांस की जुलाई 1830 की क्रांति का फ्रांस की शासन व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर ⇒ A. चार्ल्स दशम के प्रतिक्रियावादी पाठक का अंत हो गया।
B. बूर्बो वंश के स्थान पर अर्लेयांस वंश को सत्ता सौंपी गई।
C.इस वंश के शासक ने उदार वादियों तथा पत्रकारों के समर्थन से सत्ता हासिल की । अतः उन्हें तरजीह दी।
10th History Subjective Question Chapter 1
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
13. जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ जर्मनी के एकीकरण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका बिस्मार्क की रहे उसने सुधार एवं कूटनीति के अंतर्गत जर्मनी के क्षेत्रों का प्रशाकरण अथवा प्रशा का एकीकरण करने का प्रयास किया। वह प्रशा का चांसलर था।वह मुख्य रूप से युद्ध के माध्यम से एकीकरण में विश्वास रखता था। इसके लिए उसने रक्त और लौह की नीति का पालन किया। इस नीति से तात्पर्य था कि सैन्य उपायों द्वारा जर्मनी का एकीकरण करना। उसने जर्मनी में अनिवार्य सैनिक सेवा लागू कर दी।
जर्मनी के एकीकरण के लिए बिस्मार्क के तीन उद्देश्य थे –
A. पहला उद्देश्य प्रशा को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाकर उसके नेतृत्व में जर्मनी के एकीकरण को पूरा करना।
B. दूसरा उद्देश्य ऑस्ट्रिया को प्राप्त कर उसे जर्मन परिसंघ के बाहर निकालना था।
C. तीसरा उदय से जर्मनी को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाना था। सर्वप्रथम उसने फ्रांस एवं ऑस्ट्रिया से संधि कर डेनमार्क पर अंकुश लगाया। बिस्मार्क ने ऑस्ट्रिया के साथ मिलकर 1864 शलेस्विंग और हलस्टाइन राज्यों के मुद्दे लेकर डेनमार्क पर आक्रमण कर दिया। जीत के बाद शलेस्विंग प्रशा के तथा हलस्टाइन ऑस्ट्रिया के अधीन हो गया। डेनमार्क को पराजित करने के बाद उसका मुख्य शत्रु ऑस्ट्रिया था। बिस्मार्क ने यहां भी कूटनीति के अंतर्गत फ्रांस से संधि कर 1866 मेंसेडोवा का युद्ध में ऑस्ट्रिया को पराजित किया और पोप के अधिकार वाले सारे क्षेत्र को जर्मनी में मिला लिया। अंततः, 1870 में सेडान के युद्ध में फ्रांस को पराजित कर फ्रैंकफर्ट की संधि की गई और फ्रांस की अधीनता वाले सारे राज्यों को जर्मनी में मिलाकर जर्मनी का एकीकरण पूरा हुआ।
14. यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर ⇒ यूनान में राष्ट्रीयता का उदय-यूनान का अपना Gaurav में अतीत रहा है जिसके कारण उसे पाश्चात्य राष्ट्रों का मुख्य स्रोत माना जाता था। यूनानी सभ्यता की साहित्यिक प्रगति, विचार, दर्शन, कला, चिकित्सा,विज्ञान आदि क्षेत्रों में उपलब्धियां पाश्चात्य देशों के लिए प्रेरणा स्रोत थी । पुनर्जागरण काल से ही पाश्चात्य देशों ने यूनान से प्रेरणा लेकर काफी विकास किया था, परंतु इसके बावजूद यूनान अभी भी तुर्की साम्राज्य के अधीन था। फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित होकर यूनानीयों में राष्ट्रवाद की भावना का विकास हुआ। धर्म, जाति और संस्कृति के आधार पर यूनानीयों की एक पहचान थी, फलत: यूनान में तुर्की शासन से अपने को अलग करने के लिए कई आंदोलन चलाए जाने लगे। इसके लिए वहां हितेरिया फिलाइक नामक संस्था की स्थापना ओडिशा नामक स्थान पर की गई। यूनान की स्वतंत्रता का सम्मान समस्त यूरोप के नागरिक करते थे। इंग्लैंड का महान कवि लॉर्ड बायरन यूनानीयों की स्वतंत्रता के लिए यूनान में ही शहीद हो गया। इस घटना से संपूर्ण यूरोप की सहानुभूति यूनान के प्रति बढ़ चुकी थी। रूस जैसा साम्राज्यवादी राष्ट्र भी यूनान की स्वतंत्रता का समर्थक था। रूस तथा यूनान के लोग ग्रीक ऑर्थोडॉक्स चर्च के सामने वाले थे।
15. इटली के एकीकरण में मेजिनी , काबुर और गैरीबाल्डी के योगदान को बताएं?
