Matric Exam History Subjective Question Answer :- दोस्तों यदि आप 10th Social Science Subjective Question Answer की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको 10th History ( अर्थव्यवस्था और आजीविका ) Subjective Question दिया गया है जो आपके Class 10th Ka Social Science VVI Subjective Question के लिए काफी महत्वपूर्ण है | BSEB 10th & 12th App
1. औद्योगिकीकरण ने मजदूरों की आजीविका को किस तरह प्रभावित किया?
उत्तर ⇒ औद्योगिकीकरण के कारण घरेलू उद्योगों के मालिक और मजदूर बन गए। इनकी आजीविका उद्योगपतियों के द्वारा दिए गए वेतन पर निर्भर थी। उस समय इंग्लैंड में कानून मिल मालिकों के समर्थन में था। औरतों एवं बच्चों से 16 से 18 घंटे तक काम लिया जाता था। मशीनों एवं यंत्रों के सामने घरेलू हस्तनिर्मित उद्योगों का विकास संभव नहीं था। इन्हीं कारखानों ने उन्हें बेरोजगार बना दिया था। फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर का जीवन कस्टमर था। औद्योगिकीकरण ने मजदूरों की आजीविका के साधनों को समाप्त कर दिया था। यह दैनिक उपभोग की वस्तुओं को भी खरीदने की स्थिति में नहीं थे।
10th class history subjective question answer
2. औद्योगिकीकरण से आप क्या समझते हैं? अथवा, औद्योगिक क्रांति क्या है?
उत्तर ⇒ औद्योगिकीकरण औद्योगिक क्रांति की देन है,जिसे वस्तुओं का उत्पादन मशीनों के द्वारा होता है। इसमें उत्पादन वृहद पैमाने पर होता है और उत्पादन की खबर के लिए बड़े बाजारों की आवश्यकता होती है। औद्योगिकीकरण नए-नए मशीनों का आविष्कार एवं तकनीकी विकास पर निर्भर करता है। औद्योगिकीकरण के प्रेरक तत्व के रूप में मशीनों के अलावा पूंजी निवेश एवं श्रम का भी महत्वपूर्ण स्थान है। अतः,औद्योगिकीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें उत्पादन मशीनों के द्वारा कारखानों में होता है। इस प्रक्रिया में घरेलू उत्पादन पद्धति का स्थान कारखाना पद्धति ले लेता है।
3. घरेलू और कुटीर उद्योगों को परिभाषित करें।
उत्तर ⇒ लघु उद्योग- वैसे उद्योग जो छोटे पैमाने पर किया जाता है। जो स्वयं एवं कुछ लोग मिलकर चलाते हैं उसे लघु उद्योग करते हैं। लघु उद्योग देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। देश की औद्योगिक उत्पादन में इसका अंशदान 35% है। देश के निर्यात में 40% का योगदान है।
कुटीर उद्योग- कुटीर उद्योग का अर्थ ऐसे उद्योग से है जिनका स्वतंत्र कारीगर स्वयं एवं परिवार की सहायता से अपनी पूंजी एवं साधारण हजारों से छोटे पैमाने पर चलाता है उसे कुटीर उद्योग करते हैं।
4.प्रथम विश्व युद्ध से पहले यूरोपीय तथा भारतीय उद्योगों की वित्तीय व्यवस्था ने किस प्रकार सहायता की?
उत्तर ⇒ प्रथम विश्वयुद्ध पहले यूरोप की बड़ी कंपनियों, जैसे बर्ड हिग्लर्स एंड कंपनी, एंड्रयू यूल और जॉर्डन स्किन एंड कंपनी व्यापार में पूंजी लगा दी थी। यह प्रबंधकीय एजेंसियों के द्वारा होता था, जो उद्योगों पर नियंत्रण भी रखती है। यद्यपि भारत में 1895 में पंजाब नेशनल बैंक, 1906 में बैंक ऑफ इंडिया, 1907 में इंडियन बैंक, 1911 में सेंट्रल बैंक,1913 में द बैंक ऑफ मैसूर एंड ज्वाइंट स्टॉक बैंकों की स्थापना हुई। यह बैंक भारतीय उद्योगों के विकास में सहायक थे।
5. न्यूनतम मजदूरी कानून कब पारित हुआ और इसके क्या उद्देश्य थे?
