Class 10th Subjective Hindi Ka Question Paper | Class 10th Hindi धरती कब तक घूमेगी Subjective

Class 10th Subjective Hindi Ka Question Paper :- दोस्तों यदि आप bseb class 10th hindi question paper की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको Class 10th Hindi ( धरती कब तक घूमेगी ) Subjective Question दिया गया है जो आपके bihar board 10th hindi question paper के लिए काफी महत्वपूर्ण है | BSEB 10th & 12th App


प्रश्न 1. सीता अपने ही घर में क्यों घुटन महसूस करती है? 

उत्तर ⇒ सीता तीन बेटों की एक बूढ़ी विधवा माँ है। उसके तीनों बेटे माँ के खाना को लेकर आपस में झगड़ते रहते है। उसकी बहुएँ भी आपस में झगड़ती रहती है, इसलिए उसे अपने ही घर में घुटन महसूस होती है।


Class 10th Subjective Hindi Question

प्रश्न 2. काश! माँ के नाम पूरी जायदाद होती तो क्या यही हाल होता ? अपना तर्क दें।

उत्तर ⇒ नहीं। सारे फसाद की जड़ माँ नहीं, पैसा है। एक माँ, जो नौ महीने अपनी कोख में औलाद को रखती है, वह बड़ा होकर ऐसा करता है जो मानवता की हद पार कर जाता है। काश कैलाश के पिता काफी जायदाद अपनी पत्नी के नाम रखें होते तो शायद माँ को रखने के लिए लड़ाई नहीं होती, उनकी जिन्दगी के लिए दुआएँ माँगी जातीं ।


‘प्रश्न 3. सीता क्या सोचकर घर से निकल पड़ी ?

उत्तर ⇒  प्रतिमाह 50-50 रुपये देने की बात सुनकर सीता को हार्दिक पीड़ा हुई। उसने सोचा जब मुझे मजदूरी ही करनी है तो कहीं भी कर लूँगी और रोटी खा लूँगी । यही सोचकर वह घर से निकल पड़ी।


प्रश्न 4. ‘धरती कब तक घूमेगी’ का सारांश प्रस्तुत करें।

उत्तर ⇒ ‘ धरती कब तक घूमेगी’ कहानी की सीता का पति नहीं है। किन्तु, घर भरा-पूरा है। बेटे है, नाती-पोते हैं, बहुएँ है। घर में खाना-पीना सब कुछ तो है किन्तु लगता है कि कुछ नहीं है उसे धरती और आकाश के बीच धुंधला सा लगता है। घर में जो है उसके अलावा भी तो कुछ जरूरी है। घर में कभी शान्ति – सद्भाव नहीं मिला। तीन बेटों के पास पारी में

रहना-खाना और बातें सुनना। उसे लगता है कि धरती घूमती है। सब भाई पतोहू रोज कुछ न कुछ हो हल्ला कर ही देते थे किन्तु एक दिन तो तीनों भाईयों ने मिल-बैठकर सीता के सामने ये विचार किया कि माँ घूम-घूमकर सबके पर खाती है और रहती है, इससे अच्छा तो है कि सब 50-50 रु० उसे दें तो उसे महीने भर के खर्च के लिए कम नहीं होगा। अपना जैसा मन होगा बनाकर खा लेगी। एक भाई ने इस बात पर माँ से विचार कर लेने को कहा, तो दूसरे ने कहा कि माँ को इसमें क्या पूछना वह तो कोई बात बोलती ही नहीं हैं उसे बस पसन्द है। सीता यह बात सुनकर कुढ़ गई कि मेरे बेटे अब मुझे मजदूरी देंगे, तो उसके लिए दुनिया में क्या जगह की कमी है ?

यही बात सोचकर सीता सुबह घर से निकल पड़ी। उसका मन अब प्रसन्न था अब धरती और आकाश के बीच की धुंध छँट चुकी थी।


प्रश्न 5. पाली बदलने पर अपने घर दादी माँ के खाने को लेकर बच्चे खुश होते हैं जबकि उनके माता-पिता नाखुश बच्चे की खुशी और माता-पिता की नाखुशी के कारणों पर विचार करें।

उत्तर ⇒  पाली बदलने पर अपने घर दादी माँ के खाते देखकर बच्चे इसलिए खुश होते थे कि वे अपनी दादी माँ के साथ एक ही थाली में खाएंगे, उनके साथ खेलेंगे। लेकिन, उनके माता-पिता नाखुश हो जाते थे, क्योंकि उन्हें एक महीना उनका खर्च वहन करना होगा। बच्चों के माता-पिता अपनी माँ (सीता) को बोझ मानते हैं। एक माँ के प्रति पुत्र की जो आत्मीयता होनी चाहिए, वह नहीं है। माँ को दोनों शाम रोटी इसलिए देते हैं, क्योंकि यह तो गले आ पड़ा फर्ज है। बेटे तो माँ को बोझ मान बैठे थे। वे अपने-अपने लाभ में डूबे हुए ‘हुए थे। इस स्वार्थ के कारण वे इतने गिर गए थे कि जन्म देने वाली माँ को आफत मानने लगे थे। तात्पर्य यह कि वे पुत्र का नहीं, अपितु सामाजिक बाध्यता तथा बदनामी के भय से दोनों वक्त रोटी दे देते थे। यदि यह भय नहीं होता तो रोटी भी नहीं देते, लेकिन बच्चे उन्हें अपनी दादी जानकर खुश होते थे कि उन्हें अपने पिता की माँ का स्नेह भरा प्यार मिलता था।

 10th Hindi ( हिन्दी ) Subjective Question


प्रश्न 6. ‘इस समय उसकी आँखों के आगे न तो अँधेरा था और न ही उसे धरती और आकाश के बीच घुटन हुई।’ सप्रसंग व्याख्या करें ।