उत्तर ⇒ मैजिनी-मैजिनी साहित्यकार, गणतांत्रिक विचारों का समर्थक और योग्य सेनापति था। 1820 ईसवी में राष्ट्रवादीओ ने एक गुप्त दल कार्बोनरी की स्थापना की थी जिसका उद्देश्य छापामार युद्ध द्वारा राजतंत्र को समाप्त कर गणराज्य की स्थापना करना था। कार्बोनरी के असफल होने पर मैजिनी ने अनुभव किया कि इटली का एकीकरण कार्बोनरी की योजना के अनुसार नहीं हो सकता है। 1831 में उसने युवा इटली नामक संस्था की स्थापना की जिसने नवीन इटली के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। युवा शक्ति में मेजिनी का अटूट विश्वास था। युवा इटली संस्था का मुख्य उद्देश्य इटली की एकता एवं स्वतंत्रता की प्राप्ति तथा स्वतंत्रता, समानता और जनकल्याण के सिद्धांत पर आधारित राज्य की स्थापना करना।
मैजिनी के दिमाग में संयुक्त इटली का स्वरूप जितना स्पष्ट और निश्चित था उतना किसी अन्य के दिमाग में नहीं था। मेजोनी संपूर्ण इटली का एकीकरण कर उसे गणराज्य बनाना चाहता था जबकि सारडिनिया पिडमोंट का शासक चार्ल्स अल्बर्ट उसके नेतृत्व में सभी प्रांतों का विलय करना चाहता था। इसके अलावे पोप भी इटली को धर्म राज्य बनाने का पक्षधर था। विचारों की टकराहट के कारण इटली के एकीकरण का मार्ग अवरुद्ध हो गया था। कालांतर में ऑस्ट्रिया ने इटली के कुछ भागों पर आक्रमण किया जिसमें सरविनिया का शासक चार्ल्स अल्बर्ट पराजित हुआ। ऑस्ट्रिया ने इटली में जनवादी आंदोलन को कुचल दिया कोमा मैजिनी की पुनः हार हुई और वह इटली से पलायन कर गया। काउंट कावूर- कावुर एक सफल कूटनीतिज्ञ एवं राष्ट्रवादी था। वास्तव में काबुर के बिना मैजिनी का आदर्शवाद और गैरीबाल्डी की वीरता निरर्थक होती। कावूर ने इन दोनों के विचारों में सामंजस्य स्थापित किया। कावूर जानता था कि –
A. इटली का एकीकरण सर्डिनिया पिदमोंत के नेतृत्व में ही संभव हो सकता है।
B.एकीकरण के लिए आवश्यक है कि इटली के राज्यों को आस्ट्रिया से मुक्त कराया जाए।
C. ऑस्ट्रिया से मुक्ति बिना विदेशी सहायता के संभव नहीं थी।
अतः,आस्ट्रेलिया को पराजित करने के लिए काबुर ने फ्रांस से मित्रता कर ली। 1853-54 ईसवी केक्रीमिया युद्ध में फ्रांस को मदद किया जिसका प्रत्यक्ष लाभ युद्ध के बाद पेरिस के शांति सम्मेलन में मिला था। इस सम्मेलन में फ्रांस और ऑस्ट्रिया के साथ पीडमांउट को भी बुलाया गया। का यह काबुर की सफल कूटनीति का परिणाम था। इटली में अररिया के हस्तक्षेप को गैरकानूनी घोषित किया। काबुर ने इटली के समस्या को पूरे यूरोप की समस्या बना दिया।
काबुल ने फ्रांस के शासक नेपोलियन-3 के साथ एक संधिकी जिसमें यह तय किया गया कि-
A. फ्रांस ऑस्ट्रिया के खिलाफ पिड़माउंट को सैन्य समर्थन देगा तथा इटली के प्रांत नीच और सेवाएं प्रांत को प्राप्त होगा तथा
B.फ्रांस ने काबुर को यदि आश्वासन दिलाया कि यदि उत्तर और मध्य इटली के राज्यों में जनमत संग्रह के आधार पर पीडमाउंट से मिलाया जाता है तो प्रांत इसका विरोध नहीं करेगा।
काबुर के इस कार्य की बहुत आलोचना हुई,लेकिन यदि 2 प्रांतों को खोकर भी उत्तरी और मध्य इटली का एकीकरण हो जाता तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी। 1859-60 में मैं ऑस्ट्रिया और पिडमाउंट मैं सीमा संबंधी विवाद के कारण युद्ध शुरू हो गया। इटली ने फ्रांसीसी सेना के समर्थन से ऑस्ट्रिया को पराजित किया। ऑस्ट्रिया के अधीन लोंबारडी पर पीडमाउंट का अधिकार हो गया। नेपोलियन 3 इटालियन राष्ट्रवाद से घबराने लगा, अतः वेनेशिया पर विजय प्राप्त करने के बाद नेपोलियन ने अपनी सेना वापस बुला ली।