उत्तर ⇒ 1948 ईस्वी में न्यूनतम मजदूर कानून पारित हुआ जिसमें कुछ उद्योगों में मजदूरी की दरें तय की गई। पहली पंचवर्षीय योजना में न्यूनतम मजदूरी कानून को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया। द्वितीय पंचवर्षीय योजना में यह कहा गया कि न्यूनतम मजदूरी ऐसी होनी चाहिए कि जिससे मजदूरों की स्थिति उनके अपने गुजर-बसर का स्तर से अधिक हो। तीसरी पंचवर्षीय योजना में मजदूरी बोर्ड की स्थापना हुई तथा बोनस देने के लिए बोनस आयोग की नियुक्ति की गई।
6. कोयला एवं लौह उद्योग ने किस प्रकार औद्योगिकीकरण को गति प्रदान की?
उत्तर ⇒ ब्रिटेन में कोयले एवं लोहे की खाने थी। वस्त्र उद्योग की प्रगति कोयले एवं लोहे के उद्योग पर निर्भर कर रही थी। बांस के इंजन बनाने के बाद रेलवे इंजन बनाने लगे जो कारखाना के लिए कच्चा माल लाने तथा तैयार माल ले जाने में सहायक सिद्ध हुआ। 1815 ईसवी में हमफ्री डेवी ने खानों में काम करने के लिए सेफ्टी लैंप का आविष्कार किया। 1815 ईसवी में हेनरी वसेमर लोहा को गलाने की भट्टी का आविष्कार किया। नई नई मशीनों को बनाने के लिए लोहे की आवश्यकता बढ़ती गई। नवीन अविष्कारों के कारण लोहे का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा जिससे आने वाले युवकों इस्पात युग भी कहा गया। इस प्रकार कोयला एवं लघु उद्योग उद्योगकीकरण को गति प्रदान की।
7. गुमास्ता कौन थे?
उत्तर ⇒ अंग्रेज व्यापारी एजेंट की मदद से भारतीय कारीगरों को पैसे की की रकम देकर उनसे उत्पादन करवाते थे। यही एजेंट गुमास्ता कहलाते थे।
8. बड़ाबंदीअधिनियम क्या है?
उत्तर ⇒ ब्रिटेन में बाराबंदी अधिनियम 1792 इस विषय लागू हुआ। बाराबंकी प्रथा के कारण जमींदारों ने छोटे-छोटे खेतों को खरीद कर बड़े-बड़े फार्मा स्थापित किए। इसके कारण छोटे किसान भूमिहीन मजदूर बन गए।
9. औद्योगिकीकरण के क्या कारण थे?
उत्तर ⇒ आवश्यकता आविष्कार की जननी, नई नई मशीनों का आविष्कार, कोयले एवं लोहे की प्रचुरता, फैक्ट्री प्रणाली की शुरुआत, सस्ते श्रम की उपलब्धता, यातायात की सुविधा तथा उपनिवेश स्थापित करने की होड़ औद्योगिकीकरण के कारण थे।
10. 1813 का चार्टर एक्ट क्या था?
उत्तर ⇒ 1813 ईसवी का चार्टर एक्ट ब्रिटिश संसद द्वारा पारित अधिनियम था जिसमें व्यापार पर से ईस्ट इंडिया कंपनी का एक आधीपत्ते समाप्त कर दिया गया तथा एक आधिपत्य के स्थान पर मुक्त व्यापार की नीति का अनुसरण किया गया।
11. विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का भारतीय उद्योग पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर ⇒ 1929-33 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का भारतीय उद्योगों पर गहरा प्रभाव पड़ा। Bharat प्राथमिक सामग्री के लिए आत्मनिर्भर था, जिसका मूल्य घटकर आधा हो गया था। निर्यात किए गए सामानों का भी मूल्य घट गया था। इस तरह उद्योग पर निर्भर जनता की दिनोंदिन क्षति होने लगी।
Matric Exam History Subjective Ka Question
12. द्वितीय विश्व युद्ध के समय भारतीय उद्योगों की क्या स्थिति थी?