उत्तर ⇒  प्रस्तुत गद्यांश साँवर दइया द्वारा लिखित कहानी ‘धरती कब तक घूमेगी’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है। इसमें कहानीकार ने तीन बेटे की एक माँ की मनोदशा का मार्मिक चित्रण किया है। घर भरा-पूरा है। बेटे-बहुएँ, पोते-पोतियाँ तथा धन-सम्पत्ति से सम्पन्न परिवार है। लेकिन, पति के मरते ही सीता (माँ) दूध की मक्खी बन जाती है तीनों बेटे बारी-बारी से माँ को एक-एक महीने अपने परिवार में खाना तो देते हैं। लेकिन, सभी उन्हें उपेक्षा एवं घृणा की दृष्टि से देखते हैं। परिवार की ऐसी स्थिति देख माँ का हृदय टूट जाता है। वह अपनी व्यथा अन्दर- ही अन्दर सह लेती है, लेकिन व्यक्त नहीं करती। वह एक के बाद दूसरे और दूसरे के बाद तीसरे में पाँच वर्षों तक चक्कर लगाती रहती है। इस पर भी मन नहीं भरता है तब माहवारी खर्च के लिए माँ को डेढ़ सौ रुपये देने का निर्णय लिया जाता है। बेटों के इस निर्णय से माँ का स्वाभिमान जाग पड़ा। उसने बेटों से मजदूरी लेने की अपेक्षा कहीं और नौकरी करना बेहतर समझा क्योंकि वहाँ न तो अपमानित होना पड़ेगा और न ही ताने सुनने पड़ेंगे। दूसरे के घर में परिश्रम के अनुकूल आदर तथा अपनी इच्छा प्रकट करने का अवसर मिलेगा। स्वतंत्र जीवन तथा खुली हवा होगी। यही कारण है कि घर छोड़ते समय आँखों के आगे न तो अंधेरा था और न ही उसे धरती और आकाश के बीच घुटन महसूस हो रहा था।


प्रश्न 7. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर ⇒  प्रस्तुत कहानी ‘धरती कब तक घूमेगी’ चरित्र प्रधान कहानी है। – कहानी आरंभ से अंत तक सीता के इर्द-गिर्द घूमती है। कहानी तीन बेटे और एक माँ की दोनों वक्त रोटी की कहानी है, जिसमें रोटी ही महत्त्वपूर्ण सिद्ध , होती है। माँ की रोटी के कारण बड़ा बेटा कैलाश अपने दो भाइयों से कहता है- “माँ को रखने का ठेका सिर्फ उसी ने तो नहीं ले रखा है ।” परिणामतः माँ को तीनों बेटों में बारी-बारी से एक-एक महीना खाने के लिए घूमना पड़ता है और यह क्रम तब तक चलता है जब तक सीता (माँ) घर छोड़कर चली नहीं जाती है।

कहानीकार ने कहानी का शीर्षक ‘धरती कब तक घूमेगी’ के से यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि धरती अर्थात् माँ दो वक्त की टी के लिए एक से दूसरे तथा दूसरे से तीसरे के घर कब तक घूमेगी ? इसी चक्कर को रोकने के लिए तीनों भाई माँ को पचास-पचास रुपये हर महीने देने का निर्णय करते है। लेकिन माँ इसे अपना अपमान मानकर घर का त्याग कर देती है ।

इस प्रकार कहानी अपने लक्ष्य तक पहुँचकर पाठकों के मन में एक जिज्ञासा पैदा कर देती है कि आखिर वह कहाँ गई ? अतः कहानी का शीर्षक विषयानुकूल तथा भाव उद्बोधक है।


प्रश्न 8. सीता का चरित्र चित्रण करें।

उत्तर ⇒ सीता इस कहानी की मुख्य पात्रा है जो स्वाभिमानी, सहनशील और ममतामयी है। पति के देहांत होने के पश्चात् वह इच्छारहित हो जाती है उसे जो कुछ भी खाने को दिया जाता है चुपचाप खा लेती है। उसे इस बात का अचंभा होता है कि कहने को तो वह माँ है, कोई उसका सुख-दुःख तक नहीं पूछता यह सोचकर उसका हृदय भर आता है । वह दुःखी हो जाती है, परन्तु किसी के सामने अपना कष्ट व्यक्त नहीं करती है। वह हर बेइज्जती को चुपचाप सह लेती है। परिवार के दूषित माहौल को देखकर कहती है कि ” कहने को तो यह घर है। गली के लोगों को देखने में तो अच्छा खाता-पीता घर है, मगर यहाँ खाते-पीते घर में ही खाने-पीने को लेकर , लड़ाई है। एक पेट के लिए इतनी परेशानी! ये लोग दोनों वक्त गाय- कुत्ते को रोटी खिलाते हैं। फिर मेरी रोटी के लिए क्यों इन लोगों को हमेशा नये तरीके से विचार करना पड़ता है।” इस प्रकार वह परिवार की हर बेइज्जती और नफरत को धैर्यपूर्वक सहन करती है। मगर तीनों पुत्रों द्वारा प्रतिमाह खर्च के रूप में डेढ़ सौ रुपये दिए जाने की बात सुनकर दुःखी हो जाती है और एक स्वाभिमानी की तरह किसी के सहारे जीवन यापन न करने के विचार से घर को छोड़कर चल देती है।


प्रश्न 9. सीता की स्थिति बच्चों के किस खेल से मिलती-जुलती थी ?

उत्तर ⇒ सीता की स्थिति बच्चों के खेल ‘माई-माई रोटी दे’ वाले खेल से मिलती थी।

BSEB Class 10th Subjective Hindi


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