युद्ध से अलग होने के कारण नेपोलियन 3 में ऑस्ट्रिया और पीडमाउंट के बीचमध्यस्थता कराई जो विलफ्रैंका की संधि के नाम से जाना जाता है। इस संधि के अनुसार लोंबारडी पर पिडमांउट का तथा वेनेशिया पर ऑस्ट्रिया का अधिकार माना गया। लंबाडी पर अधिकार हो जाने के बाद का कबुर का उद्देश्य मत एवं उत्तरी इटली का एकीकरण करना था। मध्य एवं उत्तरी प्रांतों की जनता पिडमांउट के साथ थी, इसलिए काबुर ने इन प्रांतों में जनमत संग्रह करा कर उसे पीडमाउंट के साथ मिला लिया। इस प्रकार 1860-61 तक काबुर में सिर्फ रोम को छोड़कर उत्तर तथा मध्य प्रांतों(पारमा, मोडेना, टस्कनी, पिया केंजा, बोलोगना आदि) का एकीकरण हो चुका था तथा इसका शासक विक्टर मैनुअल को माना गया।
गैरीबाल्डी-गैरीबाल्डी ने सशस्त्र क्रांति के द्वारा दक्षिणी इटली के प्रांतों का एकीकरण कर वहां गणतंत्र की स्थापना करने का प्रयास किया। गैरीबाल्डी सिसली और नेपल्स पर आक्रमण किया। इन प्रांतों की अधिकांश जनता बुर्गो राजवंश के निरंकुश शासन से तंग होकर गैरीबाल्डी का समर्थन बन गई थी। गैरीबाल्डी ने यहां विक्टर मैनुअल के प्रतिनिधि के रूप में सत्ता संभाली गैरीबाल्डी के दक्षिण अभियान का का बुर ने भी समर्थन किया।
1862 ई ० मैं गैरीबाल्डी ने रोम पर आक्रमण की योजना बनाई । काबुर ने गैरीबाल्दी ईस अभियान का विरोध करते हुए रोम की रक्षा के लिए पीडमाउंट की सेना भेज दी। अभियान के बीच में ही गैरीबाल्डी की काबुर से भेंट हो गई तथा रोम अभियान वहीं पर खत्म हो गया। दक्षिणी इटली के जीते गए क्षेत्रों को गैरीबाल्डी ने विक्टर मैनुअल को सौंप दिया।
इस प्रकार , शेष जर्मनी का एकीकरण 1871 में विक्टर इमैनुएल द्वितीय के नेतृत्व में पूरा हुआ।
Matric Pariksha Social Science Subjective Question
16. जुलाई 1830 की क्रांति का विवरण दें।
उत्तर ⇒ फ्रांस के शासक चार्ल्स-X एक निरंकुश एवं प्रतिक्रियावादी शासक था। इसके काल में इसका प्रधानमंत्री पोलिग्नेक ने लूई 18वें द्वारा स्थापित समान नागरिक संहिता के अस्थान पर शक्तिशाली अभिजात्य वर्ग की स्थापना की तथा इस वर्ग को विशेषाधिकार प्रदान किया। उसके इस कदम ने उदार वादियों एवं प्रतिनिधि सदन ने पॉलीगेनिक का विरोध किया। चार्ल्स-X ने 25 जुलाई, 1830 ई ० को चार अध्याय देशों द्वारा उदारवादियों को दबाने का प्रयास किया। इस अध्यादेश के खिलाफ पेरिस में क्रांति की लहर दौड़ गई तथा फ्रांस में गृह युद्ध आरंभ हो गया। इसे ही जुलाई, 1830 की क्रांति कहते हैं। परिणाम स्वरूप, चार्ल्स-X फ्रांस की गद्दी को छोड़कर इंग्लैंड पलायन कर गया तथा इसी के साथ फ्रांस में बुरवो वंश के शासन का अंत हो गया।
जुलाई,1830 की क्रांति के परिणाम स्वरुप फ्रांस में बर्बो वंश की स्थापना पर अर्लेयेंस वंश गद्दी पर आया।अर्लेयेंस वंश के शासक लुइस फिलिप उदार वादियों,पत्रकारों तथा पेरिस की जनता के समर्थन से सत्ता प्राप्त की थी, अतः उसकी नीतियां उदार वादियों के समर्थन में संवैधानिक गणतंत्र की स्थापना करती थी।
10th History Subjective Question BSEB
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