उत्तर ⇒ द्वितीय विश्व युद्ध के समय मिलों द्वारा उत्पादित सूती कपड़ों की संपूर्ण मांग भारतीय मिले ही पूरा कर रही थी। भारतीय मिल मालिकों ने इस अवसर का लाभ उठाया और विदेशी बाजारों में प्रवेश करना शुरू कर दिया। युद्ध के समय भारत का अपनी कोई इंजीनियरिंग उद्योग नहीं था और ना ही मशीनों या यंत्रों के निर्माण करने का उद्योग था। केवल में उद्योग स्थापित हो सके जो ब्रिटेन या अमेरिका में बनाई जाने वाली मशीनों का गठन करते थे।
13. यातायात की सुविधा ने औद्योगिकीकरण की गति को किस प्रकार तीव्र किया?
उत्तर ⇒ यातायात की सुविधा ने फैक्ट्री से उत्पादित वस्तुओं को एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाने तथा कच्चा माल को फैक्ट्री तक लाने में सहायता की। रेल मार्ग शुरू होने से पहले नदियों एवं समुद्र के रास्ते व्यापार होता था। जहाजों के द्वारा माल को तटों पर पहुंचाया जाता था । रेल के विकास में औद्योगिकीकरण की गति को तीव्र कर दिया। रेलों द्वारा कोयला, लौह एवं अन्य योगिक उत्पादन ओं को कम समय में और कम खर्च पर ले जाना संभव हुआ। अतः यातायात कि इन सुविधाओं ने औद्योगिकीकरण की गति को तीव्र कर दिया।
14. बुर्जुआ वर्ग की उत्पत्ति कैसे हुई?
उत्तर ⇒ औद्योगिकीकरण के परिणाम स्वरुप ही बुर्जुआ वर्ग की उत्पत्ति हुई। इसे ही मध्यमवर्ग कहा जाता है जिसने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में अंग्रेजों की शोषण मूलक नीति के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाई ।
15. उद्योगों के विकास में किस प्रकार मजदूरों को प्रभावित किया? उन पर पड़ने वाले प्रभावों पर आपकी क्या राय है?
उत्तर ⇒ उद्योगों के विकास ने सामाजिक भेदभाव में वृद्धि की। समाज में पूंजीपति वर्ग, बुर्जुआ वर्ग और श्रमिक वर्ग का उदय हुआ। उद्योगों के विकास के फलस्वरूप पूंजीपति वर्ग ने उत्पादन एवं वितरण पर अधिकार कर श्रमिकों का शोषण भी किया, जिससे वर्ग संघर्ष की शुरुआत हुई।
16. 1881 के प्रथम कारखाना अधिनियम का परिचय दें।
उत्तर ⇒ 1881 में पहला फैक्ट्री एक्ट पारित हुआ। इसके द्वारा 7 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखाना में काम करने पर प्रतिबंध लगाया,12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के काम के घंटे तय किए गए तथा महिलाओं के भी काम के घंटे में मजदूरी तय की गई।
17. फैक्ट्री प्रणाली के विकास के लिए उत्तरदाई किन्हीं दो कारणों का उल्लेख करें। अथवा, फैक्ट्रीप्रणाली के विकास के किंही दो कारणों को बताएं।
उत्तर ⇒ औद्योगिकीकरण के कारण फैक्ट्री प्रणाली का विकास हुआ। फैक्ट्री प्रणाली ने उद्योग एवं व्यापार के नए-नए केंद्रों को जन्म दिया। जैसे- लंकाशायर सूती वस्त्र उद्योग केंद्र।
18. 18 वीं सदी में भारत के मुख्य उद्योग कौन-कौन से थे ?
उत्तर ⇒ 18 वीं शताब्दी में वस्त्र, धातु,चीनी तथा चमड़ा आदि भारत के प्रमुख उद्योग के। सूती वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में भारतीय उपमहाद्वीप विश्व का सर्वश्रेष्ठ उत्पादक क्षेत्र था।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न |
1.उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं? औद्योगिकीकरण ने उपनिवेशवाद को जन्म दिया; कैसे?
उत्तर ⇒ उपनिवेशवाद- उपनिवेशवाद एक ऐसा ढांचा है जिसके माध्यम से किसी देश का आर्थिक और उसके परिणाम स्वरूप राजनैतिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक शोषण तथा उत्पीड़न पूरा होता है। उपनिवेशवाद वास्तव में साम्राज्यवाद के फलित फुलित एवं विकसित करने का तरीका है।
औद्योगिक क्रांति से उत्पादन में काफी वृद्धि हुई। इन उत्पादित वस्तुओं की खपत के लिए ब्रिटेन तथा अन्य यूरोपीय देशों को बाजार की आवश्यकता थी। इन्हीं आवश्यकता होने उपनिवेशवाद को जन्म दिया। फलत:,भारत ब्रिटेन का उपनिवेश बना क्योंकि भारत सिर्फ प्राकृतिक एवं कृत्रिम संसाधन संपन्न देश ही नहीं था, बल्कि एक वृहद बाजार के रूप में उपलब्ध था।
18 वीं शताब्दी तथा भारतीय उद्योग विश्व में सबसे अधिक विकसित है। औद्योगिकीकरण के पूर्व भारतीय हस्तकला, सिल्क उद्योग तथा व्यापार पर ब्रिटेन का कब्जा था। अंग्रेज व्यापारी एजेंट की मदद से यहां के कारीगरों की पेशी की रकम देकर उनसे उत्पादन करवाते थे। यह एजेंट ही गुमास्ता कहलाते थे। यह गुमास्ता मनमाने दामों पर सामान खरीद कर उनका निर्यात इंग्लैंड तथा अन्य यूरोपीय देशों में करते थे। इस व्यापार से उन्हें काफी लाभ प्राप्त हुआ। इस प्रकार ईस्ट इंडिया कंपनी का व्यापार पर एक आधिपत्य स्थापित हो चुका था। ब्रिटिश संसद ने एक चार्टर एक्ट पारित किया। ईस्ट इंडिया कंपनी का व्यापार पर एक आधिपत्य समाप्त कर दिया और व्यापार की नीति का अनुसरण किया गया।
मुक्त व्यापार की नीति की वजह से भारत में वस्तुओं पर ब्रिटेन ने भारी बिक्री कर लगा दिया पूरा स्टाफ भारतीय वस्तुओं के निर्यात पर सीमा शुल्क और परिवहन शुल्क भी लगाया गया था कि भारतीय वस्तुएं महंगी हो जाए। वही ब्रिटिश वस्तुओं पर किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लगता था। आता ब्रिटिश में भारतीय बाजारों में बिकने लगी । Bharat से कच्चे माल का अधिकतम होने लगा उद्योगों का पतन शुरू हो गया। अट्ठारह सौ पचास के बाद मैनचेस्टर से भारी मात्रा में वस्त्र भारत आना शुरू हो गया।भारत में कुटीर उद्योग के शिल्पकार ओ एवं काश्तकारों को ज्यादा महंगा कच्चा माल खरीदना पड़ रहा था। धीरे-धीरे कुटीर उद्योगों को बंद करिए शिल्पकार एवं कारीगर खेती करने पर मजबूर हो गए। इस प्रकार भारत में कुटीर उद्योगों का ह्रास होने लगा। भारतीय इतिहासकारों ने इसे ही भारत के उद्योग के लिए वीऔद्योगिक करण की संज्ञा दी। ब्रिटिश सूती वस्त्रों की खपत 1814 ईसवी में 1000000 गज से बढ़कर 1835 में 50000000 गज हो गई। दूसरी ओर भारतीय सूती वस्त्र की खबर ब्रिटेन में घट गई।
Matric Pariksha Itihaas ka subjective question
2. कुटीर उद्योग के महत्व एवं उपयोगिता पर प्रकाश डालें।
उत्तर ⇒ भारत में औद्योगिकीकरण ने कुटीर उद्योगों को काफी क्षति पहुंचाई,परंतु इस विषम परिस्थिति में भी गांव में यह उद्योग फल फूल रहा था जिसका लाभ आम जनता को मिल रहा था। स्वदेशी आंदोलन के समय कुटीर उद्योग के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। महात्मा गांधी के अनुसार लघु एवं कुटीर उद्योग भारतीय सामाजिक दशा के अनुकूल हैं। कुटीर उद्योग उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन से अधिक संख्या में रोजगार उपलब्ध कराने में तथा राष्ट्रीय को बढ़ाने जैसे महत्व से जुड़ा है। यह सामाजिक आर्थिक प्रगति क्षेत्रवार संतुलित विकास के लिए एक शक्तिशाली हथियार है पुलिस डॉग यह बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर को बढ़ाता है। उद्योग में बहुत कम पूंजी की आवश्यकता होती है।कुटीर उद्योग में वस्तुओं के उत्पादन करने की क्षमता कुछ लोगों के हाथ में न रहकर बहुत से लोगों के हाथ में रहती है। कुटीर उद्योग जनसंख्या को बड़े शहरों में पलायन को रोकता है। कुटीर उद्योग गांव को आत्मनिर्भर बनाने का एक औजार है।
औद्योगिकीकरण के विकास के पहले भारतीय निर्मित वस्तुओं का विश्वव्यापी बाजार था। भारतीय मलमल तथा सूती वस्त्र की मांगे पूरे विश्व में थी। ब्रिटेन में भारतीय हाथों से बनी हुई वस्तु को ज्यादा महत्व देते थे। हाथों से बने महीन धागों के कपड़े, तसर सिल्क,बनारसी तथा बालू चेरी साड़ियां तथा भुने हुए बॉर्डर वाली साड़ियां एवं मद्रास की लुगाइयों की मांग ब्रिटेन में उच्च वर्गों में अधिक थी। क्योंकि ब्रिटिश सरकार की नीति भारत में विदेशी निवेश वस्तुओं का आयात एवं भारत के कच्चा माल के निर्यात को प्रोत्साहन देता था, इसलिए ग्रामीण उद्योगों पर ध्यान नहीं दिया गया। फिर भी स्वदेशी आंदोलन के समय खादी जैसे वस्तुओं की मांग ने कुटीर उद्योग को बढ़ावा दिया। आगे दो विश्व युद्धों के बीच कुटीर उद्योगों द्वारा बनी वस्तुओं की मांग बढ़ने लगी।
3. औद्योगिकीकरण ने सिर्फ आर्थिक ढांचे को ही प्रभावित नहीं किया बल्कि राजनैतिक परिवर्तन का भी मार्ग प्रशस्त किया; कैसे?
उत्तर ⇒ औद्योगिकीकरण ने ना सिर्फ आर्थिक ढांचे को प्रभावित किया, बल्कि राजनैतिक परिवर्तन का भी मार्ग प्रशस्त किया। महात्मा गांधी ने जब असहयोग आंदोलन की शुरुआत की तो राष्ट्र वादियों के साथ-साथ आह्मदाबाद एवं खेड़ा मिल के मजदूरों ने उनका साथ दिया। गांधीजी ने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार तथा स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने पर जोर देते थे। इसका कारण यह था कि कुटीर उद्योग को भारत में पुनर्जीवित किया जा सके। पूरे भारत में नीलू में काम करने वाले मजदूरों ने भारत छोड़ो आंदोलन को अपना समर्थन दिया। औद्योगिकीकरण जिसकी शुरुआत एक आर्थिक प्रक्रिया के तहत हुई थी उसने भारत में राजनीतिक एवं सामाजिक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया।
4. औद्योगिकीकरण के परिणाम स्वरूप होने वाले परिवर्तनों पर प्रकाश डालें।
उत्तर ⇒ औद्योगिकीकरण के परिणाम-
(1) नगरों का विकास
(2) कुटीर उद्योगों का पतन
(3) साम्राज्यवाद का विकास
(4) समाज में वर्ग विभाजन एवं बुर्जुआ वर्ग का उदय
(5) फैक्ट्री मजदूर वर्ग का जन्म तथा स्लम पद्धति की शुरुआत।
1850 से 1950 के बीच भारत में वस्त्र उद्योग, लौह उद्योग, सीमेंट उद्योग, कोयला उद्योग जैसी कई उद्योगों का विकास हुआ। उद्योगों के विकास के कारण नए-नए नगरों का अभ्युदय होने लगा। औद्योगिकीकरण की प्रवृत्तियों के कारण नगरों का संकेंद्रण संसाधन बहुल क्षेत्रों में होने लगा, जैसे- जमशेदपुर, सिंदरी, धन्यवाद तथा डालमियानगर इत्यादि।
अवध होगी कि करण के परिणाम स्वरूप इंग्लैंड में हाथ के करके पर काम करने वाले बुनकर अब मशीनों से काम करने लगे। लेकिन, भारत में लाखों शिल्पी एवं काश्तकारों के सामने कोई विकल्प नहीं था। कुटीर उद्योगों के हर आज के बाद यह अपनी आजीविका खेती से चलाने लगे। इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि एवं उद्योग के बीच जो संतुलन था वह खत्म हो गया।
औद्योगिकीकरण के परिणाम स्वरुप उत्पादन में काफी वृद्धि हुई जिसकी खपत में उपनिवेश ओं के बाजार में करते थे। यूरोपीय देश उपनिवेश ओं की होड़ में शामिल हो गए। उपनिवेशवाद ने जहां आर्थिक नियंत्रण स्थापित किया वहीं साम्राज्यवाद आर्थिक और अनैतिक नियंत्रण स्थापित किया। अतः, औद्योगिकीकरण के परिणाम स्वरूप पहले उपनिवेशवाद का विकास हुआ तथा इसके बाद साम्राज्यवाद का विकास हुआ। उपनिवेशवादी देश अपने उपनिवेश ओक को स्थायित्व प्रदान करने के लिए साम्राज्यवादी होड़ में शामिल हो गए।
औद्योगिकीकरण के परिणाम स्वरुप भारतीय उद्योगों में ब्रिटिश सहायता से पूंजी लगाने वाले उद्योगपति पूंजीपति बन गए। अतः समाज में तीन वर्गों का उदय हुआ पूंजीपति वर्ग, बुर्जुआ वर्ग, मजदूर वर्ग। आगे यही बुर्जुआ वर्ग ने भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में अंग्रेजो के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाई।
BSEB Matric Exam History Subjective
इतिहास [ HISTORY ] – OBJECTIVE | ||
1 | यूरोप में राष्ट्रवाद | Click Here |
2 | समाजवाद एवं साम्यवाद | Click Here |
3 | हिंद चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन | Click Here |
4 | भारत में राष्ट्रवाद | Click Here |
5 | अर्थव्यवस्था और आजीविका | Click Here |
6 | शहरीकरण एवं शहरी जीवन | Click Here |
7 | व्यापार और भूमंडलीकरण | Click Here |
8 | प्रेस संस्कृति एवं राष्ट्रवाद | Click Here |
भूगोल [ GEOGRAPHY ] – OBJECTIVE | ||
1 | भारत संसाधन एवं उपयोग | Click Here |
2 | कृषि | Click Here |
3 | निर्माण उद्योग | Click Here |
4 | परिवहन संचार एवं व्यापार | Click Here |
5 | बिहार कृषि एवं वन संसाधन | Click Here |
6 | मानचित्र अध्ययन | Click Here |
राजनीतिक विज्ञान [ POLITICAL SCIENCE ] | ||
1 | लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी | Click Here |
2 | सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली | Click Here |
3 | लोकतंत्र में प्रतिस्पद्ध एवं संघर्ष | Click Here |
4 | लोकतंत्र की उपलब्धियां | Click Here |
5 | लोकतंत्र की चुनौतियां | Click Here |
अर्थशास्त्र [ ECONOMICS ] – OBJECTIVE | ||
1 | अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास | Click Here |
2 | राज्य एवं राष्ट्र कि आय | Click Here |
3 | मुद्रा बचत एवं साख | Click Here |
4 | हमारी वित्तीय संस्थाएं | Click Here |
5 | रोजगार एवं सेवाएं | Click Here |
6 | वैश्वीकरण | Click Here |
7 | उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण | Click Here |
आपदा प्रबंधन – OBJECTIVE QUESTION | ||
1 | प्राकृतिक आपदा : एक परिचय | Click Here |
2 | प्राकृतिक आपदा प्रबंधन : बाढ़ और सुखाड़ | Click Here |
3 | प्राकृतिक आपदा प्रबंधन : भूकंप एवं सुनामी | Click Here |
4 | जीवन-रक्षक आकस्मिक प्रबंधन | Click Here |
5 | आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था | Click Here |
6 | आपदा और सह अस्तित्व | Click Here |